नई दिल्ली: तांबे की अंगूठी पहनने की परंपरा हमारे प्राचीन काल से चलते आ रहा है. इस धातु को पहनने के कई फायदे होते हैं. ज्योतिष शास्त्र में तांबा को सूर्य और मंगल का धातु भी कहा जाता है. इस धातु का इस्तेमाल हम अपने घरों में पूजा-पाठ के लिए भी करते हैं. कई बार ऐसा होता है कि हम अपने आस-पास मौजूद कुछ लोगों के हाथों में तांबे की अंगूठी को पहने देख खुद भी पहनना शुरू कर देते हैं लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. आयुर्वेद के अनुसार, तांबे की अंगूठी या कड़ा पहनने से जोड़ों और गठिया का दर्द दूर रहता है क्योंकि तांबे में एंटी-ऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है, जो रोगों को दूर करती है. Show आइये जानते हैं तांबे के अंगूठी पहनने के फायदे के बारे में- तांबे की अंगूठी लगातार हमारे शरीर के संपर्क में रहती है. जिससे तांबे के औषधीय गुण शरीर को मिलते हैं. इससे खून साफ होता है. जिस प्रकार तांबे के बर्तन में रखा पानी स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है, ठीक उसी प्रकार तांबे की अंगूठी से भी फायदा मिलता है. तांबे की अंगूठी के असर से पेट से जुड़ी बीमारियों में भी राहत मिल सकती है. तांबा लगातार त्वचा के संपर्क में रहता है, जिससे त्वचा की चमक बढ़ती है. आयुर्वेद के अनुसार तांबे के बर्तनों का उपयोग करने से हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. यही लाभ तांबे की अंगूठी पहनने से भी मिलता है. तांबे की अंगूठी पेट से संबंधित सभी समस्याओं में काफी फायदेमंद है यह पेट दर्द, पाचन में गड़बड़ी और एसिडिटी की समस्याओं में फायदा पहुंचाती है. इसके अलावा अगर आप पेचिश की समस्या से परेशान हैं तो तांबे की अंगूठी इस समस्या में आपकी काफी मदद कर सकती है. तांबे की अंगूठी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है. ये हाई ब्लड प्रेशर या लो ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों के लिए बहुत फायदेमंद होती है. तांबे की अंगूठी शरीर की गर्मी को कम करने में मदद करता है. इसे पहनने से शारीरिक और मानसिक तनाव कम होता है, ये अंगूठी तन और मन दोनों को शांत रखने में मदद करता है. तांबे की अंगूठी सूर्य की उंगली यानी रिंग फिंगर में पहननी चाहिए. इससे कुंडली में सूर्य के दोषों का असर कम हो सकता है. सूर्य के साथ ही तांबे की अंगूठी से मंगल के अशुभ असर भी कम हो सकते हैं. तांबे की अंगूठी के प्रभाव से सूर्य का बल बढ़ता है, जिससे हमें सूर्य देव की कृपा से घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान मिलता है. जिनकी मकर और कुम्भ लग्न या राशि है, कृपा वह ना पहने ! उनको छल्ला सूट करने की संभावना बहुत कम है. छल्ला रविवार शुक्ल पक्ष (अमावस्या ) के बाद सुबह गंगाजल से धोकर पहने. इससे पेट से संबंधित बीमारियों से मुक्ति मिलती है. बताया जाता है कि आर्थराइटिस के रोगियों को तांबे का कड़ा जरूर पहनना चाहिए यदि आपको छल्ला पहनने के बाद बेचैनी घबराहट महसूस हो तो छल्ला उतार दें. यह भी पढ़िए: Daily Panchang 3rd Feb 2022: गुरूवार के दिन अवश्य करें ये काम, होगा बड़ा लाभ Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप. तांबे की अंगूठी कौन से हाथ में पहने?तांबे की अंगूठी सूर्य की उंगली यानी रिंग फिंगर में पहननी चाहिए.
Tambe का छल्ला कौन सी उंगली में पहनना चाहिए?ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, तांबे की अंगूठी को रिंग फिंगर में धारण करना चाहिए क्योंकि यह उंगली सूर्य की उंगली होती है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य से संबंधित दोष हैं तो यह सूर्य के दोषों का असर कम करता है। सूर्य के साथ ही मंगल के अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है।
तांबे की अंगूठी के लिए कौन सी उंगली सबसे अच्छी है?तांबे की अंगूठी किस अंगुली में पहननी चाहिए? अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए अनामिका में शुद्ध तांबे की अंगूठी धारण करनी चाहिए। पुरुषों को इसे दाहिने हाथ और महिलाओं को बायीं ओर पहनना चाहिए । अंगूठी पहनने से पहले, इसे गंगा जल या गंगा नदी के पानी से धो लें और रविवार को दोपहर 12 बजे से पहले इसे पहन लें।
तांबे का छल्ला क्यों पहनते हैं?ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक एक तांबे का छल्ला पहनकर आप सूर्य से संबंधित सभी रोगों से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। इसके अलावा यह शुक्र को भी कंट्रोल में करता है। तांबा शरीर का रक्त संतुलन ठीक रहता है। तांबे का छल्ला पहनने से महिलाओं को मासिक धर्म में अनियमितता की समस्या नहीं होती है।
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