These NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 2 दादी माँ Questions and Answers are prepared by our highly skilled subject experts. कहानी से प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. कहानी से आगे प्रश्न 1. आषाढ़- यह
महीना जून के अंत में आता है। जुलाई पूरी तरह आषाढ़ में ही पड़ती है इस महीने में वर्षा होती रहती है तथा गर्मी भी खूब लगती है। धान की रोपाई इसी महीने में होती है। माघ- माघ का महीना पूरी तरह सर्दी का महीना है। यह जनवरी में और उसके दो चार-दिन आगे-पीछे तक रहता है। इस समय सर्दी अपने चरम पर होती है। माघ के बाद सर्दी धीरे-धीरे घटने लगती है। प्रश्न 2. अनुमान और कल्पना प्रश्न 1.
उनको यह ऋण महाजन से जो सूद (ब्याज) पर पैसा देने का कार्य करते हैं, किसी सहकारी संस्था जैसे को-ऑपरेटिव सोसाइटी से अथवा किसी बैंक से मिलता है। प्रश्न 2. भाषा की बात प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3. गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर 1. कमज़ोरी ही है ……………………… उठती है। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. 2. किशन भैया की ………………. बन जाती। प्रश्न 1. प्रश्न 2. 3. स्नेह और ममता ……………………………. तो थी नहीं। प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. दादी माँ Summaryपाठ का सार लेखक का मन प्रायः अनमना-सा हो जाता है। लेखक के मित्र उसको आने वाली छुट्टियों की सूचना देकर प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं और पीठ पीछे से घबराने वाला व कमजोर कहकर मज़ाक उड़ाने से भी नहीं चूकते। न चाहते हुए भी लेखक के मन में पिछली यादें ताजा हो जाती हैं। लेखक को ऐसा लगता है मानो कार्तिक के दिन आ गए। गाँव के चारों ओर पानी हिलोरें ले रहा है। बरसात में उगने वाले घास और खरपतवारों की लेखक को याद आ जाती है। वह अपनी आँखों के सामने सारे दृश्य को घटित होते देखता है। क्वार के दिनों में झाग भरे जल में कूदना लेखक को अच्छा लगता है। एक बार इस जल में नहाने के कारण बीमार हो गया। लेखक को हल्की बीमारी अच्छी लगती है परंतु इस बार ज्वर जरा तेज़ चढ़ गया। रज़ाई पर रज़ाई ओढ़नी पड़ी। दिन में लेखक चादर लपेटे पड़ा था। दादी माँ नहाकर आई थी उन्होंने अपने दुबले-पतले शरीर पर किनारे वाली धोती पहन रखी थी। उनके सफेद सन जैसे बालों से पानी की बूंदें टपक रही थीं। दादी ने आकर लेखक के सिर व पेट को छूकर देखा फिर उन्होंने आँचल की गाँठ खोलकर चबूतरे की मिट्टी मुँह में डाली और माथे से लगाई। दादी रात-दिन लेखक की चारपाई के पास ही बैठी पंखा झलती रहती थी। कभी सिर पर दाल-चीनी का लेप करती और बीच-बीच में माथा छूकर बुखार का अनुमान करती रहती थी। दादी बीच-बीच में लाखों प्रश्न पूछकर घर वालों को परेशान करती रहती जैसे कोई बीमार घर में आकर चला तो नहीं गया, खिचड़ी में मूंग की दाल एक दम मिल तो गई है, आदि। दादी माँ को गवई गाँव की पचासों किस्म की दवाओं के नाम याद थे। गाँव में कोई बीमार होता तो दवाई पूछने के लिए दादी के पास ही आता था। दादी माँ उनके पास पहुँच जाती और इसी प्रकार की बातें करती थी। दादी से सफाई की सीख ली जा सकती थी। दवा देने में देरी उन्हें सहन नहीं होती थी। बुखार तो लेखक को अब भी आता है, परंतु नौकर दवा पानी देकर चले जाते हैं, डॉक्टर नब्ज देखकर दवाई दे जाते हैं। अब बुखार को बुलाने का मन नहीं करता। किशन भैया की शादी में दादी का उत्साह देखते ही बनता था। ऐसा लगता था मानो सारे कार्य की जिम्मेदारी इन्हीं के सिर है। वे कहती थीं यदि मैं एक काम हाथ से न करूँ तो वह होने वाला नहीं। दादी कुछ करे या न करे किसी कार्य में उनकी अनुपस्थिति उस कार्य के बिलंब का कारण बन सकती थी। तभी देखा बाहर दादी माँ किसी पर बिगड़ रही थीं। पास के कोने में दुबकी रामो की चाची खड़ी थी। दादी उससे कह रही थी कि “सो न होगा धन्नो! रुपये मय सूद के आज दे दे। तेरी आँख में तो शरम है नहीं। माँगते