समाज में संघर्ष के महत्व का वर्णन कीजिए - samaaj mein sangharsh ke mahatv ka varnan keejie

पिछले लेख मे हम संघर्ष क्या है? संघर्ष की परिभाषा, विशेषताएं और संघर्ष के प्रकार जान चुके है, यहाँ इस पेज पर हम संघर्ष के कारण जानने।

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संघर्ष के कारण (sangharsh ke karan)

1. व्यक्तिगत भिन्नताएं
समाज मे व्यक्तियों के मध्य भिन्नता पाई जाती है। शारीरिक लक्षण, बुद्धि अभिरूचि, मूल्य, प्रसामान्यक, जीवन लक्ष्य आदि संबंधित भिन्नताएं संघर्ष का कारण बन जाती है।
2. सांस्कृतिक भिन्नताएं
संस्कृति सीखा हुआ व्यवहार है। संस्कृतियों के ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, प्रथा, धर्म, रूढ़ियों, लोक-रीतियां, भाषा इत्यादि मैं अंतर पाया जाता है, जो कि संघर्ष का एक कारण हैं।
3.परस्पर विरोधी संघर्ष 
समाज मे जब परस्पर विरोधी स्वार्थ वाले समूह एक साथ काम करते है तब उनमे संघर्ष की स्थितियां स्वयमेव निर्मित हो जाती है। सामान्य रूप से आर्थिक क्षेत्र मे पूँजीपति अथवा नियोक्ता अपने कर्मचारियों, श्रमिकों को सेवा के बदले उतना पारिश्रमिक नही बढ़ाते जितना लाभ अर्जन करते है। ऐसी स्थिति मे हितों मे टकराव होता है जो संघर्ष का कारण बनता है। राजनीति क्षेत्र मे भी राजनीतिक कार्य प्रणाली, नेतृत्व व राजनीतिक दलों के बीच एक समान हित न होने के कारण स्पष्ट विरोधी हितों मे टकराव होता है जो राजनीतिक क्षेत्र मे संघर्ष की स्थितियों को बढ़ावा देता है।
4. सामाजिक परिवर्तन
सामाजिक परिवर्तन की तीव्र गति से उत्पन्न परिस्थितियों मे समाज की संस्कृति, सामाजिक संबंधों के तानेबाने और समाज की संरचना मे बदलाव आ जाता है। औधोगिकरण, नगरीकरण के विकास के सामाजिक संस्थाओं मे परिवर्तन आया है। वहीं दूसरी ओर नए आविष्कारों ने व्यापार, व्यवसाय के क्षेत्र मे बहुत परिवर्तन ला दिया है।  द्रुतगति से होने वाले परिवर्तन किसी भी समाज के स्थापित संबंधों को अस्त-व्यस्त कर सकते है। वे समाज के सदस्यों को विभिन्न समूहों मे वर्गीकृत कर देते है जिनमे वैचारीक ताल-मेल न बैठने से संघर्ष उत्पन्न हो जाता है।
5. हितों मे भेद
हितों मे भेद होना भी संघर्ष का कारण है। हितों का संबंध हमारे जीवन के किसी भी पक्ष से हो सकता है जब व्यक्ति के हितों मे भेद या टकराव होता है तो संघर्ष शुरू हो जाता है।

संघर्ष का हमारे जीवन मे महत्व एवं संघर्ष के परिणाम (sangharsh ka Mahtva)

