सफेद आंकड़े का दूसरा नाम क्या है? - saphed aankade ka doosara naam kya hai?

भगवान केवल भाव के ही भूखे होते हैं. वे यह नहीं देखते कि भक्त ने उन्हें क्या अर्पित किया है या कैसा अर्पित किया है. इसके बावजूद भक्तों का प्रयास रही रहता है कि प्रभु को हर तरह से प्रसन्न किया जाए.

इसके लिए यह जानकारी होनी चाहिए कि किन देवी-देवताओं की पूजा-आराधना में किन-किन फूलों को अर्पित किया जाना चाहिए. आगे इन्हीं बातों पर चर्चा की गई है.

श्रीगणेश
गणेशजी को तुलसी छोड़कर हर तरह के फूल पसंद हैं. खास बात यह है कि गणपति को दूब अधिक प्रिय है. दूब की फुनगी में 3 या 5 पत्त‍ियां हों, तो ज्यादा अच्छा रहता है. गणेशजी पर तुलसी कभी न चढ़ाएं.

भगवान शिव
भगवान शंकर को सभी सुगंधित फूल पंसद हैं. चमेली, श्वेत कमल, शमी, मौलसिरी, पाटला, नागचंपा, धतूरा, शमी, खस, गूलर, पलाश, बेलपत्र, केसर उन्हें खास प्रिय हैं.

विष्णु
भगवान विष्णु को तुलसी बहुत पसंद है. काली तुलसी और गौरी तुलसी, उन्हें दोनों ही पंसद हैं. कमल, बेला, चमेली, गूमा, खैर, शमी, चंपा, मालती, कुंद आदि फूल विष्णु को प्रिय हैं.

हनुमान
हनुमानजी को लाल फूल चढ़ाना ज्यादा अच्छा रहता है. वैसे उन्हें कोई भी सुगंधित फूल चढ़ाया जा सकता है.

सूर्य
भगवान सूर्य को आक का फूल सबसे ज्यादा प्रिय है. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर सूर्य को एक आक का फूल अर्पण कर दिया जाए, तो सोने की 10 अशर्फियां चढ़ाने का फल मिल जाता है. उड़हुल, कनेर, शमी, नीलकमल, लाल कमल, बेला, मालती, अगस्त्य आदि चढ़ाने का विधान है. सूर्य पर धतूरा, अपराजिता, अमड़ा, तगर आदि नहीं चढ़ाना चाहिए.

भगवती
आम तौर पर भगवान शंकर को जो भी फूल पसंद हैं, देवी पार्वती को वे सभी फूल चढ़ाए जा सकते हैं. सामान्यत: सभी लाल फूल और सुगंधित सभी सफेद फूल भगवती को विशेष प्रिय हैं. बेला, चमेली, केसर, श्वेत कमल, पलाश, चंपा, कनेर, अपराजित आदि फूलों से भी देवी की पूजा की जाती है.

आक और मदार के फूल केवल दुर्गाजी को ही चढ़ाना चाहिए, अन्य किसी देवी को नहीं. दुर्गाजी पर दूब कभी न चढ़ाएं. लक्ष्मीजी को कमल के फूल का चढ़ाने का विशेष महत्व है.

इसे सुनेंरोकेंकैसा होता है सफेद आक का फूल वैसे अधिकतर यह शुष्क और ऊंची भूमि में देखने को मिलता है। सफेद आक का पौधा करीब 5 फुट चौड़ा और 7 फुट ऊंचा होता है। इसके पत्ते बरगद के पत्तों के समान मोटे होते हैं। सामान्य आक के पत्ते हरे रंग के होते हैं, लेकिन सफेद आक के पत्ते सफेद रंग के ही होते है।

सफेद आंकड़े की जड़ को कमर में बांधने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंसंतान सुख दिलाने में मददगार आक की जड़ को संतान सुख दिलाने वाला भी माना जाता है. जो महिला संतान सुख से वंचित हो वो पीरियड से निवृत्त होने के बाद आक की जड़ को अपनी कमर में बांध ले. इसे लगातार अगले पीरियड आने तक बांधे रहना है. ऐसा करने से महिला को सन्तान का सुख अवश्य मिलता है.

