देश में जनता को कई तरह की सुविधा पहुंचाने के लिए बजट पेश किये जाते है, जिसमे जनता की सुविधा के लिए कई अहम फैसले लिए जाते है | इसी तरह राजकोषीय घाटा होता है | यह एक ऐसा शब्द है, जो आपने बजट पेश करते समय कई बार सुना होगा, क्योंकि यह लोगों के लिए बहुत अधिक फायदे मन साबित होता है, लेकिन बहुत से लोग ऐसे होते हैं, जो इसका नाम सुनते है, लेकिन उन्हें इसके
विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त होती है | इसलिए यदि आपको भी राजकोषीय घाटा के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको राजकोषीय घाटा क्या होता है | Fiscal Deficit Explained in hindi | इसकी पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है | सर्विस टैक्स या सेवा कर क्या होता है राजकोषीय घाटा जिसे फिस्कल डेफिसिट के नाम से भी जाना जाता है | यह एक ऐसा शब्द होता है, जिसमें डेफिसिट शब्द सरप्लस का एक दम उलट है, क्योंकि जब सरकार अपनी आय से अधिक खर्च करती है तो उस अधिक खर्च को राजकोषीय घाटा कहा जाता हैं और वहीं यदि सरकार खर्च से अधिक आय प्राप्त करती है, तो उस सरप्लस यानी फायदा मान लिया जाता है । सरकार मुख्य रूप से टैक्स और अपने व्यवसायों से प्राप्त करती है, लेकिन इस आमदनी में सरकार द्वारा लिया गया उधार शामिल नहीं किया जाता है | राजकोषीय घाटे कारण क्या है ?सरकार का खर्च आमदनी से अधिक होना राजकोषीय घाटे का सबसे बड़ा कारण मान जाता है। यह तब भी हो सकता है जब इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी लंबी अवधि की संपत्ति बनाने के लिए सरकार कोई बड़ा पूंजीगत व्यय करती है | डेफिसिट होने पर देश अपने केंद्रीय बैंक (भारत में आरबीआई) से आसानी के साथ उधार ले सकता है या ट्रेजरी बॉन्ड और बिल जारी करके पूंजी बाजार के माध्यम से भी रकम प्राप्त कर सकती है | राजकोषीय घाटा (FISCAL DEFICIT) को लेकर अर्थशास्त्रियों की राय क्या है ?कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि, राजकोषीय घाटे का सकारात्मक असर भी होने की संभावना होती है, खासकर तब जब अधिक खर्च सुधारों या मंदी को समाप्त करने के लिए किया जाता है । उच्च बेरोजगारी दर के मामले में, सरकारी खर्चों में वृद्धि से व्यापार के लिए एक बाजार तैयार होता है, जिससे आय और उपभोक्ता खर्च में वृद्धि होती है, जिससे प्रमुख रूप से व्यापार उत्पादन में वृध्दि होती है । व्यापार उत्पादन में वृद्धि से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि होती है। टैन (TAN) नंबर क्या होता है नीचे बजट 2016-17 के वास्तविक आंकड़े दिए गए हैं जिनसे आप अलग-अलग तरक के घाटों को समझ सकेंगे | बजट 2016-17 (आंकड़े करोड़ रुपये में)
यहाँ पर हमने आपको राजकोषीय घाटा क्या होता है ? इसके विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है | यदि आप इस जानकारी से संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव दे सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही निवारण किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे | फॉर्म 60 क्या है राजकोषीय घाटा क्या होता है? परिभाषा – राजकोषीय घाटा सरकार की कुल प्राप्तियों और कुल व्यय के बीच का अंतर है लेकिन उधार और अन्य देनदारियों को छोड़कर। राजकोषीय घाटा – राजकोषीय घाटे को उस राशि के रूप में परिभाषित किया जाता है जो सरकार सभी खर्चों को पूरा करने के लिए उधार लेती है। सरल शब्दों में, जब उधार को छोड़कर