राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग: भूमिका व प्रभावकारिता
इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस लेख में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की भूमिका व प्रभावकारिता पर चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार, यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं। Show
संदर्भमानव के विकास के लिये कुछ अधिकार समान रूप से सभी को उपलब्ध होने चाहिये। लेकिन दुनिया में कई ऐसे लोग हैं जो इन अधिकारों अर्थात मानवाधिकारों से वंचित हैं। हम अक्सर यह सुनते आए हैं कि दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लोगों के मानवाधिकारों का हनन होता रहता है। इसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण द्वितीय विश्वयुद्ध है। विश्वयुद्ध के दौरान जहाँ व्यापक जन-धन की हानि हुई वहीँ मानवाधिकारों का भी व्यापक उल्लंघन हुआ। लाखों लोग शरणार्थी जीवन जीने के लिये विवश हो गए। सभ्य समाज का हिस्सा होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति के मानवाधिकारों का संरक्षण बेहद ज़रूरी है। इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिये 10 दिसंबर, 1948 को संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानवाधिकारों पर सार्वभौम घोषणापत्र जारी किया। 16 दिसंबर, 1966 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ‘नागरिक एवं राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय समझौता’ तथा ‘आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय समझौते’ का प्रारूप प्रस्तुत किया जिस पर भारत भी एक हस्ताक्षरकर्त्ता देश है। इस आलेख में मानव अधिकार अधिनियम की विशेषताएँ, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की संरचना, उद्देश्य, कार्य, शक्तियों और आवश्यक सुधारों पर चर्चा की जाएगी। मानव अधिकार क्या है?
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की संरचना
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के कार्य और शक्तियाँ
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की सीमाएँ
प्रमुख सुझाव
निष्कर्ष: 21वीं सदी मानवाधिकारों की सदी है। किसी भी व्यक्ति, सरकार या प्राधिकरण को इन अधिकारों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने या इन्हें सीमित करने का कोई अधिकार नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति जाति, पंथ, नस्ल, लिंग, संस्कृति, सामाजिक और आर्थिक स्थिति की भिन्नता के बावजूद इन अधिकारों को समान रूप से प्राप्त करता है। मानवाधिकारों और इनके उल्लंघन से जुड़े मुद्दों के प्रति पूरी गंभीरता प्रदर्शित करते हुए भारत में भी इसके संरक्षण के लिए प्रभावशाली कदम सतत रूप से उठाए जाते रहने चाहिये और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग को अधिक सशक्त बनाना ऐसे उपायों की श्रृंखला में एक महत्त्वपूर्ण चरण होगा। प्रश्न- मानव अधिकार से आप क्या समझते हैं? भारत में मानवाधिकारों के संरक्षण में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की भूमिका का मूल्यांकन कीजिये। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का क्या महत्व है?यह आयोग देश में मानवाधिकारों का प्रहरी- अर्थात संविधान द्वारा अभिनिश्चित अंतर्राष्ट्रीय संधियों में निर्मित और भारत में न्यायालय द्वारा अधिरोपित किए जाने वाले जीवन, स्वतंत्रता, समता और व्यक्तिगत मर्यादा से संबंधित अधिकार।
मानव अधिकार का उद्देश्य क्या है?मानव अधिकारों का सम्बन्ध मानव की स्वतंत्रता, समानता एवं गरिमा के साथ जीवन जीने के लिए स्थितियाँ उत्पन्न करने से होता हैं । मानव अधिकार ही समाज में ऐसा वातावरण उत्पन्न करते हैं जिसमें सभी व्यक्ति समानता के साथ निर्भीक रूप से मानव गरिमा के साथ जीवन कायम कर पाते हैं ।
मानव अधिकार क्या है भारत में मानव अधिकार विषय पर निबंध लिखिए?मानवाधिकारों को सार्वभौमिक अधिकार कहा जाता है जिसका प्रत्येक व्यक्ति अपना लिंग, जाति, पंथ, धर्म, संस्कृति, सामाजिक/आर्थिक स्थिति या स्थान की परवाह किए बिना हकदार है। ये वो मानदंड हैं जो मानव व्यवहार के कुछ मानकों का वर्णन करते हैं और कानून द्वारा संरक्षित हैं। पृथ्वी पर रहने वाले हर इंसान को जीवित रहने का अधिकार है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का मुख्य दायित्व क्या है?राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग प्रत्येक व्यक्ति के मूल मानवाधिकारों की रक्षा करता है। यह भारत में मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़ी शिकायतों की जांच पड़ताल करता है।
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