गुरुत्वाकर्षण बल उर्ध्वाधर नीचे की तरफ कार्यरत होता है।
अत: गुरुत्वाकर्षण त्वरण उर्ध्वाधर कार्य करेगा।
लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल क्षैतिज में शून्य होता है अत: गुरुत्वाकर्षण त्वरण का मान क्षैतिज के लिए शून्य होगा।
गुरुत्वाकर्षण त्वरण क्षैतिज में = ax =0
गुरुत्वाकर्षण त्वरण का उर्ध्वाधर घटक ay = – g
यहाँ ऋणात्मक चिन्ह यह दर्शाता है की त्वरण उर्ध्वाधर नीचे की तरफ कार्यरत है।
t समय बाद माना वस्तु के निर्देशांक (x , y) है तो गति के द्वितीय समीकरण से
x = Ut + at2/2
t समय बाद वस्तु द्वारा तय क्षैतिज दूरी
u = ux , a = ax = 0
मान समीकरण में रखने पर
अत: x = Ucosθt
t समय बाद वस्तु द्वारा तय की गयी उर्ध्वाधर दूरी
u = uy , a = ay = -g
गति के द्वितीय समीकरण में सभी मान रखने पर
प्रक्षेप्य का उड्डयन काल (time of flight of a projectile)
जब वस्तु को फेंका जाता है तो फेंकने के बाद से लेकर वस्तु के पुन: तल पर आने के बीच वस्तु हवा में गति करती रहती है , तो वस्तु हवा में जितनी देर रहती है या गति करती है इस समय को ही उड्डयन काल कहते है।
जब वस्तु को U वेग से फेंका जाता है तो माना t समय बाद वह वस्तु अपनी अधिकतम ऊँचाई तक पहुँच जाती है , अपनी अधिकतम ऊँचाई पर वस्तु का वेग V माने तो इसके घटक करने पर
क्षैतिज घटक = Vx
उर्ध्वाधर घटक = Vy
यहाँ उर्ध्वाधर घटकVy = 0 होगा क्योंकि वस्तु अपनी अधिकतम ऊँचाई पर है अत: अधिकतम ऊँचाई बिंदु पर वस्तु का उर्ध्वाधर घटक शून्य होगा।
गति के समीकरण V = U + at में मान रखने पर
उर्ध्वाधर के लिए
V = Vy , U = Uy , a = -g
समीकरण में मान रखने पर
Vy = Uy + att
चूँकि उर्ध्वाधर घटक के लिए Vy = 0 होगा
अत:
0 = Uy + (-gt)
चूँकि Uy = Usinθ
मान रखने पर
Usinθ – gt = 0
t = Usinθ /g
चूँकि वस्तु एक बार ऊपर जाएगी फिर नीचे आयेगी अत: उड्डयन काल T = 2t
T = 2Usinθ /g
प्रक्षेप्य की अधिकतम ऊँचाई (H) (maximum height of projectile)
जब किसी वस्तु को प्रक्षेप्य करते हुए फेंका जाता है तो वह अधिक कितनी ऊँचाई तक जाएगी इसका अध्ययन हम यहाँ करेंगे।
चूँकि वस्तु की अधिकतम ऊँचाई में उर्ध्वाधर घटक की भागीदारी ही होगी अत: यहाँ क्षैतिज घटक का कोई रोल नही होता है।
पिछले समीकरण से
माना वस्तु t समय पर अपनी अधिकतम ऊँचाई तक पहुँचती है अत:
t समय पर , y = H (अधिकतम ऊँचाई)
यहाँ t का मान समीकरण से लेने पर t = Usinθ /g
दोनों मान रखने पर समीकरण निम्न प्रकार बन जाता है
प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास (R) (horizontal range of a projectile)
जब वस्तु को प्रक्षेप्य गति के लिए फेंका जाता है तो वह अपने उड्डयन के दौरान क्षैतिज में दूरी तय करती है।
और फेंकने के बाद वह फेंके गए बिंदु से क्षैतिज में कितनी दूर जाकर गिरती है इसे प्रक्षेप्य की क्षैतिज परास कहते है। इसे R से व्यक्त करते है।
मान वस्तु को U प्रारंभिक वेग से फेंका जाता है , घटक करने पर हम देख सकते है की क्षैतिज परास के लिए केवल क्षैतिज घटक ही जिम्मेदार होगा।
उड्डयन काल का फार्मूला क्या होता है?
उड्डयन काल क्या है?
पारस का सूत्र क्या होता है?
प्रक्षेप्य क्या है उदाहरण दीजिए?