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मनुष्य को अपने विकास के लिए समाज की आवश्यकता हुयी , इसी आवश्यकता की पूर्ती के लिए समाज की प्रथम इकाई के रूप में परिवार का उदय हुआ .क्योंकि बिना परिवार के समाज की रचना के बारे में सोच पाना असंभव था .समुचित विकास के लिए प्रत्येक व्यक्ति को आर्थिक ,शारीरिक ,मानसिक सुरक्षा का वातावरण का होना
नितांत आवश्यक है .परिवार में रहते हुए परिजनों के कार्यों का वितरण आसान हो जाता है .साथ ही भावी पीढ़ी को सुरक्षित वातावरण एवं स्वास्थ्य पालन पोषण द्वारा मानव का भविष्य भी सुरक्षित होता है उसके विकास का मार्ग प्रशस्त होता है .परिवार में रहते हुए ही भावी पीढ़ी को उचित मार्ग निर्देशन देकर जीवन स्नाग्राम के लिए तैयार किया जा सकता है . सुरक्षा और स्वास्थ्य ; परिवार के प्रत्येक सदस्य की सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी परिजन मिलजुल कर निभते हैं .अतः किसी भी सदस्य की स्वास्थ्य समस्या ,सुरक्षा अमास्या ,आर्थिक समस्या पूरे परिवार की होती है .कोई भी अनापेक्षित रूप से आयी परेशानी सहजता से सुलझा ली जाती है .जैसे यदि कोई गंभीर बीमारी से जूझता है तो भी परिवार के सब सदस्य अपने सहयोग से उसको बीमारी से निजात दिलाने में मदद करते है उसे कोई आर्थिक समस्य या रोजगार की संसय अड़े नहीं आती .ऐसे ही गाँव में या मोहल्ले में किसी को उनसे पंगा लेने की हिम्मत नहीं होती संगठित होने के कारण पूर्ताया सुरक्षा मिलती है .व्यक्ति हर प्रकार के तनाव से मुक्त रहता है . विभिन्न कार्यों का विभाजन;-परिवार में सदस्यों की संख्या अधिक होने के कारण कार्यों का विभाजन आसान हो जाता है .प्रत्येक सदस्य के हिस्से में आने वाले कार्य को वह अधिक क्षमता से कर पता है .और विभिन्न अन्य जिम्मेदारियों से भी मुक्त रहता है .अतः तनाव मुक्त हो कर कार्य करने में अधिक ख़ुशी मिलती है .उसकी कार्य क्षमता अधिक होने से कारोबार अधिक उन्नत होता है .परिवार के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं की पूर्ती अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है और जीवन उल्लास पूर्ण व्यतीत होता है . भावी पीढ़ी का समुचित विकास ;संयुक्त परिवार में बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित और उचित शारीरिक एवं चारित्रिक विकास का अवसर प्राप्त होता है .बच्चे की इच्छाओं और आवश्यकताओं का अधिक ध्यान रखा जा सकता है .उसे अन्य बच्चों के साथ खेलने का मौका मिलता है .माता पिता के साथ साथ अन्य परिजनों विशेष तौर पर दादा ,दादी का प्यार भी मिलता है .जबकि एकाकी परिवार में कभी कभी तो माता पिता का प्यार भी कम ही मिल पता है यदि दोनों ही कामकाजी हैं .दादा ,दादी से प्यार के साथ ज्ञान ,अनुभव बहर्पूर मिलता है .उनके साथ खेलने , समय बिताने से मनोरंजन भी होता है उन्हें संस्कारवान बनाना ,चरित्रवान बनाना ,एवं हिर्ष्ट पुष्ट बनाने में अनेक परिजनों का सहयोग प्राप्त होता है .एकाकी परिवार में संभव नहीं हो पता . संयुक्त परिवार में रहकर कुल व्यय कम ;-बाजार का नियम है की यदि कोई वस्तु अधिक परिमाण में खरीदी जाती है तो उसके लिए कम कीमत चुकानी पड़ती है .अर्थात संयुक्त रहने के कारण कोई भी वस्तु अपेक्षाकृत अधिक मात्र में खरीदनी होती है अतः बड़ी मात्र में वस्तुओं को खरीदना सस्ता पड़ता है .दूसरी बात अलग अलग रहने से अनेक वस्तुएं अलग अलग खरीदनी पड़ती है जबकि संयुक्त रहने पर कम वस्तु लेकर कम चल जाता है .