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मदार की जड़ खाने से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंप्रजनन क्षमता को बढ़ाने में मददगार महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने के लिए आप आक या मदार फायदेमंद माना जाता है। सफेद फूल वाले आक की जड़ को सुखाकर चूर्ण बनाकर दूध के साथ सेवन किया जाता है।

सफेद आंकड़े की जड़ कौन सी होती है?

इसे सुनेंरोकेंसफेद आंकडे की जड़ से बनी गणपति प्रतिमा को श्वेतार्क गणेश कहते हैं। इसे घर में रखकर रोज पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और बेड लक दूर होता है। 2. आंकड़े के पौधे को घर के मुख्य दरवाजे के बाहर लगाने से घर को किसी की बुरी नजर नहीं लगती और परिवार के सदस्यों में भी प्रेम बना रहता है।

पुत्र प्राप्ति के लिए कौन सा पेड़ लगाना चाहिए?

इसे सुनेंरोकेंइनके अनुसार पीपल के पेड़ से जुड़े कुछ उपाय और टोटके करने से जीवन में आने वाली तमाम समस्याएं दूर होती हैं। जो दंपत्ति संतान प्राप्ति की इच्छा रखता है तथा संतान प्राप्ति के लिए बहुत समय से कोशिश कर रहा है उसे यह उपाय अवश्य करना चाहिए। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं को पीपल के पेड़ पर लाल धागा बांधना चाहिए।

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मदार के दूध से क्या होता है?

इसे सुनेंरोकेंयह दुर्लभ प्रजाति है। औषधीय गुण : दंत पीड़ा, मिरगी, कर्णशूल, श्वास रोग, खांसी, रक्त अतिसार, अपच, पीलिया, भगंदर, नाड़ी घाव, मूत्र रोग, उकवत, बांझपन, लकवा, गांठ एवं वात, दाद-खाज, पांव में छाले और अन्य तमाम रोगों में मदार का प्रयोग किया जाता है। नुस्खा : दांत में दर्द होने पर मदार का दूध और घी बराबर मात्रा में मिला लें।

मदार की जड़ की पूजा कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंविधि: सफेद मदार के पौधे को उखाड़ लें और जड़ काटकर अलग कर लें। अब एक बड़े पैन में मदार की जड़ को 4 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी सूखकर आधा हो जाए, तो पैन को आंच से उतार लें और जड़ को पानी से निकाल लें। अब उबले हुए पानी में गेहूं डाल कर पानी सोखने तक छोड़ दें।

प्रकृति से विषैला होने के कारण भगवान शिव को प्रिय है मदार। इसके पौधे का हर हिस्सा है मनुष्य के लिए बेहद उपयोगी

बचपन में जब मैं अपने दादाजी की दुकान पर जाता था, तो वे हमें पाचक की गोली देते थे। मुझे अभी भी याद है कि वे गोलियां स्वादिष्ट होने के साथ ही भूख बढ़ाने में भी कारगर होती थीं। वह गोलियां मेरे दादाजी खुद ही बनाते थे। उस गोली के लिए मोहल्ले के बच्चे-बूढ़े सभी मेरे दादाजी के पास आते थे। दादाजी सिर्फ प्यार की कीमत पर उन गोलियों को सब में बांट देते थे।

जब मैंने होश संभाला, तो मैंने उनसे उत्सुकतावश पूछ लिया कि ये गोलियां कैसे बनती हैं, तो उन्होंने मुझे अपने पास बिठाकर वो गोलियां बनानी शुरू की। मैंने सामग्री देखी तो हतप्रभ रह गया। सामग्री में एक तरह का फूल भी शामिल था, जिसे हमलोग अकवन के नाम से जानते हैं। दरअसल अकवन को तब हमलोग जहरीला पौधा मानते थे, इसलिए मैंने दादाजी से पूछ लिया कि जहर के फूल का इस्तेमाल इसमें क्यों करते हैं। उन्होंने बताया कि जब हम किसी भी चीज का सेवन जरूरत से अधिक मात्रा में करते हैं, तो वह जहर का ही काम करता है। अगर हम इसका उपयोग सही तरीके और सही मात्रा में करेंगे, तो यह जहर नहीं बल्कि दवा की तरह काम करेगा। मैं उनकी बात से सहमत हुआ और उन्होंने मेरे सामने पाचक की गोलियां बनाने की प्रक्रिया पूरी की।

