अंडा न केवल स्वाद में अच्छा होता है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद उपयोगी होता है। वहीं अंडे के अंदर भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है, जिसके सेवन से व्यक्ति के शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होती। लेकिन अक्सर व्यक्ति के मन में यह सवाल उठता है कि सफेद अंडे या ब्राउन अंडे में से कौन सा सही है। लोगों को लगता है कि ब्राउन ब्रेड या ब्राउन चावल की तरह ब्राउन अंडा सेहत के लिए उपयोगी है। इस बात में कितनी सच्चाई है और यह कितना भ्रम है, इसके बारे में पता होना जरूरी है। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि सफेद और ब्राउन अंडे में से कौन सा अंडा ज्यादा हेल्दी है, जिसको अपनी डाइट में जोड़ने से सेहत को कई फायदे हो सकते हैं। इसके लिए हमने न्यूट्रिशनिस्ट और वैलनेस एक्सपर्ट वरुण कत्याल ( Nutritionist and wellness expert varun katyal) से भी बात की है। पढ़ते हैं आगे...
दोनों के रंग में अंतर
अगर ब्राउन अंडे की बात की जाए तो यह देसी अंडा कहा जाता है। वही सफेद अंडे को पोल्ट्री अंडा कहते हैं। बता दें कि ब्राउन अंडे में प्रोटीन के साथ-साथ कैल्शियम और कैलोरी दोनों मौजूद होते हैं जो सेहत के लिए उपयोगी हैं। हालांकि सफेद अंडे में भी प्रोटीन पाया जाता है लेकिन ब्राउन अंडे की तुलना में थोड़ा सा कम। यही कारण होता है कि ब्राउन अंडा आखिर में थोड़ा सा महंगा होता है। वहीं अगर इन दोनों के अंतर की बात की जाएं तो ब्राउन अंडे के अंदर का पीला भाग सफेद अंडे के पीले भाग की तुलना में थोड़ा सा गहरे रंग का होता है। वहीं उसे थोड़ा ज्यादा पोष्टिक मानते हैं।
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सर्दियों में कितनी मात्रा में खाएं अंडा?
एक्सपर्ट के मुताबिक, एक व्यक्ति को एक दिन में पीली जर्दी सहित एक अंडा खाने की सलाह देते हैं। जबकि आप अंजे का सफेद भाग (एग व्हाइट) खा रहे हैं तो आप तीन से चार अंडों का सेवन भी कर सकते हैं।
दोनों में से कौन सा अच्छा
फार्म में मौजूद मुर्गियों के अंडे सफेद रंग के होते हैं। इन मुर्गियों को जरूरी पोषक तत्व खाने के लिए नहीं दिए जाते हैं। जिसके कारण इनके अंडे में भी जरूरी पोषक त्तव कम होते हैं। वहीं देसी मुर्गियां जिन्हें घरों में पाला जाता है उन्हें काफी पौष्टिक चीजें दी जाती हैं। ऐसे में इन मुर्गियों के अंडे ब्राउन होते हैं और पौष्टिक भी होते हैे। ऐसे में व्यक्ति को ब्राउन अंडों का चयन करने की सलाह दी जाती है।
अंडे चुनने के लिए टिप्स
1 - अंडे का चयन करते समय उसकी पर ध्यान देना चाहिए।
2 - साफ, बिना टूटे अंडे का चयन करें।
3 - पुराने अंडों को खरीदने से बचें।
4 - अंडे चुनते वक्त उनके आकार पर ध्यान दें।
5 - खरीद के बाद अंडों को ठंडे स्थान पर रखें।
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डॉक्टर की राय
एक्सपर्ट की मानें तो उनके मुताबिक, ब्राउन अंडा ज्यादा पौष्टिक होता है और वह लोगों को भी ब्राउन अंडे का सेवन करने की सलाह देते हैं। हालांकि यह थोड़ा सा महंगा होता है लेकिन उनका मानना है कि अंडे के अंदर पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं। ऐसे में व्यक्ति को अपनी डाइट में ब्राउन अंडों को जोड़ना चाहिए।
नोट - ऊपर बताए गए बिंदुओं से पता चलता है कि सफेद अंडे और ब्राउन अंडे दोनों में ब्राउन को ज्यादा हेल्थी मानते हैं। हालांकि रिसर्च के मुताबिक दोनों ही अंडे पौष्टिक हैं। ब्राउन अंडे के सेवन से यदि व्यक्ति को किसी भी प्रकार की एलर्जी महसूस होती है तो वह अपनी डाइट से ब्रांउन को निकाल सकता है। वहीं अगर व्यक्ति कोई स्पेशल डाइट फॉलो कर रहा है या गंभीर बीमारी से ग्रस्त है तो अपनी डाइट में अंडों को जोड़ने से पहले एक बार एक्सपर्ट की राय जरूर लें।
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बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को सुबह के नाश्ते में अंडे खाना पसंद होता है। अंडे में मौजूद पोषक तत्व इसे एक बेहतरीन नाश्ता बनाते हैं। इसमें मौजूद स्वास्थ्यवर्धक तत्वों के बारे में तो हर सामान्य व्यक्ति जानता है लेकिन आमतौर पर लोग देशी और विलायती अंडे या कहें सफेद और भूरे अंडे में अंतर नहीं जानते।
लोगों के बीच यह भ्रांति है कि देशी अंडा विलायती अंडे से ज्यादा फायदेमंद होता है। हम सभी ने स्टोर्स में देशी और विलायती अंडे के बीच दामों का अंतर देखा है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि इन दोनों के बीच कीमतों को लेकर क्यों इतना अंतर है? क्या दोनों के बीच कोई अंतर है?
