इस आर्टिकल में आप जानेंगे कि रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल (Rutherford ke parmanu model) क्या होता है। इसके अतरिक्त यहाँ हमने रदरफोर्ड का अल्फा कण प्रकीर्णन प्रयोग, तथा इस प्रयोग के निष्कर्ष, मॉडल की कमियां इत्यादी के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। Show
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल का इतिहासरदरफोर्ड का परमाणु मॉडल महान ब्रिटिश भौतिक विज्ञानी अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा बनाए गए परमाणु मॉडल का विवरण है, जब उन्होंने 1911 में परमाणु नाभिक की खोज की थी| रदरफोर्ड का जन्म 1871 में हुआ था और उनकी मृत्यु 1937 में हुई थी। इस दौरान उन्होंने कई सारे प्रयोग किये, और उन प्रयोगों और खोजों ने विश्व को कई अनोखी घटनाओं से अवगत कराया। प्राचीन धारणाओं और खोजों के अनुसार यह माना जाता था कि परमाणु एक अविभाज्य कण होता है। उसके बाद जे.जे. थॉमसन ने अपना एक परमाणु मॉडल दिया, परन्तु जे.जे. थॉमसन का परमाणु मॉडल त्रुटिपूर्ण था और इसमें कई महत्वपूर्ण कमियां थीं। इन कमियों को देखते हुए अर्नेस्ट रदरफोर्ड द्वारा एक नया परमाणु मॉडल प्रस्तावित किया गया था। रदरफोर्ड ने एक प्रयोग किया था जिसमें उन्होंने तेजी से चलने वाले अल्फा कणों को एक पतली सोने की पन्नी पे तेज़ गति से चलाया। चलिए जानते हैं रदरफोर्ड के प्रकीर्णन प्रयोग के बारे में- रदरफोर्ड का प्रकीर्णन प्रयोग-1898 तक रदरफोर्ड ने यूरेनियम से दो प्रकार के विकिरण की पहचान की थी, जिसे उन्होंने अल्फा और बीटा कहा। 1896 में मैरी क्यूरी द्वारा प्राकृतिक रेडियोधर्मिता की खोज पहले ही की जा चुकी थी। और यह पता लग चुका था कि अल्फा कणों में एक सकारात्मक चार्ज होता है और वे केवल हीलियम नाभिक होते हैं, लेकिन उस समय एक नाभिक की अवधारणा ज्ञात नहीं थी। हैन्स गेजर एक प्रसिद्ध भौतिक विज्ञानी थे। रदरफोर्ड ने 1911 में मैनचेस्टर विश्वविद्यालय में हैन्स गेजर की सहायता से कई प्रयोगों को किया। उन प्रयोगों में से एक प्रयोग अल्फा कणों के साथ सोने की एक पतली शीट पर बमबारी करना था, जो सकारात्मक रूप से चार्ज होते हैं। सोने की पन्नी के चारों ओर उन्होंने एक फ्लोरोसेंट स्क्रीन लगाई जिससे उन्हें बमबारी के प्रभावों को जानने और दर्शाने में मदद मिली। फ्लोरोसेंट स्क्रीन पर प्रभावों का अध्ययन करते हुए, रदरफोर्ड और उनके सहायकों ने देखा कि:
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल | Rutherford ka parmanu modelउपरोक्त टिप्पणियों और निष्कर्षों के आधार पर, रदरफोर्ड ने तत्वों की परमाणु संरचना का प्रस्ताव रखा। रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल थॉम्पसन मॉडल से बहुत अलग था। रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार:
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियांयद्यपि रदरफोर्ड परमाणु मॉडल प्रयोगों के निष्कर्ष पर आधारित था, लेकिन यह कुछ चीजों की व्याख्या करने में विफल रहा। अर्थात इस मॉडल में कुछ कमियां थीं, जो कि निम्नलिखित हैं-
इन सीमाओं के बावजूद भी रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल अभी भी छात्र के लिए परमाणु और उसके घटक कणों के लिए पहला सफल दृष्टिकोण रखने के लिए उपयोगी है और यह उन्हें पढ़ाया भी जाता है। इसके आलावा इस परमाणु मॉडल के आधार पर ही अन्य कई परमाणु मॉडल बनाये गए। रदरफोर्ड के मॉडल के कुछ ही समय बाद 1913 में भौतिक विज्ञानी नील्स बोहर ने इसे यह समझाने के लिए संशोधित किया कि परमाणु स्वयं को नष्ट क्यों नहीं करता है, और इस मॉडल को हम नील्स बोहर के परमाणु मॉडल के नाम से जानते हैं। Solution : (1) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल के अनुसार, परमाणु अस्थिर होगा जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। ltबरgt (2) रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में कक्षाओं में घूमने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या निश्चित नहीं की गई थी। ltबरgt (3) रदरफोर्ड के अनुसार, परमाणु स्पेक्ट्रम सतत् होना चाहिए किन्तु प्रयोग करने पर सतत् के स्थान पर स्पष्ट रेखायें दिखायी पड़ती हैं। • इलेक्ट्रॉन तथा नाभिक स्थिर वैद्युत आकर्षण के कारण एक दूसरे के करीब रहते हैं। वैद्युत आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।