पौधों में कोशिका की लम्बाई वृध्दि का कारण क्या है? - paudhon mein koshika kee lambaee vrdhdi ka kaaran kya hai?

जेनसन का मानना है कि पत्तियों के आकार का स्पष्टीकरण इनके संचरण तंत्र में छिपा है। पत्तियों द्वारा बनाई गई शर्करा नलिकाओं के एक जाल, जिसे फ्लोएम कहते हैं, के माध्यम से शेष पौधे में विसरित होती है। जैसे-जैसे शर्करा आगे बढ़ती है उनकी गति तेज़ होती जाती है। अत: जितनी बड़ी पत्ती होती है शर्करा के विसरण की गति उतनी ही तेज़ होती जाती है। परन्तु फ्लोएम तनों, शाखाओं और मुख्य तने में अवरोध उत्पन्न करता है। ऐसी स्थिति में एक ऐसा बिन्दु आ जाता है जब पत्ती के लिए बड़ा होना ऊर्जा की दृष्टि से व्यर्थ हो जाता है। ऊंचे-ऊंचे पेड़ इस सीमा को छूते हैं जहां उनकी पत्तियां बहुत छोटी हो जाती हैं क्योंकि शर्करा को वहां से जड़ों तक पहुंचने में एक लंबा रास्ता तय करना पड़ता है जो एक बड़ा अवरोध पैदा करता है। जेनसन द्वारा दी गई समीकरण यह सम्बंध बताती है कि जैसे-जैसे पेड़ ऊंचा होता जाता है बड़ी और छोटी दोनों प्रकार की पत्तियों के जीवित रहने की संभावना असामान्य रूप से कम हो जाती है। पत्तियों का आकार संकरा होता जाता है और लगभग 100 मीटर तक वह सीमा आ जाती है जब पत्तियां धारण करना ऊर्जा की दृष्टि से लाभप्रद नहीं होता। इससे ज़्यादा ऊंचाई पर पेड़ जीवित पत्तियां नहीं बना सकता है। इससे पता चलता है कि क्यों कैलिफोर्निया के रेडवुड के पेड़ की अधिकतम ऊंचाई 115.6 मीटर ही है।

पौधों में कोशिका की लम्बाई वृध्दि का कारण क्या है? - paudhon mein koshika kee lambaee vrdhdi ka kaaran kya hai?
दरअसल पेड़ों की ऊंचाई के मामले में दो विरोधी बल काम करते हैं। एक पेड़ को ऊपर की ओर खींचता है और दूसरा नीचे की ओर। जार्ज कोच के नेतृत्व में नार्दन ऐरीज़ोना विश्वविद्यालय के जीव वैज्ञानिकों की एक टीम ने इन बलों के रिश्तों का विश्लेषण कर किसी पेड़ की अधिकतम सैद्धांतिक ऊंचाई निकाली है। या वह बिन्दु जहां दोनों विरोधाभासी बल संतुलन की स्थिति में आ जाते हैं और ऐसी स्थिति में पेड़ वृद्धि करना बंद कर देता है। यह संतुलन बिन्दु 122 से 130 मीटर के बीच कहीं ठहरता है।
शोधकर्ताओं ने यह भी देखा है कि घने जंगलों में पेड़ की ज़्यादा से ज़्यादा ऊंचा बढ़ने की प्रवृत्ति होती है ताकि वे पड़ोसी पेड़ों से आगे बढ़कर तेज़ धूप तक पहुंच सकें। दूसरी तरफ गुरुत्वाकर्षण पेड़ों के शीर्ष पर उपस्थित पत्तियों तक जड़ों के द्वारा पानी का पहुंचाना मुश्किल बना देता है। अत: शीर्ष पर पत्तियां छोटी हो जाती हैं।
एक ऊंचाई पर पत्तियां लागत की तुलना में लाभप्रद नहीं रह जाती जैसा कि रेडवुड की सूई जैसी पत्तियां। तब पेड़ का ऊंचाई में वृद्धि करना बंद हो जाता है। ऐसा तब होता है जब प्रकाश संश्लेषण से प्राप्त ऊर्जा उतनी नहीं होती जितनी ऊर्जा उस ऊंचाई पर पानी को पहुंचाने में लगती है। इन परिस्थितियों में पेड़ों की ऊंचाई पर लगाम लग जाती है। जैसे-जैसे पेड़ की लम्बाई बढ़ती है गुरुत्व के कारण लगने वाले तनाव और रास्ते की लम्बाई के कारण उत्पन्न प्रतिरोध अंतत: पत्तियों के फैलाव तथा प्रकाश संश्लेषण को सीमित कर देता है। कुल मिलाकर पेड़ की ऊंचाई में वृद्धि रुक जाती है।
कैलिफोर्निया रेडवुड के पेड़ों की अधिकतम लंबाई होने के लिए कई कारक ज़िम्मेदार है। जिनमें नार्थ कैलिफोर्निया की समशीतोष्ण जलवायु, पोषकों से भरपूर मिट्टी, हमेशा बना रहने वाला कोहरा और घना जंगल जो पेड़ को सूर्य के प्रकाश तक पहुंचने में मदद करते हैं। इन सब परिस्थितियों के कारण ही रेडवुड दुनिया के सबसे ऊंचे पेड़ हैं। वे उतने ऊंचे हैं जितने सम्भवत: कोच और साथियों द्वारा प्रतिपादित समीकरण के अनुसार हो सकते थे।

