श्री कृष्ण जी के धनुष का नाम क्या था? - shree krshn jee ke dhanush ka naam kya tha?

कृष्णा के धनुष के नाम क्या था?...


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किशन जी के धनुष का नाम सारंग था और यह दोनों उन्होंने अतुल नरकासुर और मूला से विजय प्राप्त कर प्राप्त किया था

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हिंदू धर्म के धनुर्धर युद्ध में इस्तेमाल करते थे ये दिव्य धनुष!

प्राचीन काल की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार हमारे इतिहास में एक से एक बढ़कर धनुर्धर हुए हैं। जिनके पास अपने अलग-अलग दिव्य धनुष थे,

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प्राचीन काल की प्रचलित मान्यताओं के अनुसार हमारे इतिहास में एक से एक बढ़कर धनुर्धर हुए हैं। जिनके पास अपने अलग-अलग दिव्य धनुष थे, ये धनुष उनकी शक्ति को दर्शाते थे। इस सूची में रामायण से लेकर महाभारत काल के कई पात्र शामिल हैं। मगर क्या आप जाते हैं कि आखिर धनुष-बाण की शुरूआत आखिरकार कब और कैसे हुई? अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं कि धनुष व बाणों का आरंभ कैसे हुआ। कहा जाता है प्राचीनतम साहित्य संहिता और अरण्य ग्रंथों में इंद्र के वज्र और धनुष-बाण का वर्णन किया गया है। बताया जाता है कि सनातन धर्म के 4 उपवेदों में से चौथा उपवेद धनुर्वेद ही है। एक अन्य साहित्य के अनुसार कुल 12 तरह के शास्त्रों का वर्णन मिलता है। इनमें से सबसे ऊपर धनुण-बाणों को माना जाता है। इनमें से कुछ धनुष व बाण अधिक दिव्य माने जाते हैं, वो दिव्य बाण कौन से हैं जानते हैं आगे-

पिनाक धनुष:
धार्मिक मान्यताओ के अनुसार इसी धनुष के माध्यम से भगवान शंकर ब्रह्मा से अमरत्व का वरदान पाने वाले त्रिपुरासुर नामक असुर का संहार किया था। तथा इसी धनुष से भोलेनाथ ने एक ही तीर से त्रिपुरासुर के तीनों नगरों को ध्वस्त कर दिया था।

इसके उपरांत भगवान शंकर ने इस धनुष को देवराज इंद्र को सौंप दे दिया था। बता दें पिनाक नामक यह वही शिव धनुष था जिसे देवताओं ने राजा जनक के पूर्वजों को दिया था, जो अंत में धरोहर के रूप में राजा जनक को प्राप्त हुआ था। और इसी पिनाक नामक धनुष को भगवान राम ने प्रत्यंचा चढ़ाकर तोड़ दिया था।

कोदंड धनुष:
कोदंड नामक अर्थात ‘बांस’ का निर्मित धनुष भगवान राम के पास था। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री राम के इस धनुष से छोड़ा गया बाण हमेशा अपना लक्ष्य भेदकर ही वापस आता था।

शारंग धनुष:
शांरग नामक धनुष सींग का बना हुआ था, जो श्री कृष्ण के पास था। कहा जाता है माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इसी धनुष के माध्यम से लक्ष्मणा स्वयंवर की प्रतियोगिता जीतकर लक्ष्मणा से विवाह किया था।

गाण्डीव धनुष:
यह धनुष महाभारत के प्रमुख पात्र धनुर्धारी अर्जुन के पास था। कथाओं के अनुसार अर्जुन के गाण्डीव धनुष की टंकार से सारा युद्ध क्षेत्र गूंज जाता था। यह दिव्य धनुष उसे अग्नि देवता से प्राप्त हुआ था।

विजय धनुष:
विजय नामक धनुष महाभारत के अन्य प्रमुख पात्र दानवीर कर्ण के पास था। प्रचलित कथाओं के अनुसार कर्ण को यह धनुष उनके गुरु परशुराम ने प्रदान किया था, जिसकी खासियत थी कि यह किसी भी तरह के अस्त्र-शस्त्र से खंडित नहीं हो सकता था।

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भगवान श्री कृष्ण के धनुष का नाम क्या था?

शारंग धनुष: सींग का बना हुआ यह धनुष भगवान श्रीकृष्ण के पास था. ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण इसी धनुष के द्वारा लक्ष्मणा स्वयंवर की प्रतियोगिता जीतकर लक्ष्मणा से विवाह किया था.

भगवान विष्णु के धनुष का नाम क्या था?

शारंग, भगवान विष्णु के धनुष का नाम है। विष्णु के अन्य अस्त्र-शस्त्रों में सुदर्शन चक्र, नारायणास्त्र, वैष्णवास्त्र, कौमोदकी व नंदक तलवार सम्मिलित हैं।

राम ने कौन सा धनुष तोड़ा था?

जीवन मंत्र डेस्क. सीता का विवाह स्वयंवर पद्धति से नहीं हुआ था। महर्षि वाल्मीकि की रामायण में केवल इस बात का उल्लेख है कि सीता के पिता जनक ने यह घोषणा की थी कि जो कोई शिव धनुष पर बाण का संधान कर लेगा, उसके साथ सीता का विवाह कर दिया जाएगा।

भगवान राम के धनुष का नाम क्या है?

बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि भगवान राम के धनुष का नाम कोदंड था इसीलिए प्रभु श्रीराम को कोदंड कहा जाता था। कोदंड का अर्थ होता है बांस से निर्मित। कोदंड एक चमत्कारिक धनुष था जिसे हर कोई धारण नहीं कर सकता था। कोदंड नाम से भिलाई में एक राम मंदिर भी है जिसे 'कोदंड रामालयम मंदिर' कहा जाता है।

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