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घर्षणरहित फर्श पर स्प्रिंग से जुड़े द्रव्यमान की गति 'सरल आवर्त गति' है। भौतिकी में सरल आवर्त गति (simple harmonic motion / SHM) उस गति को कहते हैं जिसमें वस्तु जिस बल के अन्तर्गत गति करती है उसकी दिशा सदा विस्थापन के विपरीत एवं परिमाण विस्थापन के समानुपाती होता है। उदाहरण - किसी स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान की गति, किसी सरल लोलक की गति, किसी घर्षणरहित क्षैतिज तल पर किसी स्प्रिंग से बंधे द्रव्यमान की गति आदि। विशेषताएँ[संपादित करें]
यदि माध्य स्थिति को शून्य विस्थापन माना जाय तो वस्तु का विस्थापन x किसी समय t पर निम्नलिखित समीकरण से व्यक्त किया जा सकता है- जहाँ A आयाम (amplitude), f अवृत्ति (frequency) और φ कला है। सरल आवर्त गति में गतिमान पिण्ड की आवृत्ति सम्बन्धित निकाय के मूल गुणों (intrinsic properties) पर निर्भर करता है (प्राय: पिण्ड का द्रव्यमान एवं बल नियतांक पर) जबकि आयाम एवं कला आरम्भिक दशाओं (initial conditions) पर निर्भर करती है। महत्व[संपादित करें]विभिन्न प्रकार की गतियों (जैसे किसी स्प्रिंग से लटके द्रव्यमान का कम्पन) को सरल आवर्त गति के रूप में मॉडल किया जा सकता है। अन्य बहुत सी घटनाओं को सरल आवर्त गति के रूप में सरलीकृत किया जा सकता है। सरल आवर्त गति एक आधार देती है जिसके सहारे इससे भी अधिक जटिल गतियों को फुरिअर विश्लेषण की सहायता से निरूपित किया जा सके। सरल आवर्त गति का विश्लेषण[संपादित करें]एकविमीय सरल आवर्त गति के लिये गति का समीकरण न्यूटन के द्वितीय नियम तथा हुक के नियम की सहायता से निकाला जा सकता है। यह समीकरण द्वितीय कोटि वाला, नियत गुणाकों वाला, साधारण अवकल समीकरण है। जहाँ
अतः, उपरोक्त अवकल समीकरण को हल करने पर इसका हल एक साईन वेव फलन मिलता है जो निम्नलिखित है- where इस हल में, c1 और c2 दो नियतांक हैं जिनके मान तंत्र की आरम्भिक स्थिति से निर्धारित होंगे। इसके अलावा मध्यमान स्थिति को ही मूल बिन्दु (ओरिजिन) मान लिया गया है। इन दोनों नियतांकों का भौतिक अर्थ भी है: A आयाम है और ω = 2πf कोणीय आवृत्ति (angular frequency) है तथा φ कला है।
त्वरण का मान विस्थापन के फलन के रूप में भी व्यक्त किया जा सकता है: चूंकि ω = 2πf, और T = 1/f जहाँ T आवर्तकाल है, इन समीकरणों को देखने से स्पष्ट है कि आवृत्ति और आवर्तकाल पिण्ड के आरम्भिक कला तथा आयाम पर निर्भर नहीं हैं। सरल आवर्त गति में ऊर्जा[संपादित करें]सरल आवर्त गति में तंत्र की कुल यांत्रिक ऊर्जा सदैव नियत रहती है। समय t पर तंत्र की गतिज ऊर्जा K का मान तथा, स्थितिज ऊर्जा का मान इस प्रकार कुल यंत्रिक ऊर्जा का मान जो x या t से स्वतंत्र है, अर्थात् इन पर निर्भर नहीं करता। इन्हें भी देखें[संपादित करें]
बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]
सरल आवर्त गति से आप क्या समझते हैं?(i) सरल आवर्त गति (simple harmonic motion): यदि कोई वस्तु एक सरक रेखा परमध्यमान स्थिति (mean position) के इधर-उधर इस प्रकार की गति करे कि वस्तु का त्वरण मध्यमान स्थिति से वस्तु के विस्थापन के अनुक्रमानुपाती हो तथा त्वरण की दिशा मध्यमान स्थिति की ओर हो, तो उसके गति सरल आवर्त कहलाती है.
सरल आवर्त गति से आप क्या समझते हैं सरल लोलक का आवर्तकाल के लिए व्यंजक प्राप्त कीजिए?यहाँ वस्तु किसी माध्य स्थिति के इधर-उधर गति करती है । दीवार-घड़ी का लोलक भी इसी प्रकार की गति करता है ।
आवर्त गति से आप क्या समझते हैं उदाहरण सहित समझाइए?आवर्त गति, भौतिकी में, गति समान समय अंतराल में दोहराई जाती है । आवधिक गति का प्रदर्शन किया जाता है, उदाहरण के लिए, एक रॉकिंग चेयर, एक उछलती हुई गेंद, एक कंपन ट्यूनिंग कांटा, गति में एक झूला, सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में पृथ्वी और एक पानी की लहर।
सरल आवर्त गति का विस्थापन समीकरण क्या है?बिंदु `P(a,b)` सरल रेखा `3x+2y=13` पर तथा बिंदु `Q(b,a)`सरल रेखा `4x-y=5` पर स्थित है तो रेखा PQ का समीकरण ज्ञात कीजिए। उस सरल रेखा का समीकरण ज्ञात कीजिए जो रेखाओ `x=-3` तथा `x=5` से समान दूरी पर है ।
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