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राम-लक्ष्मण और परशुराम संवाद में धनुष टूटने पर परशुराम ने लक्ष्मण को न मारने का तर्क दिया कि वह उन्होंने उसे बालक समझकर उसे अभी तक छोड़ा हुआ है । परशुराम ने अपने फरसे की प्रशंसा की कि वह सहस्रबाहु की भुजाओं को काट देने वाला और
गर्भ के बच्चों का नाश करने वाला है। यह छोटे-बड़े की भी परवाह नहीं करता। भगवान परशुराम आगे लक्ष्मण से कहते हैं कि अगर आपने इसी उदंडता से और बात की तो मैं इस फरसे से तुम्हारा सर धड़ से अलग कर दूंगा । धनुष टूटने के बाद परशुराम ने फरसे की तरफ देखकर लक्ष्मण की न मारने का क्या तर्क दिया?धनुष टूटने के बाद परशुराम ने फरसे की तरफ देख कर लक्ष्मण को न मारने का क्या तर्क दिया ? उत्तर: परशुराम ने लक्ष्मण को न मारने का तर्क दिया कि वह उन्हें बालक समझते रहे इसलिए मारा नहीं । परशुराम ने अपने फरसे की प्रशंसा की कि वह सहस्रबाहु की भुजाओं को काट देने वाला है। वह गर्भ के बच्चों का नाश करने वाला है।
परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन सा तर्क दिया?उत्तर: परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कई तर्क दिए। उन्होंने कहा कि वह तो बड़ा ही पुराना धनुष था जो श्रीराम के छूने से ही टूट गया। उन्होंने कहा कि बचपन में खेल खेल में उन्होंने कई धनुष तोड़े थे इसलिए एक टूटे धनुष के लिए इतना क्रोध करना उचित नहीं है।
परशुराम ने लक्ष्मण वध न करने का क्या कारण बताया?परशुराम ने सभा में अपने स्वभाव के विषय में कहा कि वे बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हैं, इसलिए लक्ष्मण उन्हें सामान्य मुनि न समझें। अब तक वे बालक समझकर ही लक्ष्मण का वध नहीं कर रहे हैं। 3.
शिवजी का धनुष टूटने पर क्रोधित परशुराम को शांत करने के लिए लक्ष्मण ने क्या कहा?धनुष टूटने से क्रोधित परशुराम ने राम से कहा कि सेवक वह है जो सेवा का कार्य करे। शत्रुता का कार्य करके वैर ही मोल लिया जाता है। उन्होंने राम से यह भी कहा कि राम! जिसने भी शिव धनुष तोड़ा है वह सहस्रबाहु के समान मेरा दुश्मन है।
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