सिक्के इतिहास के बारे में जानकारी में कैसे सहायक होते हैं? - sikke itihaas ke baare mein jaanakaaree mein kaise sahaayak hote hain?

These Solutions are part of UP Board Solutions for Class 6 History. Here we have given UP Board Solutions for Class 6 History Chapter 1 कैसे पता करें कब क्या हुआ था? (इतिहास जानने के स्रोत)

प्रश्न 1.
इस सिक्के को देखकर आप और क्या पता कर सकते हैं? बताइए।
उत्तर :
इस सिक्के पर गुप्तशासक कुमारगुप्त प्रथम को इस मुद्रा पर घुड़सवारी करते हुए दिखाया गया है। जिससे हम कह सकते हैं कि वे एक अच्छे घुड़सवार थे। इस प्रकार मुद्राएँ भी इतिहास लेखन में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

अभ्यास

प्रश्न 1.
उत्तर लिखिए –

(क) प्राचीन काल के मानव किस-किस पर अपने अभिलेख लिखते थे और क्यों?
उत्तर :
प्राचीन काल के मानव अपने अभिलेख ताड़पत्रों, भोजपत्रों और ताम्रपत्रों पर लिखते थे। कभी-कभी वे बड़ी शिलाओं, स्तम्भों, पत्थर की दीवारों, मिट्टी या पत्थर के छोटे-छोटे फलकों पर भी अपने लेख लिखा करते थे। क्योंकि उस समय कागज का आविष्कार नहीं हुआ था।

(ख) पाठ में आपने सम्राट अशोक के किस अभिलेख के बारे में जाना ?
उत्तर :
पाठ में सम्राट अशोक के लुम्बिनी अभिलेख का उल्लेख है, जो सम्मिनदेई अभिलेख का अंश है। इस अभिलेख में अशोक ने यह घोषणा की है कि लुंबिनी में उपज का आठवाँ भाग कर के रूप में लिया जाएगा।

(ग) इतिहास लेखन में सिक्के एवं अभिलेख किस प्रकार सहायक होते हैं ? लिखिए।
उत्तर :
इतिहास लेखन में सिक्कों एवं अभिलेखों का काफी महत्त्व है। सिक्कों से तत्कालीन शासक का नाम, उसका समय, सिक्के की बनावट से उस समय की कला तथा धातु से आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती है। अभिलेखों से उस समय के राजा का नाम, उसकी नीति-कानून, शासन-काल, लिपि, भाषा, साम्राज्य विस्तार, सभ्यता-संस्कृति आदि के विषय में पता चलता है।

(घ) मेगस्थनीज की पुस्तक का नाम क्या था?
उत्तर :
मेगस्थनीज की पुस्तक का नाम इण्डिका था।

(ङ) इतिहास जानने के पुरातात्विक व साहित्यिक साधनों (स्रोतों) का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
पुरातात्विक और साहित्यिक दोनों स्रोतों से हमें इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है। इन स्रोतों की सहायता से इतिहासकार और पुरातत्वविद् अतीत का निर्माण करते हैं। इतिहासकार इन्ही स्रोतों से अतीत की कृषि, पशु-पालन, कामगार, शिल्प, काम-धंधे, व्यापार, नाप-तौल, लेन-देन, कर आदि के आधार पर आर्थिक स्थिति का वर्णन करते हैं। घर-परिवार, स्त्रियों की स्थिति, शिक्षा, रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा, मनोरंजन त्योहार, मेले आदि के आधार पर सामाजिक तथा शासक, प्रजा, प्रशासन, सुरक्षा व सैन्य व्यवस्था के आधार पर राजनीतिक स्थिति की जानकारी प्रदान करते हैं। इसी प्रकार कला, आचार, ज्ञान-विज्ञान की मान्यताएँ, धार्मिक विश्वास, देवी-देवता, पूजा-पाठ एवं परंपराओं के आधार पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक स्थिति का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 2.
अन्तर स्पष्ट कीजिए –

(क) प्राक् ऐतिहासिक काल – वह समय जिसके लिए कोई भी लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं है, प्राक ऐतिहासिक काल कहलाता है।
(ख) आद्य ऐतिहासिक काल – वह समय जिससे संबंधित लिखित साक्ष्य उपलब्ध तो हैं किंतु उन्हें पढ़ा नहीं जा सकता है, उसे आद्य ऐतिहासिक काल कहते हैं।

(ग) ऐतिहासिक काल – जिंस काल के विषय में लिखित सामग्री से जानकारी मिलती है एवं उसे पढ़ा भी जा सकता है। उस काल को ऐतिहासिक काल कहते हैं।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित से आप क्या समझते हैं?
(अ) पुरातत्ववेत्ता
(ब) इतिहासकार
उत्तर :
(अ) पुरातत्ववेत्ता – पुरातत्ववेत्ता सावधानी से जमीन की देख-रेख और समझ के आधार पर खुदाई कराते हैं। खुदाई से प्राप्त छोटी वस्तुओं से वे लिखित दस्तावेज तैयार करते हैं। इन्हीं वस्तुओं के आधार पर हमें अतीत की जानकारी प्राप्त होती है।
(ब) इतिहासकार – इतिहासकार अतीत से प्राप्त तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर बीते समय की जानकारी। देते हैं। वे कृषि, पशुपालन, व्यापार, नाप-तोल, लेन-देन आदि के आधार पर आर्थिक स्थिति का चित्रण करते हैं। जाति-पाति, घर-परिवार, स्त्रियों की दशा, शिक्षा, खान-पान, वेशभूषा, मनोरंजन, त्योहार व मेले आदि से सामाजिक स्थिति का चित्रण करते हैं इसी प्रकार राजनैतिक, धार्मिक व सांस्कृतिक स्थिति का भी चित्रण करते हैं।

