धारा 279 337 304A क्या है? - dhaara 279 337 304a kya hai?

Shabana Azmi Accident and FIR on Driver: शनिवार, 18 जनवरी 2020 को बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आजमी की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई। मुंबई-पुणे एक्सप्रेस-वे पर उनकी कार एक ट्रक से टकरा गई थी। जिसके बाद अब ट्रक ड्राइवर ने शबाना आजमी के ड्राइवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी है। हालांकि पुलिस ने अभी उनके ड्राइवर को गिरफ्तार नहीं किया है। दुर्घटना के वक्त कार में शबाना आजमी और जावेद अख्तर दोनों मौजूद थे। 

ट्रक ड्राइवर ने आरोप लगाया है कि कार ड्राइवर की लापरवाही के साथ गाड़ी चलाने (Rash Driving) के कारण यह दुर्घटना हुई है। बता दें कि एक्सीडेंट में शबाना आजमी को गंभीर रूप से चोटें आई हैं।  जबकि जावेद अख्तर सुरक्षित हैं। शबाना आजमी इस समय मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में है। यहां उनका इलाज अभी जारी है। 

समाचार एजेंसी  ने जानकारी दी है कि पुलिस ने ट्रक ड्राइवर की शिकायत पर मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है। ड्राइवर के खिलाफ मोटर व्हीक्ल एक्ट और भारतीय दंड संहिता (IPC - Indian Penal Code) की धारा 279 और 337 के तहत मामला दर्ज किया है। आज हम आपको बताएंगे इन धाराओं के बारे में, जो आपके भी काम आ सकती हैं। इन धाराओं के तहत किसी के खिलाफ क्या मामले दर्ज हो सकते हैं? दोषी को कितनी सजा मिलती है? इन धाराओं के अंतर्गत किस अदालत में केस दर्ज होता है? जमानत मिलती है या नहीं?  

धारा 279
भारत दंड संहिता की धारा 279 के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी वाहन को एक सार्वजनिक मार्ग पर किसी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से चलाता है, जिससे मानव जीवन को कोई संकट या किसी व्यक्ति को चोट या आघात पहुंचा सकता है, तो उस व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

इस धारा के अंतर्गत दोषी पाए जाने पर छह महीने तक के कारावास की सजा हो सकती है। इसके साथ ही एक हजार रुपये तक का आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है या दोनो दंड दिए जा सकते हैं। 

यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता।

धारा 337
भारत दंड संहिता की धारा 337 के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के उतावलेपन या उपेक्षा के चलते किसी कार्य द्वारा किसी मानव जीवन या किसी कि व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा या चोट पहुंचती है, तो उस व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत मुकदमा चलता है। 

इस मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को छह महीने के कारावास या पांच सौ रुपये के आर्थिक दंड या दोनों का प्रावधान है।

यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है, यह मामला किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।  

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धारा 279 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अनुसार,

जो भी कोई किसी वाहन को एक सार्वजनिक मार्ग पर किसी भी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से चलाता है या सवारी करता है जिससे मानव जीवन को कोई संकट हो या किसी व्यक्ति को चोट या आघात पहुँचना सम्भाव्य हो, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड जो एक हजार रुपए तक हो सकता है, या दोनों से दंडित किया जाएगा।

लागू अपराध
एक सार्वजनिक रास्ते पर जल्दबाजी या लापरवाही से वाहन चलाना जिससे मानव जीवन को संकट आदि सम्भाव्य हो।
सजा - छह मास कारावास या एक हजार रुपए आर्थिक दंड या दोनों

यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है।

यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं है।

क्या होती है भारतीय दंड संहिता की धारा 279?

भारतीय दंड संहिता की धारा 279 लापरवाही से किसी वाहन को चलने से सम्बंधित होती है, जिसमे इस धारा में वर्णित प्रावधानों के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी वाहन को किसी सार्वजनिक मार्ग पर किसी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से चलाता है, जिससे उस व्यक्ति की ऐसी लापरवाही के कारण किसी अन्य व्यक्ति या मानव जीवन को कोई संकट या चोट या आघात पहुंच सकता है, तो ऐसे व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया जाता है। और ऐसे व्यक्ति को इस धारा के प्रावधानों के अनुसार उचित दंड देने का प्रावधान भी किया गया है।
 

भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के आवश्यक तत्व

इस धारा के आवश्यक तत्वों में से कुछ बातें प्रमुख हैं, जैसे कि या तो कोई चालक किसी वाहन को तेज गति से चला रहा था और उसका वह वाहन चालक के नियंत्रण से बाहर हो गया। या इसके अतिरिक्त चालक के वाहन की गति सीमा तो सही थी किन्तु चालक कि लापरवाही के कारण उसका ध्यान भंग हो गया था या वो वाहन चलाते समय कोई ऐसा कार्य कर रहा था जिससे वाहन पर उसका नियंत्रण नहीं रह सका, और दुर्घटना घटित हो गई। यदि इन परिस्थितियों के अनुसार कोई दुर्घटना घटती है, और वाहन चालक की वजह से किसी व्यक्ति के जान - माल को किसी प्रकार का नुकसान होता है, तो ऐसी घटना मिलने पर पुलिस इस भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के तहत उस दोषी पर इस मामले का संज्ञान ले सकती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के तहत अपराध एक जमानती, संज्ञेय अपराध होता है, और किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। इस अपराध में समझौता नहीं किया जा सकता।
 

धारा 279 के लिए सजा का प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के प्रावधानों में किसी व्यक्ति द्वारा जो कोई वाहन चला रहा है, उसकी लापरवाही के कारण किसी अन्य व्यक्ति को कोई नुकसान पहुंचाने के अपराध के लिए एक अपराधी को उचित दंड देने की व्यवस्था की गयी है। उस व्यक्ति को जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 279 के तहत अपराध किया है, उसे इस संहिता के अंतर्गत कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है, जिसकी समय सीमा को 6 महीनों तक बढ़ाया जा सकता है, और इस अपराध में आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है, जो कि न्यायालय आरोप की गंभीरता और आरोपी के इतिहास के अनुसार निर्धारित करता है, किन्तु आर्थिक दंड 1000 रुपये से अधिक नहीं हो सकता है।
 

धारा 279 में वकील की जरुरत क्यों होती है?

एक कुशल और योग्य वकील की जरुरत तो सभी प्रकार के क़ानूनी मामले में होती है, क्योंकि एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो न्यायालय में जज के समक्ष आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है। और वैसे भी भारतीय दंड संहिता में धारा 279 का अपराध भी गंभीर और बड़ा माना जाता है, क्योंकि इस धारा के अंतर्गत किसी व्यक्ति द्वारा जो कोई वाहन चला रहा है, उसकी लापरवाही के कारण किसी अन्य व्यक्ति को कोई नुकसान पहुंचाने के अपराध की बात कही जाती है, जिसमें इस अपराध के दोषी को धारा 366 के अनुसार उस अपराध की सजा दी जाती है, जो अपराधी किसी व्यक्ति द्वारा जो कोई वाहन चला रहा है, उसकी लापरवाही के कारण किसी अन्य व्यक्ति को कोई नुकसान पहुंचाने का अपराध करता है। ऐसे अपराध से किसी भी आरोपी का बच निकलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है, इसमें आरोपी को निर्दोष साबित कर पाना बहुत ही कठिन हो जाता है। ऐसी विकट परिस्तिथि से निपटने के लिए केवल एक वकील ही ऐसा व्यक्ति हो सकता है, जो किसी भी आरोपी को बचाने के लिए उचित रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है, और अगर वह वकील अपने क्षेत्र में निपुण वकील है, तो वह आरोपी को उसके आरोप से मुक्त भी करा सकता है। और किसी व्यक्ति द्वारा जो कोई वाहन चला रहा है, उसकी लापरवाही के कारण किसी अन्य व्यक्ति को कोई नुकसान पहुंचाने के अपराध जैसे मामलों में ऐसे किसी वकील को नियुक्त करना चाहिए जो कि ऐसे मामलों में पहले से ही पारंगत हो, और धारा 279 जैसे मामलों को उचित तरीके से सुलझा सकता हो। जिससे आपके केस को जीतने के अवसर और भी बढ़ सकते हैं।

धारा 304 ए का मतलब क्या है?

यदि लापरवाही है, तब भी 304() के तहत दोषियों को दो साल की सजा व जुर्माना हो सकता है। सड़क एजेंसी के ठेकेदार व इंजीनियर के अलावा उस विभाग के जिस व्यक्ति की लापरवाही पाई जाएगी, उस पर मामला दर्ज हो सकता है।

धारा 337 का मतलब क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 337 के अनुसार, जो भी कोई किसी व्यक्ति को उतावलेपन या उपेक्षा पूर्वक ऐसे किसी कार्य द्वारा, जिससे मानव जीवन या किसी की व्यक्तिगत सुरक्षा को ख़तरा हो, चोट पहुँचाना कारित करता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे छह महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दंड जो पाँच सौ रुपए तक हो सकता है, ...

279 में क्या है?

IPC की धारा 279 सड़क दुर्घटना से संबंधित है. इस धारा के अनुसार अगर कोई किसी वाहन को एक सार्वजनिक मार्ग पर किसी भी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से चलाता है, जिससे किसी व्यक्ति के जीवन को कोई संकट होती है. तब उस ड्राइवर पर रैश ड्राइविंग का चार्ज लग सकता है. इसमें दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 6 महीने की जेल हो सकती है.

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