हमने देखा कि किसी पेड़ की ऊंचाई को सीमित करने में सबसे बड़ा कारक गुरुत्वाकर्षण बल है। जिसके चलते एक निश्चित ऊंचाई के बाद वहां पत्तियों तक पानी पहुंचाना मुश्किल हो जाता है। पत्तियों में बनी शर्करा को तने व जड़ तक पहुंचाने का काम तो हमने देखा कि फ्लोएम नाम का जीवित ऊतक करता है। परन्तु जड़ों से पत्तियों तक पानी पहुंचाने का काम मृत छिद्रित कोशिकाएं करती हैं जिन्हें ट्रेकिड्स कहते हैं। ये पानी को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक पहुंचाती है।
जैसे-जैसे पेड़ की ऊंचाई बढ़ती है इन ट्रेकिड्स में उपस्थित छिद्रों का व्यास कम से कम होता जाता है। परिणामस्वरूप, पानी को ऊपर पहुंचाना और मुश्किल हो जाता है। वस्तुत: इतनी ऊंचाई पर पत्तियां पानी की कमी के कारण सूखे से उत्पन्न तनाव अनुभव करती है और वे सूख कर मरती रहती हैं। इससे पेड़ की अधिकतम ऊंचाई तय हो जाती है।
ऊंचाई के साथ हवा के बुलबुले भी ट्रेकिड्स में घुसकर समस्या पैदा करते हैंै। इसे ज़ाइलम एम्बोलिज़्म कहते हैं। जितना अधिक ऊंचा पेड़ होता है उतनी अधिक उसमें ज़ाइलम एम्बोलिज़्म की समस्या पैदा होने की आशंका रहती है।  ऐसा मनुष्यों में भी होता है जब हवा के बुलबुले रक्त वाहिनियों में घुस जाते हैं और रक्त प्रवाह को बाधित कर देते हैं।

इन्हीं विपरीत परिस्थितियों के कारण 115 मीटर की ऊंचाई पर शाखाएं एवं पत्तियां मरने लगती हैं और आगे वृद्धि रुक जाती है। पर्यावरणीय परिस्थितियां जीत जाती हैं और जीव हार जाता है।
अन्त में मेरे मन में एक सवाल आ रहा है: क्यों दुनिया के सबसे ऊंचे पौधे जिम्नोस्पर्म यानी नग्नबीजी हैं, फूलधारी पौधे क्यों नहीं? क्या इसमें फूलधारी पौधों के ज़ायलम में वेसल्स की उपस्थिति और जड़ों में मूल रोम का पाया जाना तो ज़िम्मेदार नहीं? क्योंकि ये दोनों लक्षण विकास की पायदान पर दूसरे नम्बर पर खड़े जिम्नोस्पर्म डगलस फर, क्रिसमिस ट्री और देवदार में नहीं पाए जाते। (स्रोत फीचर्स)


