रम कब और कैसे पीना चाहिए? - ram kab aur kaise peena chaahie?

भोपाल डेस्क. सर्दियां शुरू हो गई हैं। हालांकि दक्षिण भारत सहित कुछ जगहों में मानसून जाने के बाद भी बारिश जारी है। ऐसे में सर्दी लगने के बाद जुकाम-खांसी होने की आशंका रहती है। बदलते मौसम में कई लोग अल्कोहल को दवा के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। पश्चिम में अल्कोहल का प्रयोग सामान्य है। हालांकि भारत में इसे लेकर सामाजिक पाबंदिया हैं। 

कुछ लोग दावा करते हैं कि रम दवा भी है। बहुत सी बीमारियों के लिए इसे रामबाण बताते हैं।

क्या है रम (What is Rum) रम गन्ने के रस से बनती है जो मुख्य रूप से कैरीबियाई अल्कोहल है। मध्य अमेरिका और मेक्सिको सहित कई अन्य क्षेत्रों में भी इसका उत्पादन किया जाता है। रम एक ग्लूटेन-फ्री अल्कोहल है स्वाद में मीठे के साथ थोड़ा तीखी भी होती है। रम का स्वाद एक बारगी आपको थोड़ा फायर्ड यानि ज्वलनशील जैसा लगता है। रम पुरानी हो जाए तो यह हल्के भूरे और काले रंग में हो सकती है। रम का रंग ब्लड रेड या यलो होता। हालांकि रम का कोई सटीक इतिहास ज्ञात नहीं है लेकिन यह कैरिबियन में 500 से ज्यादा सालों से बड़े स्तर पर उत्पादित की जा रही है।

अल्कोहल की मात्रा- रम में अल्कोहल की मात्रा 40 से 60% तक होती है। रम कहीं-कहीं आम पेय की तरह इस्तेमाल होता है। जैसे कि रम और कोक बहुत लोकप्रिय हैं। दावा किया जाता है कि रम अगर सही मात्रा में ली जाए तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं होती है। हालांकि रम का अत्याधिक सेवन सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। डॉक्टर्स ने भी रम पीने के फायदे बताए हैं। डॉक्टरों के मुताबिक एक सही मात्रा में रम पीने के फायदे होते हैं। यह सेहत के लिए बहुत लाभदायक है साथ ही कुछ बीमारियों में दवा की तरह है।

रम दिल को रखती है दुरुस्त- दावा है कि रम दिल की बीमारियों से दूर रहने के लिए रम लाभदायक है। हार्ट अटैक से लेकर कैंसर तक की बीमारियों का खतरा रम कम कर देती है।

रम से सर्दियों में नहीं लगेगी ठंड- दावा यह भी है कि रम पीने से मौसमी सर्दी-जुकाम बिल्कुल दूर रहता है। रम के सेवन से ठंड लगने की समस्या नहीं होती और सर्दी जुकाम ठीक हो जाता है। खासतौर पर सर्दियों में रम पीने से सर्दी-जुकाम जल्दी नहीं होता है।

शरीर को गर्मी देती है रम- रम की तासीर गर्म होती है इसलिए दावा किया जाता है कि यह शरीर को उर्जा के साथ गर्मी प्रदान करती है। रम पीने से शरीर में गर्माहट आती है। अगर कोई व्यक्ति अत्यधिक ठंड महसूस कर रहा हो तो वह रम का सेवन करें। सर्दियों में मौसम के तापमान से संतुलन बनाने के लिए रम पी लेना बेहतर होता है। रम के सेवन से शरीर को गर्माहट मिलती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है रम- रम पीने को लेकर यह भी दावा किया जाता है कि यह रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है जिससे बीमारियों का खतरा कम होता है। रम पीने से आपसे कुछ बीमारियां कोसों दूर भागती हैं। रम के जरूरी पोषक तत्व शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं। परंतु इसके सेवन में मात्रा की अधिकता खतरनाक भी है।

