उत्पादकता प्रोडक्टिविटी से आप क्या समझते हैं उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौन कौन से उपाय किए जा सकते हैं? - utpaadakata prodaktivitee se aap kya samajhate hain utpaadakata badhaane ke lie kaun kaun se upaay kie ja sakate hain?

उत्पादकता (Productivity) उत्पादन के दक्षता की औसत माप है।उत्पादन प्रक्रिया में आउटपुट और इनपुट के अनुपात को उत्पादकता कह सकते हैं।

उत्पादकता का विचार सर्वप्रथम 1766 में प्रकृतिवाद के संस्थापक क्वेसने के लेख में सामने आया। बहुत समय तक इसका अर्थ अस्पष्ट रहा। सम्पूर्ण उत्पादकता वस्तुओं एवं सेवाओं के रूप में उत्पाद तथा सम्पत्ति के उत्पादन और उत्पादन की प्रक्रिया में प्रयोग किये गये साधनों की लागत के मध्य अनुपात का द्योतक है।

उत्पादन के अंतर्गत उन सभी वस्तुओं एवं सेवाओं को सम्मिलित किया जाता है, जिनके अंतर्गत न केवल औद्योगीकरण एवं कृषि संबंधी उत्पाद पदार्थ सम्मिलित होते हैं, बल्कि चिकित्सकों, शिक्षकों, दुकानों, कार्यालयों, परिवहन संस्थानों तथा अन्य सेवा उद्योगों में रत व्यक्ति भी सम्मिलित होते हैं। लागत से हमारा अभिप्राय उत्पाद में सम्मिलित सभी प्रकार के प्रयासों अर्थात् प्रबंधकों, शिल्पियों एवं श्रमिकों क कार्य से है।

इस प्रकार पूर्ण उत्पादकता की अवधारणा को स्पष्ट करने हेतु निम्न सूत्र को प्रयोग में लाया जा सकता है-

उत्पादकता = समस्त प्रकार का उत्पादन / समस्त प्रकार की लागत

उत्पादकता एवं उत्पादन में अंतर[संपादित करें]

प्रायः ‘उत्पादकता‘ एवं ‘उत्पादन‘ शब्द को पर्यायवाची समझे जाने की भूल की जाती है। वास्तव में इन दोनों शब्दों में पर्याप्त अंतर है। ‘उत्पादकता‘ साधनों का कुल उत्पत्ति से अनुपात है। समस्त साधनों से प्राप्त होने वाला माल एवं सेवाएँ ‘उत्पादन‘ है। इसमें व्यय के पहलू पर ध्यान नहीं दिया जाता है क्योंकि साधनों पर अधिक से अधिक व्यय करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि उत्पादकता में वृद्धि हो गई हो। उदाहरणार्थ यदि एक कारखाने में 1000 व्यक्ति 500 वस्तुयें बनाते हैं तथा दूसर कारखाने में समान दशा में 2000 व्यक्ति केवल 800 वस्तुयें बनाते हैं। निश्चय ही दूसरे कारखाने का उत्पादन प्रथम कारखाने से अधिक है, लेकिन दूसरे कारखाने की उत्पादकता प्रथम कारखाने से कम है।

उत्पादकता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक[संपादित करें]

उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारक अत्यंत जटिल तथा अंतर्संबंधित है क्योंकि इन्हें किसी तार्किक एवं क्रमबद्ध क्रम में व्यवस्थित करना कठिन है। यह प्रमाणित करना कठिन है कि उत्पादन में वृद्धि अमुक कारक के परिणाम स्वरूप है अथवा अनेक कारकों के सम्मिलित प्रभाव के कारण है। अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO, 1956) के अनुसार श्रम उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारकों को सामान्य कारक, संगठनात्मक कारक, प्राविधिक कारक तथा मानवीय कारकों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • उत्पादकता वृद्धि करने वाली प्रौद्योगिकियाँ

उत्पादकता से आप क्या समझते है उत्पादकता बढ़ाने के लिए कोन कोन से उपाय किए जा सकते है?

मानवीय कारक: इसके अंतर्गत सामाजिक प्रथाओं और रीति-रिवाज़ों को शामिल किया जाता है। भारतीय किसानों का भाग्यवादी दृष्टिकोण और नई कृषि तकनीकों की अनभिज्ञता से उनका निवेश व्यर्थ हो जाता है। खेती पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ भी निम्न उत्पादकता का महत्त्वपूर्ण कारण है।

उत्पादकता बढ़ाने के लिए कौन कौन से उपाय किए जा सकते हैं?

उत्पादकता बढ़ाने के तरीके.
तरीका # 2. विनिर्माण पर अधिक जोर देना:.
तरीका # 3. बनाने के लिए प्रोत्साहन बदलना:.
तरीका # 4. बढ़ता श्रम-प्रबंधन सहकारिता:.
तरीका # 5. मौजूदा नियंत्रण को कसने:.
विधि # 6. सरकारी नीतियों में बदलाव:.

उत्पादकता से आप क्या समझते हैं?

सामान्यतः उत्पादकता को विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में संसाधनों, श्रम, पूंजी, भूमि, सामग्री, ऊर्जा तथा सूचना के कुशल उपयोग के रूप में परिभाषित किया जाता है।

उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारक क्या हैं?

उत्पादकता को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO, 1956) के अनुसार श्रम उत्पादकता को प्रभावित करने वाले कारकों को सामान्य कारक, संगठनात्मक कारक, प्राविधिक कारक तथा मानवीय कारकों के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है