संघर्ष अन्तः समूह मे एकता पैदा करता है। एक समूह के सदस्य संघर्ष के समय आपसी मतभेद भूलाकर एकता बनाए रखते है ताकि बाहरी समूह के आक्रमण का मुंहमागा जवाब दिया जा सके। उदाहरण के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध को ले लीजिये युद्ध के समय देश के अंदर एकता की भावना बढ़ गई। युद्ध की स्थिति मे हमारे बीच के भेदवाद पर हमारा ध्यान न जाकर राष्ट्र की रक्षा करना प्रमुख लक्ष्य होता है तब सभी देशवासी एक होकर संगठित शक्ति का परिचय देते है।
मजूमदार ने संघर्ष के महत्व को स्पष्ट करते हुए यह उल्लेख किया कि संघर्ष अंतःसमूह के मनोबल को बढ़ाता है एक संघर्ष संकटों को दूर करने के लिए अहिंसात्मक साधनों की खोज की ओर प्ररेति कर सकता है। इस प्रकार स्पष्ट होता है कि संघर्ष समाज मे सकारात्मक भूमिका का निर्वाह करता है। किन्तु संघर्ष सदैव सकारात्मक परिणाम ही नही देता बल्कि इसके नाकारात्मक परिणाम भी होते है। संघर्ष मे विरोधी के प्रति हिंसात्मक तरीका, बल प्रयोग का इस्तेमाल भी किया जा सकता है और इसका परिणाम जीवन को भी खत्म करने तक हो सकता है। जब एक ही समूह के सदस्यों मे संघर्ष होता है तब यह समूह मे एकता की कमी होने की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। संघर्ष की वजह से समूह के सदस्य छोटे-छोटे समूहों मे विभाजित हो जाते है। लगातार चलने वाला संघर्ष व्यक्तित्व के विकास मे भी बाधा उत्पन्न करता है। संघर्ष के दौरान परिवार, समूह या राष्ट्र के लोग चिंताग्रस्त रहते है, तनाव मे जीते है। अतः उनका व्यक्तित्व खण्डित होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि संघर्ष का जहाँ एक ओर प्रकार्यात्मक पक्ष है वहीं दूसरी ओर इसका अकार्यात्मक पक्ष भी है, समाज मे व्यक्तिगत संघर्ष, वैयक्तिक संबंधों मे संघर्ष बढ़ाने से मुकदमेवादी, विवाद की स्थिति, बढ़ती है। जब संघर्षरत समूह समान शक्तिशाली हो तब कोई भी विजय नही होता। ऐसी अवस्था मे संघर्ष से अपने संकटो को दूर करने संघर्षरत व्यक्ति अथवा समूह व्यवस्थापन की ओर बढ़ते है।
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Samaj mein sangharsh ka kya mahatva hai आज इस लेख के माध्यम से यह जानेगें। हम सभी के जीवन में किसी ना किसी तरह का संघर्ष जरूर होता है। चाहे कोई किसी भी उम्र का हो, किसी भी जाति, धर्म या लिंग से हो, उसे जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष तो करना ही पड़ता है। बस फर्क ये होता है कि हर किसी को अपना संघर्ष हमेशा दूसरों से कठिन लगता है। साथ ही कई बार हमें लगता है कि संघर्ष ना होता तो हमारा जीवन कितना अच्‍छा होता।

लेकिन समाज में संघर्ष का भी अपना एक महत्‍व होता है। इसलिए हमें सघर्ष से कभी दूर नहीं भागना चाहिए। आइए आज हम आपको अपने इस लेख में बताते हैं कि समाज में संघर्ष का महत्‍व क्या है। और क्‍यों हम सभी को हमेशा आसान रास्‍ते ही बजाय संघर्ष का रास्‍ता की चुनना चाहिए।

संघर्ष क्‍या होता है?

हम समाज में संघर्ष का महत्व को जाने इससे पहले यह जान लेना अति आवश्यक है कि संघर्ष क्‍या होता है, तभी हम “Samaj mein sangharsh ka kya mahatva hai:” यह समझ पाएंगे।

संघर्ष एक तरह से जीवन में कुछ पाने या कुछ कर गुजरने की इच्‍छा को कहा जाता है। संघर्ष की पहचान ये होती है कि वो हमेशा हालात के विपरीत ही करना होता है। साथ ही संघर्ष का समय बेहद कष्‍टकारी और दुखदायी भी होता है। साथ ही संघर्ष हमेशा गुमनामी में रहकर करना होता है। जबकि सफलता की गूंज लोगों के बीच में जाकर सुनाई देती है। कई बार तो संघर्ष का रास्‍ता आलोचनाओं से भी भरा होता है। आम भाषा में जो आपके पास है यदि आप उससे संतुष्‍ट नहीं है तो उससे आगे बढ़ने के लिए जीवन में संघर्ष करना होगा। संघर्ष कैसा होगा ये समय और हालात पर निर्भर करता है।

संघर्ष के प्रकार

संघर्ष मूल रूप से दो प्रकार का होता है। पहला शारीरिक संघर्ष और दूसरा सामजिक संघर्ष। ये दोनों ही बेहद ही संघर्ष बेहद चुनौतिपूर्ण होते हैं। आइए इनके बारे में थोड़ा विस्‍तार से जानते हैं।

शारिरिक संघर्ष क्‍या होता है?

