Show शुरू का इतिहास कैसे लिखा गयाअपने पहले पत्र में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है। इस किताब में चट्टान, पहाड़, घाटियाँ, नदियाँ, समुद्र, ज्वालामुखी और हर एक चीज, जो हम अपने चारों तरफ देखते हैं, शामिल है। यह किताब हमेशा हमारे सामने खुली रहती है। लेकिन बहुत ही थोड़े
आदमी इस पर ध्यान देते, या इसे पढ़ने की कोशिश करते हैं। ज्यों-ज्यों शहर बनते गए, लोग तरह-तरह की सुंदर कलाएँ सीखते गए। उन्होंने लिखना भी सीखा। लेकिन बहुत दिनों तक लिखने को कागज न था, और लोग भोजपत्र या ताड़ के पत्तों पर लिखते थे। आज भी कुछ पुस्तकालयों में तुम्हें समूची किताबें मिल जाएँगी, जो उस पुराने जमाने में भोजपत्र पर लिखी गई थीं। तब कागज बना और लिखने में आसानी हो गई। लेकिन तब छापेखाने न थे और आज की तरह हजारों की तादाद में किताबें नहीं छप सकती थीं। कोई किताब जब लिख ली जाती थी तो बड़ी मेहनत के साथ उसकी नकल की जाती थी। इन कारणों से किताबों की संख्या बहुत ज्यादा नहीं होती थी। और भी पढ़ें :किताबों के बिना भी हमें पुराने जमाने के बारे में कैसे मालूम होता है?होगा कि ऐसा समय ज़रूर रहा होगा । की और भी कितनी ही चीजें हैं, जिनसे हमें दुनिया का पुराना हाल मालूम हो सकता है। अगर एक छोटा-सा रोड़ा तुम्हें इतनी बातें बता सकता है, तो पहाड़ों और दूसरी चीज़ों से, जो हमारे चारों तरफ़ हैं, हमें और कितनी बातें मालूम हो सकती हैं ! उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद ने किया है।
हमें कैसे दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है?अपने पहले पत्र में मैंने तुम्हें बताया था कि हमें संसार की किताब से ही दुनिया के शुरू का हाल मालूम हो सकता है। इस किताब में चट्टान, पहाड़, घाटियाँ, नदियाँ, समुद्र, ज्वालामुखी और हर एक चीज, जो हम अपने चारों तरफ देखते हैं, शामिल है। यह किताब हमेशा हमारे सामने खुली रहती है।
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