पढ़ाई के दौरान अच्छी आदतें और नियम भी जनना बहुत ही ज्यादा जरूरी है। पढ़ाई किस दिशा में करनी चाहिए? और पढ़ाई करने की सही दिशा क्या है? इस विषय में पूरी विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे इसके लिए पूरी पोस्ट जरूर पढ़ें। Show
हमारे प्रिय छात्रों आशा है की आप सब अच्छे और कुशल होंगे और बराबर पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे होंगे। जैसा की आप जानतें हैं की यहाँ हर रोज नई ज्ञान की बातें बताई जाती है। तो आज भी हमलोग जानेंगे की पढ़ाई किस दिशा में मुँह कर के करनी चाहिए? वैसे भी हमारा प्रयास रहा है एक विधार्थी के पढ़ाई करने की तरीकों को सरल और सुगम बनाने का। विधार्थी जीवन में कुछ-कुछ बाते बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जिसपर हमेशा ध्यान देने की जरुरत होता है। तभी वह एक सफल छात्र बन सकते हैं। उनमे से एक यह है की पढ़ाई करने की सही दिशा क्या होनी चाहिए? आइए जानते हैं कौन सी दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए? Padhai Karne ki sahi disha kaun si hai?
{tocify} $title={Table of Contents} पढ़ाई करने की सही दिशा क्या है?पढ़ाई करते समय विधार्थी का मुख पुर्व या उत्तर दिशा में होनी चाहिए। पढ़ाई करने वाले बच्चों को हमेशा पुर्व दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए। वास्तु के अनुसार इस दिशा को सरस्वती की दिशा माना जाता है। और इस दिशा में मुँह कर के पढ़ने वाले विधार्थी को अच्छी ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है। देव दिशा यानी की पुर्व की ओर मुख करके बैठने से अच्छे विचार और एकाग्रता में बढ़ोतरी होती है। पुर्व या उत्तर दिशा की ओर मुँह करके करनी चाहिए पढ़ाईपढ़ने के लिए शास्त्रों के अनुसार पुर्व की दिशा उत्तम मानी जाती है। क्योंकि इस दिशा को देव दिशा भी माना जाता है और कोई भी शुभ काम इसी दिशा में ही होता है ऐसे में पढ़ाई भी सरस्वती की प्रसाद रुपी तपस्या है जिससे की ज्ञान की देवी सरस्वती प्रसन्न हो सकें और बच्चें पढ़ाई में बहुत ही ज्यादा उच्च स्थान प्राप्त कर सकें। इस दिशा में ही लगाएं पढ़ने के लिए टेबलअगर आप घर में यह सोच रहे हो की पढ़ाई करने के लिए टेबल किस दिशा में लगाएं? ध्यान दें की स्टडी रुम के पुर्व के दीवाल से सटे टेबल को लगाएं और यह ध्यान रहें की बैठते समय मुँह पुर्व की ओर हो इसके अलावा आप जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं तो भी पढ़ाई करते वक्त कोशिश करे की पुर्व दिशा की ओर मुँह करके ही बैठें। अगर पुर्व की ओर किसी कारणवश नही बैठ सकतें हैं तो उत्तर की दिशा भी अच्छा माना जायेगा। इस दिशा की ओर मुख करके ना करें पढ़ाईएक छात्र को दक्षिण की ओर मुह करके पढ़ाई करने के लिए नही बैठना चाहिए। ऐसा माना जाता है की इस तरफ मुख करके पढ़ाई करने से बच्चों में अनुशासनहिन भावनाए प्रकट हो जाते हैं। तो आप लोगों को दक्षिण दिशा की ओर मुह करके पढ़ाई करने से