राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- राष्ट्रपति
- लोकसभा अध्यक्ष
- प्रधान मंत्री
- उपरोक्त में से कोई नहीं
Answer (Detailed Solution Below)
Option 1 : राष्ट्रपति
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HCS (Haryana) CT 1: Indian Polity
10 Questions 10 Marks 12 Mins
सही उत्तर राष्ट्रपति है।
- राष्ट्रपति राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में अनुसूचित जातियों के हितों की रक्षा के लिए काम करता है।
- यह अनुसूचित जाति समुदाय को भेदभाव और शोषण से बचाने के साथ-साथ अनुसूचित जाति समुदाय के उत्थान के लिए सुविधाएं प्रदान करता है।
- भारत के संविधान का अनुच्छेद 338 इस आयोग से संबंधित है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के कार्य:
- संविधान के अंतर्गत एससी के लिए प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों के विषय में सभी मुद्दों की निगरानी और जांच।
- एससी के अधिकारों और सुरक्षा उपायों से वंचित करने से संबंधित शिकायतों में पूछताछ करना।
- अनुसूचित जातियों के सामाजिक-आर्थिक विकास की योजना के संबंध में भाग लेना और केंद्र या राज्य सरकारों को सलाह देना।
- इन सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन पर देश के राष्ट्रपति को नियमित सूचना देना।
- एससी के सामाजिक-आर्थिक विकास और अन्य कल्याणकारी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए कदम उठाने की सिफारिश करना।
- एससी समुदाय के कल्याण, संरक्षण, विकास और उन्नति के संबंध में कोई अन्य कार्य।
- अतः, विकल्प 1 सही है।
एनसीएससी इतिहास:
- इस विशेष अधिकारी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आयुक्त के रूप में नामित किया गया था।
- 1987 में, सरकार ने संसद के विभिन्न सदस्यों के दबाव पर, एक सदस्यीय आयोग के बजाय एससी और एसटी के कल्याण के लिए एक बहु-सदस्यीय आयोग बनाने का निर्णय लिया।
- संविधान में 65वें संशोधन ने एक सदस्यीय प्रणाली को बहु-सदस्यीय राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के साथ बदल दिया।
- संविधान (65वां संशोधन) अधिनियम 1990 ने संविधान के अनुच्छेद 338 में संशोधन किया।
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए नए गठित राष्ट्रीय आयोग में आयोग के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के अलावा 5 सदस्य शामिल थे।
- 2003 में 89वें संशोधन ने 2004 के बाद इस आयोग को निम्नलिखित के साथ बदल दिया:
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग
- सूरज भान की अध्यक्षता में अनुसूचित जाति के लिए पहला राष्ट्रीय आयोग 2004 में बनाया गया था।
Latest Haryana Civil Services Updates
Last updated on Oct 22, 2022
Haryana Civil Services tentative vacancies announced for the upcoming 2023 cycle. A total of 94 vacancies are expected for various posts including DSP, HCS, AEO, and others. For the ongoing 2021 cycle, the mains exam of the HPSC Civil Services 2021 was held on 29th October 2022 and 1st November 2022. Candidates who will qualify for all the rounds of the exam will be selected finally. The Haryana Civil Services Result for the same is expected to be released soon.
