श्रम और रोजगार मंत्रालय
‘मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना’ के बारे में स्पष्टीकरण
Posted On: 16 NOV 2018 8:24PM by PIB Delhi
मीडिया के एक वर्ग में ‘मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना’ से जुड़ी कुछ रिपोर्ट आई हैं। इस संबंध में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने निम्नलिखित स्पष्टीकरण दिया है –
पृष्ठभूमि- (i) मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 के दायरे में वे कारखाने, खदानें, बागान, दुकानें एवं प्रतिष्ठान और अन्य निकाय आते हैं, जहां 10 अथवा उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य कुछ विशेष प्रतिष्ठानों में शिशु के जन्म से पहले और उसके बाद की कुछ विशेष अवधि के लिए वहां कार्यरत महिलाओं के रोजगार का नियमन करना और उन्हें मातृत्व लाभ के साथ-साथ कुछ अन्य फायदे भी मुहैया कराना है। मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम, 2017 के जरिए इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके तहत अन्य बातों के अलावा महिला कर्मचारियों के लिए सवेतन मातृत्व अवकाश की अवधि 12 हफ्तों से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है।
(ii) वैसे तो इस प्रावधान पर अमल सार्वजनिक क्षेत्र के लिए अच्छा है, लेकिन इस आशय की रिपोर्ट आई हैं कि यह निजी क्षेत्र के साथ-साथ अनुबंध या ठेके पर काम करने वाली महिलाओं के लिए ठीक नहीं है। इस आशय की व्यापक धारणा है कि निजी क्षेत्र के निकाय महिला कर्मचारियों को प्रोत्साहित नहीं कर रहे हैं, क्योंकि यदि उन्हें रोजगार पर रखा जाता है तो उन्हें विशेषकर 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश देना पड़ सकता है। इसके अलावा, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को भी विभिन्न हलकों से इस आशय की शिकायतें मिल रही हैं कि जब नियोक्ता को यह जानकारी मिलती है कि उनकी कोई महिला कर्मचारी गर्भवती है अथवा वह मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन करती है तो किसी ठोस आधार के बिना ही उनके अनुबंध को निरस्त कर दिया जाता है। श्रम मंत्रालय को इस आशय के अनेक ज्ञापन मिले हैं कि किस तरह से मातृत्व अवकाश की बढ़ी हुई अवधि महिला कर्मचारियों के लिए नुकसानदेह साबित हो रही है, क्योंकि मातृत्व अवकाश पर जाने से पहले ही किसी ठोस आधार के बिना ही उन्हें या तो इस्तीफा देने को कहा जाता है अथवा उनकी छंटनी कर दी जाती है।
(iii) इसलिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय एक ऐसी प्रोत्साहन योजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत उन नियोक्ताओं को 7 हफ्तों का पारिश्रमिक वापस कर दिया जाएगा, जो 15,000/- रुपये तक की वेतन सीमा वाली महिला कर्मचारियों को अपने यहां नौकरी पर रखते हैं और 26 हफ्तों का सवेतन मातृत्व अवकाश देते हैं। इसके लिए कुछ शर्तें भी तय की गई हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि प्रस्तावित प्रोत्साहन योजना पर अमल करने से भारत सरकार, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को लगभग 400 करोड़ रुपये के वित्तीय बोझ को वहन करना होगा।
प्रमुख प्रभावः प्रस्तावित योजना यदि स्वीकृत और कार्यान्वित कर दी जाती है तो वह इस देश की महिलाओं को पर्याप्त सुरक्षा एवं सुरक्षित परिवेश सुनिश्चित करने के साथ-साथ रोजगार एवं अन्य स्वीकृत लाभों तक उनकी समान पहुंच भी सुनिश्चित करेगी। इसके अलावा, महिलाएं शिशु की देखभाल के साथ-साथ घरेलू कार्य भी अच्छे ढंग से निपटा सकेंगी।
प्रस्ताव की वर्तमान स्थितिः मीडिया मेंइस आशय की कुछ रिपोर्ट आई हैं कि इस योजना को मंजूरी दे दी गई है/अधिसूचित कर दिया गया है। हालांकि, यह स्पष्ट किया जाता है कि श्रम एवं रोजगार मंत्रालय फिलहाल आवश्यक बजटीय अनुदान प्राप्त करने और सक्षम प्राधिकरणों से मंजूरियां प्राप्त करने की प्रक्रिया में है। इस आशय की रिपोर्ट कि मातृत्व अवकाश प्रोत्साहन योजना का वित्त पोषण श्रम कल्याण उपकर (सेस) से किया जाएगा, वह भी गलत है, क्योंकि इस मंत्रालय में इस तरह का कोई भी उपकर नहीं है।
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आर.के.मीणा/अर्चना/आरआरएस/एमएस-11262
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त्रैमासिक परीक्षा 2022
कक्षा-10वी
विषय : सामाजिक विज्ञान 1053-B
कुल प्रश्नों की संख्या : 23
समय 3:00घण्टे पूर्णाक : 75
निर्देश :
1.सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
2.प्रश्न क्रमांक 1से 5 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं जिनके लिए 1 x 30= 30 अंक निर्धारित है।
3.प्रश्न क्रमांक 6 से 17तक प्रत्येक प्रश्न 2अंक का है। शब्द सीमा 30शब्द है।
4.प्रश्न क्रमांक 18से 20तक प्रत्येक प्रश्न 3अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 75शब्द है।
5.प्रश्न क्रमांक 21से 23तक प्रत्येक प्रश्न 4अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 120शब्द है।
6.प्रश्न क्रमांक 23मानचित्र प्रश्न है।
मॉडल उत्तर
प्रश्न.1सही विकल्प चुनिये - (1x6=6)
(i) निम्न में से आरक्षित वनों का सर्वाधिक क्षेत्र किस राज्य में स्थित है?
