ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं ? ध्वनि प्रदूषण के स्रोत, ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपाय Show
ध्वनि प्रदूषण किसे कहते हैं ?
ध्वनि प्रदूषण के स्रोतःध्वनि प्रदूषण निम्न स्रोतों से उत्पन्न होता है 1. प्राकृतिक स्रोतः
2. मानवीय स्रोतः
दो रिहाइशी ध्वनि का मानक स्तर जो हानिकारक नहीं (डेसीबल में)- ध्वनि प्रदूषण का प्रभावः1. सामान्य से अधिक ध्वनि वार्तालाप में बाधा उत्पन्न करती है। 2. ध्वनि प्रदूषण व्यक्ति की कार्यक्षमता और एकाग्रता को प्रभावित करता है। 3. ध्वनि प्रदूषण के कारण चिड़चिड़ापन, थकान, सिरदर्द जैसी समस्याऐं उत्पन्न होती हैं। 4. अस्पताल और शैक्षणिक संस्थाओं के समीप ध्वनि प्रदूषण होने के कारण मरीजों और छात्रों को परेशानी होती है। 5. उद्योगों में जहाँ मशीनें अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण करती हैं वहां श्रमिकों के बहरे होने की संभावना होती है। 6. ध्वनि प्रदूषण से हृदय गति बढ़ने, रक्त वाहिनियों का संकुचन, रक्तचाप में परिवर्तन और मांसपेशियों में तनाव जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। नगरीय क्षेत्र में 4 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि हो रही है। 10 लाख व उसकी अधिक जनसंख्या वाले महानगरों में ध्वनि का स्तर 70-90 डेसीबल के मध्य मिलता है। कोयंबटूर, त्रिवेंद्रम, कानपुर, लखनऊ महानगरों में ध्वनि प्रदूषण निरंतर बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण मनुष्यों में उच्च रक्तचाप की बीमारियाँ पाई जाती है। औद्योगिक श्रमिक शोर जन्य बहरे के शिकार हो गए हैं। ध्वनि स्तर एवं दैनिक प्रभावमानव जीवन पर शोर का प्रभावध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के उपायध्वनि प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए जन-चेतना जागृत करने के साथ-साथ निम्न सुझावों को अपनाया जाना चाहिए- 1. उद्योगों में मशीनों का उचित रख-रखाव किया जाना चाहिए। 2. वाहनों के इंजनों को सही स्थिति में रखकर ध्वनि प्रदूषण कम किया जाना चाहिए। 3. आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि की सीमा निर्धारित करके उसका कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए। 4. राजस्थान ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1963 जैसे अधिनियम बनाकर उनका प्रभावी क्रियान्वयन किया जाना चाहिए। 5. ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण फैलाने वाले प्रसार यंत्रों (लाउड स्पीकर) आदि का सीमित और कम आवाज रखकर प्रयोग में किया जाना चाहिए। इसके लिए आमजन में चेतना उत्पन्न की जानी चाहिए। 6. तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। 7. तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले उपकरणों के स्थान पर कम ध्वनि वाले उपकरणों को प्रयोग में लाना चाहिए। 8. अस्पताल और शिक्षण संस्थाओं के आसपास ध्वनि की सीमा निर्धारित करके हॉर्न और लाउड स्पीकर आदि पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। 9. अत्यधिक ध्वनि वाले उद्योगों में श्रमिकों को कर्णप्लग उपलब्ध किए जाने चाहिए। 10 यातायात के नियमों का सुचारु रूप से पालन किया जाना चाहिए। वैध स्थिति
ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत कौन कौन से हैं?1 प्राकृतिक स्रोत प्राकृतिक क्रियाओं के फलस्वरूप भी ध्वनि प्रदूषण होता है। ... . 2 मानवीय स्रोत बढ़ते हुए शहरीकरण, परिवहन (रेल, वायु, सड़क) खनन के कारण शोर की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है। ... . 1 उद्योग ... . निर्माण कार्य ... . आतिशबाजी. ध्वनि प्रदूषण के स्रोत क्या है ध्वनि प्रदूषण के कोई चार प्रभाव लिखिए?Solution : अवांछित तथा तेज आवाज या शोर ही ध्वनि प्रदूषण कहलाता है । टी. वी. , रेडियो ,कूलर , स्कूटर , कार ,बस , ट्रेन , जहाज , घरेलू उपकरण , रॉकेट , हवाई जहाज , तोप , लाउडस्पीकर आदि प्रदूषण के मुख्य स्रोत है । <br> ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव - <br> (i) इससे सुनने की क्षमता में कमी आती है ।
ध्वनि प्रदूषण के प्राकृतिक स्रोत क्या है?ध्वनि प्रदूषण के स्रोतः
प्राकृतिक स्रोत द्वारा उत्पन्न शोर घातक नहीं होता क्योंकि इसकी प्रकृति अस्थाई एवं प्रभाव क्षेत्र व्यापक होता है। बिजली की कड़क, बादलों की घड़-घडाहटा तीव्र हवाऐं, आंधी तूफान आदि इसमें सम्मिलित हैं।
ध्वनि प्रदूषण के स्रोत क्या हैं इसे कम करने के उपाय बताएं?सड़कों के किनारे पौधे लगाकर ध्वनि प्रदूषण से बचा जा सकता है। हरे पौधे ध्वनि की तीव्रता को 10 से 15 डीबी तक कम कर सकते हैं।
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