उत्तराखंड का सबसे बड़ा शहर कौन सा है? - uttaraakhand ka sabase bada shahar kaun sa hai?

उत्तराखंड क्षेत्रफल के हिसाब से 19वां सबसे बड़ा राज्य है, और जनसंख्या के हिसाब से 20वां सबसे बड़ा राज्य है, जहां 2011 की जनगणना के अनुसार 10,086,292 लोग रहते हैं। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी देहरादून और शीतकालीन राजधानी गैरसैंण है और राज्य का क्षेत्रफल 53,483 वर्ग किलोमीटर है।

इस लेख में उत्तराखंड के सभी जिलों और उनकी जनसंख्या का उल्लेख किया गया है।

उत्तराखंड में कितने जिले हैं और उनके नाम क्या है?

उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं, उनके नाम नीचे दिए गए हैं।

उत्तराखंड के सभी जिलों के नाम

जिला – जनसंख्या (2011 के अनुसार)

  • अल्मोड़ा – 621,972
  • बागेश्वर – 259,840
  • चमोली – 391,114
  • चंपावत – 259,315
  • देहरादून – 1,695,860
  • हरिद्वार – 1,927,029
  • नैनीताल – 955,128
  • पौड़ी गढ़वाल – 686,572
  • पिथौरागढ़ – 485,993
  • रुद्रप्रयाग – 236,857
  • टिहरी गढ़वाल – 616,409
  • उधम सिंह नगर – 1,648,367
  • उत्तरकाशी – 329,686

Also Read: विश्व या दुनिया में कुल कितने देश हैं और उनके नाम क्या है?

लगातार पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1- उत्तराखंड में कुल कितने जिले हैं?

उत्तराखंड में कुल 13 जिले हैं।

प्रश्न 2- उत्तराखंड की राजधानी क्या है?

देहरादून (शीतकालीन राजधानी) & गैरसैंण (ग्रीष्मकालीन राजधानी)

प्रश्न 3- उत्तराखंड का सबसे बड़ा शहर कौन सा है?

देहरादून

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उत्तराखंड के सबसे कोल्डेस्ट जगह पर देखा जाएगा तो अगली बल के एक जगह है लाइक हो उसमें विष्णुपद ब्रदर सबसे ठंडा है उसके बाद 14 दिन सा रहता है बिजली कट आता है

uttarakhand ke sabse coldest jagah par dekha jaega toh agli bal ke ek jagah hai like ho usme vishnupad brother sabse thanda hai uske baad 14 din sa rehta hai bijli cut aata hai

उत्तराखंड के सबसे कोल्डेस्ट जगह पर देखा जाएगा तो अगली बल के एक जगह है लाइक हो उसमें विष्णु

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उत्तराखंड का सबसे बड़ा शहर कौन सा है? - uttaraakhand ka sabase bada shahar kaun sa hai?
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उत्तराखंड का सबसे बड़ा शहर कौन सा है? - uttaraakhand ka sabase bada shahar kaun sa hai?

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हल्द्वानी (Haldwani) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के नैनीताल ज़िले में स्थित एक नगर है।[2][3][4] हल्द्वानी कुमाऊँ मण्डल का सबसे बड़ा एवं देहरादून के बाद राज्य का दूसरा सबसे बड़ा नगर है। हल्द्वानी कुमाऊँ का सबसे बड़ा आर्थिक, शैक्षिक, व्यापारिक एवम आवासीय केंद्र है इसे "कुमाऊँ का प्रवेश द्वार" कहा जाता है। कुमाऊँनी भाषा में इसे "हल्द्वेणी" भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ "हल्दू" (कदम्ब) प्रचुर मात्रा में मिलता था।[5]

मुग़ल इतिहासकारों ने इस बात का उल्लेख किया है कि १४वीं शताब्दी में एक स्थानीय शासक, ज्ञान चन्द जो अहीर राजवंश से सम्बंधित था, दिल्ली सल्तनत पधारा और उसे भाभर-तराई तक का क्षेत्र उस समय के सुलतान से भेंट स्वरुप मिला। बाद में मुग़लों द्बारा पहाड़ों पर चढ़ाई करने का प्रयास किया गया, लेकिन क्षेत्र की कठिन पहाड़ी भूमि के कारण वे सफल नहीं हो सके।