(अ) राजस्थान (ब) पंजाब
(स) उड़ीसा (द) मध्यप्रदेश
उत्तर - (द) मध्यप्रदेश
(ii) मेटरनिख चांसलर था -
(अ) जर्मनी (ब) इटली
(स) इंग्लैंड (द) ऑस्ट्रिया
उत्तर - (द) ऑस्ट्रिया
(iii) एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से जोड़ने वाले मार्गों को किस नाम से जाना जाता है?
(अ) एशियन मार्ग (ब) सिल्क मार्ग
(स) अफ्रीका मार्ग (द) व्यापार मार्ग
उत्तर - (ब) सिल्क मार्ग
(iv) संविधान की व्याख्या करने अधिकार है -
(अ) प्रधानमंत्री (ब) राष्ट्रपति
(स) कानून मंत्री (द) न्यायालय
उत्तर - (द) न्यायलय
(v) सार्वजनिक उद्यम का स्वामित्व निम्न में से किसके पास होता है?
(अ) निजी स्वामी (ब) सरकार
(स) सरकार और निजी स्वामी (द) न्यायालय
उत्तर - (ब) सरकार
(vi) स्व - सहायता समूह में बचत औण संबंधी अधिकतर निर्णय लिए जाते हैं -
(अ) बैंकों द्वारा (ब) सदस्यों द्वारा
(स) गैर - सरकारी संस्था द्वारा (द) साहूकारों द्वारा
उत्तर - (ब) सदस्यों द्वारा
प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (1x6=6)
(i) हौज खास का निर्माण .......................... शासक ने करवाया।
उत्तर – इल्तुतमिश
(ii) नूडल्स ......................... राष्ट्र से पश्चिम देशों में पहुंचे थे।
उत्तर - चीन
(iii) सत्ता की साझेदारी ............................. की आत्मा है।
उत्तर – लोकतंत्र
(iv) भारत में मानव विकास रिपोर्ट ............................. राज्य ने सबसे पहले जारी की थी।
उत्तर – मध्यप्रदेश
(v) छिपी बेरोजगारी ......................................... क्षेत्र में पाई जाती है।
उत्तर - ग्रामीण
(vi) ............................... केन्द्रीय सरकार की तरफ से करेंसी जारी करता है।
उत्तर – रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया
प्रश्न. 3सही जोड़ी बनाइये- (1x6=6)
(अ) (ब)
i. सबसे कम साक्षरता वाला राज्य क. उत्तराखंड
ii. एकात्मक शासन व्यवस्था ख. बिहार
iii. ब्रुसेल्स ग. 1919
iv. रॉलेट एक्ट घ. 1833
v. यंग यूरोप ड. बेल्जियम
vi. टिहरी बाँध च. श्रीलंका
उत्तर - (अ) (ब)
i. सबसे कम साक्षरता वाला राज्य ख. बिहार
ii. एकात्मक शासन व्यवस्था च. श्रीलंका
iii. ब्रुसेल्स ड. बेल्जियम
iv. रॉलेट एक्ट ग. 1919
v. यंग यूरोप घ. 1833
vi. टिहरी बाँध क. उत्तराखंड
प्रश्न 4एक वाक्य / शब्द में उत्तर लिखिये - (1x6=6)
(i) टिहरी बाँध में किसानों द्वारा कौन - सा आंदोलन चलाया गया था?
उत्तर – बीज बचाओ आन्दोलन
(ii) जेसलमेर के खादिन और जोहड़ किस क्षेत्र से संबंधित हैं?
उत्तर – अर्द्ध शुष्क और शुष्क अथवा कम वर्षा वाले क्षेत्र
(iii) सिंधु सभ्यता के दौरान कौड़ियों का क्या उपयोग था?
उत्तर – मुद्रा के रूप उपयोग किया जाता था.
(iv) बेल्जियम में मुख्य रूप से कौन - सी भाषा बोली जाती है?
उत्तर – डच और फ्रेंच
(v) मानव विकास सूचकांक कौन सी संस्था जारी करती है?
उत्तर – यू.एन.डी.पी.
(vi) भारत में करेंसी नोट कौन जारी करता है?