अकवन को हिंदी में मदार कहते हैं और इसे एक जहरीले पौधे के रूप में जाना जाता है। मदार का पौधा किसी जगह पर उगाया नहीं जाता है। यह पौधा अपने आप ही कहीं पर भी उग जाता है हालांकि यह पौधा अपने आप में औषधीय गुणों से लबरेज है। मदार का वैज्ञानिक नाम कैलोत्रोपिस गिगंटी है। यह आमतौर पर पूरे भारत में पाया जाता है। भारत में इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं-श्वेतार्क और रक्तार्क। श्वेतार्क के फूल सफेद होते हैं जबकि रक्तार्क के फूल गुलाबी आभा लिए होते हैं। इसे अंग्रेजी में क्राउन फ्लावर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसके फूल में मुकुट/ताज के समान आकृति होती है। इसके पौधे लंबी झाड़ियों की श्रेणी में आते हैं और 4 मीटर तक लम्बे होते हैं। इसके पत्ते मांसल और मखमली होते हैं। मदार का फल देखने में आम के जैसे लगता है, लेकिन इसके अंदर रुई होती है, जिसका इस्तेमाल तकिये या गद्दे भरने में किया जाता है। इसमें फूल दिसंबर-जनवरी महीने में आते हैं और अप्रैल-मई तक लगते रहते हैं।

मदार मुख्य रूप से भारत में पाया जाता है, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में भी यह बहुतायत में पाया जाता है। थाईलैंड में मदार के फूलों का उपयोग विभिन्न अवसरों पर सजावट के लिए किया जाता है। इसे राजसी गौरव का प्रतीक माना जाता है और मान्यता है कि उनकी इष्ट देवी हवाई की रानी लिलीउओकलानी को मदार का पुष्पहार पहनना पसंद है। कंबोडिया में अंतिम संस्कार के आयोजन के दौरान घर की आंतरिक सजावट के साथ ही कलश या ताबूत पर चढ़ाने और अंत्येष्टि में इसका उपयोग किया जाता है।

हिंदुओं के धर्म ग्रंथ शिव पुराण के अनुसार मदार के फूल भगवान शिव को बहुत पसंद है इसलिए शांति, समृद्धि और समाज में स्थिरता के लिए भगवान शिव को इसकी माला चढ़ाई जाती है। मदार का फूल नौ ज्योतिषीय पेड़ों में से भी एक है। स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान गणेश की पूजा में मदार के पत्ते का इस्तेमाल करना चाहिए। स्मृतिसार ग्रंथ के अनुसार मदार की टहनियों का इस्तेमाल दातुन के रूप में करने से दांतों की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। भारतीय महाकाव्य महाभारत के आदि पर्व के पुष्य अध्याय में भी मदार की चर्चा मिलती है। इसके अनुसार ऋषि अयोद-दौम्य के शिष्य उपमन्यु की आंखों की रोशनी मदार के पत्ते खा लेने के कारण चली गई थी। मदार की छाल का इस्तेमाल प्राचीन काल में धनुष की प्रत्यंचा बनाने में किया जाता था। लचीला होने के कारण इसका उपयोग रस्सी, चटाई, मछली पकड़ने की जाल आदि बनाने के लिए भी किया जाता है।

औषधीय गुण

वैसे तो मदार को एक जहरीला पौधा माना जाता है, और कुछ हद तक यह सही भी है, लेकिन यह कई रोगों के उपचार में भी कारगर है। मदार देश का एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है। इसके पौधे के विभिन्न हिस्से कई तरह के रोगों के उपचार में कारगर साबित हुए हैं। इनमें दर्द सहित मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मदार के औषधीय गुणों की पुष्टि कई वैज्ञानिक अध्ययन भी करते हैं। वर्ष 2005 में टोक्सिकॉन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार मदार का दूध बहते हुए खून को नियंत्रित करने में उपयोगी है। मदार का कच्चा दूध कई प्रकार के प्रोटीन से लबरेज हैं, जो प्रकृति में बुनियादी रूप में मौजूद होते हैं।

