धोखा खाने वाला मूर्ख और धोखा देने वाला ठग क्यों कहलाता है जब सब कुछ धोखा ही धोखा है? - dhokha khaane vaala moorkh aur dhokha dene vaala thag kyon kahalaata hai jab sab kuchh dhokha hee dhokha hai?

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धोखा खाने वाला मूर्ख और धोखा देने वाला ठग क्‍यों कहलाता है?

 प्रस्तुत - गद्य प्रतापनारायण मिश्र के निबंध ‘धोखा’ से लिया गया है। इस निबंध में मिश्र के व्यक्तित्व की विशेषता का भी पता चलता है। उन्होंने धोखा जैसी मामूली सी बात को तार्किक ढंग से जीवन और जगत से जोड़ा।

व्याख्या :- मिश्र जी के अनुसार धोखा खाने वाला मूर्ख और धोखा देने वाला ठग कहलाता है। धोखा देना अगर बुरा माना जाता है, तो किसी से धोखा खाना मूर्खता है।  इस धोखा से बचा नहीं जा सकता है क्योंकि यह हर तरफ विद्यमान है। धोखे के कारण संसार का पिन्न- पिन्न चला जाता है, नहीं तो ढिच्चर-ढिच्चर होने लगता है।

यहाँ चर्खा पहले निरंतरता और सहजतक अभ्यास कराता है, फिर अभ्यास जाहिर हो या है .. मिश्र जी धोखे का वह रूप भी प्रस्तुत करते जहाँ निरे खेत के धोखे यानी खेत में खड़े रहने वाला पुतला जो बोल सकता है, पर पशु-पक्षी उस धोखा खा लेते है। धोखे से अलग रहना ईश्वर के सामर्थ से भी दूर रहना है।

साधारण व्यक्ति के लिए धोखे से बना तो एक कल्पना मात्र है, हम लोग तो अत्यंत साधारण जीव हैं। हमारी यह मजाल नहीं कि हम जीवन में किसी से धोखा न खाएँ अथवा किसी को धोखा देने का प्रयास न करें। मिश्र जी की देश, समाज और संस्कृति के प्रति भावना भी स्पष्ट दृष्टिगोचर होती है। धोखे को दर्शन और सिद्धांत से जोड़कर तर्कजाल में उलझने वाले लोगों द्वारा उन्होंने सीधा प्रहार उन लोगों पर किया है, जिन्होंने अपने ही । गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों के पदचिह्न का अनुसरण किया हैं

विशेष :- 

(1) सहज और बोलचाल की भाषा का प्रयोग है।

(2) आत्मीयता के कारण लेखक पाठक से निकट संपर्क स्थापित करने में सफल रहा।

(3) धोखे का मायाजाल के रूप में प्रतीक।

धोखा खाने वाला मूर्ख और धोखा देने वाला ठग क्यों कहलाता है?

धोखा किसी के विश्वास का कत्ल धोखा कहलाता है।

धोखा देने वाले इंसान कैसे होते हैं?

रिश्तों में धोखा करने वाले कुछ लोग अनजाने में अपने पार्टनर को धोखा दे देते हैं तो कुछ इसे मजे के लिए करते हैं। इस तरह के दोनों ही लोगों पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों से हमेशा सावधान रहने

धोखा से क्या होता है?

हालांकि, धोखाधड़ी करने वाले लोग आपसे कुछ ऐसा करने के लिए कह सकते हैं जिसकी वजह से आपके खाते से पैसे कट सकते है. इसलिए, ऐसी किसी भी स्थिति में होने पर आपके लिए यह जानना और ज़रूरी हो जाता है कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए.

धोखा किसका निबंध है?

गुलेरी जी की सृजनशीलता के चार मुख्य पड़ाव हैं- समालोचक (1903 - 06 ई.), मर्यादा (1911-12), प्रतिभा (1918-20) और नागरी प्रचारिणी पत्रिका (1920-22) इन पत्रिकाओं में गुलेरी जी का रचनाकार व्यक्तित्व बहुविध उभरकर सामने आया।