वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द के पहले लगकर नये शब्द का निर्माण करते है, उन्हें उपसर्ग कहते है। स्वतंत्र रुप से इनका कोई अर्थ नहीं होता लेकिन किसी अन्य शब्द के साथ जुडकर ये अर्थ में विशेष परिवर्तन ला देते है। Show संस्कृत में 22 उपसर्ग होते है।
“उपस्रज्यन्ते धतुनाम् समीपे क्रियन्ते इत्युपसर्गा” अर्थात जो धातुओ के समीप रखे जाते है उपसर्ग कहलाते हैं। परंतु उपसर्गों से केवल क्रियाओ का ही निर्माण नही होता, इससे अन्य शब्दो का निर्माण भी होता है जैसे – प्र + ह्र(धातु) = प्रहरती (पीटता है), प्र + कार:(संज्ञा) = प्रकार: (भेद)। उपसर्गों का
प्रयोग होने से मूल शब्द के अर्थ मे परिवर्तन हो जाता है । संस्कृत में बाइस (22) उपसर्ग हैं। प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, वि, आ (आङ्), नि, अधि, अपि, अति, सु, उत् /उद्, अभि, प्रति, परि तथा उप। नीचे दी गई तालिका में संस्कृत के बाईस उपसर्ग और उनसे बनने बाले शब्द दिए गए हैं। उपसर्ग से शब्द निम्न हैं:-
उपर्युक्त तालिका (table) में कोष्ठक (bracket) में लिखे गए शब्द संबंधित उपसर्ग से बनने बाले शब्दों के अर्थ एवं प्रकार को व्यक्त करते हैं। किसी-किसी उपसर्ग से बनने बाले शब्दों में एक से अधिक अर्थ व्यक्त करने वाले शब्दों को लिखा गया है। कुछ शब्दों के पूर्व एक से अधिक उपसर्ग भी लग सकते हैं। जैसे –
हिन्दी के उपसर्ग
संस्कृत के उपसर्ग कितने हैं?संस्कृत में 22 उपसर्ग होते है। अति अधिक/परे अत्यन्त, अतीव, अतीन्द्रिय, अत्यधिक, अत्युत्तम।
संस्कृत में उपसर्ग कौन कौन से हैं?उपसर्ग संख्या में २२ हैं, जो अग्रलिखित हैं – प्र, परा, अप, सम्, अनु, अव, निस्, निर्, दुस्, दुर्, वि, आङ्, नि, अधि, अपि, अति, सु, उत्, अभि, प्रति, परि तथा उप।
उपसर्ग कितने होते हैं हिंदी में?१. संस्कृत के उपसर्ग या तत्सम उपसर्ग- इनकी संख्या २२ है। २. हिन्दी के उपसर्ग या तद्भव उपसर्ग- इनकी संख्या १० है।
19 में कौन सा उपसर्ग है?सही उत्तर 'उन' है। 'उन्नीस' शब्द 'उन' उपसर्ग से बना है। 'उन' उपसर्ग से बनने वाले अन्य शब्द - उनसठ, उनतीस, उनचालीस, उन्नासी आदि।
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