लंका युद्ध के समय प्रभु श्रीराम के लिए किस देवता ने रथ भेजा था और उस रथ का सारथी कौन था - lanka yuddh ke samay prabhu shreeraam ke lie kis devata ne rath bheja tha aur us rath ka saarathee kaun tha

किस देवता के रथ पर बैठकर श्रीराम ने किया था रावण का वध, रावण से पहले किसकी थी सोने की लंका?

भगवान श्रीराम के जीवन का वर्णन यूं तो कई ग्रंथों में मिलता है, लेकिन इन सभी में वाल्मीकि रामायण में लिखे गए तथ्यों को ही सबसे सटीक माना गया है।

लंका युद्ध के समय प्रभु श्रीराम के लिए किस देवता ने रथ भेजा था और उस रथ का सारथी कौन था - lanka yuddh ke samay prabhu shreeraam ke lie kis devata ne rath bheja tha aur us rath ka saarathee kaun tha

लंका युद्ध के समय प्रभु श्रीराम के लिए किस देवता ने रथ भेजा था और उस रथ का सारथी कौन था - lanka yuddh ke samay prabhu shreeraam ke lie kis devata ne rath bheja tha aur us rath ka saarathee kaun tha

Ujjain, First Published Oct 7, 2019, 9:25 AM IST

उज्जैन. वाल्मीकि रामायण की कुछ ऐसी रोचक बातें बताई गई हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं। विजयादशमी (8 अक्टूबर) के अवसर पर जानिए कुछ ऐसी ही रोचक बातें -

1. इंद्र ने भेजा था श्रीराम के लिए रथ
जिस समय राम-रावण का अंतिम युद्ध चल रहा था, उस समय इंद्र ने अपना रथ श्रीराम के लिए भेजा था। उस रथ पर बैठकर ही श्रीराम ने रावण को मारा था। जब काफी समय तक राम-रावण का युद्ध चलता रहा तब अगस्त्य मुनि ने श्रीराम से आदित्यह्रदय स्त्रोत का पाठ करने को कहा, इसके बाद ही श्रीराम ने रावण का वध किया।

2. कुबेर की थी सोने की लंका
रामायण के अनुसार, रावण जिस सोने की लंका में रहता था वह लंका पहले रावण के भाई कुबेर की थी। जब रावण ने विश्व विजय पर निकला तो उसने अपने भाई कुबेर को हराकर सोने की लंका तथा पुष्पक विमान पर अपना कब्जा कर लिया।

3. सीता स्वयंवर में नहीं गए श्रीराम
श्रीरामचरित मानस में लिखा है कि श्रीराम सीता स्वयंवर में गए थे, जबकि वाल्मीकि रामायण में सीता स्वयंवर का वर्णन नहीं है। उसके अनुसार, राम व लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला गए थे। विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने के लिए कहा। तब श्रीराम ने उस धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया। राजा जनक ने यह प्रण किया था कि जो भी इस शिव धनुष को उठा लेगा, उसी से वे अपनी पुत्री सीता का विवाह कर देंगे। इसी के चलते श्रीराम के विवाह सीता के साथ हुआ।

4. नहीं हुआ लक्ष्मण व परशुराम में विवाद
श्रीरामचरित मानस के अनुसार, सीता स्वयंवर के समय भगवान परशुराम वहां आए थे और लक्ष्मण से उनका विवाद भी हुआ था। जबकि वाल्मीकि रामायण के अनुसार, सीता से विवाह के बाद जब श्रीराम अयोध्या लौट रहे थे, तब रास्ते में उन्हें परशुराम मिले। उन्होंने श्रीराम से अपने धनुष पर बाण चढ़ाने के लिए कहा। श्रीराम ने जब उनके धनुष पर बाण चढ़ा दिया तो बिना किसी से विवाद किए वे वहां से चले गए।