बचना चाहिए। एक प्रकार से देखा जाए तो सिर्फ दिशा ही नही बहुत से ऐसे बातें हैं जिनके कारण बच्चों की पढ़ाई अव्यवस्थित हो सकता है। ऐसे में ध्यान दे की वह कारण क्या है और जल्द की उसका समाधान करें। स्टूडेंट का ऐसे होनी चाहिए रुमजब बात आपके पढ़ाई की हो ही रही है तो एक नजर पढ़ाई करने वाले रूम के बारे में बातें की जाए तो बेहतर ढंग से समझ पाएंगे। एक विधार्थी का रूम बिल्कुल साफ होनी चाहिए। और हर वस्तु को अपनी जगह पर रखें। कभी भी अध्ययन कक्ष में मनोरंजन यंत्र ना रखें जैसे की टीवी इत्यादी। आप चाहे तो कंप्यूटर रख सकतें हैं। लेकिन पहले पढ़ाई पर ध्यान देना अनिवार्य है। अध्ययन कक्ष में ऐसे बैठेंपढ़ाई करने के दौरान आपके मुँह पुर्व या उत्तर दिशा की ओर होनी चाहिए। और साथ में ये ध्यान दें की आपके मुख दरवाजे के सामने ना हो दरवाजे की तरफ पीठ करके बैठे ऐसा करने से आपको बाकी लोगों के द्वारा कोई परेशानी नही होगी और आप बेहतर तरीके से पढ़ाई कर सकेंगे। ये बाते थी विधार्थी से जुड़े हुए दिनचर्या की और हमारा प्रयास था एक छात्र की जीवन को सुगम बनाने का। आशा है की हमारे द्वारा किए गए एक छोटी सी प्रयास आपको काफी ज्यादा पसंद आया होगा जिसमें जाना की कौन सी दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए? और पढ़ाई करने की सही दिशा क्या है? जो की काफी अच्छे और आसान भाषा में बताएँ गए हैं। आपको ये कैसा लगा हमे कमेंट के माध्यम से जरूर बताएँ। किसी भी तरह की प्रश्न या सुझाव है वह हमें जरूर बताएँ । इसी तरह के उपयोगी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमसे हमेशा जुड़े रहें धन्यवाद, गलत रूम में पढ़ाई करते हैं आप तो कैसे होंगे पास.. पढ़ें 15 वास्तु टिप्स देवेंद्र सिंघई हम सभी को अपना स्टडी रूम
यानी अध्ययन कक्ष बहुत प्यारा होता है। हम उसे प्रतिदिन संवारते सजाते भी हैं लेकिन कई बार हमें नहीं पता होता है कि वह रूम किस वास्तु दोष से ग्रस्त है। आइए पढ़ें कुछ अहम जानकारियां.... * स्टडी रूम घर के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में
बनाना अतिलाभप्रद है। इस दिशा में बुध, गुरु, चंद्र एवं शुक्र चार ग्रहों से उत्तम प्रभाव प्राप्त होता है। इस दिशा के कक्ष में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को बुध ग्रह से बुद्धि वृद्धि, गुरु ग्रह में महत्वाकांक्षा एवं जिज्ञासु विचारों में वृद्धि, चंद्र ग्रह से नवीन विचारों की वृद्धि और शुक्र ग्रह से प्रतिभा वक्तृत्व एवं लेखन कला में निपुणता और धन वृद्धि होती है। * अध्ययन कक्ष में विद्यार्थी की टेबल पूर्व-उत्तर ईशान या पश्चिम में रहना चाहिए। दक्षिण आग्नेय व नैऋत्य या उत्तर- वायव्य
