जब नेत्र का स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी (25 सेंटीमीटर) पर की वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है, तो कहा जाता है, कि उसके दृष्टि में दोष है। Show दृष्टि दोष तीन प्रकार के होते हैं -
इस दृष्टिदोष के होने के कारण -
इस दोष को दूर करने के लिए चश्मे में अवतल लेंस का उपयोग किया जाता है। दीर्घ दृष्टि दोष : दीर्घ दृष्टि दोष युक्त कोई व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट देख सकता है, लेकिन निकट की वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाता है। ऐसे दोषयुक्त व्यक्ति का निकट बिंदु सामान्य निकट बिंदु से दूर हट जाता है। ऐसे व्यक्ति को पढ़ने के लिए पठन सामग्री को नेत्र से 25 सेंटीमीटर से अधिक दूर रखना पड़ता है। इस दोष के उत्पन्न होने के कारण -
इस दोष को उत्तल लेंस के उपयोग से संशोधित किया जा सकता है। जरा दृष्टि दोष : यह दोष बुढ़ापे का दोष है। आयु में वृद्धि होने के साथ-साथ मानव नेत्र की समंजन क्षमता घट जाती है। इस दोष में निकट बिंदु दूर हट जाता है। अतः देखने में कठिनाईयां होती है। इसे जरा-दूरदृष्टिता कहते हैं। यह दोष पक्ष्माभी पेशियों के दुर्बल होने से उत्पन्न होता है। कभी-कभी दोनों प्रकार के दोष हो जाते हैं। इस दोष को दूर करने के लिए द्विफोकसी लेसों का उपयोग कर इस दोष का संशोधन किया जाता है। दृष्टि दोष क्या है यह कितने प्रकार के होते हैं तथा उनका निवारण कैसे किया जाता है?दृष्टिदोष के कारण अनेक हो सकते हैं, लेकिन कुछ कारण व्यापक हैं, अत: उनका विवेचन आवश्यक है। मोटे तौर पर दृष्टिदोष के कारणों को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है : (१) क्रमिक उद्भव (gradual onset) के दृष्टिदोष और (२) अचानक उद्भव (sudden onset) के दृष्टिदोष।
दृष्टि दोष क्या है और यह कितने प्रकार के होते हैं?UPLOAD PHOTO AND GET THE ANSWER NOW! Step by step solution by experts to help you in doubt clearance & scoring excellent marks in exams.
दूर दृष्टि दोष क्या है इसका निवारण कैसे किया जाता है?मायोपिया तब होता है, जब आंख की पुतली बहुत लंबी हो जाती है या कार्निया (आंखों की सबसे बाहरी सुरक्षात्मक परत) की वक्रता बहुत बढ़ जाती है। इससे जो रोशनी आंखों में प्रवेश करती है वो ठीक प्रकार से फोकस नहीं होती है, जिससे प्रतिबिंब रेटिना के थोड़ा आगे फोकस होते हैं। इससे नज़र धुंधली हो जाती है।
दूर दृष्टि दोष से आप क्या समझते हैं इस दोष का निवारण किस प्रकार किया जाता है?दूर दृष्टि दोष के कारणः यह रोग निम्न में से एक कारण से हो सकता है। (1) लेंस से रेटिना की दूरी कम हो जाए अर्थात् नेत्र के गोले की त्रिज्या कम हो जाए। (2) लेंस के पृष्ठो की वक्रता कम हो अर्थात् लेंस पतला हो जाए जिससे उसकी फोकस दूरी बढ़ जाए। निवारणः- इस दोष में लेंस की फोकस दूरी अधिक हो जाती है।
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