पृथ्वी (अंग्रेज़ी: Earth) आकार में 5वां सबसे बड़ा ग्रह है और सूर्य से दूरी के क्रम में तीसरा ग्रह है। यह सौरमण्डल का एकमात्र ग्रह है, जिस पर जीवन है।
निर्माणपृथ्वी ग्रह का निर्माण लगभग 4.54 अरब वर्ष पूर्व हुआ था और इस घटना के एक अरब वर्ष पश्चात् यहां जीवन का विकास शुरू हो गया था। तब से पृथ्वी के जैवमंडल ने यहां के वायु मण्डल में काफ़ी परिवर्तन किया है। समय बीतने के साथ ओजोन पर्त बनी जिसने पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के साथ मिलकर पृथ्वी पर आने वाले हानिकारक सौर विकिरण को रोककर इसको रहने योग्य बनाया। पृथ्वी का द्रव्यमान 6.569x1021 टन है। पृथ्वी बृहस्पति जैसा गैसीय ग्रह न होकर एक पथरीला ग्रह है। पृथ्वी सभी चार सौर भौमिक ग्रहों में द्रव्यमान और आकार में सबसे बड़ी है। अन्य तीन भौमिक ग्रह हैं- बुध, शुक्र और मंगल। इन सभी ग्रहों में पृथ्वी का घनत्व, गुरुत्वाकर्षण, चुम्बकीय क्षेत्र और घूर्णन सबसे ज्यादा है। ऐसा माना जाता है कि पृथ्वी सौर नीहारिका के अवशेषों से अन्य ग्रहों के साथ ही बनी। इसका अंदरूनी हिस्सा गर्मी से पिघला और लोहे जैसे भारी तत्व पृथ्वी के केन्द्र में पहुंच गए। लोहा व निकिल गर्मी से पिघल कर द्रव में बदल गए और इनके घूर्णन से पृथ्वी दो ध्रुवों वाले विशाल चुंबक में बदल गई। बाद में पृथ्वी में महाद्वीपीय विवर्तन या विचलन जैसी भूवैज्ञानिक क्रियाएं पैदा हुई। इसी प्रक्रिया से पृथ्वी पर महाद्वीप, महासागर और वायुमंडल आदि बने। आंतरिक संरचनापृथ्वी की आंतरिक संरचना के सम्बन्ध में वैज्ञानिकों में अनेकों मतभेद हैं। भू-गर्भ में पाई जाने वाली परतों की मोटाई, घनत्व, तापमान, भार एवं वहाँ पर पाए जाने वाले पदार्थ की प्रकृति पर अभी पूर्ण सहमति नहीं हो पायी है। फिर भी तापमान, दबाव, घनत्व, उल्काओं एवं भूकम्पीय तरंगों पर आधारित प्रमाणों को एकत्रित करके पृथ्वी की आंतरिक संरचना के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के प्रयास किए गए हैं। पृथ्वी के अन्दर के हिस्से को तीन भागों में बाँटा गया है-
पृथ्वी की आकृति लघ्वक्ष गोलाभ के समान है। यह लगभग गोलाकार है जो ध्रुवों पर थोड़ा चपटी है। पृथ्वी पर सबसे उच्चतम बिंदु माउंट एवरेस्ट है जिसकी ऊँचाई 8848 मी. है। दूसरी ओर सबसे निम्नतम बिंदु प्रशांत महासागर में स्थित मारियाना खाई है जिसकी समुद्री स्तर से गहराई 10,911 मी. है। पृथ्वी की आंतरिक संरचना कई स्तरों के तीन प्रधान अंग है- ऊपरी सतह/ भूपर्पटी, मध्य स्तर/ मैंटल और आंतरिक स्तर/ धात्विक क्रोड। पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5% भाग भूपर्पटी का है जबकि 83% भाग में मैंटल विस्तृत है। शेष 16% भाग क्रोड है। पृथ्वी का निर्माण आयरन (32.1 फीसदी), ऑक्सीजन (30.1 फीसदी), सिलिकॉन (15.1 फीसदी), मैग्नीशियम (13.9 फीसदी), सल्फर (2.9 फीसदी), निकिल (1.8 फीसदी), कैलसियम (1.5 फीसदी) और एल्युमिनियम (1.4 फीसदी) से हुआ है। इसके अतिरिक्त लगभग 1.2 फीसदी अन्य तत्वों का भी योगदान है। क्रोड का निर्माण लगभग 88.8 फीसदी आयरन से हुआ है। भू रसायन शास्त्री एफ. डल्ब्यू, क्लॉर्क के अनुसार पृथ्वी की भूपर्पटी में लगभग 47 फीसदी ऑक्सीजन है। भू-पर्पटीपृथ्वी के ऊपरी भाग को भू-पर्पटी कहते हैं। यह अन्दर की तरफ़ 34 कि.