• नाभिक का प्रभावपूर्ण आकार परमाणु के आकार की तुलना में अति सूक्ष्म रहता है। • परमाणु में इलेक्ट्रॉन नाभि के चारो और जिन पथों पर घूमते हैं उन्हें इलेक्ट्रॉन की कक्षाएं कहते हैं। इलेक्ट्रॉन नाभि के चारो और वृत्तीय कक्षाओं में घूमते रहते हैं। • परमाणु का नाभिक जो कि धन आवेशित होता है परमाणु के इलेक्ट्रॉनों को जो कि ऋणावेशित होते हैं अपनी ओर आकर्षित करता है लेकिन वृत्तीय गति के कारण उत्पन्न अपकेंद्र बल (Centrifugal Force) इस बल को संतुलित (Balance) करता है। •रदरफोर्ड की परमाणु के नाभिक किए मॉडल की रचना सौर मंडल के समान होती है जिसमें विभिन्न ग्रह सदैव सूर्य के चक्कर काटते रहते हैं उसी प्रकार इलेक्ट्रॉन नाभिक के चक्कर काटते रहता है। रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल(Atomic Model) ने कई कमियां पाई गई जो इस प्रकार है - • नाभिक के चारों और असीमित वृत्तीय कक्षाएं संभव है। इनमें से इलेक्ट्रॉन किन कक्षाओं में घूमते हैं उनके वेग तथा विभिन्न कक्षाओं में उनकी संख्याएं कितनी है इत्यादि की जानकारी रदरफोर्ड के इस मॉडल से प्राप्त नहीं होती है। इन्हें भी पढ़ें - - इलेक्ट्रॉन,प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की खोज(Discovery of e-, p+, n)|Hindi - नाभिक क्या है तथा इसकी खोज किसने की(Nucleus of atom in hindi) - परमाणु(Atom):-परमाणु की परिभाषा तथा विभिन्न मॉडल - रदरफोर्ड का ⍺-कण प्रकीर्णन प्रयोग|Full Detailed in Hindi - बोर द्वारा प्रस्तावित परमाणु मॉडल (Bohr's Model) | hindi - इलेक्ट्रॉनिक विन्यास(Electronic configuration) | hindi - द्रव्यमान संख्या:परिभाषा,उदाहरण(Mass Number:Definition)|hindi - परमाणु क्रमांक:परिभाषा ,उदाहरण( Atomic Number) | hindi - समस्थानिक और समभारिक:परिभाषा,उदाहरण(Isotopes & Isobars)|hindi - आयन(Ion):परिभाषा,निर्माण,प्रकार व धनायन तथा ऋणायन का निर्माण,उदाहरण hope you guys like this post, please subscribe, share, comment and follow my page for more updates... रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल क्या है समझाइए?रदरफोर्ड ने कहा कि नाभिक के चारो ओर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार कक्षाओ में जिन्हे कक्षा कहा गया। इन कक्षाओ में इलेक्ट्रॉन बहुत तेजी से घूमते हैं। इसलिए यह परमाणु मॉडल सौरमंडल से मिलता-जुलता है,जिसमे सूर्य नाभिक होता है और ग्रह गतिमान इलेक्ट्रॉन की तरह होते हैं।
रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की मुख्य विशेषता क्या है और रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की कमियां बताएं?रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की निम्न विशेषताएँ :-
1) परमाणु में धन आवेशित केन्द्र होता है जिसे नाभिक (nucleus) कहते हैं। 2) नाभिक धन आवेशित होता है क्योंकि उसमें धन आवेशित प्रोटॉन स्थित होते हैं। परमाणु का लगभग सम्पूर्ण द्रव्यमान नाभिक में स्थित होता है। (नाभिक में प्रोटॉन व न्यूट्रॉन उपस्थित होते हैं।
रदरफोर्ड परमाणु मॉडल की क्या सीमाएं है?उत्तर : रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल की सीमाएँ निम्न हैं - परमाणु का लगभग सारा द्रव्यमान नाभिक में ही होता है और इलेक्ट्रॉन उसी के चारों ओर निश्चित कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं, और नाभिक का आकार परमाणु के आकार की तुलना में काफी कम होता है । पर वे इलेक्ट्रॉन का कक्षाओं में वितरण को स्पष्ट नहीं कर पाए थे।
रदरफोर्ड मॉडल में क्या कमी थी?Solution : रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में अग्र दो कमियाँ थीं- <br> (1) यह मॉडल परमाणु के स्थायित्व की व्याख्या नहीं कर सका। <br> (2) यह परमाणु की इलेक्ट्रॉनिक संरचना को स्पष्ट नहीं कर पाया।
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