सन् १८५६ में सर हेनरी रैम्से ने कुमाऊँ के आयुक्त का पदभार संभाला। १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रा संग्राम के दौरान इस क्षेत्र पर थोड़े समय के लिये रोहिलखण्ड के विद्रोहियों ने अधिकार कर लिया। तत्पश्चात सर हेनरी रैम्से द्वारा यहाँ मार्शल लॉ लगा दिया गया और १८५८ तक इस क्षेत्र को विद्रोहियों से मुक्त करा लिया गया।

इसके बाद सन् १८८२ में रैम्से ने नैनीताल और काठगोदाम को सड़क मार्ग से जोड़ दिया। सन् १८८३-८४ में बरेली और काठगोदाम के बीच रेलमार्ग बिछाया गया। २४ अप्रैल, १८८४ के दिन पहली रेलगाड़ी लखनऊ से हल्द्वानी पहुंची और बाद में रेलमार्ग काठगोदाम तक बढ़ा दिया गया।

सन् १९०१ में यहाँ की जनसँख्या ६,६२४ थी और सयुंक्त प्रान्त के नैनीताल ज़िले के भाभर क्षेत्र का मुख्यालय हल्द्वानी में ही स्थित था। और साथ ही ये कुमाऊँ मण्डल और नैनीताल ज़िले की शीत कालीन राजधानी भी हुआ करता था। सन् १९०१ में आर्य समाज भवन और १९०२ में सनातन धर्मं सभा का निर्माण किया गया। सन् १८९९ में यहाँ तहसील कार्यालय खोला गया जब इसे नैनीताल ज़िले के चार भागों में से एक भाभर का मुख्यालय बनाया गया और कुल ४ क़स्बों और ५११ ग्रामों के साथ इसकी कुल जनसँख्या ९३,४४५ (१९०१) थी और ये ३,३१३ वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ था। १८९१ तक अलग नैनीताल ज़िले के बनाने से पहले तक ये कुमांऊ ज़िले का भाग था जिसे अब अल्मोड़ा ज़िले के नाम से जाना जाता है।

सन् १९०४ में इसे "अधिसूचित क्षेत्र" की श्रेणी में रखा गया और १९०७ में हल्द्वानी को क़स्बा क्षेत्र घोषित किया गया। हल्द्वानी से ४ किमी दूर दक्षिण में स्थित गोरा पड़ाव नामक क्षेत्र है। १९ वीं सदी के मध्य में यहाँ एक ब्रिटिश कैंप हुआ करता था जिसके नाम पर इस क्षेत्र का नाम पड़ा। "गोरा" शब्द ब्रिटिशों लिए उपयोग में लाया जाने वाला कठबोली शब्द था।

हल्द्वानी २९.२२° उ ७९.५२° पू के अक्षांश पर स्थित है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई ४२४ मीटर है। भूवैज्ञानिक रूप से हल्द्वानी एक पीडमोंट (piedmont) ग्रेड पर बसा हुआ है जिसे भाभर कहा जाता है, जहां पहाड़ी नदियाँ भूमिगत होकर गंगा के मैदानी क्षेत्रों में पुनः प्रकट होती हैं। ऐतिहासिक रूप से ये एक स्थानीय व्यापार केंद्र रहा है और कुमाऊँ के पहाड़ी क्षेत्रों और गंगा के मैदानी क्षेत्रों के बीच एक व्यस्त केंद्र भी।

नैनीताल रोड से हल्द्वानी-काठगोदाम और गौला नदी की चित्रमाला।

हल्द्वानी उत्तराखंड के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में स्थित हल्द्वानी महानगरीय क्षेत्र का प्रमुख शहर है। हल्द्वानी-काठगोदाम नगरों के अलावा हल्द्वानी महानगरीय क्षेत्र में ग्यारह कॉलोनियां (दमुआ धुंगा बांदोबस्ती, ब्यूरो, बामोरी तल्ली बंदोबस्ती, अमरावती कॉलोनी, शक्ति विहार, भट्ट कॉलोनी, मानपुर उत्तर, हरिपुर सुखा, गौजजली उत्तर, कुसुमखेड़ा, बिथोरिया सं १, कोर्त, बामोरी मल्ली और बामोरी तल्ली खम) और दो जनगणना नगर (मुखानी और हल्दवानी तल्ली) शामिल हैं।