शारीरिक संघर्ष में किसी भी इंसान का कोई योगदान नहीं होता है ना ही इसके पीछे वो जिम्‍मेदार होता है। ये तो प्रकृति की ही देन होती है। इंसान का काम तो बस उससे संघर्ष करना होता है। इसके त‍हत मान लीजिए आपके साथ कोई सड़क हादसा हो जाता है। जिसमें आपके शरीर के किसी अंग को क्षति हो जाती है। तो आपको आगे का पूरा जीवन बिना उस अंग के ही जीना होगा।

साथ ही कई बार जन्‍मजात से भी कई लोग इस तरह की समस्‍या के गुजर रहे होते हैं। भगवान की दी हुई जिन चीजों का प्रयोग हम लोग फ्री में करते हैं। शारीरिक संघर्ष के दौर से गुजर रहे लोगों को ही उस अंग की कीमत की वास्‍तविक कीमत का पता होता है। ये ऐसे लोग होते हैं जिन्‍हें हमेशा शारीरिक संघर्ष के साथ सामाजिक संघर्ष भी करना पड़ता है।

इस तरह के संघर्ष को शायद जीवन में कभी समाप्‍त नहीं किया जा सकता है। बस केवल हम ये तय कर सकते हैं कि आप उस चुनौती के साथ भी किस तरह से अपना बेहतर जीवन जी सकते हैं।

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सामजिक संघर्ष क्‍या होता है?

यह एक आम तरह का संघर्ष होता है जो कि हर इंसान को करना पड़ता है। जो जीवन में इसे पहले कर लेता है वो हमेशा अपना आगे का जीवन आराम से व्‍यतीत करता है और जो शुरूआत में संघर्ष का रास्‍ता नहीं चुनता है। उसे बाद में संघर्ष करना पड़ता है। ठीक उसी तरह से जैसे बोर्ड परीक्षा के दौरान कोई छात्र यदि शुरूआत से मेहनत करता है तो उसे परीक्षा से पहले कम मेहनत करनी पड़ती है। जबकि शुरूआत में कम मेहनत ना करने वालों को अंत में ज्‍यादा मेहनत करनी पड़ती है। फिर भी नतीजे संताषजनक नहीं होते हैं।

समाज में संघर्ष का क्या महत्व है?

चलिए अब ये जानते है कि समाज में संघर्ष का महत्व क्या है? किस प्रकार संघर्ष के बिना एक अच्छे समाज का निर्माण किया जा सकता है।

समाज में संघर्ष के महत्व का वर्णन कीजिए - samaaj mein sangharsh ke mahatv ka varnan keejie

कहते हैं कि ईमानदारी से की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती है। इसलिए यदि कोई भी इंसान संघर्ष करता है तो आगे चलकर उसे उसका फल जरूर मिलता है। भले ही वो कुछ देरी से क्‍यों ना मिले। आइए अब हम आपको जानते हैं कि समाज में संघर्ष का क्‍या महत्‍व होता है।

अपने और पराए लोगों की पहचान

संघर्ष का दौर हमें उन लोगों की पहचान करवाता है जो कि हमारे अपने हैं या पराए। क्‍योंकि संघर्ष ही एक ऐसा समय होता है जहां हम से बहुत से लोग बिछुड़ जाते हैं। जो केवल दिखाने के लिए हमारे साथ होते हैं। वो संघर्ष के दौरान कभी भी हमारे साथ नहीं खड़े दिखाई देते हैं।

इसलिए आपके कठिन दौर में ही पता चलता है कि वास्‍तव में आपका सच्‍चा साथी कौन है। जिस पर आप आंख बंद करके भरोसा कर सकते हैं। ऐसे लोगों की पहचान होने पर आपको चाहिए कि आप इन्‍हें कभी भी धोखा ना दें। साथ ही जो लोग आपके साथ संघर्ष के दौरान नहीं थे, उनसे हमेशा के लिए दूर हो जाएं। वो लोग केवल आपका समय ही खराब करने का काम ही करते हैं।