मांसपेशी और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद - दावा है कि रम का सेवन से व्यक्ति जोड़ों के दर्द से निजात पाता है। हम आपको बता दें कि रम का सेवन बॉडी पेन और जोड़ों के दर्द को काफी कम करता है। रम पीने से मांसपेशियों में होने वाले दर्द से राहत मिलती है। खासतौर पर बुढ़ापे में रम का सेवन मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है।

एंटीसेप्टिक भी है रम- दिलचस्प दावा है कि रम एक एंटीसेप्टिक के तौर पर भी काम करती है इसलिए बहुत सी बीमारियों से बचने के लिए रम का सेवन किया जा सकता है।

अल्जाइमर और पार्किंसन में लाभदायक रम- सेवन करने वाले और अल्कोहल एक्सपर्ट यह भी दावा करते हैं कि रम के सेवन से मानसिक शांति मिलती है लेकिन इसका सेवन कम मात्रा में ही करें वरना एल्कॉहल के नशे से हंगामा भी हो सकता है। रम के सेवन से मानसिक रोग जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन रोग में फायदे का दावा किया जाता है।

रम पीने से नहीं होता डायबिटीज- दावा यह भी है कि रम के सेवन से डायबिटीज के लक्षण पहले ही दिख जाते हैं अगर आपको शुगर की समस्या हो तो रम इसको कम करने में काफी मददगार साबित हो सकती है। इसके साथ ही रम गैलस्टोन (पित्ताशय की थैली) से जुड़ी समस्याएं दूर करती है।

नींद नहीं आती तो पिएं रम- रम पीने को लेकर यह भी दावा है कि इसके सेवन के तुरंत बाद अच्छी नींद आती है। बहुत से लोग बॉडी को रिलेक्स करने के लिए रम का सेवन करते हैं। रम में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिनसे व्यक्ति को अच्छी नींद आती है। गहरी नींद में सोने के बाद सुबह उठने पर आप तरोताजा फील करते हैं। रात को रम पीने से सोने में कोई परेशानी नहीं होती और बॉडी रिलेक्स हो जाती है। (अत्यधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, एशियानेट न्यूज किसी भी तरह के किसी भी तरह से अल्कोहल के सेवन का समर्थन नहीं करता है।)

शराब पीना सही है या गलत, इस बात पर बहस बेमानी है, क्योंकि पीने वालों को तो बस पीने का बहाना चाहिए। लेकिन जान है तो जहान है, सुरूर की खातिर सेहत को नजरअंदाज करना मुमकिन नहीं। इसलिए जरूरी है कि पियो लेकिन रखो हिसाब।

हालांकि एक के बाद एक शोध बताते हैं कि कम शराब पीने और अच्छी सेहत के बीच गहरा रिश्ता है। तो क्या जाम टकराने वालों के लिए यह गुड न्यूज है? जरूरी नहीं, क्योंकि मधुशाला में मौज-मस्ती लूटने वालों की बीवियों की राय ऐसी किसी भी रिसर्च से अलग होगी। दरअसल, मियां-बीवी के मसले से परे हट कर मेडिकल साइंस ने माना है कि सीमित शराब पीकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बच सकते हैं। इसके पक्ष में सबूत भी पेश किए गए हैं।

अल्कोहल का नियंत्रित सेवन सेहत के लिए खून में अच्छा एचडीएल कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। साथ ही यह फाइब्रिनोजन जैसे घटक कम करता है, जो नसों में खून जमने से हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बनते हैं। रिसर्चर यह भी दावा करते हैं कि सीमित शराब पीने वालों को टाइप-2 डायबिटीज और पित्त पथरी का जोखिम कम रहता है। संयमित और अनुशासित होकर ही शराब को फायदेमंद बनाया जा सकता है। जैसे ही मात्रा बढ़ने लगती है तो फायदे की जगह नुकसान शुरू हो जाता है। इससे कोलन (मलाशय) और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है। हालांकि फोलिक एसिड के सेवन से महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम कर सकती हैं।

कम पीने का मतलब क्या?