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग
- 26 Feb 2021
- 7 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विजय सांपला (Vijay Sampla) को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes- NCSC) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
प्रमुख बिंदु:
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के बारे में:
- NCSC एक संवैधानिक निकाय है जो भारत में अनुसूचित जातियों (SC) के हितों की रक्षा हेतु कार्य करता है।
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 338 इस आयोग से संबंधित है।
- यह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति हेतु कर्तव्यों के निर्वहन के साथ एक राष्ट्रीय आयोग के गठन का प्रावधान करता है जो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांँच और निगरानी कर सकता है, अनुसूचित जाति एवं जनजाति से संबंधित विशिष्ट शिकायतों के मामले में पूछताछ कर सकता है तथा उनकी सामाजिक-आर्थिक विकास योजना प्रक्रिया में भाग लेने के साथ सलाह देना का अधिकार रखता है।
- पृष्ठभूमि:
- विशेष अधिकारी:
- प्रारंभ में संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था।
- इस विशेष अधिकारी को आयुक्त (Commissioner) के रूप में नामित किया गया।
- प्रारंभ में संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति का प्रावधान किया गया था।
- 65वांँ संविधान संशोधन अधिनियम 1990:
- 65वांँ संशोधन, 1990 द्वारा एक सदस्यीय प्रणाली को बहु-सदस्यीय राष्ट्रीय अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) आयोग के रूप में परिवर्तित कर दिया गया।
- संविधान के 65वें संशोधन अधिनियम,1990 द्वारा अनुच्छेद 338 में संशोधन किया गया।
- 89वांँ संविधान संशोधन अधिनियम 2003:
- इस संशोधन द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति हेतु गठित पूर्ववर्ती राष्ट्रीय आयोग को वर्ष 2004 में दो अलग-अलग आयोगों में बदल दिया गया। इसके तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ( National Commission for Scheduled Castes- NCSC) और अनुच्छेद 338-A के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes- NCST) का गठन किया गया।
- विशेष अधिकारी:
- संरचना:
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की संरचना इस प्रकार है:
- अध्यक्ष।
- उपाध्यक्ष।
- तीन अन्य सदस्य।
- इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित एक सीलबंद आदेश द्वारा की जाती है।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की संरचना इस प्रकार है:
- कार्य:
- संविधान के तहत SCs को प्रदान किये गए सुरक्षा उपायों के संबंध में सभी मुद्दों की निगरानी और जांँच करना।
- SCs को उनके अधिकार और सुरक्षा उपायों से वंचित करने से संबंधित शिकायतों के मामले में पूछताछ करना।
- अनुसूचित जातियों से संबंधित सामाजिक-आर्थिक विकास योजनाओं पर केंद्र या राज्य सरकारों को सलाह देना।
- इन सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन हेतु राष्ट्रपति को नियमित तौर पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना।
- SCs के सामाजिक-आर्थिक विकास और अन्य कल्याणकारी गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करना।
- SC समुदाय के कल्याण, सुरक्षा, विकास और उन्नति के संबंध में कई अन्य कार्य करना।
- आयोग द्वारा अन्य पिछड़े वर्गों (Other Backward Classes-OBCs) और एंग्लो-इंडियन समुदाय के संबंध में भी अपने कार्यों का निर्वहन उसी प्रकार किये जाने की आवश्यकता है जिस प्रकार वह SCs समुदाय के संबंध में करता है।
- वर्ष 2018 तक आयोग को अन्य पिछड़े वर्गों के संबंध में भी इसी प्रकार के कार्यों का निर्वहन करने का अधिकार था। वर्ष 2018 में 102वें संशोधन अधिनियम द्वारा आयोग को इस ज़िम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया।
अनुसूचित जाति के उत्थान हेतु अन्य संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 15 (4) अनुसूचित जाति की उन्नति हेतु विशेष प्रावधानों को संदर्भित करता है।
- अनुच्छेद 16 (4 अ) यदि राज्य के तहत प्रदत्त सेवाओं में अनुसूचित जाति का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है, तो पदोन्नति के मामले में यह किसी भी वर्ग या पदों हेतु आरक्षण का प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है।
- अनुच्छेद 46 अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा समाज के कमज़ोर वर्गों के शैक्षणिक व आर्थिक हितों को प्रोत्साहन और सामाजिक अन्याय एवं शोषण से सुरक्षा प्रदान करता है।
- अनुच्छेद 335 यह प्रावधान करता है कि संघ और राज्यों के मामलों में सेवाओं और पदों पर नियुक्तियों हेतु अनुसूचित जातियों तथा अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के दावे को लगातार प्रशासनिक दक्षता के साथ ध्यान में रखा जाएगा।
- संविधान के अनुच्छेद 330 और अनुच्छेद 332 क्रमशः लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में सीटों को आरक्षित करते हैं।
- पंचायतों से संबंधित संविधान के भाग IX और नगर पालिकाओं से संबंधित भाग IXA में SC तथा ST के सदस्यों हेतु आरक्षण की परिकल्पना की गई है जो कि SC और ST को प्राप्त है।