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अगर आपको भी यही लगता है कि देसी मुर्गियों के अंडे ज्यादा पौष्टिक होते हैं तो आप भी गलत साबित हो सकते हैं, क्योंकि विशेषज्ञों के अनुसार देसी अंडों के मुकाबले पोल्ट्री फार्म के अंडे ज्यादा पोषण से भरपूर व हाइजीनिक होते हैं।
"देसी और फार्मों के अंडे खाना लोगों की अपनी पसंद है लेकिन अगर गुणवत्ता की बात की जाए तो पोल्ट्री फार्मों के अंडों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि इन अंडों में भरपूर मात्रा पोषण और हाइजीनिक होते है क्योंकि ये वैज्ञानिक तरीके से तैयार किए जाते हैं। फार्मों में मुर्गियों को संतुलित आहार दिया जाता है, साथ ही उनके रख-रखाव से लेकर खान-पान का पूरा ध्यान रखा जाता है।" ऐसा बताते हैं, पोल्ट्री वैज्ञानिक डॉ. एयू किदवई।
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डॉ. किदवई आगे बताते हैं, "आमतौर पर देसी मुर्गियों को बाहर खाने के लिए छोड़ दिया जाता है। वो बचा खुचा खाती हैं और पानी भी गंदा पीती हैं। जबकि फार्मों में साफ पानी की व्यवस्था होती है। इसके अलावा देसी मुर्गियों को जहां पर रखा जाता है वहीं पर वो बीट करती है और वहीं अंडा देती हैं। अंडे का छिलका काफी मुलायम होता है और धीरे-धीरे वो सूखता है। सूखकर शैल बन जाता है। मुर्गियों की बीट में लाखों करोड़ों बैक्टीरिया होते है जो इस शैल में चले जाते है और वो खाने लायक नहीं रहते हैं।"
देसी और फार्मों के अंडे खाना लोगों की अपनी पसंद है लेकिन अगर गुणवत्ता की बात की जाए तो पोल्ट्री फार्मों के अंडों का सेवन करना चाहिए। क्योंकि इन अंडों में भरपूर मात्रा पोषण और हाइजीनिक होते है क्योंकि ये वैज्ञानिक तरीके से तैयार किए जाते हैं।
डॉ. एयू किदवई, पोल्ट्री वैज्ञानिक
अंडे का सेवन सेहत के लिए अच्छा होता है। इसमें प्रोटीन, कैल्शियम व ओमेगा-3 फैटी एसिड पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। ये सभी पोषक तत्व शरीर के लिए बेहद जरूरी होते हैं। साथ ही अंडे में पाए जाने वाले विटामिन ए से आंखों की रोशनी बढ़ती है। लोग देसी अंडो को ज्यादा गुणकारी समझते हैं इसलिये बाज़ार में इनकी कीमत साधारण अंडों की तुलना में काफी ज्यादा होती है।
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अंडे की जर्दी में पीले रंग के बारे में डॉ. किदवई बताते हैं, "मुर्गियों को आहार में जो मक्का दिया जाता है वो कई रंगों में होता है मक्का सफेद पीली और गहरी पीला होता है। हर इलाके में अलग मक्का होता है। इसलिए वो जर्दी में वहीं रंग ले लेती है। लेकिन उसमें विटामिन ए पूरी मात्रा में रहता है। क्योंकि पोल्ट्री फामूले में विटामिन ए मिलाकर दिया जाता है।"
मुर्गी के आहार के अनुसार अंडे की पौष्टिकता तय होती है। देसी अंडे में कोई पौष्टिक तत्व कम हो सकता है तो कुछ ज्यादा। पोल्ट्री की मुर्गियां साल में 305 से 310 अंडे देती हैं, जबकि देसी मुर्गी 150 से 200 अंडे देती है। पोल्ट्री की मुर्गियों को वजन के आधार पर खुराक दी जाती है, जो संतुलित होती है। देसी मुर्गियों का आहार निश्चित नहीं होता।
पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इडिया के कार्यकारी सदस्य शब्बीर अहमद खान बताते हैं, "पोल्ट्री फार्मों में मुर्गियों को भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कैल्शियम और मिनिरल्स दिया जाता है। जो हमारे शरीर के लिए भी आवश्यक है। बड़े-बड़े फार्मों में बायोसिक्योरिटी के जरिए पक्षियों को सुरक्षित रखा जाता है। ताकि उनको कोई बीमारी न हो। वहीं गाँव और मौहल्लों में पाली मुर्गियां गंदा पानी और बचा कुचा खाकर ही रहती है। तो अंडे में वैसी ही पौष्टिकता रहती है।"
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"जो अंडा ज्यादा बड़ा होता है उसमें ज्यादा मात्रा में पोषण होता है। जो अंडा छोटा होता है उसमें कम पोषण होता है। फार्मों में वैज्ञानिक तरीके से मुगियों को पाला जाता है। मुर्गियों को अगर संतुलित आहार नहीं दिया गया तो न उनका अंडा बड़ा होगा न उस अंडे के अंदर पोषक तत्व होंगे। देसी मुर्गियों के अंडे ज्यादातर छोटे होते है लेकिन अंगर संतुलित आहार मिले तो वो बड़े सकते है।" डॉ किदवई ने बताया।