सेहत पर पड़ने वाले इसके असर को लेकर अहम सवाल है कि इसकी लिमिट क्या है? अलग-अलग स्टडीज के आधार पर यह ड्रिंक लिमिट तय की गई है। मर्दो के लिए एक दिन में दो ड्रिंक्स और औरतों के लिए एक की लिमिट बताई गई है। अलग-अलग गणनाओं के बाद माना गया है कि एक ड्रिंक या पेग में लगभग 14 ग्राम अल्कोहल होता है। लगभग 340 एमएल की बीयर की छोटी बोतल, जिसमें 5 फीसदी अल्कोहल है, उसे एक ड्रिंक मान सकते हैं।

12 फीसदी अल्कोहल वाले लगभग 140 एमएल वाइन के गिलास और 40 फीसदी अल्कोहल वाली लगभग 40 एमएल की हार्ड लिकर (रम, व्हिस्की) के गिलास को भी एक ड्रिंक मान सकते हैं। शराब की यही वह लिमिट है, जिसका संबंध सेहत के साथ बताया गया है। लोगों की रोजाना की शराब की औसत खुराक के आधार पर यह स्टडी की गई है। यह अब भी बहस का विषय है कि कम शराब पीने से सेहत को किस तरह फायदा मिल सकता है। इसका मतलब यह है कि फायदा थोड़ी-थोड़ी मात्रा में रोज शराब पीने वालों को मिलेगा या फिर शराब की थोड़ी मात्रा बढ़ाकर और रोज पीने की बजाय हफ्ते में तीन-चार दिन पीने वालों को।

ज्यादा पीने के मायने क्या?

ज्यादा शराब पीने से होने वाले दुष्परिणामों की लंबी फेहरिस्त है। शराब का बहुत ज्यादा सेवन करने वालों को रोड एक्सिडेंट और लड़ाई-झगड़े जैसी मुसीबतों के अलावा अलग-अलग किस्म के कैंसर, हाई ब्लड प्रेशर और सिरोसिस जैसी घातक बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन अल्कोहल अब्यूज एंड अल्कोहॉलिज्म (एनआईएएए) के मुताबिक एक दिन में चार ड्रिंक और एक हफ्ते में 14 ड्रिंक से ज्यादा लेने वाले मर्द और एक दिन में तीन और एक हफ्ते में 7 ड्रिंक से ज्यादा लेने वाली महिलाएं पियक्कड़ की श्रेणी में आती हैं। लिमिट इसलिए है क्योंकि इससे ज्यादा पीने पर समस्याएं बढ़ जाती हैं।

अगर आपको कम पीने वालों की कैटेगिरी में ही रहना है तो विमहांस, दिल्ली के साइकोलॉजिस्ट पुलकित शर्मा बताते हैं, ‘डिप्रेशन या स्ट्रेस में शराब न पिएं क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसे वक्त लिमिट पर कंट्रोल नहीं रख पाते। एंजॉयमेंट मंे शराब भी सही नहीं है। बेहतर यही है कि अपनी लिमिट तय कर लें।’ अकेलेपन में भी पीने की लिमिट क्रॉस होने का खतरा रहता है। अगर उनके फैमिली मेंबर भी इस वक्त उन्हें अलर्ट करते रहेंगे, तो वे लिमिट में रहेंगे।

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में सोशल साइंस के एसोसिएट प्रोफेसर अमित कुमार शर्मा कहते हैं, ‘भारत में एक बहुत बड़ा तबका पश्चिमी मुल्कों की तरह सोचता है। यह तबका जिंदगी को अलादीन के चिराग की तरह मानता है और बहुत जल्दी मनचाही सफलता हासिल करना चाहता है। इनमें से बहुत सारे लोग जल्दी निराश हो जाते हैं और फिर शराब की तरफ बढ़ते हैं।’ पीने या न पीने का फैसला पूरी तरह आप पर है, क्योंकि यह बेहद निजी मामला है। लेकिन बढ़िया सेहत और खुशनुमा जिंदगी के लिए शराब से दूरी बेहतर है। अगर आप उसके सुरूर का लुत्फ लेना चाहते हैं, तो जाम पर काबू करना सीखिए, वरना जाम आप पर काबू पा जाएगा।