हल्द्वानी नैनीताल जिले की एक तहसील भी है। हल्द्वानी तहसील नैनीताल जिले के दक्षिणी भाग में स्थित है, और इसकी सीमाएं नैनीताल जिले में नैनीताल, कालाढूंगी, लालकुआँ और धारी तहसीलों के अलावा उधम सिंह नगर जिले में गदरपुर, किच्छा और सितारगंज, और चम्पावत जिले में श्री पूर्णागिरी तहसील से मिलती हैं। तहसील में चार नगर और २०२ गांव शामिल हैं।

हल्द्वानी के जलवायु आँकड़ेंमाहजनवरीफरवरीमार्चअप्रैलमईजूनजुलाईअगस्तसितम्बरअक्टूबरनवम्बरदिसम्बरवर्षऔसत उच्च तापमान °C (°F)20
(68)22.9
(73.2)28.4
(83.1)34.3
(93.7)37
(99)35.5
(95.9)31.2
(88.2)30.4
(86.7)30.5
(86.9)29.5
(85.1)25.2
(77.4)21.1
(70)28.83
(83.93)दैनिक माध्य तापमान °C (°F)13.9
(57)16
(61)21.1
(70)26.2
(79.2)29.5
(85.1)29.6
(85.3)27.3
(81.1)26.7
(80.1)26.4
(79.5)23.6
(74.5)18.5
(65.3)14.7
(58.5)22.79
(73.05)औसत निम्न तापमान °C (°F)7.8
(46)9.2
(48.6)13.9
(57)18.2
(64.8)22
(72)23.7
(74.7)23.4
(74.1)23.1
(73.6)22.4
(72.3)17.7
(63.9)11.8
(53.2)8.3
(46.9)16.79
(62.26)औसत वर्षा मिमी (inches)57
(2.24)33
(1.3)35
(1.38)8
(0.31)40
(1.57)256
(10.08)649
(25.55)587
(23.11)301
(11.85)110
(4.33)5
(0.2)14
(0.55)2,095
(82.47)स्रोत: [6]

हल्द्वानी से ८ किमी उत्तर में रानीबाग़ नामक स्थान है जहाँ हिन्दुओं का पवित्र चित्रशिला नामक श्मशान घाट है। उत्तरायणी नामक मेला प्रतिवर्ष मकर संक्रांति(१३-१४ जनवरी प्रतिवर्ष) के दिन यहाँ लगता है। कुमाऊँनी बोली में इसे घुघुतिया भी कहते हैं। हल्द्वानी के दक्षिण में पंतनगर विश्वविद्यालय स्थित है जो कृषि अनुसंधान के लिए प्रसिद्द है। पूर्व में गौला नदी बहती है और पश्चिम में लामचुर और कालाढुंगी के उपजाऊ कृषि मैदान है जो विश्व-प्रसिद्द कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में मिलते हैं। अपने प्रसिद्द पहाड़ी खानपान के अतिरिक्त हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में देखने के लिए बहुत कुछ है जैसे दूर तक फैले धूमिल ग्राम, झुलावदार पर्णपाती वन और नगरीय फैलावों से बाहर खुला क्षेत्र। कई प्रसिद्ध व्यक्ति इस क्षेत्र से सम्बंधित है जैसे गोविन्द वल्लभ पन्त, नारायण दत्त तिवारी इत्यादि।

सन् २०११ की भारतीय जनगणना के अनुसार हल्द्वानी-काठगोदाम नगर क्षेत्र की कुल जनसँख्या १,५६,०७८ है। कुल जनसँख्या में से ८१,९५५ (५२.५१%) पुरुष और ७४,१२३ (४७.४९%) महिलाएं हैं। हल्द्वानी-काठगोदाम की साक्षरता दर ७०.२४% है, जो राष्ट्रीय औसत ६५% से ऊपर है। पुरुष साक्षरता दर है ७२.९९% और महिला साक्षरता दर है ६७.१९%। हल्द्वानी-काठगोदाम की १३.०३% जनसँख्या ६ वर्ष से ऊपर की है।