मी. तक का क्षेत्र है। यह मुख्यतः बेसाल्ट चट्टानों से बना है। इसके दो भाग हैं- सियाल और सीमा। सियाल क्षेत्र में सिलिकन एवं एल्युमिना एवं सीमा क्षेत्र में सिलिकन एवं मैग्नीशियम की बहुलता होती है। कर्स्ट भाग का औसत घनत्व 2.7ग्राम/से.मी.3 है। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 0.5% भाग घेरे हुए है। भूपर्पटी अथवा क्रस्ट की मोटाई 8 से 40 कि.मी. तक मानी जाती है। इस परत की निचली सीमा को 'मोहोरोविसिक असंबद्धता' या 'मोहो असंबद्धता' कहा जाता है। पृथ्वी पर महासागर और महाद्वीप केवल इसी भाग में स्थित है। भूपटल की रचना सामग्रीभूपटल की रचना में सबसे अधिक ऑक्सीजन (46.80%), दूसरे स्थान पर सिलिकन 27.72% और तीसरे स्थान पर एल्यूमीनियम 8.13% का योगदान है। मैंटल2900 कि.मी. मोटा यह क्षेत्र मुख्यतः बैसाल्ट पत्थरों के समूह की चट्टानों से बना है। मैंटल के इस हिस्से में मैग्मा चैम्बर पाए जाते हैं। इसका औसत घनत्व 3.5 ग्राम/से.मी.3 से 5.5 ग्राम/से.मी.3 है। यह पृथ्वी के कुल आयतन का 83% भाग घेरे हुए है। मैंटल की मोटाई लगभग 2895 कि.मी. है। यह अर्द्ध-ठोस अवस्था में है। एक संक्रमण परत जो मैंटल को क्रोड या कोर से विभक्त करती है उसे गुटेनबर्ग असंबद्धता कहते हैं। केन्द्रीय भागपृथ्वी की आंतरिक परतें
पृथ्वी के केन्द्र के क्षेत्र को 'केन्द्रीय भाग' कहते हैं। यह सबसे बड़ा क्षेत्र है। यह क्षेत्र निकिल व फ़ेरस का बना है। इसका औसत घनत्व 13 ग्राम/से.मी.3 है। पृथ्वी का केन्द्रीय भाग सम्भवतः द्रव अथवा प्लास्टिक अवस्था में है। यह पृथ्वी का कुल आयतन का 16% भाग घेरे हुए है। पृथ्वी का औसत घनत्व 5.5 ग्राम/सेमी.3 एवं औसत त्रिज्या लगभग 6370 कि.मी. है। पृथ्वी के नीचे जाने पर प्रति 32 मीटर की गहराई पर तापमान 1ºC बढ़ता जाता है। पृथ्वी के स्थलीय क्षेत्र पर सबसे नीचा क्षेत्र जॉर्डन में मृत सागर के आसपास का क्षेत्र है। यह क्षेत्र समुद्र तल से औसतन 400 मीटर नीचा है। सबसे पहले पाइथागोरस ने बताया कि पृथ्वी गोल है और यह आकाश में स्वतंत्र रूप से लटकी हुई है। बाह्यतम क्रोड की विशेषता यह है कि यह तरल अवस्था में है जबकि आंतरिक क्रोड का पदार्थ ठोस पदार्थ की भांति व्यवहार करता है। इसकी त्रिज्या लगभग 1255 किमी. है। आंतरिक क्रोड के घूर्णन का कोणीय वेग पृथ्वी के कोणीय वेग से थोड़ा अधिक होता है। सर आइज़क न्यूटन ने साबित किया कि पृथ्वी नारंगी के समान है। जेम्स जीन ने इसे नारंगी के बजाए नाशपाती के समान बतलाया। पृथ्वी की बाह्य सतह को मुख्यतः 4 भागों में बाँट सकते हैं-