पादप ऊत्तक दो प्रमुख प्रकार के होते हैं - (१) विभाज्योतक (Meristematic) तथा (२) स्थाई ऊतक या अविभाज्योतक। विभाज्योतकों में विभाजन क्षमता पाई जाती है । यह ऊत्तक पौधे में वृद्धि और विकास के लिए उत्तरदायी होता है ।

विभाज्योतक प्रमुखतः तीन प्रकार पाए जाते हैं जो निम्नलिखित हैं-

(i) शीर्ष विभाज्योत्तक (Apical meristem)

  • यह ऊत्तक पादप के शीर्ष भाग और जड़ों की कोशिकाओं में पाया जाता है!
  • यह उत्तक पौधे की "प्राथमिक वृद्धि" के लिए उत्तरदायी होता है!
  • इस ऊतक का निर्माण प्राथमिक विभज्योतिकी के द्वारा होता है।

(ii) पार्श्व विभाज्योत्तक (Lateral meristem)

  • यह तने और जङ की मोटाई के लिए उत्तरदायी होता है!
  • यह पौधे की "द्वितीयक वृद्धि" के लिए उत्तरदायी उत्तक है!
  • यह कॉर्क कैम्बियन के रूप में छाल ( Bark ) के नीचे पाया जाता है।

(iii) अन्तर्वेशी (intercalary meristem)

  • किसी पौधे की Node(गांठ) के पास नई शाखा /पत्तियों के निकलने के लिए उत्तरदायी उत्तक यही होता है!
  • अन्तर्वेशी विभज्योतक ऊतक पर्वसंधियों पर पाए जाते है।
  • ये घास कुल ( चावल, मक्का, गन्ना इत्यादि ) के पौधो में पाए जाते हैं।

स्थाई उत्तक भी दो प्रकार के होते हैं-

(i) Simple (साधारण उत्तक)

(ii) Complex(जटिल उत्तक)

कौन सा उत्तक पौधों की लंबाई में वृद्धि करने में सहायक होता है?

पादप ऊत्तक दो प्रमुख प्रकार के होते हैं - (१) विभाज्योतक (Meristematic) तथा (२) स्थाई ऊतक या अविभाज्योतक। विभाज्योतकों में विभाजन क्षमता पाई जाती है । यह ऊत्तक पौधे में वृद्धि और विकास के लिए उत्तरदायी होता है ।

पौधे की लंबाई में वृद्धि के लिए कौन जिम्मेदार है?

Solution : शीर्षस्थ विभाज्योतक प्ररोह तथा मूल शीर्ष में पाया जाता है। इन विभाज्योतक कोशिकाओं की क्रियाशीलता के परिणाम स्वरूप पौधे लम्बाई में वृद्धि करते हैं।

पौधों की वृद्धि कैसे होती है?

पौधों की वृद्धि के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटैशियम हैं। आपको बता दें कि, पौधे में हरी पत्तियों के निर्माण के लिए नाइट्रोजन तत्व महत्वपूर्ण होता है जबकि, जड़ों को मजबूत और फूलों को बड़ा करने के लिए फास्फोरस की आवश्यकता होती है। इसके अलावा पोटैशियम पौधे को रोगों से लड़ने में मदद करता है।

पौधों की वृद्धि कौन करता है?

पादप वृद्धि हार्मोन या फाइटोहोर्मोन जटिल रासायनिक संरचना वाले सरल अणु होते हैं, जो पौधों की वृद्धि और शरीर क्रिया विज्ञान को नियंत्रित करते हैं। पादप वृद्धि प्रवर्तक - उदा. ऑक्सिन, जिबरेलिन्स और साइटोकिनिन्स।