जयपुर: कहते हैं जिस घर में तुलसी होती है उस घर में सुख-समृद्धि की कमी नहीं रहती है।ईश्वर की कृपा सदैव बनी रहती है। घर के आंगन में पूजनीय स्थान दिया जाता है। भगवान के भोग 56 भोग भी तुलसी के बिना अधूरा होता है। कार्तिक मास में तो तुलसी का महत्व और बढ़ जाता है। वैसे तो हम सब तुलसी के पौधे को पहचानते हैं। और श्यामा और रामा तुलसी के बारे में जानते हैं। लेकिन इसके अलावा भी तुलसी के वैज्ञानिक व आयुर्वेद लाभ मिलते हैं। इस पौधे के दो नहीं, 5 प्रकार हैं, जो स्वास्थ्य से लेकर वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है... Show श्यामा तुलसी, रामा तुलसी, विष्ण/ श्वेत तुलसी, वन तुलसी व नींबू तुलसी। 20 OCT: इन राशियों का बढ़ेगा सम्मान, इनका होगा अपमान, जानिए पंचांग व राशिफल तुलसी तो तुलसी है लेकिन दोनों का अपना महत्व है।आमतौर पर रामा तुलसी और श्याम तुलसी में दोनों मिलती है लेकिन इन दोनों में अंतर है... रामा तुलसी हर जगह आसानी से देखने वाली तुलसी होती है, जिसके पत्ती हल्के हरे रंग की होती हैं। राम तुलसी का पूजा आदि में अधिक प्रयोग होता है।हल्के हरे रंग के पत्तों एवं भूरी छोटी मंजरियों वाली तुलसी को राम तुलसी कहा जाता है। इस तुलसी की टहनियाँ सफेद रंग की होती हैं। इसकी शाखाएँ भी श्वेताभ वर्ण लिए हुए रहती हैं। इसकी गंध एवं तीक्ष्णता कम होती है। राम तुलसी का प्रयोग कई स्वास्थ्य एवं त्वचा संबंधी रोगों के निवारण के लिए औषधी के रूप में किया जाता है। श्यामा तुलसी एक ऐसी किस्म होती है, जिसकी पत्ती, मंजरी व शाखाएं बैंगनी-काले से रंग की होती हैं। सेहत के लिए श्यामा तुलसी आमतौर पर मिलने वाली राम तुलसी से ज्यादा फायदेमंद होती है। रामा तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी का स्वाद ज्यादा तेज और गर्म होता है। हरे पत्तों वाली राम तुलसी बच्चों के लिए और जामुनी रंग वाली श्यामा तुलसी जवान और बड़े उम्र लोगों के लिए अधिक लाभकारी होती है। Tips: बदले अपने बच्चे की इन आदतों को, तभी होगी उनकी सही परवरिश धार्मिक महत्व श्यामा तुलसी के पौधे की पूजा करना और घर में लगाना शुभ माना गया है। मां काली और हनुमान जी को श्यामा तुलसी चढ़ाना फलदायी है। श्यामा तुलसी की माला पहनने से आध्यत्मिक लाभ के अलावा परिवार में सुख और सम्पन्नता बढ़ती है, शांति मिलती है। श्याम तुलसी की माला सम्बन्धों और प्रेम में समस्या को सुधारने का काम भी करती है। ये माला बुरी नजर से बचाती है, निगेटिविटी दूर करती है और सकरात्मक सोच लाती है। तुलसी की माला चाहे गले में धारण करें या घर के मन्दिर में रखें।इससे भगवान के प्रति भक्ति-भावना बढती है। इस माला को सोमवार, बुधवार, गुरुवार को गंगाजल और कच्चे दूध से शुद्ध करके पहनना चाहिए। यह मदरसा है खास, यहां मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं गौसेवा का पाठ, सुनकर हो जाएंगे हैरान सेहत के लिए लाभकारी श्यामा तुलसी श्यामा तुलसी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाली, शरीर से विषैलें पदार्थों का नाश, तनाव दूर करने वाला, सिरदर्द नाशक होती है। ये तुलसी एंटी-बैक्टीरियल होती है। श्यामा तुलसी मलेरिया बुखार, कॉलरा, उलटी आना, कान का दर्द, फेफड़े के रोग जैसे ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, डायबिटीज, ल्यूकोडर्मा, दांत का दर्द, कफ की समस्या का इलाज किया जाता है। श्यामा तुलसी का काढ़ा किसी भी तरह के बुखार को ठीक करता है। श्यामा तुलसी स्टैमिना बढ़ाने में मददगार है। ये तुलसी मेटाबोलिज्म को सही बनाये रखता है और ठंडी के मौसम में होने वाले रोगों, इन्फेक्शन से सुरक्षा प्रदान करता है। श्यामा तुलसी के पत्तों का रस पानी में मिलाकर धोने से आँखों की रौशनी तेज होती है। ल्यूकोरिया की बीमारी में श्यामा तुलसी का अधिक सेवन करें,पीरियड में ब्लड ज्यादा आने पर भी इस तुलसी को पीसकर पानी में पीयें फायदा होगा। श्यामा तुलसी का रस एलर्जी से राहत दिलाता है। यह टेंशन, स्ट्रेस दूर करता है और बदलते मौसम से होने वाली जुकाम ठीक करता है। सर में डैंड्रफ की समस्या हो तो श्यामा तुलसी को पीसकर बाल की जड़ों में लगायें और आधे घंटे बाद धो लें। श्यामा तुलसी के सेवन से स्टोन किडनी की समस्या दूर होती है। विषयसूची राम तुलसी और श्याम तुलसी में क्या अंतर है?