नगरपालिका हल्द्वानी काठगोदाम नोटिफाईड संख्या १६४-६६-६४ दिनांक २ फ़रवरी १८८७ द्वारा हल्द्वानी नगरपालिका कमेटी गठित की गयी तथा इसकी प्रथम बैठक १२ फ़रवरी १८९७ को हुई। १८८५ में यहां 'टाउन ऐक्ट' जारी हुआ। नगरपालिका परिषद हल्द्वानी-काठगोदाम को सन १९०४ में नोटिफाइड किया गया। संयुक्त प्रान्त की सरकार की अधिसूचना ३६०१/११-४३९-४० दिनांक २१ सितम्बर १९४२ में नोटिफाइड एरिया से तृतीय श्रेणी १९५६ में द्वितीय श्रेणी तथा उ.प्र. शासन विभाग की अधिसूचना संख्या ११७०९(iii)/XI ए-१९६६ लखनऊ, दिनांक ५ सितम्बर १९६६ के द्वारा १ दिसम्बर १९६६ से प्रथम श्रेणी नगरपालिका घोषित की गयी। उसके उपरांत महानगर क्षेत्र के बढ़ने के साथ ही सन 2011 में हल्द्वानी को नगर निगम का दर्जा दिया गया और इसके साथ देहरादून के बाद हल्द्वानी राज्य की दूसरी सबसे बड़ी नगर निगम बन गई

यद्यपि यहाँ के सभी सामाजिक-सांस्कृतिक पहलुओं पर कुमाऊँनी लोगों का बोलबाला है, लेकिन बहुत से क्षेत्रों और धर्मों के लोग हल्द्वानी में रहते हैं। यहाँ के खानपान, पहनावे, बोलियों और वास्तुशिल्प में विविधता देखी जा सकती है। दो दशक पहले तक ही ये एक छोटा क़स्बा था, लेकिन बहुत से कारणों से यहाँ पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से नगरीकरण बढ़ा जिसके चलते ये एक स्थानीय व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ है और यहाँ कई आधारभूत सुविधाओं में वृद्धि हुई है जैसे सड़क, अस्पताल, विक्रय केन्द्र इत्यादि।

हल्द्वानी उत्तर भारत के कुछ सबसे विकसित शैक्षिक केंद्रों में से एक है हल्द्वानी में ऐसे कई विद्यालय और संस्थान है जो बहुत ऊँचे स्तर की शिक्षा प्रदान करते है और ये उत्तराखण्ड के आवासीय शैक्षिक केंद्रों की तुलना में सस्ते हैं। कुछ प्रमुख विद्यालय है:- सैकरैड हार्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, श्री गुरु तेग बहादुर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, नैनी वैली स्कूल, केंद्रीय विद्यालय, निर्मला कॉन्वेंट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, महर्षि विद्या मंदिर, कुईंस पब्लिक स्कूल, संत थेरेसा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, संत पॉल उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, आर्यमान विक्रम बिड़ला अध्ययन संस्थान, बीरशिबा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, आम्रपाली संस्थान-लामाचौड़, डी.ए.वी. सेंटेनरी पब्लिक स्कूल, द हेरिटेज स्कूल जो यहाँ के सर्वोत्तम विद्यालयों में से एक है, बिड़ला विद्या मंदिर, दीक्षांत इंटरनेशनल प्री- स्कूल, जी.आई.सी, जी.जी.आई.सी, महात्मा गाँधी इंटर कॉलेज, एम.बी. इंटर कॉलेज और एच.एन. इंटर कॉलेज।

इसके अतिरिक्त निकट के पंतनगर में स्थित गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवँ प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय जो कृषि अनुसंधान के लिए देश का प्रमुख संस्थान है। चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा के लिए राज्य का सबसे बड़ा व पुराना चिकित्सा संस्थान सुशीला तिवारी मेमोरियल राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान। यहां मौजूद है इसके अतिरिक यहाँ एन.आई.आई.टी केंद्र भी है, जो स्थानीय युवाओं को वैश्विक आई.टी उद्योग में वृत्ति बनाने में सहायता देता है। हल्द्वानी में राज्य का उत्तराखंड मुफ्त विश्वविद्यालय मौजूद है। अन्य संस्थान आम्रपाली संस्थान, एम बी पी जी कॉलेज, महिला डिग्री कॉलेज और जय अरिहंत कॉलेज हैं। इन सबके अतिरिक्त यहाँ बहुत से लघु-अवधि के लिए आजीविका उन्मुख ट्रेनिंग भी देते है जैसे इज़ीज्ञान, आई.आई.जे.टी, वीटा, आई आई टी, ।आई आई टी (महिला) आदि है हल्द्वानी में सैकड़ों ऐसे इंस्टीयूट है जो विभिन्न विषयों की कोचिंग करवाते है। रक्षा के क्षेत्र में भी यहां कई निजी डिफेंस संस्थान मौजूद है जो कई प्रकार की ट्रेनिंग आदि करवाते है। इन सब के कारण हल्द्वानी पठन पाठन के क्षेत्र में अत्यंत तेजी से विकसित होता है एक एजुकेशनल हब है।