उत्तर – रिज़र्व ऑफ़ इंडिया
प्रश्न. 5सत्य/असत्य की पहचान कीजिये- (1x6=6)
i. भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972में लागू किया है। - सत्य
ii. वियना की संधि 1820में हुई थी। - असत्य
iii. 1859में इंग्लैंड में एमीगेशन एक्ट लाया गया था। - सत्य
iv. 1820के दशक में चीन को बड़ी मात्रा में अफीम निर्यात किया जाता था। - सत्य
v. भारत में एकात्मक शासन व्यवस्था है। - असत्य
vi. देश को सर्वाधिक आय सेवा क्षेत्र से होती है। - सत्य
प्र.6- संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से उत्पन्न होने वाली दो समस्याएं लिखिए। 2
अथवा
संसाधनों के संरक्षण के दो उपाय लिखिए।
उत्तर - संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग से उत्पन्न होने वाली दो समस्याएं निम्नलिखित हैं –
(1) संसाधनों के अधिक उपयोग के कारण संसाधन कम हो गए है।
(2) संसाधनों की कमी के कारण कुछ लोग संसाधन हीन हो गए है तथा कुछ संसाधन युक्त।
(3) संसाधनों के अधिक उपयोग के कारण प्राकृतिक संकट पैदा हो गए है जैसे प्रदूषण, ओजोन परत अवक्षय , भूमि निश्चिकरण आदि।
(4) मानव संसाधनों पर पूरी तरह निर्भर हो गया है जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
(5) संसाधन जैसे धातुएँ जीवाश्म ईंधन इनका उपयोग उपयोग में होता है इनके कमी के कारण पदार्थों की कीमतें बढती जा रही है।
(6) संसाधन के अंधाधुंध उपयोग से सामाजिक रूप से अमीरी और गरीबी का भेद बढ़ता जा रहा है।
अथवा
संसाधनों के संरक्षण के दो उपाय निम्नलिखित हैं –
1. प्राकृतिक संसाधनों का अधिक उपयेाग करना बंद कर देना चाहिए। उपलब्ध संसाधनों को अपव्यय किए बिना समझदारी से उपयोग करने की जरूरत है।
2. वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जंगली जानवरों का शिकार करना बंद कर दिया जाना चाहिए।
3. किसानों को मिश्रित फसल की विधि, उर्वरक, कीटनाशक और फसल चक्र के उपयोग को सिखाया जाना चाहिए। खाद, जैविक उर्वरक इस्तेमाल को उपयोग मे लाने की जरूरत है।
4. वनों की अत्यधिक कटाई को नियंत्रित करना चाहिए।
5. वर्षा के जल की संचयन प्रणाली स्थापित की जानी चाहिए।
6. सौर, जल और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय संसाधनों के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
7. कृषि में इस्तेमाल होने वाले पानी को दोबारा उपयोग में लाने की प्रणाली का पालन करना चाहिए।
8. जीवाश्म ईधन की खपत को कम करना एक अच्छा तरीका है।
9. कागज के उपयोग को सीमित करें और रिसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करें।
10. पुराने लाइट अथवा बल्ब की जगह फ्लोरोसेंट बल्ब या एल0 ई0 डी0 बल्ब का इस्तेमाल करके ऊर्जा की बचत करना, जिससे बिजली बचाई जा सके। इसके अलावा जब आवश्यकता नहीं हो रोशनी के उपकरण और इलेक्ट्रॉनिक आइटम बंद करें।
प्र7- मृदा अपरदन के दो कारणों को लिखिए। 2
अथवा
जलोढ़ मृदा की दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर – मृदा अपरदन के कारण –
1. वनों का उन्मूलन
2. खनन
3. अति पशुचारण
4. अधिक सिंचाई
5. कृषि कार्य
अथवा
जलोढ़ मृदा की दो विशेषताएं –
1. यह मृदा नदियों द्वारा निक्षेप के रूप में बहाकर लाई जाति है.
2. जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए जाते हैं.
3. जलोढ़ मृदा बहुत उपजाऊ होती है.
4. जलोढ़ मृदा में पोटाश, फोस्फोरस और चूना पाया जाता है.
5. पुरानी जलोश मृदा को भांगर कहते हैं.
6. नई जलोढ़ मृदा को खादर कहते हैं.
7. जलोढ़ मृदा में गन्ना, चावल, गेहूं आदि उगाते हैं.
प्र.8-. नवीकरण संसाधन से क्या आशय है? दो उदाहरण लिखिए। 2
अथवा
अनवीकरण संसाधन से क्या आशय है? दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर - नवीकरण संसाधन :- वे संसाधन जिन्हें पुनः उत्पन्न किया जा सकता है ओर ये कभी खत्म नहीं होते। ये संसाधन प्राकृतिक रूप से प्राप्त होते है ।
उदहारण :- सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा , जल , वन व वन्य जीवन।
अथवा
अनवीकरण संसाधन :- वे संसाधन जिन्हें बनने में लाखों - करोड़ों वर्ष लगते है ये दुबारा उत्पन्न नहीं किए जा सकते । कभी भी खत्म हो सकते है ।
उदहारण - धातुएँ तथा जीवाश्म ईंधन (डीजल, पेट्रोल, कोयला आदि)।
प्र.9- समाप्यता के आधार पर संसाधनों के प्रकार लिखिए। 2
अथवा
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों के प्रकार लिखिए।
उत्तर - समाप्यता के आधार पर संसाधनों के दो प्रकार होते हैं :-
(1) नवीकरण योग्य संसाधन:- वे संसाधन जिन्हें पुनः उत्पन्न किया जा सकता है ओर ये कभी खत्म नहीं होते। ये संसाधन प्राकृतिक रूप से प्राप्त होते है । जैसे :- सौर ऊर्जा , पवन ऊर्जा , जल , वन व वन्य जीवन।
(2) अनवीकरण योग्य संसाधन :- वे संसाधन जिन्हें बनने में लाखों - करोड़ों वर्ष लगते है ये दुबारा उत्पन्न नहीं किए जा सकते । कभी भी खत्म हो सकते है जैसे धातुएँ तथा जीवाश्म ईंधन।
अथवा
स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को निम्न प्रकार से वर्गीकृत किया जाता है –
1. व्यक्तिगत संसाधन
2. सामुदायिक स्वामित्व वाले संसाधन
3. राष्ट्रीय संसाधन
4. अन्तराष्ट्रीय संसाधन
प्र.10- केनाल कॉलोनी किसे कहा जाता है? 2
अथवा
असंतुष्ट शब्द से क्या आशय है?