हार्वर्ड हेल्थ पब्लिकेशंस

शराब से दूर रहना ही अच्छा है, लेकिन अगर आप शराब पीते हैं, तो उसे सही ढंग से पीने के नुस्खों पर जरूर ध्यान दें:

‘शराब के मामले में संयमित रहने के लिए हमारी धर्म, परिवार या संस्कृति में आस्था होनी चाहिए, क्योंकि ये हमें शराब से दूर बनाए रखने में मदद करते हैं। एकदम से मिलने वाली खुशी और निराशा के मौकों पर सतर्क रहना चाहिए और सब चलता है वाली सोच नहीं रखनी चाहिए’

- डॉ. अमित कुमार शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, सोशल साइंस-जेएनयू

‘अगर आपको कम पीने वालों की कैटेगिरी में ही रहना है तो कभी भी डिप्रेशन या स्ट्रेस में शराब न पिएं, क्योंकि ज्यादातर लोग ऐसे वक्त में पीने की लिमिट पर कंट्रोल नहीं रख पाते। शराब मंे एंजॉयमेंट ढूंढना भी सही नहीं है। बेहतर यही है कि अपनी लिमिट तय कर लें’

- डॉ. पुलकित शर्मा, साइकोलॉजिस्ट, विमहांस हॉस्पिटल, दिल्ली

‘आपको डर है कि आप भी धीरे-धीरे मॉडरेट ड्रिंकर से हैवी ड्रिंकर की श्रेणी में जा सकते हैं, तो अपनी इच्छाशक्ति को बीच-बीच में जांचते रहिए। खाली पेट कभी भी पार्टियों में न जाएं। खाना खाकर पार्टी में जाएंगे, तो ज्यादा पीने के रिस्क से खुद को बचा सकेंगे’

रम पीने का सही तरीका क्या है?

रम की ज्यादातर वेरायटी को 40% एबीवी (मात्रा के अनुसार शराब) पर डाइल्यूट किया जाता है। यदि आपके रम में 40% या उससे कम ABV है, तो आप ड्रिंक का सबसे अच्छा आनंद उठा पाएंगे। यदि इसमें अधिक एबीवी है, तो इसे डाइल्यूट करके पीना ही सबसे अच्छा तरीका है।

रम में क्या मिलाकर पीना चाहिए?

यह किसी भी क्वालिटी की रम का आनंद लेने का एक आसान तरीका है। यह एक ऐसा ड्रिंक भी है जिसे लगभग किसी भी बार में बनाया जा सकता है। लगभग 60 mL लाइट या डार्क रम से स्टार्ट करके और स्वाद के लिए डार्क कोला डालने के साथ क्लासिक रम और कोक लें।

रम कब पीना चाहिए?

ऐसा मानने वालों के मुताबिक, रम सिर्फ जाड़े के मौसम में ही पीनी चाहिए क्योंकि यह शरीर को गर्माहट देती है.

रम कितनी मात्रा में पीने चाहिए?

Healthdirect.gov.au के मुताबिक, वयस्कों को शराब के जोखिम से बचे रहने के लिए एक हफ्ते में 10 ड्रिंक से अधिक और एक दिन में चार ड्रिंक से अधिक नहीं पीनी चाहिए. एक स्टैन्डर्ड ड्रिंक का साइज 330 ml बीयर और 30 ml हार्ड अल्कोहल (व्हिस्की, जिन आदि) और 150 ml वाइन (रेड और व्हाइट) होता है.