जमीनी हकीकत की समझ बनाना

यदि हम समाज में संघर्ष करते हैं तो इससे हमारी जमीनी हकीकत की समझ बढ़ती है। संघर्ष से पहले हम जिन चीजों को बेहद आसान मानकर चलते थे। अक्‍सर संघर्ष के बाद हम उन चीजों के बारे सही मायने में जानते हैं, कि कौन सी चीज आसान है और कौन सी चीज मुश्किल। एक तरह से हम इसे कह यूं कह सकते हैं कि संघर्ष करने वाला इंसान कभी भी हवा हवाई बात नहीं करता है। क्‍योंकि संघर्ष के दौरान उसे हकीकत का आभास हो चुका होता है।

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बुरे समय में भी डटे रहने की क्षमता

संघर्ष इंसान को ये बताता है कि समय कैसा भी हो हमें कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए। हर समय से हम कुछ ना कुछ सीखते हैं। जिसके बाद आगे बढ़ने में वो हमारी मदद करता है। ऐसे में जिन लोगों ने जीवन में संघर्ष किया होता है, उन्‍हें पता होता है कि संघर्ष के दौरान हमें किस तरह से उससे पार पाना है और किस तरह से निराशा के दौर में भी ऊर्जावान रहना है।

लेकिन यदि किसी इंसान ने संघर्ष नहीं किया है, तो उसे कभी भी बुरे समय से निपटने की कला का पता नहीं होगा। ऐसे में चाहे संघर्ष थोड़ा हो या ज्‍यादा वो उसमें वो हमेशा बिखर जाएगा और जीवन में जो बिखर जाता है वो कभी कामयाब नहीं होता है।

छोटी उम्र में बड़ा अनुभव

संघर्ष कई बार हमें बेहद छोटी उम्र में बड़ों जैसा अनुभव दे देता है। जिससे हम छोटी उम्र में ही समझदार और परिपक्‍व हो जाते हैं। हमें जीवन की सच्‍चाई का पता चल जाता है। इसलिए कहा जाता है कि जिसने जीवन में संघर्ष नहीं किया है वो कभी भी जीवन का महत्‍व नहीं जान पाता है।

इसलिए जब भी जीवन में संघर्ष आए तो उससे मुंह मोड़ने की बजाय हमें उसका सामना करना चाहिए। आगे चलकर जब हम दोबारा से इस समय के बारे में विचार करेंगे तो पता चलेगा कि यदि उस दौरान संघर्ष ना किया होता तो आज हम कभी भी ये ना होते।

सफलता के स्‍वाद का आनंद

संघर्ष के बाद हमें जो सफलता मिलती है उसका महत्‍व हमेशा अलग ही होता है। हमें उसके बारे में पता होता है कि ये सफलता हमें कितनी मुश्किल से प्राप्‍त हुई है और इसका हमारे जीवन में कितना महत्‍व है।

इसलिए हम उस सफलता की यादों को हमेशा संजो कर रखते हैं। लेकिन जिसे बिना संघर्ष किए ही सफलता प्राप्‍त हो जाती है, अक्‍सर वो उस सफलता का महत्‍व नहीं जान पाता है। ऐसे में कई बार वो अपनी उस सफलता को लापरवाही या भूल के चलते दोबारा से असफलता में बदल देता है। तब जाकर उसे आभास होता है कि उसकी सफलता कितनी बड़ी थी। जिसे उसने अब खो दिया है।

संघर्ष जीवन जीने की कला सिखाता है

जीवन तो हर कोई जी लेता है। पर जिस इंसान ने जीवन में संघर्ष किया है उसे ही जीवन जीने की असली कला का ज्ञान होता है। यही वजह है कि उसे हमेशा बड़े बड़े सेमिनार आदि में उन्‍हें बुलाया जाता है। हजारों लोग उनके विचारों को सुनना चाहते हैं। इसके पीछे वजह यही होती है कि उसने अपने जीवन में संघर्ष किया है और उसने उस रास्‍ते पर चलकर देखा है, जिसकी हम लोग बैठकर महज ख्‍वाबों में कल्‍पना करते रहते हैं। वो हमें वो मूल मंत्र दे देता है जिससे हम संघर्ष के रास्‍ते को भी आसान बना सकते हैं।