समय तो तू पैरों पर नाक रगड़ रही थी। अब कह रही है कि फसल पर दूंगी। रामो की चाची दादी के पैरों पर गिड़गिड़ा कर कह रही थी, बिटिया की शादी है। आप दया न करोगी तो मेरी बेटी की शादी कैसे होगी। कई दिन बीतने पर देखा कि रामो की चाची दादी को ‘पूतो फलो दूधो नहाओ’ का आशीर्वाद दें रही है। वह कह रही थी मैं तो उरिन हो गई बेटा, भगवान भला करे हमारी मालकिन का, पीछे का रुपया भी सारा छोड़ दिया और दस रुपये देकर आई कि जैसी लड़की तेरी वैसी मेरी, बेटी की शादी में किसी तरह की कमी नहीं रहनी चाहिए। किशन के विवाह में औरतें चार-पाँच रोज पहले से ही गीत गाने लगी थीं। विवाह की रात को अभिनय भी होता था। लेखक बीमार होने के कारण शादी में नहीं जा सका था। उसे पास ही चादर उढ़ा कर सुला दिया। देबू की माँ ने चादर खींचकर कहा यहाँ कौन बच्चा सोया है लाओ इसे दूध तो पिला दूं। स्नेह और ममता की मूर्ति दादी माँ की बात बड़ी अनोखी लगती थी। दादा की मृत्यु के बाद वे थोड़ा उदास रहने लगीं। दादा जी के श्राद्ध में माता जी के मना करने पर भी पिता जी ने बहुत पैसा खर्च किया वह सभी उधार का था। एक दिन देखा कि दादी थोड़ा उदास बैठी है उसने कोने में रखे एक संदूक पर दिया जला रखा था। उनकी स्नेह-कातर आँखों में मैंने आँसू कभी नहीं देखे थे। लेखक ने पूछा दादी तुम रोती थी। परंतु दादी ने बात बदल दी और कहा तूने अभी खाना नहीं खाया, चलकर पहले खाना खा ले। एक सुबह देखा कि किशन भैया और पिता जी मन मारे कुछ सोच रहे हैं, बाबू बोले- “रुपया कोई देता नहीं। कितनों के तो पिछले भी बाकी हैं” उनकी सूरत रोनी-सी हो गई। तभी दादी ने उसका हाथ सहलाते हुए कहा-मैं तो अभी हूँ ही, और उसने संदूक खोलकर दादा जी.के दिए कंगन निकालकर दे दिए जिनको वह सदा से सहेज कर रखती आई थी। शब्दार्थः प्रायः-अक्सर, शुभचिंतक-भला सोचने वाले, प्रतिकूलता-विपरीत स्थिति, क्वार-आश्विन मास, सिवान-गाँव की सीमा तक फैली जमीन, विचित्र-अनोखी, जलाशय-तालाब, साबू-साबूदाना, सुधः-अभी-अभी, गवई-गाँव-गाँव से संबंध रखने वाली, तिताई-कड़वाहट, कार-परोजन-कार्य प्रयोजन, निकसार-निकास, निस्तार-निपटारा/कल्याण, विह्वल-भाव विभोर, पुत्रोत्पत्ति-पुत्र के पैदा होने पर, वस्तुतः-वास्तव में, वात्याचक्र-बवंडर, अतुल-जिसको तोला न जा सके (बहुत अधिक), . स्नेह-कातर-स्नेह से व्याकुल, विलीन-गायब। दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष सबसे अच्छा लगता है?दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों? उत्तर:- दादी माँ के स्वभाव का सेवा, संरक्षण, परोपकारी व सरल स्वभाव आदि का पक्ष हमें सबसे अच्छा लगता है। दादी माँ मुँह से भले कड़वी लगती थी परन्तु घर के सदस्यों तथा दूसरों की आर्थिक मदद के लिए हर समय तैयार रहती थी।
दादी माँ के स्वभाव का कौन सा पक्ष आपको सबसे अच्छा लगता है और क्यों कहानी से आगे?अपने-अपने मौसम की अपनी-अपनी बातें होती हैं। आषाढ़ में आम और जामुन न मिलें, चिंता में नहीं, अगहन में चिउड़ा और गुड़ न मिले, दुख नहीं, चैत के दिनों में लाई के साथ गुड़ Page 2 दादी माँ की पट्टी न मिले, अफ़सोस नहीं, पर क्वार के दिनों में इस गंधपूर्ण झागभरे जल में में कूदना न हो तो बड़ा बुरा मालूम होता है।
दादी के चरित्र की कौन कौन सी विशेषताएं आप अपनाना चाहेंगे I?हम मैना की इन सारी विशेषताओं को अपनाना चाहेंगे। उसकी ये विशेषताएँ उसे औरों से अलग बनाती है। इन गुणों से युक्त मनुष्य जीवन पथ पर कभी असफल नहीं होता है। उसे किसी भी प्रकार की शक्ति अपने मार्ग से विचलित नहीं कर सकती है।
दादी माँ के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?(क) “दादी माँ' कहानी से आपको क्या प्रेरणा मिलती है? पाठ 'दादी माँ' हमें यह प्रेरणा देता है कि बड़ों की सीख सदैव महत्त्वपूर्ण होती है। हमें अपने बुजुर्गों की भावनाओं को समझकर उनका सम्मान करना चाहिए। हमें सदैव उनका पूरा खयाल रखना चाहिए।
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