उत्तर – केनाल कॉलोनी – भारत में ब्रिटिश सर्कार ने मरुस्थली परती जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया और इन नहरों की सिंचाई वाले इलाकों में विभिन्न क्षेत्रों से लोगों को लाकर बसाया गया . उनकी इन बस्तियों को केनाल कॉलोनी कहा जाता है.
अथवा
असंतुष्ट शब्द से आशय है कि जो स्थापित विश्वासों और तरीकों को नहीं मानता हो.
प्र.11- अमेरिका के मूल निवासियों के लिए कौन - सी बीमारी जानलेवा साबित हुई थी? 2
अथवा
उन्नीसवीं सदी तक यूरोप में कौन सी समस्याएं आम थीं?
उत्तर - अमेरिका के मूल निवासियों के लिए चेचक नामक बीमारी जानलेवा साबित हुई थी.
अथवा
उन्नीसवी सदी तक यूरोप में निन्मलिखित आम समस्याएं थीं –
1. गरीबी
2. भुखमरी
3. जनसँख्या वृद्धि
4. बीमारियाँ
5. धार्मिक टकराव
प्र.12- श्रम प्रवाह से क्या आशय है? 2
अथवा
पूँजी प्रवाह से क्या आशय है?
उत्तर - श्रम प्रवाह - इसमें लोग काम या रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। जैसे - अमेरिका एवं अफ्रीका में उपनिवेश बनने के बाद भारतीय मजदूरों को अनुबंध व्यवस्था के आधार पर वहां के खेत और उद्योगों में काम करने के लिए भेजा जाता था।
अथवा
पूंजी प्रवाह - इसमें अल्प अथवा लम्बी अवधि के दूर दराज के इलाकों में निवेश के लिए धन लगाना होता है. पूँजी का प्रवाह कहते है। पूंजी के प्रवाह से पूंजीपति खदानों, उद्योगों और बागानों में निवेश करते थे। कुछ प्रमुख भारतीय पूंजीपतियों ने न केवल भारत में बल्कि अफ्रीका और कई यूरोपीय देशों में भी पूंजी का निवेश किया था।
प्र.13- ‘आलू अकाल’ से क्या आशय है? 2
अथवा
व्यापार अधिशेष से क्या आशय है?
उत्तर - आलू की नई फसलों ने यूरोप में गरीबों के जीवन में एक बड़ा बदलाव किया क्योंकि वे बेहतर खाने लगे और लंबे समय तक जीवित रहे। आयरलैंड में सबसे गरीब किसान इतने निर्भर हो गए कि 1840 के दशक के मध्य में जब बीमारी ने आलू की फसल को नष्ट कर दिया, तो हजारों लोग भूख से मर गए। इसे ही आलू कहते हैं।
अथवा
व्यापार अधिशेष के अन्तर्गत निर्यात की कीमत आयात से अधिक होती है। ब्रिटेन में भारत से खनिज सम्पदा और खाद्यान्न भेजा जाता था और उसके बदले में ब्रिटेन के उद्योगों में तैयार माल भारत में आयात होता था उसकी बाजार कीमत भेजे गए माल से कहीं ज्यादा होती थी।
प्र.14- द्वितीयक क्षेत्र में क्या - क्या सम्मिलित है? 2
अथवा
तृतीयक क्षेत्र में क्या - क्या सम्मिलित है?
उत्तर - अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल (Raw Material) की तरह उपयोग करता है द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है। इसके अंतर्गत लौह एवं इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग, वाहन, बिस्किट, केक इत्यादि उद्योग सम्मिलित हैं.
अथवा
तृतीयक क्षेत्रक में विभिन्न प्रकार की सेवाओं का उत्पादन किया जाता है इसके अंतर्गत -बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन इत्यादि सम्मिलित हैं। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।
प्र.15- जन सुविधाओं का क्या अर्थ है? 2
अथवा
संवेतन अवकाश से क्या आशय है?