सफलता या सीख

बहुत से लोग संघर्ष का रास्‍ता इसलिए नहीं अपनाते हैं क्‍योंकि उन्‍हें हमेशा लगता है कि यदि हम सफल ना हुए तो हमारा क्‍या होगा? लेकिन हम आपको बता दें कि संघर्ष करने के बाद आप कभी भी असफल नहीं होते हैं। या तो आप सफल हो जाते है या कुछ नया सीख जाते हैं। जिसके बाद आप उसे दूर करके आगे बढ़ते हैं और फिर सफल हो जाते हैं। इसलिए कभी भी इस डर में ना जिएं कि यदि आप संघर्ष के बाद भी सफल ना हुए तो आपका क्‍या होगा।

संघर्ष के दौरान ध्‍यान रखने वाले 5 मूल मंत्र

  • संघर्ष का रास्‍ता हमेशा लंबा होता है और मुश्किल भी होता है। इसलिए संघर्ष के रास्‍ते पर चलते हुए हमें कभी धैर्य नहीं खोना चाहिए।
  • जब भी हम संघर्ष करते हैं तो हम सभी के आसपास ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो कहते हैं कि संघर्ष से कुछ नहीं होने वाला। इस रास्‍ते पर पहले भी बहुत से लोग चलकर असफल हो चुके हैं। हमें उन लोगों की बातों पर ध्‍यान ना देकर अपना काम करना चाहिए।
  • संघर्ष के रास्‍ते पर कई बार हमारे पास इतने भी संसाधन नहीं होते हैं कि हम आगे बढ़ने का सोच भी सके। ऐसे समय में हमें धैर्य और संयम से काम लेना चाहिए। साथ ही जो रास्‍ता सही लगे उसे चुनकर आगे बढ़ना चाहिए।
  • संघर्ष के बाद जब हमें सफलता मिल जाती है तो हमें ऐसे लोगों को कभी नहीं भूलना चाहिए। जिन्‍होंने संघर्ष के दौरान हमारी मदद की थी। उस दौरान उनकी मदद हमारे लिए मानो संजीवनी की तरह होती है।
  • संघर्ष के बाद जब हम सफल हो जाते हैं तो हमें चाहिए कि हम समाज में उन लोगों की मदद को हाथ बढ़ाएं जो कि अब भी संघर्ष के रास्‍ते पर अग्रसर हैं। क्‍योंकि उनकी मदद कभी वो इंसान नहीं करेगा जिसने कभी संघर्ष किया ही नहीं।

Conclusion

आज आपने जाना कि Samaj mein sangharsh ka kya mahatva hai. समाज में संघर्ष का महत्व से सम्बंधित यह जानकरी आपको कैसी लगी आप हमें कमेंट में जरुर बताये।

समाज में संघर्ष का क्या महत्व?

संघर्ष का हमारे जीवन मे महत्व एवं संघर्ष के परिणाम (sangharsh ka Mahtva) संघर्ष अन्तः समूह मे एकता पैदा करता है। एक समूह के सदस्य संघर्ष के समय आपसी मतभेद भूलाकर एकता बनाए रखते है ताकि बाहरी समूह के आक्रमण का मुंहमागा जवाब दिया जा सके।

समाज में संघर्ष का क्या है?

संघर्ष की स्थिति तब निर्मित होती है जब अनेक व्यक्ति और समूह किसी सीमित लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते है। संघर्ष के साधनों पर उनका ध्यान नही जाता, जतना लक्ष्य प्राप्ति अर्थात् साध्य पर। यहि कारण है कि संघर्षरत व्यक्ति अथवा समूह किसी भी सीमा तब बल प्रयोग हिंसा कर सकते हैं।

संघर्ष का क्या अर्थ है संघर्ष के कारणों का वर्णन करें?

संघर्ष एक अनिरन्तर प्रक्रिया है। इसका अर्थ यह है कि संघर्ष सदैव नहीं चलता बल्कि रूक-रूक कर चलता है। इसका कारण यह है कि संघर्ष के लिए शक्ति और अन्य साधन जुटाने पड़ते हैं जो किसी भी व्यक्ति या समूह के पास असीमित मात्रा में नहीं पाए जाते। को भी व्यक्ति या समूह सदैव संघर्षरत नहीं रह सकते हैं।

समाज का क्या महत्व है?

समाज ही वह चीज है जो मनुष्य को सारी सुख सुविधाएं उपलब्ध करवाता है जो उसके जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। जिस प्रकार से इंसानो को अपनी आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए समाज की आवश्यकता होती है उसी प्रकार से समाज को भी अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इंसानों की आवश्यकता होती है।