उदाहरण के तौर पर एक परिवार तीन एकल परिवारों के रूप में रहता है उन्हें तीन मकान ,तीन कार या तीन स्कूटर ,तीन टेलीविजन ,और तीन फ्रिज ,इत्यादि प्रत्येक वस्तु अलग अलग खरीदनी होगी .परन्तु वे यदि एक साथ रहते हैं उन्हें कम मात्र में वस्तुएं खरीद कार धन की बचत की जा सकती है .जैसे तीन स्कूटर के स्थान पर एक कार ,एक स्कूटर से कम चल सकता है ,तीन फ्रिज के स्थान पर एक बड़ा फ्रिज और एक A .C लिया जा सकता है इसी प्रकार तीन मकानों के साथ पर एक पूर्णतया सुसज्जित बड़ा सा बंगला लिया जा सकता है .तेलेफोने ,बिजली ,काबले के अलग अलग खर्च के स्थान पर बचे धन से कार व् A.C. मेंटेनेंस का खर्च निकाल सकता है .इस प्रकार से उतने ही बजट में अधिक उच्च जीवन शैली के साथ जीवन यापन किया जा सकता है . भावनात्मक सहयोग ;- किसी विपत्ति के समय ,परिवार के किसी सदस्य के गंभीर रूप से बीमार होने पर ,पूरे परिवार के सहयोग से आसानी से पार पाया जा सकता है .जीवन के सभी कष्ट सब के सहयोग से बिना किसी को विचलित किये दूर हो जाते हैं .कभी भी आर्थिक समस्या या रोजगार चले जाने की समस्या उत्पन्न नहीं होती क्योंकि एक सदस्य की अनुपस्थिति में अन्य परिजन कारोबार को देख लेते हैं . चरित्र निर्माण में सहयोग ;-संयुक्त परिवार में सभी सदस्य एक दूसरे के आचार व्यव्हार पर निरंतर निगरानी बनाय रखते हैं ,किसी की अवांछनीय गतिविधि पर अंकुश लगा रहता
है .अर्थात प्रत्येक सदस्य चरित्रवान बना रहता है .किसी समस्या के समय सभी परिजन उसका साथ देते हैं और सामूहिक दबाव भी पड़ता है कोई भी सदस्य असामाजिक कार्य नहीं कार पता ,बुजुर्गों के भय के कारण शराब जुआ या अन्य कोई नशा जैसी बुराइयों से बचा रहता है लेखक के अन्य सामाजिक एवं राजनैतिक लेख पढने के लिए विजिट करें jarasochiye.comसंयुक्त परिवार का महत्व क्या है?संयुक्त परिवार में दाम्पत्य जीवन मे भी प्यार बढ़ता है। पति पत्नी एक-दूसरे से बात करने के लिए वक्त निकाल पाते हैं। और मनमुटाव होने पर घर के बड़े-बुजुर्ग समझाने के लिए भी होते हैं। नौकरों के भरोसे पलने वाले एकल परिवार के बच्चों के मुकाबले संयुक्त परिवार के बच्चों की परवरिश अच्छी होती है।
संयुक्त परिवार क्या है स्पष्ट करें?संयुक्त परिवार एक बृहत परिवार है जिसमे कई सदस्य होते है। यह कम से कम दो या दो से अधिक प्राथमिक परिवारो का संग्रह है। संयुक्त परिवार मे साधारणतया पिता, उसके लड़के-लड़कियाँ, चाची तथा उनके लड़के-लड़कियां सम्मिलित होते है अथवा माता-पिता, उनका विवाहित लड़का या लड़के और उनके बच्चे होते है।
परिवार क्या है इसके प्रकार एवं महत्व?परिवार का अर्थ अवधरणा एवं परिभाषाएं
परिवार सामाजिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है, जिसका व्यक्ति के जीवन में प्राथमिक महत्व है। परिवार सामाजिक संगठन की एक सार्वभौमिक एवं सार्वकालिक निर्माणक इकाई है। परिवार के द्वारा ही सामाजिक संबंधों का निर्माण होता है जो समाजशास्त्र की विषय वस्तु है।
परिवार क्या है संयुक्त परिवार से क्या लाभ है?संयुक्त परिवार में मिलती है आर्थिक मदद
एकल परिवार के मुकाबले संयुक्त परिवार में आर्थिक समस्याओं का आसानी से सामना किया जा सकता है। परिवार में तीन से अधिक सदस्य आर्थिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करते हैं। एकल परिवार के मुकाबले संयुक्त परिवारों में कई व्यक्ति कमाते हैं। इससे आर्थिक बोझ को एक दूसरे में बांट दिया जाता है।
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