सभी महानगरों से सड़क मार्ग और दिल्ली,हावड़ा,लखनऊ,कानपुर और आगरा आदि शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा होने के कारण हल्द्वानी उत्तराखण्ड का एक प्रमुख व्यवसायिक केंद्र है। हल्द्वानी की मंडी ना सिर्फ भारत बल्कि एशिया की सबसे बड़ी फल, सब्ज़ी और अनाज मंडियों में से एक है हल्द्वानी अधिकांश कुमाऊं और गढ़वाल के कुछ भागों के लिए प्रवेश द्वार होने के कारण यह उत्तराखण्ड का प्रमुख राजस्व केंद्र है और अपने लाभप्रद स्थान के आधार पर ये पहाडों के लिए माल पारगमन के लिए एक आधार डिपो के रूप जाना जाता है। हल्द्वानी के आस-पास कई वृहद उद्योग स्थित है हल्द्वानी एवम् रुद्रपुर के बीच पंतनगर में राज्य का विशाल आईटी पार्क सिडकुल स्थित है जहां कई राष्ट्रीय एवम् अन्तर्राष्ट्रीय कंपनियां मौजूद है इसके अतिरिक्त हल्द्वानी के नजदीक लालकुआ एवम् सितारगंज रोड पर चोरगलिया के समीप कई इंडस्ट्रियल एरिया है। हल्द्वानी महानगरीय व उसके आस पास के क्षेत्रों में कई औद्योगिक इकाइयां है जो हल्द्वानी महानगर को महत्वपूर्ण व्यावसायिक,आर्थिक एवम औद्योगिक केंद्र बनाते है !

हल्द्वानी नगर के यातायात साधनों में विभिन्न परिवहन प्रणाली स्थापित है। मुख्य रूप से शहर में दो मुख्य रेलवे स्टेशन है हल्द्वानी रेलवे स्टेशन नगर के मध्य में स्थित है एवं दूसरा रेलवे स्टेशन शहर के उत्तरी भाग में स्थित उत्तर भारत का अंतिम टर्मिनल काठगोदाम है। नगर के अंदर तीन मुख्य बस टर्मिनल है जिनमे रोडवेज बस स्टेशन जहा से कई अंत राजकीय बसे चलती है एवं इसके बगल में ही स्थित के.एम.ओ.यू बस अड्डे से कुमाऊ के पर्वतीय भागो के लिए बसे चलती है! अंत शहरी बसे कालाढूंगी रोड पर स्थित बाजपुर बस अड्डे से चलती है। नगर में एक कई सुविधाओं से युक्त आई.एस.बी.टी. निर्माणाधीन है इसके अतिरिक्त एक अधिकृत टैक्सी स्टैंड जो नैनीताल हाईवे पर स्थित है जहां से पर्वतीय क्षेत्रों एवं मैदानी क्षेत्रों के लिए टैक्सियां मिलती है। २८ किमी की दूरी पर पंतनगर विमानक्षेत्र स्थित है, जहां से दिल्ली एवं देहरादून के लिए नियमित उड़ानों का संचालन होता है

नगर के अन्तर्गत विभिन्न क्रीड़ा केंद्र स्तिथ है जहां विभिन्न प्रकार की क्रीड़ा सुविधाएं उपलब्ध है।

  • इंदरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और स्टेडियम - नगर के पूर्वी भाग ( ग्रेटर हल्द्वानी ,गोलापार) में गोला नदी के तट पर सम्पूर्ण सुविधाओं से युक्त अन्तर्राष्ट्रीय क्रीड़ा कॉम्प्लेक्स और स्टेडियम है जिसमें इनडोर एवं आउटडोर दोनों प्रकार के स्टेडियम है अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के साथ इस स्टेडियम को तैयार किया जा रहा है जिसमें कई प्रकार की क्रीड़ा सुविधाएं मिलेंगी इस स्टेडियम की क्षमता लगभग पच्चीस हजार से अधिक व्यक्तियों की है इसके पूरी तरह से बन जाने के बाद इसमें विभिन्न प्रकार के राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय खेलो को करवाने की योजना है
  • सिटी स्पोर्ट्स स्टेडियम - सिटी स्टेडियम नगर के बीचोबीच स्तिथ है जहां कई राजकीय एवं राष्ट्रीय खेल प्रतियोगताएं होती रहती है वर्तमान में हल्द्वानी की सभी क्रीड़ा प्रतियोगिता इसी स्टेडियम में संपन्न होती है
  • एमबीपीजी स्टेडियम - एमबीपीजी स्टेडियम मुख्य रूप से मोतीराम बाबूराम राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय का मैदान है जिसमें अधिकतर महाविद्याल से सम्बंधित क्रीड़ा प्रतियोगिताएं या नगर के अन्य कार्यक्रम सम्पन्न होते हैं

इसके अतिरिक्त नगर मे कई बड़े छोटे मैदान है जिनमे कई प्रकार के खेल खेले जाते है एवं कई इनडोर खेलो के लिए भी उचित स्थान है।

नगर में घूमने के लिए कई सारे स्थान है जहां जा कर आप अपने रोमांच एवं घूमने की प्रवृति को और ज्यादा बड़ा सकते है

नगर के उत्तर पर्वतीय क्षेत्र काठगोदाम के रानीबाग में स्तिथ शीतला माता मंदिर बहुत प्रसिद्ध है जहां माता शीतला देवी का मंदिर है यहां प्रकृति ने अपनी अनुपम छटा बिखेरी है एवं शांति का वातावरण यहां आने वालों को भाव विभोर कर देता है

अन्तर्राष्ट्रीय चिड़ियाघर एवं सफारी[संपादित करें]

ग्रेटर हल्द्वानी गोलापर मे निर्माणाधीन अन्तर्राष्ट्रीय चिड़ियाघर अपने आप में पर्यटन का एक वृहद केंद्र होगा इस चिड़ियाघर को कार्बन न्यूट्रल जू के रूप में विकसित किया जा रहा है और वन विभाग की कोशिश है कि इसमें ईंट, सरिया आदि की जगह केवल लकड़ी का ही उपयोग हो। 400 हेक्टेयर में बन रहे इस चिड़ियाघर में रोशनी की व्यवस्था के लिए भी सौर ऊर्जा का ही उपयोग किया जाएगा। चिड़ियाघर अपने आप में बहुत ही आकर्षक और रोमांच से भरा होगा जिसमें पर्यटक सफारी के माध्यम से वृहद स्तर पर वन्य जीव एवं वनस्पतियों को देख सकेंगे।

हल्द्वानी के पर्यटन आकर्षणों की श्रृंखला में आप गोला बैराज की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह बैराज गोला नदी पर बना है, जो हिमालय से निकलकर रामगंगा में मिल जाती है। यह नदी काठगोदाम से होकर भी गुजरती है, जिसके किनारे कई शानदार प्राकृतिक आकर्षण मौजूद हैं। इस नदी पर बना बांध भारी संख्या में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। अपनी खूबसूरती के कारण यह स्थल एक पिकनिक स्पॉर्ट बन चुका है, जहां वीकेंड पर लोग मौज-मस्ती और सुकून के पर बिताने के लिए आते हैं। यह बांध स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर-दराज के पर्यटकों के मध्य भी काफी लोकप्रिय है। कुछ अलग अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।

काठगोदाम के पास बियावान जंगल में स्थित कालीचौड़ मंदिर प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों की आराधना और तपस्या का केन्द्र रहा है। हिमालयी भू-भाग में काली के जितने भी प्राचीन शक्तिपीठ व मन्दिर हैं, उन सभी से यह ज्यादा फ़लदायी कहा गया है। कहते हैं कि यहां पर की गयी पूजा कभी भी व्यर्थ नहीं जाती है। नवरात्र के दौरान यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

दिल्ली स्थित कनॉट प्लेस की तर्ज़ पर नगर के अंदर एक छोटा कनॉट प्लेस स्थित है जिसे प्राय लोग स्मॉल सीपी के नाम से पुकारते है यहां कई शॉपिंग सेंटर एवं खाने पीने की कई स्टोर स्तिथ है