5. इसलिए श्रीराम के हाथों मरा रावण
रघुवंश में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका नाम अनरण्य था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में राजा अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा।

6. यमराज से भी हुआ था रावण का युद्ध
रावण जब विश्व विजय पर निकला तो वह यमलोक भी जा पहुंचा। वहां यमराज और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। जब यमराज ने रावण के प्राण लेने के लिए कालदण्ड का प्रयोग करना चाहा तो ब्रह्मा ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि किसी देवता द्वारा रावण का वध संभव नहीं था।

7. कबंध को श्रापमुक्त किया था श्रीराम ने
जब श्रीराम और लक्ष्मण वन में सीता की खोज कर रहे थे। उस समय कबंध नामक राक्षस का राम-लक्ष्मण ने वध किया था। वास्तव में कबंध एक श्राप के कारण राक्षस बन गया था। जब श्रीराम ने उसका दाह संस्कार किया तो वह श्राप मुक्त हो गया। कबंध ने ही श्रीराम को सुग्रीव से मित्रता करने के लिए कहा था।

8. लक्ष्मण नहीं श्रीराम हुए थे क्रोधित
श्रीरामचरितमानस के अनुसार, समुद्र ने जब वानर सेना को लंका जाने के लिए रास्ता नहीं दिया तो लक्ष्मण बहुत क्रोधित हुए थे, जबकि वाल्मीकि रामायण मंए लिखा है कि लक्ष्मण नहीं श्रीराम समुद्र पर क्रोधित हुए थे और उन्होंने समुद्र को सूखा देने वाले बाण भी छोड़ दिए थे। तब लक्ष्मण व अन्य लोगों ने भगवान श्रीराम को समझाया था।

9. विश्वकर्मा के पुत्र थे नल
सभी जानते हैं कि समुद्र पर पुल का निर्माण नल और नील नामक वानरों ने किया था। क्योंकि उन्हें श्राप मिला था कि उनके द्वारा पानी में फेंकी गई वस्तु पानी में डूबेगी नहीं, जबकि वाल्मीकि रामायण के अनुसार, नल देवताओं के शिल्पी (इंजीनियर) विश्वकर्मा के पुत्र थे और वह स्वयं भी शिल्पकला में निपुण थे। अपनी इसी कला से उसने समुद्र पर पुल का निर्माण किया था।

10. पांच दिन में बना था रामसेतु
रामायण के अनुसार, समुद्र पर पुल बनाने में 5 दिन का समय लगा। पहले दिन वानरों ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया। यह पुल 10 योजन चौड़ा था।
 

Last Updated Oct 7, 2019, 9:25 AM IST

राम के रथ का सारथी कौन था?

सारथी का नाम मातलि था

राम युद्ध के बाद राम ने लंका का राजा किसको बनाया और क्यों?

इसमें षड्यंत्र नहीं है। राम के बाद भरत ही राजा बनेंगे। राज सर्वदा ज्येष्ठ पुत्र को ही मिलता है।

लंका युद्ध के समय प्रभु श्री राम के लिए किस देवता ने रथ भेजा था और उस रथ का सारथी कौन था?

इंद्र ने भेजा था श्रीराम के लिए रथ जिस समय राम-रावण का अंतिम युद्ध चल रहा था, उस समय इंद्र ने अपना रथ श्रीराम के लिए भेजा थाउस रथ पर बैठकर ही श्रीराम ने रावण को मारा था

लंका युद्ध के समय प्रभु श्री राम के लिए किस देवता ने रात भेजा था और उसे रात का सारथी कौन था?

भावार्थ:- देवताओं ने प्रभु को पैदल (बिना सवारी के युद्ध करते) देखा, तो उनके हृदय में बड़ा भारी क्षोभ (दुःख) उत्पन्न हुआ। (फिर क्या था) इंद्र ने तुरंत अपना रथ भेज दिया। (उसका सारथी) मातलि हर्ष के साथ उसे ले आया॥1॥