संसद को बजट पेश करते समय भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कौन करता है?
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Answer (Detailed Solution Below)Option 2 : वित्त मंत्री Free UPSC Civil Service Prelims General Studies Mock Test 100 Questions 200 Marks 120 Mins सही उत्तर वित्त मंत्री है। Key Points
Last updated on Oct 12, 2022 OPSC OAS Prelims Result Out on 8th December 2022. This is for the Prelims examination of the advt no 25 of 2021-22. The candidates who have cleared the Prelims are eligible to appear for the next stage which is the mains exam. The mains exam is tentatively scheduled in February 2023. The prelims exam was held on 16th October 2022. The prelims exam comprised of Paper 1 (GS) from 10 am to 12 noon for 100 questions and Paper 2 (GS) will be conducted from 1:30 pm to 3:30 pm for 80 questions. The overall selection process for OPSC OAS will include Prelims, Mains, and Interview. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है[1], जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है, जिसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के पहले कार्य-दिवस को भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। से पहले इसे फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस को पेश किया जाता था। भारत के वित्तीय वर्ष की शुरूआत, अर्थात 1 अप्रैल से इसे लागू करने से पहले बजट को सदन द्वारा पारित करना आवश्यक होता है। पूर्व वित्त मंत्री मोरारजी देसाई ने अभी तक सबसे ज्यादा 10 बार बजट प्रस्तुत किया है।[2] कालक्रम[संपादित करें]उदारीकरण-पूर्व[संपादित करें]भारत के प्रधानमंत्री, डॉ॰ मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को उदार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. स्वतंत्र भारत का प्रथम केन्द्रीय बजट 26 नवम्बर 1947 को आर.के. शनमुखम चेट्टी द्वारा प्रस्तुत किया गया था।[2] 1962-63 के अंतरिम बजट के साथ 1959-60 से 1963-64 के वित्तीय वर्ष के लिए केंद्रीय बजट को मोरारजी देसाई द्वारा प्रस्तुत किया गया।[2] 1964 और 1968 में फरवरी 29 को वे अपने जन्मदिन पर केंद्रीय बजट पेश करने वाले एकमात्र वित्त मंत्री बने। [3] देसाई द्वारा प्रस्तुत बजट में पांच वार्षिक बजट शामिल हैं, अपने पहले कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और दूसरे कार्यकाल के दौरान एक अंतरिम बजट और तीन अंतिम बजट प्रस्तुत किया, इस समय वे वित्त मंत्री और भारत के उप-प्रधानमंत्री दोनों थे।[2] देसाई के इस्तीफा देने के बाद, उस समय की भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वित्त मंत्रालय के पदभार को संभाल लिया और साथ ही वित्त मंत्री के पद को हासिल करने वाली एकमात्र महिला भी बन गई।[2] वित्त पोर्टफोलियो को हासिल करने वाले राज्य सभा के पहले सदस्य प्रणव मुखर्जी ने 1982-83, 1983-84 और 1984-85 के वार्षिक बजट को प्रस्तुत किया।[2] वी.पी. सिंह के सरकार छोड़ने के बाद 1987-89 के बजट को राजीव गांधी ने प्रस्तुत किया और मां और दादा के बाद बजट प्रस्तुत करने वाले वे एकमात्र तीसरे प्रधानमंत्री बने। [2] एन.डी. तिवारी ने वर्ष 1988-89 के लिए बजट प्रस्तुत किया, 1989-90 के लिए एस.बी. चव्हाण, जबकि मधु दंडवते ने 1990-91 के लिए केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया।[2] डॉ॰ मनमोहन सिंह भारत के वित्त मंत्री बने लेकिन चुनाव की विवशता वश उन्होंने 1991-92 के लिए अंतरिम बजट ही प्रस्तुत किया।