पृथ्वी की गतियाँपृथ्वी अपने अक्ष पर निरंतर घूमती रहती है। इसकी दो गतियां है- घूर्णनपृथ्वी के अक्ष पर चक्रण को घूर्णन कहते हैं। पृथ्वी पश्चिम से पूर्व दिशा में घूमती है और एक घूर्णन पूरा करने में 23 घण्टे, 56 मिनट और 4.091 सेकेण्ड का समय लेती है। इसी से दिन व रात होते हैं। परिक्रमणपृथ्वी सूर्य के चारों ओर अंडाकार पथ पर 365 दिन, 5 घण्टे, 48 मिनट व 45.51 सेकेण्ड में एक चक्कर पूरा करती है, जिसे उसकी परिक्रमण गति कहते हैं। पृथ्वी की इस गति की वजह से ऋतु परिवर्तन होता है। स्थलाकृतियाँपृथ्वी का तल असमान है। तल का 70.8 फीसदी भाग जल से आच्छादित है, जिसमें अधिकांश महासागरीय नितल समुद्री स्तर के नीचे है। धरातल पर कहीं विशाल पर्वत, कहीं ऊबड़-खाबड़ पठार तो कहीं पर उपजाऊ मैदान पाये जाते हैं। महाद्वीप और महासागरों को प्रथम स्तर की स्थलाकृति माना जाता है जबकि पर्वत, पठार, घाटी निचले स्तरों के अंतर्गत रखे जाते हैं। पृथ्वी का तल समय काल के दौरान प्लेट टेक्टोनिक्स और क्षरण की वजह से लगातार परिवर्तित होता रहता है। प्लेट टेक्टोनिक्स की वजह से तल पर हुए बदलाव पर मौसम, वर्षा, ऊष्मीय चक्र और रासायनिक परिवर्तनों का असर पड़ता है। हिमीकरण, तटीय क्षरण, प्रवाल भित्तियों का निर्माण और बड़े उल्का पिंडों के पृथ्वी पर गिरने जैसे कारकों की वजह से भी पृथ्वी के तल पर परिवर्तन होते हैं। पृथ्वी देवीपुराकाल में अंगिराओं ने आदित्यों को यजन कराया। आदित्यों ने उन्हें दक्षिणा स्वरूप संपूर्ण पृथ्वी प्रदान की। दोपहर के समय दक्षिणा स्वरूप प्रदत्त पृथ्वी ने अंगिराओं को परितप्त कर दिया, अत: उन्होंने उसका त्याग कर दिया। उसने[1] क्रुद्ध होकर सिंह का रूप धारण किया तथा वह मनुष्यों को खाने लगी। उससे भयभीत होकर मनुष्य भागने लगे। उनके भाग जाने से क्षुधाग्नि में संतप्त भूमि में प्रदर[2] पड़ गये। इस घटना से पूर्व पृथ्वी समतल थी। पन्ने की प्रगति अवस्था
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पूरी पृथ्वी की गोलाई कितने किलोमीटर है?पृथ्वी त्रिज्या (Earth radius) पृथ्वी के केन्द्र से उसके सतह तक की दूरी है, जो कि लगभग 6,371 किलोमीटर (3,959 मील) है। यह पृथ्वी के गोले की औसत त्रिज्या है।
पृथ्वी की लंबाई और चौड़ाई कितनी है?पृथ्वी की चौड़ाई बारह हज़ार सात सौ छप्पन किलोमीटर (१२,७५६ कि. मी.) है और लंबाई बारह हज़ार सात सौ तेरह किलोमीटर (१२,७१३ कि. मी.)
पृथ्वी 1 घंटे में कितना घूमती है?Detailed Solution. पृथ्वी एक घंटे में 15 ° चलती है। 24 घंटे में, पृथ्वी 360 ° का एक चक्कर पूरा करती है अपनी धुरी के साथ। 1 डिग्री देशांतर 4 मिनट के बराबर होता है।
पृथ्वी 1 सेकंड में कितने किलोमीटर घूम जाती है?पृथ्वी प्रति सेकंड लगभग 27 किलोमीटर की औसत गति से सूर्य के चारों ओर घूमती है।
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