शनि देव का गांव कौन सा है? - shani dev ka gaanv kaun sa hai?

  • शनि देव का गांव कौन सा है? - shani dev ka gaanv kaun sa hai?

    इस गांव पर शनिदेव की है कृपा, घर में नहीं होते दरवाजे

    नहीं, यहां चोरी की घटनाएं नहीं होती हैं। क्योंकि, माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां चोरी करेगा उसे स्वयं शनि देव ही सजा दे देंगे। यहां के लोग अलमारी, लॉकर, सूटकेस आदि भी नहीं रखते हैं। यह अनोखी प्रथा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस स्थान पर शनि की विशेष कृपा है। शास्त्रों के अनुसार शिंगणापुर में ही शनिदेव का जन्म भी हुआ है।

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    शिंगनापुर में जन्मे शनिदेव

    शनि के जन्म स्थान शिंगणापुर के संबंध में एक कहानी प्रचलित है। पुरातन काल में एक पंडित शिंगणापुर में पधारे। पंडित जी नेत्र विहीन थे। एक रात उनके सपने में भगवान शनिदेव प्रकट हुए और उनसे बोले शिंगणापुर में जमीन के अंदर मेरी प्रतिमा है, उसे आप बाहर निकालें। इसपर पंडितजी ने शनिदेव से कहा कि उन्हें दिखाई नहीं देता, इसलिए इस काम को करने में असमर्थ हैं। फिर, शनिदेव ने उन्हें आंखों की रोशनी लौटा दी। जब वह जगे तो दृष्टि पाकर अत्यंत प्रसन्न हुए और शनिदेव द्वारा बताई जगह पर खुदाई की तो वहां शनि की प्रतिमा वाकई मौजूद थी। इसके बाद शनि की प्रतिमा को बाहर निकालकर शनिदेव की मूर्ति की स्थापना की गई। तभी से शिंगणापुर में इसी स्थान पर शनिदेव की प्रतिमा स्थापित है। कहते हैं उसी पंडित के वंशज शिंगणापुर में आज भी शनिदेव की पूजा आराधना करते और कराते हैं। आगे पढ़ें, शनिदेव के गुस्से से बचने के उपाय…

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    जपें शनिमंत्र

    शनि के अधिदेवता प्रजापति ब्रह्मा और प्रत्यधिदेवता यम हैं। इनका वर्ण इन्द्रनीलमणी के समान है। उनका वाहन गिद्ध है। अस्त्रों-शस्त्रों की बात करें तो उनके हाथों में धनुष-बाण, त्रिशूल आदि मौजूद होता है। यह मकर व कुम्भ राशि के स्वामी हैं। इनकी पूजा न भी कर सकें तो इस मंत्र का उच्चारण आपके पापों का नाश और कष्टों को दूर करता है- ऊँ शं शनैश्चराय नम:। इसका श्रद्धानुसार रोज एक निश्चित संख्या में जाप करना चाहिए।

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    चढ़ाएं तिल का तेल

    शनिदेव का व्रत करना चाहते हैं तो शनिवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर उनकी विधिपूर्वक पूजा करें। इस दिन शनि मंदिर जाकर इन्हें फूल, तिल, तिल का तेल, गुड़ चढ़ाएं। अब शनिवार का व्रत शुरू करना चाहते हैं तो श्रावन मास के शनिवार से शुरू करना अति शुभ माना गया है।

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    शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय

    हमारे पापों और सभी गलत कर्मों का सूक्ष्म परीक्षण कर दंड देने का दायित्व शनिदेव पर ही है। हमें पूजा-पाठ, मंत्र, जप और हवन के अलावा अपने कर्मों को सुधारने का भी प्रयास करना चाहिए, जिससे शनिदेव की कुदृष्टि से बचा जा सके। शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा के पश्चात उनसे अपने अपराधों एवं जाने-अनजाने जो भी आपसे पाप कर्म हुआ हो उसके लिए क्षमा याचना करनी चाहिए। हमारे कर्मों के अनुसार ही दंड भी देते हैं यह देव। शनिदेव न्यायकर्ता हैं। जो व्यक्ति पाप करता रहता है और जब उस व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती चढ़ती है, तो उसके पापों का सारा हिसाब-किताब स्वयं शनिदेव करते हैं। जब आप सबसे छिपाकर कोई पाप कर रहे होते हैं, तब शनिदेव की नज़र आप पर होती है। समय आने पर वह आपको उचित दंड देते हैं। साढ़ेसाती ही होती है, जो धनवान को कंगाल तक बना देती है। <br><br>आइए, जानें शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग क्या उपाय करते हैं-

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    पीपल में जल चढ़ाना चाहिए

    इस दिन शनि भक्तों को पीपल में जल चढ़ाना चाहिए और पीपल में सूत बांधकर सात बार परिक्रमा करनी चाहिए। इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज भी चढ़ाने की प्रथा है और सरसों तेल का दीपक जलाया जाता है।

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    नीलम धारण करें

    कहा जाता है कि शनि की शांति के लिए नीलम धारण करना उचित माना जाता है।

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    तेल करें दान

    कांसे की कटोरी में तेल भरकर उसमें अपनी परछाई देखें और यह तेल किसी को दान कर दें। शनिदेव को प्रसन्न करने का यह बहुत ही अचूक व पुराना उपाय है।

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    उड़द दाल की खिचड़ी का भोग

    उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर शनि महाराज को भोग लगाना चाहिए। शनिदेव का आशीर्वाद लेने के पश्चात आपको प्रसाद स्वरूप खिचड़ी खाना चाहिए।

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    गाय के बछड़े को खिलाएं

    तेल का पराठा बनाकर उस पर कोई मीठा पदार्थ रखकर गाय के बछड़े को खिलाएं। कहते हैं कि यह छोटा सा, लेकिन बेहद कारगर उपाय है।

शनि महाराज का गांव कौन सा है?

शनि शिंगणापुर (Shani Shingnapur) भारत के महाराष्ट्र राज्य के अहमदनगर ज़िले में स्थित एक गाँव है जो अपने शनी देवता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

शनि महाराज के गुरु कौन हैं?

भगवान शिव शनि महाराज के गुरु हैं

शनि देव का जन्म कहाँ हुआ था?

वैसे तो शनिदेव के जन्म की कई पौराणिक कथा मौजूद हैं। कहा जाता है कि उनका जन्म सौराष्ट्र के शिंगणापुर में हुआ था। वह कश्यप ऋषि के कुल के थे। उनके पिता सूर्यदेव और माता का सुवर्णा है।

शनि देव के पुत्र कौन है?

शनिदेव को सूर्यदेव का पुत्र एवं कर्मफल दाता माना जाता है।