प्रश्न 4.
सही कथन पर सही (✓) का निशान एवं गलत कथन पर गलत (✗) का निशान लगाइए
उत्तर :

(क) प्राक् (पूर्व) इतिहास जानने के लिए हमारे पास लिखित सामग्री है। (✗)
(ख) प्राचीन काल के मानव कागज पर लिखते थे। (✗)
(ग) सिक्कों एवं अभिलेखों से भी ऐतिहासिक जानकारी मिलती है। (✓)
(घ) राजतरंगिणी कौटिल्य (चाणक्य) की रचना है। (✗)
(ङ) वेद धार्मिक साहित्य है। (✓)
(च) फाह्यान मौर्य काल में भारत आया था। (✗)

प्रश्न 5.
आप सारनाथ स्तूप देखने जा रहे हैं। स्तूप के बारे में आप क्या-क्या जानना चाहेंगे? अपनी जानकारी के लिए कुछ प्रश्न बनाइए।
उत्तर :
इस प्रश्न का उत्तर बच्चे स्वयं लिखें। निम्नलिखित उत्तर उदाहरण के तौर पर दिया जा रहा है –
सारनाथ स्तूप देखते हुए हम उसके विषय में निम्नलिखित बातें जानना चाहेंगे –

(क) इसका निर्माण कब हुआ?
(ख) इसका निर्माण किसने करवाया?
(ग) इसके निर्माण के पीछे उद्देश्य क्या था?
(घ) इसका डिजाइन बनानेवाला वास्तुकार कौन था?
(ङ) इसके निर्माण में कितना धन व्यय हुआ? आदि।

प्रोजेक्ट वर्क –
वर्तमान में प्रचलित सिक्कों के चित्र बनाइए, और उनकी विशेषताएँ भी लिखिए।
उत्तर :
वर्तमान के सिक्कों का चित्र विद्यार्थी स्वयं बनाएँ।
विशेषताएँ – वर्तमान में अधिकतर सिक्के आधार धातु से बनाए जाते हैं और उनके मूल्य आधिकारिक पैसे की स्थिति के रूप में आते हैं। इसका अर्थ यह है कि सिक्के के मूल्य को आदेश सरकारी आधिकारिक (कानून) देता है और इस प्रकार अंतरराष्ट्रीय व्यापार में यह राष्ट्रीय मुद्राओं के रूप में मुक्त बाजार द्वारा निर्धारित किया जाता है। सिक्कों को इस तरह मुद्रित किया जाता है कि इसका आधिकारिक मूल्ये उसके घटकं धातु के मूल्य से कम हो। वर्तमान काल के सिक्के ठोस धातु के बने होते हैं और आकार में गोल होते हैं। इनका रूप नहीं होता है।

अपने शहर/क्षेत्र/गाँव के विषय में अपने बड़ों/स्थानीय संग्रहालयों एवं कार्यालय से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कीजिए –
नोट – विद्यार्थी स्वयं करें।

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सिक्के इतिहास की जानकारी में कैसे सहायक होते हैं?

सिक्के से तत्कालीन शासक का नाम, उसका, समय सिक्के की बनावट से उस समय की कला तथा धातु से आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त होती हैं। अभिलेखों से उस समय के राजा का नाम, उसकी नीति कानून, शासन काल, लिपि, भाषा, साम्राज्य विस्तार, सभ्यता- संस्क्रति आदि के विषय में पता चलता है।

सिक्कों का इतिहास में क्या महत्व है?

सिक्के किसी दौर के इतिहास लेखन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि सिक्के प्राथमिक ऐतिहासिक स्रोत के रूप में जाने जाते हैं। आजकल की तरह, प्राचीन भारतीय मुद्रा कागज निर्मित नहीं थी बल्कि धातु के सिक्के के रूप में थी। प्राचीन सिक्के धातु से बनाए जाते थे। वे ताम्बे, चाँदी, सोने और सीसे से बनाए जाते थे।

सिक्के का निर्माण कब हुआ था?

ईसापूर्व प्रथम सहस्राब्दी में भारत के शासकों द्वारा सिक्कों की निर्माण का कार्य आरम्भ हो चुका था। प्रारम्भ में मुख्यतः ताँबे तथा चाँदी के सिक्कों का निर्माण हुआ

प्राचीन सिक्का पर से इतिहास की कौन कौन सी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं?

भारत में धातु के सिक्के सर्वप्रथम गौतमबुद्ध के समय में प्रचलन में आये, जिसका समय 500 ई० पू० के लगभग माना जाता है। बुद्ध के समय पाये गये सिक्के' आहत सिक्के' (Punch Marked) कहलाये। इन सिक्कों पर पेड़, मछली, साँड़, हाथी, अर्द्धचंद्र आदि की आकृति बनी होती थी। ये सिक्के अधिकांशतः चाँदी के तथा कुछ ताँबे के बने होते थे।

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