उत्तर - जनसुविधाओं का संबंध हमारी बुनियादी ज़रूरतों से होता है। भारतीय संविधान में पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि अधिकारों को जीवन के अधिकार का हिस्सा माना गया है। इस प्रकार सरकार की एक अहम ज़िम्मेदारी यह बनती है कि वह प्रत्येक व्यक्ति को पर्याप्त जनसुविधाएं मुहैया करवाए।
अथवा
सवेतन अवकाश का अर्थ है किसी कर्मचारी द्वारा अपने काम से अवकाश अथवा छुट्टी लेने पर भी उसे वेतन का भुगतान किया जाना. जैसे बीमारी के समय, साप्ताहिक अवकाश के समय, अन्य जरुरत के समय छुट्टी लेने पर वेतन नहीं कटा जाता है. तो इसे समवेतान अवकाश कहते हैं।
प्र.16- मनरेगा के प्रमुख प्रावधानों को लिखिए। 2
अथवा
मनरेगा को 100दिन रोजगार योजना क्यों कहा जाता है?
उत्तर – मनरेगा के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित हैं –
1. इसके अंतर्गत उन सभी लोगों को काम दिया जाना है जो काम करने में सक्षम हैं और काम की जरूरत है।
2. इसके अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 100 दिन का रोजगार एक वर्ष में उपलब्ध कराया जाता है।
3. रोजगार उपलब्ध न करा पाने की स्थिति में आवेदक को बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है।
4. इसके अंतर्गत उन कामों को महत्ता दी जाति है जिनसे भूमि का उत्पादन बढ़े।
अथवा
मनरेगा द्वारा एक परिवार को एक वर्ष में 100 दिन का रोजागर उपलब्ध करने की गारंटी दी जाती है इसलिए इसे 100दिन रोजगार योजना कहा जाता है।
प्र.17- असंगठित क्षेत्र में मजदूरों के सामने आने वाली कठिनाइयों को लिखिए।(कोई दो) 2
अथवा
संगठित क्षेत्र को लोक कल्याणकारी क्यों कहा जाता है? दो कारण लिखिए।
उत्तर - असंगठित क्षेत्र में मजदूरों के सामने आने वाली कठिनाइयों निम्नलिखित हैं -
1. काम के घंटों की कोई निश्चित संख्या नहीं है। श्रमिक आमतौर पर बिना ओवरटाइम के 10-12 घंटे काम करते हैं।
2. उन्हें दैनिक वेतन के अलावा अन्य भत्ते नहीं मिलते हैं।
3. वहां मजदूरों की सुरक्षा के लिए सरकारी नियमों और विनियमों का पालन नहीं किया जाता है।
4. नौकरी की सुरक्षा नहीं है।
5. नौकरियां कम वेतन वाली हैं इस क्षेत्र के श्रमिक आम तौर पर अनपढ़, अज्ञानी और असंगठित होते हैं। इसलिए वे सौदेबाजी या अच्छी मजदूरी हासिल करने की स्थिति में नहीं हैं।
6. बहुत गरीब होने के कारण वे हमेशा कर्ज में डूबे रहते हैं। इसलिए, उन्हें कम मजदूरी स्वीकार करने के लिए आसानी से तैयार किया जा सकता है।
अथवा
संगठित क्षेत्र को लोक कल्याणकारी कहा जाता है इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं –
1. संगठित क्षेत्र की गतिविधियों में उन क्षेत्रों को शामिल किया जाता हैं जहाँ रोज़गार की अवधि नियमित होती है।
2. ये क्षेत्र सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा इन्हें विभिन्न सरकारी नियमो एवं विनियमो जैसे- न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, कारख़ाना अधिनियम आदि उल्लेखित होते हैं।
3. संगठित क्षेत्र में श्रमिक प्रतिदिन निश्चित घंटों के लिए कार्य करते हैं। अतिरिक्त घंटों के मामले में उन्हें उनके काम के अनुसार अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।
4. वेतन मासिक आधार पर वितरित किया जाता है, आमतौर पर हर महीने के एक निश्चित दिन पर अथवा कोई साप्ताहिक अवकाश लेने पर किसी प्रकार की कटौती नहीं।
5. नियुक्ति के समय एक नियुक्ति पत्र दिया जाता है जिसमें काम और कंपनी के सभी नियम और शर्तें बताई जाती हैं।
6. भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, चिकित्सा लाभ और बहुत कुछ सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।
प्र.18-जैव विविधता को प्रभावित करने वाले कोई तीन कारक लिखिए। 3
अथवा
पारिस्थितिकी क्षेत्र क्या है? वन पारिस्थितिकी तंत्र की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर - जैव विविधता को प्रभावित करने वाले तीन कारक निम्नलिखित हैं –
1. जंगलों का विनाश
2. शिकार करना
3. वन औषधियों का दोहन
4. वन क्षेत्र में कमी
5. पर्यावरण प्रदुषण
6. ग्लोबल वार्मिंग
7. वनों में आग लगना
8. लोगों का जागरूक न होना
अथवा
पारिस्थितिक या पारितंत्र (Eco system):- यह वह तंत्र है जिसमें समस्त जीवधारी आपस में एक दूसरे के साथ तथा पर्यावरण के उन भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ परस्पर क्रिया करते हैं, जिसमें वे निवास करते हैं यह सभी ऊर्जा एवं पदार्थ के स्थानांतरण द्वारा संबंध होते हैं एक छोटा तालाब या कुआं से लेकर पूरा पृथ्वी पारितंत्र हो सकता है।
