तृतीय आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध की परिणति अफ़ग़निस्तान की स्वतंत्रता मे हुई। 1917 की रूस की क्रांति के बाद रूस और ब्रिटेन साथी नही रहे। अफ़ग़ानो ने ब्रिटिश सेना पर अचानक हमला बोल दिया। हलांकि ब्रिटिशों ने हवाई आक्रमण का सहारा लिया और राजा तक के महल पर बमबारी की। इससे अफ़गानिस्तान की जनता में भारी रोष उत्पन्न हुआ। अंततः 1921 में अफ़ग़ानिस्तान स्वाधीन हो गया। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध तीन युद्धों को सम्मिलित रूप से कहा जाता है जिसे पहले सिर्फ अफ़ग़ान युद्ध के नाम से जाना जाता था। पहले अफ़ग़ानिस्तान की लड़ईयां ब्रिटिश राज के खिलाफ हुई थी पर 2001 में अमेरिका तथा उससे पहले 1980 के दशक में सोवियतो के साथ संघर्ष ने इन युद्धो के नाम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध कर दिये। ये तीन युद्ध हैं -
इन्हें भी देखें[संपादित करें]
अफगान की दूसरी लड़ाई कब हुई?पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवम्बर 1556 को उत्तर भारत के हिंदू शासक सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य (लोकप्रिय नाम- हेमू ) और अकबर की सेना के बीच पानीपत के मैदान में लड़ा गया था।
अफगान की पहली लड़ाई कब हुई थी?प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध जिसे प्रथम अफ़ग़ान युद्ध के नाम से भी जाना जाता है, 1839 से 1842 के बीच अफ़ग़ानिस्तान में अंग्रेजों और अफ़ग़ानिस्तान के सैनिकों के बीच लड़ा गया था।
प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध के समय कौन अफगानिस्तान का शासक था?पहले अंग्रेज सफल रहे और आमिर दोस्त मोहम्मद खान के स्थान पर ब्रिटिश समर्थक पूर्व शासक, शाहशुजा को गद्दी दे दी। लेकिन 1841 में दोस्त मोहम्मद आक्रमणकारियों और शाहशुजा के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व करने के लिए अफगानिस्तान लौट आये, और अंग्रेजों और शाह शुजा को हराया। अक्टूबर 1842 में अंग्रेजों ने आखिरकार हार मान ली।
द्वितीय आंग्ल अफगान युद्ध के समय भारत का गवर्नर जनरल कौन था?में वायसराय लॉर्ड नार्थब्रुक (1872-1876 ई.)
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