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mukhiya: भारत में स्थानीय स्तर पर भी लोकतांत्रिक शासन (democratic governance) प्रणाली लागू है। यह व्यवस्था में हमें 73वें संविधान संशोधन से मिली है। इस संविधान संशोधन के बाद संपूर्ण भारत में पंचायती राज व्यवस्थालागू है। जिसे हम
‘गांव की सरकार’ भी कहते हैं। इस व्यवस्था में गांव की सरकार को 3 स्तरों पर विभाजित किया गया है। गांव स्तर पर ग्राम पंचायत ब्लॉक स्तर पर क्षेत्र समिति जिला स्तर पर जिला परिषद पिछले ब्लॉग में आपने ग्राम पंचायत के ग्राम प्रधान, मुखिया, सरपंच के कार्य, सरपंच की सैलरी आदि विषयों पर पढ़ा। आज हम इस ब्लॉग में उप मुखिया का चुनाव, उप मुखिया के अधिकार और उप मुखिया की सैलरी जैसी विषयों पर चर्चा करेंगे। इस ब्लॉग में आप जानेंगे
उपमुखिया पद की अवधारणा बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में है। इसे अन्य राज्यों में उपसरंपच या उप ग्राम प्रधान के नाम से जाना जाता है। उप मुखिया पद की महत्ता (up mukhiya kya hai)बिहार-झारखंड में ग्राम पंचायत में मुखिया (mukhiya) के बाद उप मुखिया बेहद ही महत्वपूर्ण पद है। मुखिया के अनुपस्थिति में उसकी जिम्मेदारी उप मुखिया की ही होती है। यदि किसी कारणवश किसी मुखिया की मृत्यु या इस्तीफे से पद खाली हो जाती है तो मुखिया की पूरी जिम्मेदारी उप मुखिया की हो जाती है। उप मुखिया का चुनाव (up mukhiya ka chunav kaise hota hai)उप मुखिया का चुनाव प्रत्येक 5 साल के बाद होता है। पंचायत चुनाव (Panchayat Chunav) में केवल मुखिया, वार्ड सदस्य, सरपंच, वार्ड पंच जैसे पदों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा होता है। लेकिन उप मुखिया का चुनाव चुने हुए वार्ड सदस्यों द्वारा होता है। यह चुनाव पंचायत चुनाव के तुरंत बाद 1 महीने के अंदर कराने का प्रावधान है। इस चुनाव में केवल वार्ड सदस्य ही भाग लेते हैं। उप मुखिया के कार्य और अधिकार (up mukhiya ka adhikar)
उप मुखिया की सैलरी और वेतन (up mukhiya ki salary)स्पष्ट रुप से कहें तो उपमुखिया या उपसरंपच को किसी भी प्रकारी की सैलरी नहीं दी जाती है। उप मुखिया को सैलरी के रूप में भत्ता या मानदेय दिए जाते हैं। बिहार में उप मुखिया की सैलरी के रूप में प्रतिमाह 1200 रुपए दी जाती है। आपको बता दें, अन्य राज्यों में उप मुखिया या उपसरपंच को यह राशि अधिक या कम भी हो सकता है। उप मुखिया को हटाने की प्रक्रिया (up mukhiya ko hatane ka upay)जिस तरह से मुखिया को पद से हटाने के लिए ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर उसे हटाया जाता है। उसी प्रकार उप मुखिया (up mukhiya) को भी ग्राम पंचायत में प्रस्ताव देकर, ⅔ बहुमत से उसे हटाया जा सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया तभी की जाती है, जब उप मुखिया अपने दायित्वों का निर्वहन सही से नहीं कर रहा हो या जनता उसके कार्यों से असंतुष्ट हो। इसके अलावा उप मुखिया जिला पंचायत राज पदाधिकारी को स्वयं त्याग-पत्र लिखकर भी अपने पद से इस्तीफा दे सकता है। यह भी पढ़ें- मुखिया के कार्य और अधिकार, यहां जानें ये भी देखें 👇 यदि आपको यह लेख अच्छा लगा हो, तो इसे अपने ग्रामवासियों तक जरूर पहुंचाए। इससे उन्हें भी उप मुखिया के अधिकार और सैलरी की पूरी जानकारी मिल सके। ये भी पढ़ें-
उप मुखिया का क्या अधिकार है?उप - मुखिया, मुखिया के ऐसे अधिकारों का प्रयोग, कार्यों का निपटारा एवं कर्त्तव्यों का पालन करेगा जो सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली के अधीन लिखित रूप में मुखिया द्वारा सौंपा जाए । मुखिया की अनुपस्थिति में सभी अधिकारों का प्रयोग, कार्यों का निपटारा एवं कर्त्तव्यों का पालन करेगा ।
उत्तर प्रदेश में पंचायती राज कब लागू हुआ?उत्तर प्रदेश में पंचायती राज्यव्यवस्था वर्ष १९५२ से लागू है। उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में त्रि -स्तरीय पंचायत व्यवस्था लागू है।
बिहार में ग्राम पंचायतों की संख्या कितनी है?बिहार में (२००५ की सूचना के अनुसार) 9 प्रमंडल (कमिशनरी) ,३८ जिले (मंडल), 101 अनुमंडल ,534 प्रखंड , 8,47 1 पंचायत और 45,103 गांव हैं।
बिहार में पंचायती राज की स्थापना कब हुई?बिहार में भी वर्ष 1993 में ही संविधान संशोधन के आलोक में बिहार पंचायत राज अधिनियम] 1993 गठित हुआ। परन्तु विभिन्न कारणों से वर्ष 2000 तक इस पर आगे कार्य नहीं हो पाया। वर्ष 2001 में पहली बार चुनाव हुये] और पंचायती राज व्यवस्था गतिमान होना शुरू हुआ।
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