वन पारिस्थितिकी तंत्र की उपयोगिता – मानव, दूसरे जीवधारी तथा पेड़-पौधे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। वायु, जल, अनाज के बिना व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता तथा पौधे, पशु और सूक्ष्मजीवी इनका पुनः सजन करते हैं। वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं क्योंकि ये प्राथमिक उत्पादक हैं जिन पर दूसरे सभी जीव निर्भर करते हैं।
प्र.19- एकात्मक शासन प्रणाली के तीन दोष लिखिए। 3
अथवा
त्रिस्तरीय पंचायती राज्य व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- एकात्मक शासन व्यवस्था के निम्नलिखित दोष हैं--
1. स्थानीय समस्याओं के हल के लिये यह प्रणाली उपयुक्त नही है
बड़े-बड़े राज्यों मे स्थानीय शासन की स्वायत्तता और भी आवश्यक होती है। इनमे दूरस्थ केन्द्र से निर्णय आसानी से लागू नही किये जा सकते।
2. निरंकुशता की सम्भावना
एकात्मक शासन प्रणाली मे शक्तियों का केन्द्रीयकरण होने से निरंकुशता की सम्भावना रहती है।
3. केन्द्र सरकार का अत्यधिक कार्यभार
एकात्मक शासन प्रणाली मे केन्द्र सरकार का कार्यभार बहुत अधिक बढ़ जाता है। केन्द्र सरकार सम्पूर्ण कार्यभार को नही संभाल पाती।
4. लोकतंत्र के सिद्धांत के अनुरूप नही
एकात्मक शासन प्रणाली लोकतंत्र के सिद्धांत के अधिक अनुरूप नही होती, क्योंकि इसमे सत्ता का केन्द्रीयकरण होता है।
5. बड़े देशों के लिए अनुपयुक्त
एकात्मक शासन व्यवस्था बड़े देशों के लिए अनुपयुक्त रहती है। बड़े देशों की क्षेत्रीय समस्याओं का समाधान सदैव केन्द्रीय स्तर पर ही नही होता, उनकी समस्याओं की प्रकृति सदैव सम्पूर्ण राज्य तक फैली हुई नही होती। अनेक जाति, धर्म, भाषा, संस्कृति के लोग अनेक विविधताओं से युक्त रहते है। उनके लिए समाधान भी उसी स्तर के अपेक्षित है। विशाल क्षेत्रफल वाले राज्यों के शासन का संचालन एक ही केन्द्र से नही किया जा सकता। स्थानीय हितों की रक्षा स्थानीय स्तर पर ही की जा सकती है।
अथवा
त्रिस्तरीय पंचायती राज्य व्यवस्था पर टिप्पणी –
गाँवों के स्तर पर मौजूद स्थानीय शासन व्यवस्था को पंचायतीराज के नाम से जाना जाता है. यह व्यवस्था तीन स्तर की होती है.
1. जिला पंचायत
2. जनपद पंचायत
3. ग्राम पंचायत
प्रत्येक गाँव में एक ग्राम पंचायत होती है. यह एक परिषद् की तरह कार्य करती है जिसके अध्यक्ष को सरपंच कहते हैं जो कि निर्वाचन के माध्यम से चुना जाता है. इसी प्रकार कुछ ग्राम पंचायतों को मिलकर एक जनपद पंचायत बनी होती है और त्रि स्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था की सबसे उपरी इकाई को जिला पंचायत कहते हैं. किसी जिले की जिला पंचायत समिति का गठन निर्वाचित जिला पंचायत सदस्यों के साथ साथ उस जिला पंचायत क्षेत्र के सांसद (लोकसभा या राज्य सभा) विधायक तथा जिला स्तर के कुछ अधिकारी के साथ मिलकर होता है.
प्र.20- ऋणों की तीन शर्तों को लिखिए। 3
अथवा
आवश्यकता के दोहरे संयोग को समझाइए।
उत्तर – ऋणों की तीन शर्तें निम्लिखित हैं -
1. ब्याज की दर
2. समर्थक ऋणाधार
3. आवश्यक कागजात
4. भुगतान के तरीके
5. विभिन्न ऋण व्यवस्थाओं में ऋण की शर्ते अलग-अलग है।
अथवा
जब वस्तु-विनिमय के अंतर्गत दो व्यक्तियों की पारस्परिक आवश्यकताओं में समानता हो तब इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहा जाता है | जैसे किसी व्यक्ति को एक किलो गुड़ देकर पाँच किलो अनाज खरीदना है और उसे बाजार में ऐसा व्यक्ति मिल जाए जो पाँच किलो अनाज के बदले एक किलो गुड़ क्रय करने को तैयार हो | तो इसे आवश्यकताओं का दोहरा संयोग कहते हैं|
प्र.21- महात्मा गाँधी के अनुसार सामाजिक अपंगता केवल राजनीतिक सशक्तिकरण से ही दूर हो सकती है। स्पष्ट कीजिए। 4
अथवा
सविनय अवज्ञा आंदोलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर- भारत की आज़ादी की लड़ाई में गांधी जी सभी वर्गों का शामिल करवाना चाहते थे किन्तु भारत के सभी सामाजिक समूह स्वराज की अमूर्त अवधारणा से प्रभावित नहीं थे. भारत में एक समूह अछूतों का था जो कि 1930 के बाद खुद को दलित अथवा उत्पीडित कहने लगे थे. इन दलितों को समाज की मुख्य धारा में लाकर राष्ट्रिय आन्दोलन का हिस्सा बनाने के लिए गांधीजी ने ऐलान किया कि अस्पृश्यता को खत्म किये बिना सौ साल तक भी स्वराज की स्थापना नहीं की जा सकती है.उन्होंने अछोतों को हरिजन की संज्ञा दी. लेकिन गांधीजी के प्रयासों से इतर भी दलित लोग अपने समुदाय की समस्याओ के लिए राजनितिक हल तलाशने लगे. वे शिक्षा संस्थानों और विधायिकाओ में खुद के आरक्षण की मांग करने लगे. ताकि कानून बनाने वाली संस्थाओ का हिस्सा बनकर वे अपने समुदाय की समस्याओं का समाधान करवा सकें. अतः स्पष्ट है कि सामाजिक अपंगता केवल राजनितिक सशक्तिकरण से ही दूर हो सकती है.