हल्द्वानी उत्तराखंड के प्रमुख स्वास्थ्य केंद्रों में से एक है जहां कई प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध है यहां कई सार्वजनिक एवं निजी स्वास्थ केंद्र स्तिथ है सुशीला तिवारी राजकीय चिकत्सालय हल्द्वानी ही नहीं अपितु कुमाऊ क्षेत्र का सर्वाधिक प्रसिद्ध अस्पताल है जिसमें कई प्रकार की स्वास्थ सुविधाएं उपलब्ध है एवं यही राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान भी स्थित है इसके अतिरिक्त नगर में सोबन सिंह जिन्ना बेस चिकत्सालय है भी है जहां तमाम चिकित्सा सुविधाएं 24 घंटे मिलती है महिलाओं के लिए एक सुपर स्पेशलिस्ट राजकीय महिला चिकित्सालय भी स्तिथ है इसके अतिरिक्त नगर में कई चिकत्सालय मौजूद है जिनमे बृजलाल हॉस्पिटल,कृष्ण हॉस्पिटल,सेंट्रल हॉस्पिटल,नीलकंठ हॉस्पिटल, बॉम्बे हॉस्पिटल,ओली हॉस्पिटल, साई हॉस्पिटल,विवेकानंद हॉस्पिटल,तिवारी मेटरनिक एवं नर्सिंग होम,, शंकर हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर,संजीवनी हॉस्पिटल, श्री राम हॉस्पिटल,कल्याण हॉस्पिटल,सिटी हॉस्पिटल,निर्वाण हॉस्पिटल आदि प्रमुख है

कुछ स्थानीय पकवान हैं:-

  • बाल मिठाई
  • भट की झोई (कुमाऊँनी में "चुटकैणी")
  • गाठी
  • गढेरी की सब्ज़ी
  • गौहौत की दाल
  • रस भात
  • झोई भात
  • बथुए का परांठा
  • मंडुए की रोटी
  • कापा भारत
  • दही की झोई
  • पापड़ की सब्ज़ी
  • पीनालू की सब्ज़ी
  • माल्टा (फल)
  • आलू गुटुक
  • चंदा देवी और सलादी का रायता
  • पिनालु गुटुक
  • तिनर
  • लाई का साग
  • काफल (फल)
  • खुमैनी (फल)
  • पुलम (फल)

उत्तराखण्ड का एक प्रमुख नगर होने के कारण यहाँ के लिए कई विकास परियोजनाएं बनायीं गयी है जिसमें स्टेडियम, बस अड्डा, औद्योगिक परिसर जैसी अतिरिक्त आधारभूत संरचनाएं प्रमुख है। पिछले २० वर्षो में तेज़ी से हुए नगरीकरण के चलते यहाँ आधारभूत सुविधाएं चरमराने लगीं है इसके अतिरिक्त हल्द्वानी से गोला नदी के पार गोलापार में ग्रेटर हल्द्वानी निर्माणाधीन है जिसे नए हल्द्वानी शहर के रूप में विकसित किया जा रहा है ये नगर अपनी "हरे नगर" की उपाधि को बचाए रखने के लिए संघर्षरत है।

उत्तराखंड के सबसे बड़ा शहर कौन सा है?

देहरादून, उत्तरखण्ड की अन्तरिम राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है।

उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला कौन सा है?

क्षेत्रफल की द्र्ष्टि से उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला चमोली ( क्षेत्रफल 8,030 वर्ग किमी ) है। क्षेत्रफल की द्र्ष्टि से उत्तराखंड का सबसे छोटा जिला चम्पावत ( क्षेत्रफल 1,766 वर्ग किमी ) है। जनसंख्या की दृष्टि से उत्तराखंड का सबसे बड़ा जिला हरिद्वार ( कुल जनसंख्या 18,90,422 ) है।

उत्तराखंड का पुराना नाम क्या है?

इस नाम का उल्लेख प्रारम्भिक हिन्दू ग्रन्थों में मिलता है, जहाँ पर केदारखण्ड (वर्तमान गढ़वाल) और मानसखण्ड (वर्तमान कुमांऊँ) के रूप में इसका उल्लेख है। उत्तराखण्ड प्राचीन पौराणिक शब्द भी है जो हिमालय के मध्य फैलाव के लिए प्रयुक्त किया जाता था।

उत्तराखंड का सबसे बड़ा गांव का नाम क्या है?

गांव और पंचायत.