वर्ष 2012 में एडवांसेस इन नैचरल एंड अप्लाइड साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध दर्शाता है कि मदार के पत्ते जोड़ों के दर्द और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं। वहीं वर्ष 1998 में कनेडियन सोसायटी फॉर फार्मास्युटिकल साइंसेज में प्रकाशित शोध ने इस बात की पुष्टि की है कि मदार का रस दस्त रोकने में भी उपयोगी है।

इन सब के अलावा मदार के पौधे के विभिन्न हिस्सों को सौ से भी अधिक बीमारियों के उपचार में कारगर माना गया है। बिच्छू के डंक मार देने की स्थिति में भी मदार का दूध डंक वाली जगह पर लगाने से आराम मिलता है। हालांकि मदार का दूध आंखों के संपर्क में आ जाए तो यह मनुष्य को अंधा भी बना सकता है। इसलिए मदार का औषधीय तौर पर इस्तेमाल सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए।

व्यंजन अग्निवर्धक वटी
सामग्री:
  • सफेद मदार का फूल : 100 ग्राम
  • नौसादर : 100 ग्राम
  • काला नमक : 100 ग्राम
  • काली मिर्च : 100 ग्राम
विधि: सफेद मदार का फूल, नौसादर, काला नमक और काली मिर्च को खरल में डालकर कूट लें। अब इसे एक बर्तन में निकालकर हाथों से अच्छी तरह मिलाकर लोई की तरह बना लें। अब इस लोई से छोटी-छोटी गोलियां बनाकर धूप में सुखा लें। कांच के मर्तबान में रखें। भूख की कमी होने पर 1-1 गोली लें।

आक की रोटी
सामग्री:

  • मदार की जड़ : 2 किलो
  • पानी : 4 लीटर
  • गेहूं : 2 किलो

विधि: सफेद मदार के पौधे को उखाड़ लें और जड़ काटकर अलग कर लें। अब एक बड़े पैन में मदार की जड़ को 4 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी सूखकर आधा हो जाए, तो पैन को आंच से उतार लें और जड़ को पानी से निकाल लें। अब उबले हुए पानी में गेहूं डाल कर पानी सोखने तक छोड़ दें। जब गेहूं सारा पानी सोख ले तो इसे धूप में सुखा लें। अब इस गेहूं को पीसकर आटा बना लें। इस आटे से रोटियां बनाएं और घी और गुड़ के साथ परोसें। ये रोटियां न सिर्फ पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं, बल्कि गठिया जैसी बीमारियों को दूर भागने में भी सक्षम है।

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सफेद आंकड़े को हिंदी में क्या कहते हैं?

सफेद आक (मदार) का पौधा घर में लगाना बहुत शुभ माना जाता है। सफेद आक को सफेद आकड़ा, अकौआ, मदार भी कहा जाता है। सफेद आक का पौधा लगाने की दिशा, दिन और तरीका की जानकारी आगे पढ़ें। आक के पौधे 2 तरह के होते हैं

सफेद आंकड़ा का दूसरा नाम क्या है?

इसको मंदार', आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है।

मदार का दूसरा नाम क्या है?

अकवन को हिंदी में मदार कहते हैं और इसे एक जहरीले पौधे के रूप में जाना जाता है।

सफेद आंकड़े की पूजा करने से क्या होता है?

ऐसा करने से घर में नकारात्मक शक्तियां नहीं आएगी। साथ ही घर में सुख—समृद्धि में वृद्धि होगी। 3. अगर आपके बच्चे को बार—बार नजर लग जाती है तो इससे छुटकारा पाने के लिए सफेद आक की जड़ को गणपति जी के मंत्र 'ॐ गं गणपतये नमः' या 'ॐ श्री विघ्नेश्वराय नमः' से 108 बार जाप करते हुए अभिमन्त्रित करके बच्चे को गले में पहनाना चाहिए।