में नहीं होना चाहिए। * अध्ययन कक्ष में खिड़की या रोशनदान पूर्व-उत्तर या पश्चिम में होना श्रेष्ठ या दक्षिण में संभवतया नहीं रखें। * अध्ययन कक्ष में शौचालय कदापि नहीं बनाएं। * अध्ययन कक्ष की रंग संयोजना सफेद, बादामी, फीका, आसमानी या हल्का फिरोजी रंग दीवारों पर और टेबल-फर्नीचर पर श्रेष्ठ है। काला, लाल, गहरा नीला रंग कमरे में नहीं होना चाहिए। अध्ययन कक्ष भवन के पश्चिम-मध्य क्षेत्र में बनाना अतिलाभप्रद है। इस दिशा में बुध, गुरु, चंद्र एवं शुक्र ग्रहों से उत्तम प्रभाव प्राप्त होता है। इस दिशा के कक्ष में अध्ययन करनेवाले विद्यार्थियों को बुध से बुद्धि, गुरु से महत्वाकांक्षा की वृद्धि होती है * अध्ययन कक्ष का प्रवेश द्वार पूर्व उत्तर- मध्य या पश्चिम में रहना चाहिए। दक्षिण आग्नेय व नैऋत्य या उत्तर- वायव्य में नहीं होना चाहिए। * अध्ययन कक्ष में अभ्यास पुस्तकें रखने की रेक एवं टेबल उत्तर दिशा की दीवार से लगी होना चाहिए। * अध्ययन कक्ष में पेयजल, मंदिर, घड़ी उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए। * अध्ययन कक्ष में टीवी, मैगजीन,
अश्लील साहित्य व सीडी प्लेयर एवं वीडियो गेम, रद्दी अखबार, अनुपयोगी सामान एवं भारी वस्तुएं न रखें। * अध्ययन कक्ष में आदर्शवादी चित्र, सरस्वती माता एवं गुरुजनों के चित्र लगाना चाहिए। * युद्ध, लड़ाई-झगड़े, हिंसक पशु-पक्षियों के चित्र व मूर्तियां नहीं रखना चाहिए। * अध्ययन कक्ष में शयन नहीं करें। * अध्ययन कक्ष को अन्य कक्षों के जमीनी तल से ऊंचा या नीचा नहीं रखें। तल का ढाल पूर्व या उत्तर की ओर रखा जाए। * अध्ययन कक्ष में केवल ध्यान, अध्यात्म वाचन,
चर्चा एवं अध्ययन ही करना चाहिए। गपशप भोग-विलास की चर्चा एवं अश्लील हरकतें नहीं करना चाहिए। * अध्ययन कक्ष में जूते-चप्पल, मोजे पहनकर प्रवेश नहीं करना चाहिए। कौन सी दिशा में बैठकर पढ़ाई करनी चाहिए?इस बात का ध्यान रखें कि अध्ययन करते समय बच्चे का मुख उत्तर-पूर्व या फिर उत्तर या पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस दिशा को देव दिशा माना जाता है। इस दिशा में मुख करके पढ़ने से बच्चों को मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है। इसके उनके विचारों में उच्चता आती है और उनका मन भी एकाग्रचित होकर पढ़ाई में लगता है।
वास्तु के अनुसार पढ़ाई के लिए कौन सी दिशा सबसे अच्छी होती है?पढ़ाई के लिए पूर्व और उत्तर दिशा को वास्तु में अच्छा माना जाता है, इसलिए आप इस बात का ध्यान रखें कि स्टडी टेबल का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे.
कैसे बैठ कर पढ़ना चाहिए?वास्तु के अनुसार घर में जहां पर स्टडी रूम हो उसकी दिशा दक्षिण- पश्चिम में होनी चाहिए। ... . स्टडी रूम में टेबल का आकार वर्गाकार और आयताकार होना चाहिए। ... . किसी बीम या दुछती के नीचे बैठकर पढ़ना या सोना नहीं चाहिए, अन्यथा मानसिक तनाव उत्पन्न होता है और पढ़ाई में मन नहीं लगेगा।. रात में कितने बजे तक पढ़ना चाहिए?रात में कितने बजे तक पढ़ना चाहिए? यह बहुत से स्टूडेंट का सवाल होता है की रात में कितने बजे तक पढ़ना चाहिए? इसका सरल सा जबाव है की 11 से 11:30 तक पढ़ाई करनी चाहिए। वह इसलिए कयोंकि जल्दी सोने के बाद सुबह जल्दी उठे और सुबह में भी कुछ देर पढ़ सकते हैं।
|