Show हेलो..दोस्तो माय नियर एग्जाम में आपका स्वागत हैं। आज हम भारतीय नागरिकों के लिए कौन कौन से मौलिक अधिकार हैं इस बारे में विस्तार से जानकारी देने वाले वाले है। इस लेख में आपको और हमारे यानी भारतीयों के लिए संविधान में कौन-कौन से मौलिक अधिकार है इसके बारे जानेंगे। पिछले लेख में हम आपको मौलिक अधिकार क्या है? अर्थ, इतिहास एवं विशेषताएं के बारे में जानकारी उपलब्ध कराया था। मौलिक अधिकार पहले 7 थे, अब 6 है।
मौलिक अधिकार कितने और कौन कौन से है
समता या समानता का अधिकार
a.विधि के समक्ष समानता b. विधियों का समान संरक्षण विधि के समक्ष समानता : विधि के समक्ष समानता वाक्यांश ब्रिटिश संविधान से लिया गया है जिसे डायसी ने 'विधि का शासन' कहां है। इसका अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति विधि के ऊपर नहीं है तथा एक सी परिस्थिति वाले व्यक्तियों के साथ विधि द्वारा दिए जाने वाले अधिकारों तथा कर्तव्य के संबंध में समान व्यवहार किया जाएगा। विधियों का समान संरक्षण : विधियों का समान संरक्षण वाक्यांश अमेरिका के संविधान से लिया गया है जिसका तात्पर्य है कि समान परिस्थितियों वाले प्रत्येक व्यक्ति के साथ समान व्यवहार किया जाएगा। नोट : विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों को प्राप्त है चाहे वह भारतीय नागरिक हो या विदेशी हो।
खंड-2 सार्वजनिक स्थानों पर भेदभाव का निषेध करता है। खंड-3 राज्यों के स्थितियों और बालकों के लिए विशेष प्रावधान करने की शक्ति प्रदान करता है।
नोट : सेना या अकादमिक सामान के सिवाय राज्य अन्य किसी भी उपाधि का प्रावधान नहीं करेगा, क्योंकि उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है।
स्वतंत्रता का अधिकार
Q.मौलिक अधिकार के अंतर्गत स्वतंत्रता का अधिकार कौन-कौन से हैं? Ans : भारतीय संविधान में मौलिक अधिकार के अंतर्गत छह प्रकार के स्वतंत्रता का अधिकार का उल्लेख है ,जो इस प्रकार है। अनुच्छेद 19 (a) : बोलने की स्वतंत्रता एवं प्रेस की स्वतंत्रता। सूचना पाने की स्वतंत्रता का अधिकार। अनुच्छेद 19 (b) : शांति पूर्वक बिना हथियारों के कथित होने और सभा करने की स्वतंत्रता काा अधिकार। अनुच्छेद 19 (c) : किसी भी प्रकार के संघ बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार। अनुच्छेद 19 (d) : देश के किसी भी भू-भाग में आवागमन की स्वतंत्रता का अधिकार। अनुच्छेद 19 (f) : देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने की स्वतंत्रता का अधिकार।
जैसे :(i) किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए सिर्फ एक बार सजा मिलेगी। (ii) अपराधी को केवल तत्कालीन कानूनी उपबंध के तहत सजा मिलेगी। (iii) किसी भी नागरिक को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
नोट : अनुच्छेद 21(a) मूल अधिकार के अंतर्गत राज्य 6 से 14 वर्ष के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराएगा। (86 वा संविधान संशोधन, 2002)
जैसे : (i) यदि किसी नागरिक को मनमाने तरीके से हिरासत में लिया गया है तो उसे हिरासत में लेने का कारण बताना होगा। (ii) हिरासत में लिए गए नागरिकों 24 घंटों के अंदर (आवागमन को छोड़कर) निश्चित दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा। (iii) हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अपने पसंद के अधिवक्ता से सलाह लेने की अधिकार होगा। शोषण के विरुद्ध अधिकार
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार
संवैधानिक उपचारों का अधिकार
मौलिक अधिकार (रीट) कितने और कौन कौन से हैंभारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 द्वारा सर्वोच्च न्यायालय को 5 प्रकार के रीट निकालने की अधिकार प्रदान की गई है:-
बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) :-यह बंदी प्रत्यक्षीकरण लेख (रीट) उस व्यक्ति के विरुद्ध जारी किया जाता है जो किसी अन्य व्यक्ति को निरोध में रखता है। उसको गिरफ्तार करने वाले व्यक्ति को यह आदेश दिया जाता है कि 24 घंटे के अंदर वह उस व्यक्ति को दंडाधिकारी के सामने उपस्थति करे। इस दौरान यात्रा के समय को शामिल नहीं की जाती है। परमादेश (Mandamus) :-यह प्रमादेश लेख कुछ पदाधिकारी को जारी किया जाता है, जो अपने सार्वजनिक कर्तव्य से विमुख हो गया है। जिससे वहां अपने कर्तव्य का पालन कर सकें। प्रतिषेध लेख (Prohibition) :-यह प्रतिषेध लेख सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय को जारी किया जाता है। इस लेख के माध्यम से शीर्ष न्यायालय अधीनस्थ न्यायालय को उसके क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर किसी भी मामले पर कार्रवाई करने से रोकता है। जिससे किसी नागरिक के साथ अन्याय ना हो। उत्प्रेषण (Centiorari) :-यह उत्प्रेषण लेख (रिट) सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय द्वारा अधीनस्थ न्यायालय को जारी किया जाता है। यह आदेश दिया जाता है कि किसी लंबित मुकदमे के न्याय निर्णय के लिए उसे वरिष्ठ न्यायालय को भेजा जाए। अधिकार पृच्छा लेख (Quo-warranto) :-यह अधिकार लेख सर्वोच्च या उच्च न्यायालय द्वारा, उसे जारी किया जाता है, जो ऐसे पदाधिकारी के रूप में कार्य करने लगता है,जिस रूप में कार्य करने का उसे वैधानिक अधिकार प्राप्त नहीं होता है। न्यायालय इस लेख के माध्यम से उस व्यक्ति से पूछता है कि किस अधिकार से वह कार्य कर रहा है। Video Credit : Praveen Sir YouTube channel : EDU TERIA इसे भी पढ़े:-
अन्य लेख:- 6 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं Anuched?अनुक्रम. 1 उद्भव एवं विकास. 2 मौलिक अधिकार 2.1 समता का अधिकार (समानता का अधिकार) 2.2 स्वतंत्रता का अधिकार 2.3 शोषण के विरुद्ध अधिकार 2.4 धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार 2.5 संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार 2.6 कुछ विधियों की व्यावृत्ति 2.7 संवैधानिक उपचारों का अधिकार. 3 सन्दर्भ. 4 बाहरी कड़ियाँ. संविधान में कितने मौलिक अधिकार है?जिसे 44वें संविधान संशोधन द्वारा हटा दिया गया था। अब केवल छः मौलिक अधिकार हैं; जो इस प्रकार है। (i) सभी लोगों, नागरिकों और बाहरी लोगों को कानून (विधि) के समक्ष समानता का अर्थ है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता और भारत की सीमा क्षेत्र के भीतर कानून की समान सुरक्षा से इन्कार नहीं करेगा।
अनुच्छेद 21 22 क्या है?कॉन्सटीट्यूशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 कहता है, देश के किसी भी इंसान को उसके जीवन या उसकी स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जा सकता. न ही किसी व्यक्ति को भारत में कानून के समक्ष समानता या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित किया जाएगा। यह उनका मौलिक अधिकार है.
11 मौलिक अधिकार कौन कौन से हैं?वनों, झीलों, नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण को महत्व देना, उसकी रक्षा करना और उसमें सुधार करना और जीवित प्राणियों के प्रति दयाभाव रखना। वैज्ञानिक सोच, मानवतावाद और जांच और सुधार की भावना का विकास करना। सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना और हिंसा से दूर रहना।
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