प्रदोष काल का समय कौन सा है? - pradosh kaal ka samay kaun sa hai?

राष्ट्रीय मिति भाद्रपद 17, शक संवत् 1944, भाद्रपद शुक्ल, त्रयोदशी, बृहस्पतिवार, विक्रम संवत् 2079। सौर भाद्रपद मास प्रविष्टे 23, सफ़र 11, हिजरी 1444 (मुस्लिम), तदनुसार अंग्रेजी तारीख 08 सितंबर सन् 2022 ई॰। सूर्य दक्षिणायण उत्तर गोल, शरद ऋतु।

राहुकाल अपराह्न 01 बजकर 30 मिनट से 03 बजे तक। त्रयोदशी तिथि रात 09 बजकर 03 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि का आरंभ। श्रवण नक्षत्र अपराह्न 01 बजकर 46 मिनट तक उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र का आरंभ।

अतिगण्ड योग रात्रि 09 बजकर 40 मिनट तक उपरांत सुकर्मा योग का आरंभ। कौलव करण पूर्वाह्न 10 बजकर 34 मिनट तक उपरांत गर करण का आरंभ। चंद्रमा अर्धरात्रोत्तर 12 बजकर 39 मिनट तक मकर उपरांत कुंभ राशि पर संचार करेगा।

आज का व्रत त्योहार : प्रदोष व्रत

सूर्योदय का समय 8 सितंबर 2022 : सुबह 06 बजकर 2 मिनट पर।
सूर्यास्त का समय 8 सितंबर 2022 : शाम 06 बजकर 35 मिनट पर।

आज का शुभ मुहूर्त 8 सितंबर 2022 :
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 54 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। निशीथ काल मध्‍यरात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक। गोधूलि बेला शाम 6 बजकर 22 मिनट से 6 बजकर 46 मिनट तक। अमृत काल आधी रात के बाद 2 बजकर 8 मिनट से 3 बजकर 35 मिनट तक। रवि योग रात को 1 बजकर 46 मिनट से सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक।

आज का अशुभ मुहूर्त 8 सितंबर 2022 :
राहुकाल दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से 3 बजे तक। सुबह 9 बजे से 10 बजकर 30 मिनट तक गुलिक काल रहेगा। सुबह 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट यमगंड रहेगा। दुर्मुहूर्त काल सुबह 10 बजकर 13 मिनट से 11 बजकर 3 मिनट तक। उसके बाद दोपहर में 3 बजकर 14 मिनट से 4 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। पंचक रात को 12 बजकर 39 मिनट से लेकर सुबह 6 बजकर 3 मिनट तक।

आज का उपाय : तुलसी को कच्चे दूध में जल मिलाकर सीचें और शाम के वक्त घी का दीपक दिखाएं। (आचार्य कृष्णदत्त शर्मा)

Shani Pradosh Vrat: शनिवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का काफी महत्व होता है. हर महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. आज 5 नवंबर  2022 को शनि प्रदोष व्रत रखा जाएगा.

प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं. प्रदोष काल सूर्यास्त से प्रारम्भ हो जाता है. जब त्रयोदशी तिथि और प्रदोष साथ होते हैं तो उस समय को शिव पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है.  ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के समय शिवजी प्रसन्नचित मनोदशा में होते हैं. आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत का मुहूर्त, पूजा विधि.

शनि प्रदोष व्रत समय (Shani Pradosh Vrat Timings & Shubh Muhurat)

कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी

प्रारम्भ - नवम्बर 05, शाम 5 बजकर 6 मिनट से शुरू

समाप्त- नवम्बर 06, सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर समाप्त


शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त  (Shani Pradosh Vrat Shubh Muhurat)

ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 4 बजकर 51 मिनट से सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक

अभिजित मुहूर्त-  सुबह 11 बजकर 42 मिनट से 12 बजकर 26 मिनट तक 

विजय मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 54 मिनट से  शाम 2 बजकर 37 मिनट तक 