[2] राजनीतिक घटनाक्रम के कारण, प्रारम्भिक चुनाव को मई 1991 में आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने राजनीतिक सत्ता को पुनः प्राप्त किया और वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने 1991-92 के लिए बजट प्रस्तुत किया।[2] उदारीकरण-पश्चात[संपादित करें]मनमोहन सिंह ने अपने अगले बजट 1992-93 में अर्थव्यवस्था को मुक्त कर दिया[4], विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और आयात कर को कम करते हुए 300 से अधिक प्रतिशत से 50 प्रतिशत तक किया।[2] 1996 में चुनाव के बाद, एक गैर-कांग्रेसी मंत्रालय ने पद ग्रहण किया। इसलिए 1996-97 के अंतिम बजट को पी. चिदम्बरम द्वारा प्रस्तुत किया गया जो उस समय तमिल मानिला कांग्रेस से संबंधित थे।[2] एक संवैधानिक संकट के बाद जब आई. के. गुजराल का मंत्रालय समाप्त हो रहा था तब चिदंबरम के 1997-98 बजट को पारित करने के लिए संसद की एक विशेष सत्र बुलाई गई थी। इस बजट को बिना बहस के ही पारित किया गया था।[2] मार्च 1998 के सामान्य चुनाव के बाद जिसमें भारतीय जनता पार्टी केंद्रीय सरकार का गठन करने वाली थी, तब इस सरकार के वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने 1998-99 के अंतरिम और अंतिम बजट को प्रस्तुत किया।[2] 1999 के सामान्य चुनाव के बाद, सिन्हा एक बार फिर वित्त मंत्री बने और वर्ष 1999-2000 से 2002-2003 तक चार वार्षिक बजट प्रस्तुत किया।[2] मई 2004 में चुनाव होने के कारण अंतरिम बजट को जसवंत सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया।[2] बजट घोषणा का समय[संपादित करें]वर्ष 2000 तक, केंद्रीय बजट को फरवरी महीने के अंतिम कार्य-दिवस को शाम 5 बजे घोषित किया जाता था। यह अभ्यास औपनिवेशिक काल से विरासत में मिला था जब ब्रिटिश संसद दोपहर में बजट पारित करती थी जिसके बाद भारत ने इसे शाम को करना आरम्भ किया। अटल बिहारी बाजपेयी की एनडीए सरकार (बीजेपी द्वारा नेतृत्व) के तत्कालीन वित्त मंत्री श्री यशवंत सिन्हा थे, जिन्होंने परम्परा को तोड़ते हुए 2001 के केंद्रीय बजट के समय को बदलते हुए प्रातः 11 बजे घोषित किया।[5]. इन्हें भी देंखे[संपादित करें]
सन्दर्भ[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
साँचा:Union budget of India भारत की संसद में बजट कौन पेश करता है?वित्त मंत्री पहले निचले सदन (लोकसभा) से पहले बजट पेश करता है और अपना 'बजट भाषण' देता है। इसे दो या अधिक भागों में सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है और प्रस्तुति के दिन कोई चर्चा नहीं होती है। लोकसभा के बाद, बजट उच्च सदन (राज्य सभा) के समक्ष रखा जाता है।
बजट तैयार कौन करता है?कौन तैयार करता है बजट? सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि देश का बजट कई विभागों के आपसी विचार-विमर्श के बाद तैयार होता है, जिसमें वित्त मंत्रालय, नीति आयोग और कई अन्य मंत्रालय हिस्सा लेते हैं. बजट की तैयारी की प्रक्रिया में फाइनेंस मिनिस्ट्री खर्च के आधार पर दिशा निर्देश जारी करता है.
आम बजट का मतलब क्या होता है?आम बजट एक वित्त वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च तक) की अवधि के दौरान सरकार की प्राप्तियां तथा व्यय के अनुमानों का विवरण होता है। बजट के मुख्यतः दो भाग होते हैं, आय और व्यय। सरकार की समस्त प्राप्तियों और राजस्व को आय कहा जाता है तथा सरकार के सभी खर्चों को व्यय कहा जाता है।
भारत में संसद में बजट कब पेश किया जाता है?भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में भारत के केन्द्रीय बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण के रूप में निर्दिष्ट किया गया है, जो कि भारतीय गणराज्य का वार्षिक बजट होता है, जिसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के पहले कार्य-दिवस को भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है।
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