कुल व्यय, कुल राजस्व से अधिक हो जाता है, तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसकी गणना जीडीपी के प्रतिशत के रूप में की जाती है। राजकोषीय घाटे का सूत्र (फॉर्मूला) राजकोषीय घाटा = कुल व्यय – कुल राजस्व (उधार और अन्य देनदारियों को छोड़कर) इसका मतलब क्या है? राजकोषीय घाटा दर्शाता है कि सरकार को अपने खर्चों के लिए कितना उधार लेने की आवश्यकता है। यदि राजकोषीय घाटा अधिक होता है, तो सरकार को अधिक उधार लेना पड़ता है। राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3%, 4% या 5% है इसका क्या मतलब है? मान लीजिए किसी देश की जीडीपी 200 अरब डॉलर है और राजकोषीय घाटा 6 अरब डॉलर है, इसका मतलब है कि राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3% है। राजकोषीय घाटे की गणना जीडीपी के प्रतिशत के रूप में की जाती है। राजकोषीय घाटे के कारण (Causes of fiscal deficit in Hindi)1- मंदी, महामारी, युद्ध और प्राकृतिक आपदाएँ 2- अनावश्यक खर्च 3- सरकार द्वारा कुप्रबंधन 4- टैक्स चोरी 5- इन्फ्रास्ट्रक्चर को बनाने के लिए राजकोषीय घाटे का प्रभाव (Impact of Fiscal Deficit in Hindi)राजकोषीय घाटे के दुष्प्रभाव राजकोषीय घाटे का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव मुद्रास्फीति – राजकोषीय घाटे के कारण, सरकार अपने खर्चों को पूरा करने के लिए पैसे उधार लेती है, घाटे को पूरा करने के लिए आरबीआई पैसे छापता है, इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति होती है। कर्ज – राजकोषीय घाटा कर्ज के रूप में सरकार पर बोझ बढ़ाता है, इससे देश की इन्वेस्टमेंट रेटिंग कम हो जाती है। जो देश के आर्थिक विकास में बाधा का काम करता है। सरकार पर ज्यादा कर्ज होने पर सरकार को और कर्ज लेने के लिए ज्यादा ब्याज देना पड़ता है, और सरकार का बहुत सारा पैसा ब्याज भुगतान में चला जाता है। राजकोषीय घाटे को कम करने के उपाय (Measures to reduce fiscal deficit in Hindi)
प्रश्न 1- राजकोषीय घाटे की गणना कैसे की जाती है? | How fiscal Deficit is calculated in Hindiमान लीजिए, सरकारी का व्यय (करोड़ों में सभी मूल्य) सरकारी प्राप्तियां – 4-
राजस्व प्राप्तियां = ₹40000 राजकोषीय घाटा सूत्र का उपयोग करें राजकोषीय घाटा का क्या अर्थ है?राजकोषीय घाटा = सरकार का कुल व्यय (पूंजी और राजस्व व्यय) - सरकार की कुल आय (राजस्व प्राप्ति + ऋणों की वसूली + अन्य प्राप्तियाँ) यदि सरकार का कुल व्यय वित्तीय वर्ष में उसकी कुल राजस्व और गैर-राजस्व प्राप्तियों से अधिक है, तो वह अंतर वित्तीय वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा है।
राजकोषीय शब्द का अर्थ क्या होता है?राजकोषीय विशेषण
अर्थ : राजकीय कोष का या उससे संबंधित।
राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में क्या अंतर है?राजकोषीय घाटा सरकार द्वारा अपने खर्च को पूरा करने के लिए लिए गए कुल उधार को संदर्भित करता है। दूसरी ओर, राजस्व घाटा राजस्व व्यय की तुलना में राजस्व प्राप्तियों की कमी को दर्शाता है।
राजकोषीय घाटे से क्या संबंधित है?राजकोषीय घाटा क्या है? यह सरकार के कुल खर्च और उधारी को छोड़ कुल कमाई के बीच का अंतर होता है. दूसरे शब्दों में कहें तो राजकोषीय घाटा बताता है कि सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए कितने पैसों की जरूरत है. ज्यादा राजकोषीय घाटे का मतलब यह हुआ कि सरकार को ज्यादा उधारी की जरूरत पड़ेगी.
|