इसे सुनेंरोकेंरामा तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी का स्वाद ज्यादा तेज और गर्म होता है। हरे पत्तों वाली राम तुलसी बच्चों के लिए और जामुनी रंग वाली श्यामा तुलसी जवान और बड़े उम्र लोगों के लिए अधिक लाभकारी होती है। श्यामा तुलसी के पौधे की पूजा करना और घर में लगाना शुभ माना गया है। मां काली और हनुमान जी को श्यामा तुलसी चढ़ाना फलदायी है। तुलसी में दूध कब चढ़ाना चाहिए?इसे सुनेंरोकेंबृहस्पतिवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है इसलिए इस दिन श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए तुलसी की पूजा की जाती है। गुरुवार को स्नान के बाद तुलसी की जड़ को कच्चे दूध से सींचना चाहिए। इसके अलावा शाम के वक्त तुलसी के पेड़े का घी का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से तुलसी माता प्रसन्न होती है। तुलसी में दीपक कब नहीं जलाना चाहिए? इसे सुनेंरोकेंरविवार के दिन तुलसी को जल तो चढ़ा सकते हैं, लेकिन उसके नीचे दीपक नहीं जला सकते। भगवान गणेश और मां दुर्गा को कभी भी तुलसी ना चढ़ाएं। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि जहां भी तुलसी का पौधा लगाया गया है, वहां कभी गंदगी ना करें। कौन सी तुलसी घर में नहीं लगानी चाहिए? इसे सुनेंरोकेंतुलसी के पौधे को पूर्व दिशा में भी नहीं रखना चाहिए. इसे आप उत्तर से लेकर ईशान दिशा तक में रख सकते हैं. तुलसी के पौधे को पश्चिम दिशा की तरफ भी रखा जा सकता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि दक्षिण-पश्चिम में और दक्षिण में हमेशा श्यामा तुलसी रखी जाती है. सबसे बढ़िया तुलसी कौन सी है?इसके साथ खरीदें
तुलसी की देखभाल कैसे करें?इसे सुनेंरोकेंऐसी मिट्टी में लगाएं- यही कारण है कि तुलसी के पौधे को लगाते समय आपको ध्यान रखना है कि सिर्फ मिट्टी में उसे न लगाएं बल्कि उसकी जगह 70% मिट्टी और 30% रेत का इस्तेमाल करें। ऐसे में बारिश के मौसम में भी तुलसी की जड़ों में ज्यादा देर तक पानी नहीं टिकेगा और वो लंबे समय तक हरा-भरा रहेगा। घर में तुलसी कौन सी लगानी चाहिए? इसे सुनेंरोकेंध्यान देने वाली बात ये है कि दक्षिण-पश्चिम में और दक्षिण में हमेशा श्यामा तुलसी रखी जाती है. श्यामा तुलसी में पत्तियां बिल्कुल हरी और बड़ी होती हैं. इसे तुलसा जी भी कहते हैं. तुलसा जी को दक्षिण दिशा में रखने पर वास्तु दोष ज्यादा होते हैं. तुलसी माता को क्या चढ़ाया जाता है? इसे सुनेंरोकेंतुलसी पूजन विधि- तुलसी के नीचे हमेशा गाय के शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करना चाहिए, इसी के साथ नियमित रुप से संध्या के समय भी तुलसी में दीपक जरूर जलाना चाहिए। तुलसी में दीपक जलाने के साथ ही तुलसी में जल अर्पित करके परिक्रमा अवश्य करनी चाहिए। राम और श्याम तुलसी में क्या अंतर है?रामा तुलसी का इस्तेमाल पूजा-पाठ में किया जाता है. साथ ही, इसे घर में लगाने से सुख-समृद्धि का वास होता है. वहीं, श्यामा तुलसी गहरे हरे रंग या बैंगनी रंग की पत्तियों या बैंगनी तने वाली होती है. इसे गहरी तुलसी या फिर कृष्ण तुलसी के नाम से भी जाना जाता है.
घर में कौन सी तुलसी अच्छी होती है?वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में रामा या श्यामा तुलसी को लगाने के लिए कार्तिक मास का कोई भी गुरुवार सर्वोत्तम माना गया है। रामा तुलसी के पौधे की पत्तियां हरी होती है और इसे उज्जवल तुलसी के नाम से भी जाना जाता है। रामा तुलसी की पत्तियों का इस्तेमाल पूजा-पाठ में भी किया जाता है और इसके पत्ते स्वाद में हल्के मीठे होते हैं।
श्यामा तुलसी की क्या पहचान है?श्यामा तुलसी (Shyama Tulsi) की पत्तियां श्याम रंग या फिर बैंगनी रंग की होती हैं। इसी वजह से इसे श्यामा तुलसी कहते हैं। श्यामा तुलसी को कृष्ण तुलसी (Krishna tulsi) के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस तुलसी का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है, क्योंकि इसकी पत्तियां श्रीकृष्ण के रंग के समान होती हैं।
राम तुलसी कौन सी होती है?जिस तुलसी की पत्तियां हरी होती हैं, उसे उज्ज्वल या रामा तुलसी के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके पत्ते हल्के मीठे होते हैं साथ ही इसकी पत्तियों का इस्तेमाल पूजा-पाठ के लिए भी किया जाता है। ऐसे में इसे घर में लगाने से सुख-समृद्धि आती है। श्यामा तुलसी की पत्तियां श्याम रंग या फिर बैंगनी रंग की होती हैं।
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