अमृत काल- शाम 7 बजकर 12 मिनट से रात 8 बजकर 47 मिनट तक 

रवि योग- रात 11 बजकर 56 मिनट से     नवम्बर 06, सुबह 6 बजकर 36 मिनट तक

निशिता मुहूर्त-  रात 11 बजकर 38 मिनट से नवम्बर 06, सुबह 12 बजकर 31 मिनट तक 

शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Shani Pradosh Vrat puja vidhi)
शिव मंदिरों में शाम के समय प्रदोष काल में शिव मंत्र का जाप करें. शनि प्रदोष के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठें और स्नान करके साफ कपड़े पहनें. गंगा जल से पूजा स्थल को शुद्ध कर लें. बेलपत्र, अक्षत, दीप, धूप, गंगाजल आदि से भगवान शिव की पूजा करें. इसके बाद ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें और शिव को जल चढ़ाएं. शनि की आराधना के लिए सरसों के तेल का दिया पीपल के पेड़ के नीचे जलाएं. एक दिया शनिदेव के मंदिर में जलाएं. व्रत का उद्यापन त्रयोदशी तिथि पर ही करें.

शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Shani Pradosh Vrat Significance)
पुराणों के अनुसार इस व्रत को करने से लम्बी आयु का वरदान मिलता है. हालांकि प्रदोष व्रत भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष माना जाता है, लेकिन शनि प्रदोष का व्रत करने वालों को भगवान शिव के साथ ही शनि की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है. इसलिए इस दिन भगवान शिव के साथ ही शनिदेव की पूजा अर्चना भी करनी चाहिए. मान्यता है कि ये व्रत रखने वाले जातकों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है.

1. पौष, शुक्ल त्रयोदशी। 15 जनवरी, शनिवार से प्रारंभ- त्रयोदशी तिथि 14 जनवरी को रात्रि 10.19 मिनट पर शुरू होकर 16 जनवरी दोपहर में 12.57 मिनट पर समाप्त होगी।

2. माघ, कृष्ण त्रयोदशी। 30 जनवरी, रविवार से प्रारंभ- कृष्ण त्रयोदशी तिथि 29 जनवरी को रात्रि 8.37 मिनट पर शुरू होकर 30 जनवरी को दोपहर में 5.28 मिनट पर समाप्त होगी।

3. माघ, शुक्ल त्रयोदशी। 14 फरवरी, सोमवार को त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- 13 फरवरी को सायंकाल 6.42 मिनट पर शुरू होकर 14 फरवरी को रात 8.28 मिनट पर समाप्त होगी।

4. फाल्गुन, कृष्ण त्रयोदशी। 28 फरवरी, सोमवार को कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ शाम 5.42 मिनट पर शुरू होकर 1 मार्च दोपहर 3.16 मिनट पर समाप्त होगी।

5. फाल्गुन, शुक्ल त्रयोदशी। 15 मार्च, मंगलवार को शुक्ल त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ दोपहर 1.12 मिनट पर शुरू होकर 16 मार्च को दोपहर 1.39 मिनट पर समाप्त होगी।

6. चैत्र, कृष्ण त्रयोदशी। 29 मार्च, मंगलवार के दिन कृष्ण त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ दोपहर 2.38 मिनट पर शुरू होगी तथा 30 मार्च को दोपहर 1.19 मिनट पर समाप्त होगी।

7. चैत्र, शुक्ल त्रयोदशी। 14 अप्रैल, गुरुवार (बृहस्पतिवार) को त्रयोदशी तिथि सुबह 4.49 मिनट पर शुरू होकर 15 अप्रैल को देर रात 3.55 मिनट पर समाप्त होगी।

8. वैशाख, कृष्ण त्रयोदशी। अप्रैल 28, गुरुवार (बृहस्पतिवार) को त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ देर रात 12.23 मिनट पर शुरू होकर 29 अप्रैल को देर रात 12.26 मिनट पर समाप्त होगी.

9. वैशाख, शुक्ल त्रयोदशी। 13 मई, शुक्रवार को त्रयोदशी तिथि 13 मई को शाम 5.27 मिनट पर शुरू होकर 14 मई को दोपहर 3.22 मिनट पर समाप्त होगी।

10. ज्येष्ठ, कृष्ण त्रयोदशी। 27 मई, शुक्रवार से प्रारंभ त्रयोदशी तिथि दिन 11.47 मिनट पर शुरू होकर 28 मई को दोपहर 1.09 मिनट पर समाप्त होगी।

11. ज्येष्ठ, शुक्ल त्रयोदशी। 12 जून, रविवार को त्रयोदशी तिथि 12 जून को देर रात 3.23 मिनट पर शुरू होगी तथा 13 जून को देर रात 12.26 मिनट पर समाप्त होगी।