अथवा
नेहरू रिपोर्ट में भारत के लिए औपनिवेशिक स्वराज की बात कही गई और चेतावनी दी गई कि एक वर्ष के अंदर मांग नहीं मानी गई तो कांग्रेस पूर्ण स्वराज की मांग प्रस्तुत करेगी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया तो 1929 ई. में लाहौर के काँग्रेस अधिवेशन में काँग्रेस कार्यकारणी ने गाँधीजी को यह अधिकार दिया कि पूर्ण स्वराज के लक्ष्य के साथ वह सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करें। तद्नुसार 1930 में साबरमती आश्रम में कांग्रेस कार्यकारणी की बैठक हुई। इसमें एक बार पुनः यह सुनिश्चित किया गया कि गाँधीजी जब चाहें जैसे चाहें सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करें।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण
1.साइमन कमीशन के बहिष्कार आंदोलन के दौरान जनता के उत्साह को देखकर यह लगने लगा अब एक आंदोलन आवश्यक है।
2.सरकार ने मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी इससे असंतोष व्याप्त था।
3.चौरी-चौरा कांड (1922) को एकाएक रोकने से निराशा फैली थी, उस निराशा को दूर करने भी यह आंदोलन आवश्यक प्रतीत हो रहा था।
4.1929 की आर्थिक मंदी भी एक कारण थी।
5.क्रांतिकारी आंदोलन को देखते हुए गांधीजी को डर था कि कहीं समस्त देश हिंसक आंदोलन की ओर न बढ़ जाए, अतः उन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाना आवश्यक समझा।
6.देश में साम्प्रदायिकता की आग भी फैल रही थी इसे रोकने भी आंदोलन आवश्यक था।
30 जनवरी, 1930 ई. को गाँधीजी ने अपने पत्र ‘यंग इण्डिया’ में वायसराय के सम्मुख ग्यारह माँगे रखीं और शासन को चेतावनी दी, कि यदि वह माँगें नहीं मानता है तो उसे एक सशक्त आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए । अंग्रेज सरकार द्वारा कोई ध्यान नही देने पर आंदोलन आरंभ करने का तय हुआ और मुख्य लक्ष्य नमक कर को समाप्त करना रखा गया।
आंदोलन प्रारम्भ होना-
12 मार्च, 1930 ई. को गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के उद्देश्य से अपने चुने हुए 78 साथियों को लेकर गुजरात के समुद्र तट पर स्थित दाण्डी नामक गांव को प्रस्थान किया और 6 अप्रैल को उन्होंने दाण्डी समुद्र तट पर स्वयं नमक कानून का उललंघन कर सत्याग्रह का श्रीगणेश किया । जगह-जगह सार्वजनिक सभाएं हुई ।
सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों ने अपनी नौकरियां छोड़ दीं, अनेक विधायकों ने कौंसिलों से त्याग पत्र दे दिये । महिलाओं ने शराब और अफीम की दुकानों पर धरने दिये तथा उनके गुण्डों की मार सही । विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई । नवयुवकों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों को त्याग कर राष्ट्रीय शिक्षा को अपनाया । कहीं-कहीं किसानों ने लगान देना बंद कर दिया । बम्बई में अंग्रेज व्यापारियों की मिलें बंद हो गई ।
गांधीजी के आव्हान पर लोगों ने जाति-भेद व छुआछूत को समाज से समाप्त कर देने का बीड़ा उठाया । समस्त सरकारी कार्य ठप्प हो गये । जून, 1930 ई. तक सारा देश विद्रोह के पथ पर चलता हुआ दिखाई दे रहा था ।
सरकार का दमन-चक्र-
सरकार ने देशव्यापी आन्दोलन के दमन के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी । कांग्रेस गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दी गई । 5 मई को सरकार ने गांधीजी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉं. राजेन्द्र प्रसाद आदि नेताओं सहित हजारों लोगों को बन्दी बना लिया ।
गांधी-इरविन समझौता-
जब सरकार सख्ती से आंदोलन का दमन नहीं कर पायी तो उसने समझौते के लिए हाथ बढ़ाया । तेज बहादुर सप्रू और डॉं. जयकर आदि ने समझौते का प्रयत्न किया । अतः जनवरी, 1931 ई. में गांधीजी और कुछ मान्य नेताओं को कारावास से मुक्त कर दिया गया । इसी वर्ष 5 मार्च को ‘गांधी-इरविन समझौतैता’ हुआ जिसके अन्तर्गत आंदोलन समाप्त कर दिया गया ।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का महत्व
