13 अप्रैल 1919 में क्या हुआ था? - 13 aprail 1919 mein kya hua tha?

13 अप्रैल को जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी है। देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। वह वर्ष 1919 का 13 अप्रैल का दिन था, जब जलियांवाला बाग में एक...

Pankajलाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीSat, 13 Apr 2019 01:55 AM

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13 अप्रैल को जलियांवाला बाग नरसंहार की 100वीं बरसी है। देश की आजादी के इतिहास में 13 अप्रैल का दिन एक दुखद घटना के साथ दर्ज है। वह वर्ष 1919 का 13 अप्रैल का दिन था, जब जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण सभा के लिए जमा हुए हजारों भारतीयों पर अंग्रेज हुक्मरान ने अंधाधुंध गोलियां बरसाई थीं। ये सभी जलियांवाला बाग में रौलट एक्ट के विरोध में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे।

पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में ऐतिहासिक स्वर्ण मंदिर के नजदीक जलियांवाला बाग नाम के इस बगीचे में अंग्रेजों की गोलीबारी से घबराई बहुत सी औरतें अपने बच्चों को लेकर जान बचाने के लिए कुएं में कूद गईं। निकास का रास्ता संकरा होने के कारण बहुत से लोग भगदड़ में कुचले गए और हजारों लोग गोलियों की चपेट में आए।

यह नरसंहार भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास का एक काला अध्याय है। 

संसद ने जलियांवाला बाग को एक अधिनियम “जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम,1951” पारित कर राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया था। इस स्मारक का प्रबंधन जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक न्यास (जेबीएनएमटी) करता है। 

क्या हुआ था उस दिन
बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग ऐसे भी थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे और सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे। जब नेता बाग में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर भाषण दे रहे थे तभी डायर ने बाग से निकलने के सारे रास्ते बंद करवा दिए। बाग में जाने का जो एक रास्ता खुला था जनरल डायर ने उस रास्ते पर हथियारबंद गाड़ियां खड़ी करवा दी थीं।

डायर करीब 100 सिपाहियों के सीथ बाग के गेट तक पहुंचा। उसके करीब 50 सिपाहियों के पास बंदूकें थीं। वहां पहुंचकर बिना किसी चेतावनी के उसने गोलियां चलवानी शुरु कर दी। गोलीबारी से डरे मासूम बाग में स्थित एक कुएं में कूदने लगे। गोलीबारी के बाद कुएं से 200 से ज्यादा शव बरामद हुए थे।

इस घटना के प्रतिघात स्वरूप सरदार उधमसिंह ने 13 मार्च 1940 को लंदन के कैक्सटन हॉल में इस घटना के समय ब्रिटिश लेफ़्टिनेण्ट गवर्नर मायकल ओ ड्वायर को गोली चला के मार डाला। उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था।

Jallianwala Bagh Massacre: आज से 103 साल पहले पंजाब के अमृतसर में 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग हत्याकांड हुआ था. इस हत्याकांड में सैकड़ों बेकसूरों को गोलियों से भून दिया गया था, जिसमें पुरुष, महिलाओं के साथ मासूम बच्चे भी शामिल थे. इस दिन को याद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि उनका अद्वितीय साहस और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा. इस मौके पर उन्होंने पिछले साल उद्घाटन किए गए जलियांवाला बाग स्मारक परिसर का एक वीडियो भी साझा किया. उन्होंने कहा कि 13 अप्रैल, 1919 के वे 10 मिनट हमारे स्वतंत्रता संग्राम की अमर कहानी बने, जिसके कारण आज हम स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना पा रहे हैं.

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं ने भी नरसंहार को "विदेशी शासन की क्रूरता और क्रूर अत्याचारों का प्रतीक" के रूप में याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की.

ब्रिटिश गवर्नमेंट रिकॉर्ड की मानें तो इस हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे, जबकि 1,200 लोग घायल हुए थे. 13 अप्रैल को बैसाबी का त्योहार मनाने के लिए जलियांवाला बाग में पुरुष, महिलाएं और बच्चे इकट्ठा थे, जिनपर क्रूर कर्नल रेजिनाल्ड डायर ने अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दिया था.  

What happened on April 13, 1919: जानिए क्या हुआ इस काले दिन

1.अंग्रेजों ने सार्वजनिक समारोहों पर प्रतिबंध लगाते हुए एक कठोर मार्शल लॉ लागू किया था. इस दिन बैसाखी के मौके पर पंजाब के अमृतसर के जलियांवाला बाग में निहत्थे प्रदर्शनकारियों और तीर्थयात्रियों की भीड़ जमा थी.

2.स्वतंत्रता सेनानियों सत्य पाल और डॉ सैफुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए भीड़ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए कार्यक्रम स्थल पर इकट्ठा हुई थी.

3.कर्नल डायर को जब सभा के बारे में पता चला, तो वह लगभग 50 सैनिकों के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा और उसने निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया.

4.करीब 10 मिनट तक कर्नल डायर के सैनिकों ने फायरिंग की और करीब 1,650 राउंड गोलियां चलाईं.

5.ब्रिटिश सरकार के अनुसार जलियांवाला बाग हत्याकांड में 379 लोग मारे गए थे और 1,200 घायल हुए थे. वहीं कुछ रिकॉर्ड कहते हैं कि इस हत्याकांड में लगभग एक हजार लोग मारे गए थे.

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6.इस नरसंहार ने भारतीयों को नाराज कर दिया और महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन का आह्वान किया.

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13 अप्रैल 1919 को क्या हुआ था?

Jallianwala Bagh Massacre: 13 अप्रैल 1919 का दिन जो हर भारतीय को सदियों के लिए दे गया गहरा जख्म Jallianwala Bagh Massacre स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान हुई जलियांवाला बाग की घटना अंग्रेजों का क्रूरतम अपराध था।

13 अप्रैल 1919 में कौन सा कांड हुआ था?

जालियाँवाला बाग हत्याकांड भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में १३ अप्रैल १९१९ (बैसाखी के दिन) हुआ था

13 अप्रैल को क्या मनाया जाता है?

सिखों को अपने धर्म के अनिवार्य हिस्से के रूप में पगड़ी लगाने की सख्त आवश्यकता के बारे में जागरूकता लाने के लिए 2004 से हर साल 13 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय पगड़ी दिवस (International Turban Day) मनाया जाता है। 2022 पगड़ी दिवस गुरु नानक देव की 553 वीं जयंती और बैसाखी के त्योहार का प्रतीक है।

13 अप्रैल 1919 को जलियाँवाला बाग में विरोध सभा हुई उसका क्या कारण था?

बैसाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग़ में रोलेट एक्ट, अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों व दो नेताओं सत्यपाल और सैफ़ुद्दीन किचलू की गिरफ्तारी के विरोध में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे।

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