12. आषाढ़, कृष्ण त्रयोदशी। 26 जून, रविवार को त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 26 जून को देर रात 1.09 मिनट पर शुरू होकर 27 जून को देर रात 3.25 मिनट पर समाप्त होगी।

13. आषाढ़, शुक्ल त्रयोदशी। 11 जुलाई, सोमवार को त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 11 जुलाई को देर रात 11.13 मिनट पर शुरू तथा 12 जुलाई को सुबह 7.46 मिनट पर समाप्त होगी।

14. श्रावण, कृष्ण त्रयोदशी। 25 जुलाई, सोमवार को त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ शाम में 4.1 मिनट पर शुरू होकर 26 जुलाई को शाम में 6.46 मिनट पर समाप्त होगी।

15. श्रावण, शुक्ल त्रयोदशी। 9 अगस्त, मंगलवार को त्रयोदशी तिथि शाम में 5.45 मिनट पर शुरू। 10 अगस्त को दिन 2.15 मिनट पर समाप्त होगी।

16. भाद्रपद, कृष्ण त्रयोदशी। 24 अगस्त, बुधवार को त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ सुबह में 8.30 मिनट से 25 अगस्त को सुबह 10.25 मिनट पर समाप्त होगी।

17. भाद्रपद, शुक्ल त्रयोदशी। 8 सितंबर, गुरुवार को त्रयोदशी तिथि देर रात 12.4 मिनट पर शुरू होकर 8 सितंबर को रात्रि 9.2 मिनट पर समाप्त होगी।

18. आश्विन, कृष्ण त्रयोदशी। 23 सितंबर, शुक्रवार त्रयोदशी देर रात 1.17 मिनट पर प्रारंभ होगी तथा 24 सितंबर को देर रात 2.30 मिनट पर समाप्त होगी।

19. आश्विन, शुक्ल त्रयोदशी। 7 अक्टूबर, शुक्रवार के दिन त्रयोदशी तिथि सुबह में 7.26 मिनट पर शुरू होकर 8 अक्टूबर को सुबह 5.24 मिनट पर समाप्त होगी।

20. कार्तिक, कृष्ण त्रयोदशी। 22 अक्टूबर, 22 शनिवार को त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ शाम 6.2 मिनट पर शुरू होगी तथा 23 अक्टूबर को शाम 06.03 मिनट पर समाप्त होगी।

21. कार्तिक, शुक्ल त्रयोदशी। 5 नवंबर, शनिवार को शाम में 5.6 मिनट पर त्रयोदशी तिथि शुरू होकर 6 नवंबर को शाम 4.28 मिनट पर समाप्त होगी।

22. मार्गशीर्ष, कृष्ण त्रयोदशी। 21 नवंबर, सोमवार को त्रयोदशी तिथि सुबह 10.7 मिनट पर शुरू तथा 22 नवंबर को सुबह 8.49 मिनट पर समाप्त होगी।

23. मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी। 5 दिसंबर, सोमवार को त्रयोदशी तिथि सुबह 5.57 मिनट से लगेगी तथा 6 दिसंबर को सुबह 6.47 मिनट पर समाप्त होगी।

प्रदोष काल कितने बजे होता है 2022?

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 05 नवंबर 2022 को शाम 05 बजकर 06 मिनट से हो रही है। इसका समापन 06 नवंबर 2022, रविवार को शाम 04 बजकर 28 मिनट पर होगा। वहीं शनि प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त 05 नवंबर को शाम 05 बजकर 41 मिनट से रात 08 बजकर 17 मिनट तक है।

प्रदोष काल कितने बजे से कितने बजे तक का होता है?

प्रदोष काल का मतलब है सूर्यास्त के 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद.

2022 में प्रदोष काल कब है?

प्रदोष व्रत की शुरुआत 21 नवंबर यानी आज सुबह 10 बजकर 07 मिनट पर होगी और इसका समापन 22 नवंबर को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर होगा. शिव पूजन का समय आज शाम 05 बजकर 34 मिनट से मिनट से लेकर रात 08 बजकर 14 मिनट रहेगा. प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले आप त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पहले उठ जाएं.

प्रदोष काल का सही समय कौन सा है?

प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले ही शुरू हो जाता है। प्रदोष व्रत करने वाले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर भगवान शिव का ध्यान करें।