सविनय अवज्ञा आंदोलन के अत्यन्त व्यापक व दूरगामी प्रभाव हुए जो हैं-
1.इस आंदोलन में पहली बार बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया, जिसमें मजदूर व किसानों से लेकर उच्चवर्गीय लोग तक थे ।
2.इस आंदोलन में करबन्दी को प्रोत्साहन दिये जाने के फलस्वरूप किसानों में भी राजनीतिक चेतना एवं अधिकारों की मांग के लिए संघर्ष करने की क्षमता का विकास हुआ ।
3.इस आंदोलन के फलस्वरूप जनता में निर्भयता, स्वावलंबन और बलिदान के गुण उत्पन्न हो गये जो स्वतंत्रता की नींव हैं ।
4.जनता ने अब समझ लिया कि युगों से देश के दुःखों के निवारण के लिए दूसरों का मुख ताकना एक भ्रम था, अब अंग्रेजों के वायदों और सद्भावना में भारतीय जनता का विश्वास नहीं रहा। अब जनता के सारे वर्ग स्वतंत्रता चाहने लगे थे ।
इस आंदोलन में कांग्रेस की कमजोरियों को भी स्पष्ट कर दिया । कांग्रेस के पास भविष्य के लिये आर्थिक, सामाजिक कार्यक्रम न होने के कारण वह भारतीय जनता में व्याप्त रोष का पूर्णतया उपयोग न सकी ।
प्र.22-भारत छोड़ो आंदोलन की व्याख्या कीजिए। 4
अथवा
साइमन कमीशन किस प्रकार भारतीयों के लिए अहितकर था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - भारत छोड़ो आंदोलन - क्रिप्स मिशन की असफलता एवं द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभावों ने भारत में व्यापक असंतोष को जन्म दिया। इसके फलस्वरूप गांधी जी ने एक आंदोलन शुरू किया, जिसमें उन्होंने अंग्रेजों के पूरी तरह से भारत छोड़ने पर ज़ोर दिया। वर्धा में । 4 जुलाई 1942 को अपनी कार्यकारिणी में कांग्रेस कार्य समिति ने ऐतिहासिक “भारत छोड़ो’ प्रस्ताव पारित किया, जिसमें सत्ता का भारतीयों को तत्काल हस्तांतरण एवं भारत छोड़ने की मांग की गई। 8 अगस्त 1942 को बंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जिसमें पूरे देश में व्यापक पैमाने पर एक अंहिसक जन संघर्ष का आहवान किया गया। इसी अवसर पर गांधी जी ने प्रसिद्ध “करो या मरो’ भाषण दिया था। ’भारत छोड़ो’ के इस आहवान ने देश के अधिकतर हिस्सों में राज्य
व्यवस्था को ठप्प कर दिया, लोग स्वतः ही आन्दोलन में कूद पडे। लोगों ने हड़तालें की और राष्ट्रीय गीतों एवं नारों के साथ प्रदर्शन किए एवं जुलूस निकाले। यह आंदोलन वास्तव में एक जन आन्दोलन था जिसमें छात्र, मजदूर और किसान जैसे हजारों साधारण लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें नेताओं की सक्रिय भागीदारी भी देखी गई जिनमें जयप्रकाश नारायण, अरूणा आसफ अली एवं राम मनोहर लोहिया और बहुत सारी महिलाएं जैसे बंगाल से मातांगिनी हाजरा, असम से कनकलता बरूआ और उड़ीसा से रमा देवी थी। अंग्रेजों द्वारा अत्यधिक बल प्रयोग के बावजूद इसे दबाने में एक वर्ष से अधिक समय लग गया।
अथवा
1919 एक्ट के तहत यह निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक 10 साल बाद सुधारों का मूल्यांकन किया जाएगा इसी के लिए इंग्लैंड की टोरी सरकार ने भारत में कमीशन भेजा जिसका नाम साइमन कमीशन था 1928 में जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग भारत आया इस कमीशन का उद्देश भारतीयों के हितों का देखभाल करना था जबकि इसमें एक भी भारतीय नहीं था इसलिए भारतीय ने इस मिशन का बहिष्कार किया और साइमन गो बैक के नारे लगाए जब आयोग लाहौर पहुंचा तो लाला लाजपत राय प्रदर्शन कर रहे थे पुलिस के लाठीचार्ज में लाला लाजपत राय घायल हो गए और उनकी मृत्यु हो गई।
इस प्रकार से यह स्पष्ट है कि हम भारतीयों की हित की बात करने वाले आयोग में एक भी भारतीय का नहीं होना ही सबसे बड़ा अहित था.
प्र.23-भारत के सीमाकार मानचित्र में निम्नलिखित को अंकित कीजिए। 4
i. मलाजखंड ii. राणाप्रताप सागर iii. बैलाडीला iv. कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान
अथवा
i. खेतड़ी ii. टिहरी बाँध iii. पेरियार राष्ट्रीय उद्यान iv. मयूरभंज
उत्तर –
धन्यवाद
आप सफल हों