इस पेज पर आप वर्णिक छन्द की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो पोस्ट को पूरा जरूर पढ़िए। पिछले पेज पर हमने शब्द और पद की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े। चलिए आज हम वर्णिक छन्द की समस्त जानकारी को पढ़ते और समझते हैं। जिन छंदों में वर्णों की संख्या, गणविधान, क्रम, तथा लघु-गुरु स्वर के आधार पर पद रचना होती है, उसे ‘वर्णिक छंद’ कहते हैं। दूसरे शब्दों में केवल वर्णों के गणना के आधार पर रचा गया छन्द ‘वार्णिक छन्द’ कहलाता है। या जिस छंद के सभी चरणों में वर्णो की संख्या समान होती हैं उन्हें ‘वर्णिक छंद’ कहते हैं। वार्णिक छन्द के दो प्रकार है। (i). साधारण वार्णिक छंद :- 1 से 26 वर्ण तक के चरण या पद रखने वाले
वार्णिक छंद को साधारण वार्णिक कहा जाता हैं। (ii). दण्डक वार्णिक छंद :- 1 से 26 वर्ण से अधिक चरण या पद रखने वाले छंद को दंडक वार्णिक छंद कहा जाता हैं। इसके प्रत्येक चरण में 22 से 26 वर्ण होते हैं। इसमें एक से अधिक छंद होते हैं। यह अनेक प्रकार के होते हैं और इनके नाम भी भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। सवैया में एक ही वर्णिक गण बार-बार आता है। इनका निर्वाह नहीं होता है। जैसे :- “लोरी
सरासन संकट कौ, 2. मनहरण या घनाक्षरी या कवित्त छंदयह वर्णिक सम छंद होता है। इसके प्रत्येक चरण में 31से 33 वर्ण होते हैं और आखिर में तीन लघु स्वर होते हैं। 16वे और 17 वें वर्ण पर विराम होता है। जैसे :- मेरे मन भावन के भावन के ऊधव के आवन की 3. द्रुत विलम्बित छंदइसके प्रत्येक चरण में 12 वर्ण होते हैं। जिनमे एक नगण, दो भगण तथा एक सगण होते हैं। जैसे :- दिवस का अवसान समीप था, 4. मालिनी छंदइस वर्णिक छंद में 15 वर्ण होते हैं। जिनमें दो तगण, एक मगण, दो यगण होते हैं। आठ और सात वर्ण एवं विराम होता है। जैसे :- प्रभुदित मथुरा के मानवों को बना के, 5. मंदाक्रांता छंदइसके प्रत्येक चरण में 17 वर्ण होते हैं। जिनमे एक भगण, एक नगण, दो तगण और दो गुरु स्वर होते हैं। 5वे, 6वे तथा 7 वें वर्ण पर विराम होता है। जैसे :- कोई क्लांता पथिक ललना चेतना शून्य होक़े, 6. इन्द्रव्रजा छंदइसके प्रत्येक चरण में 11 वर्ण होते हैं। जिनमे दो जगण और बाद में 2 गुरु स्वर होते हैं। जैसे :- माता यशोदा हरि को जगावै। 7. उपेन्द्रव्रजा छंदइसके प्रत्येक चरण में 11 वर्ण होते हैं। जिनमे 1 नगण,1 तगण, 1 जगण और बाद में 2 गुरु स्वर होता हैं। जैसे :- पखारते हैं पद पद्म कोई, 8. अरिल्ल छंदइसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं। इसके अंत में लघु या यगण स्वर होता हैं। जैसे :- मन में विचार इस विधि
आया। 9. लावनी छंदइसके प्रत्येक चरण में 22 मात्राएँ और चरण के अंत में गुरु स्वर होते हैं। जैसे :- धरती के उर पर जली अनेक होली। 10. राधिका छंदइसके प्रत्येक चरण में 22 मात्राएँ होती हैं। जिसमे 13वें और 9वें पर विराम होता है। जैसे :- बैठी है वसन मलीन पहिन एक बाला। 11. त्रोटक छंदइसके प्रत्येक चरण में 12 मात्रा और 4 सगण होते हैं। जैसे :- शशि से सखियाँ विनती करती, 12. भुजंगी छंदइसके प्रत्येक चरण में 11 वर्ण होते हैं। जिनमें तीन सगण, एक लघु स्वर और एक गुरु स्वर होता है। जैसे :- शशि से सखियाँ विनती करती, 13. वियोगिनी छंदइसके सम चरण में 11-11 और विषम चरण में 10 वर्ण होते हैं। विषम चरणों में दो सगण, एक जगण, एक सगण और एक लघु स्वर व एक गुरु स्वर होते हैं। जैसे :- “विधि ना कृपया प्रबोधिता, 14. वंशस्थ छंदइसके प्रत्येक चरण में 12 वर्ण होते हैं। जिनमें एक नगण, एक तगण, एक जगण और एक रगण होते हैं। जैसे :- “गिरिन्द्र में व्याप्त विलोकनीय थी, 15. शिखरिणी छंदइसमें 17 वर्ण होते हैं। इसके हर चरण में यगण, मगण, नगण, सगण, भगण, लघु स्वर और गुरु स्वर होता है। 16. शार्दुल विक्रीडित छंदइसमें 19 वर्ण होते हैं। 12वें और 7वें वर्णों पर विराम होता है। हर चरण में मगण, सगण, जगण, सगण, तगण और बाद में एक गुरु स्वर होता है। 17. मत्तगयंग छंदइसमें 23 वर्ण होते हैं। प्रत्येक चरण में सात सगण और दो गुरु स्वर होते हैं। जरूर पढ़िए :
उम्मीद हैं आपको वर्णिक छन्द की समस्त जानकारी पसंद आयी होगीं। यदि आपको यह पोस्ट पसंद आयी हो तो दोस्तों के साथ शेयर कीजिए। वर्णिक छंद कौन से हैं?वर्णिक छंद उसे कहा जाता है जिसके प्रत्येक चरण में वर्णों का क्रम तथा वर्णों की संख्या नियत रहती है। जब लघु गुरु का क्रम और उनकी संख्या निश्चित है तो मात्रा स्वयंमेव सुनिश्चित है। वर्णिक छंद की रचना में उस के वर्णों के क्रम का सम्यक ज्ञान और पद के मध्य की यति या यतियों का ज्ञान होना ही पर्याप्त है।
वर्णिक छंद के कितने भेद है?यह वर्णिक छंद है । इसमें चार चरण होते हैं । प्रत्येक चरण में 22 वर्णो से लेकर 28 वर्णों तक के सवैया छन्द होते है । इसके लगभग 11 भेद हैं ।
वर्णिक छंद में कितने गण होते हैं?इसी प्रकार गुरु मात्रा का मान मान २ होता है और उसे ऽ चिह्न से प्रदर्शित किया जाता है। गण - मात्राओं और वर्णों की संख्या और क्रम की सुविधा के लिये तीन वर्णों के समूह को एक गण मान लिया जाता है। गणों की संख्या ८ है - यगण (। ऽऽ), मगण (ऽऽऽ), तगण (ऽऽ।), रगण (ऽ।
22 से 26 वर्ण वाले छंद को क्या कहा जाता है?सवैया- 22 से लेकर 26 वर्ण तक के छंद को सवैया कहते हैं। ये अनेक प्रकार के होते हैं- मत्तगयन्द, दुर्मिल, मदिर, चकोर, किरीट सवैया आदि।
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