पेशाब रुक जाए तो क्या करें घरेलू उपाय? - peshaab ruk jae to kya karen ghareloo upaay?

बार-बार पेशाब आने से छुटकारा पाने के लिए करें ये घरेलू उपाय

parul rohatagi |

नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 30, 2020, 9:42 AM

कई लोगों को बार-बार पेशाब आने की समस्‍या रहती है जिसकी वजह से वो बहुत परेशान रहते हैं। कई स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं के कारण ऐसा हो सकता है।

कई लोगों को बार-बार पेशाब आने की शिकायत रहती है। इस वजह से वो किसी लंबे टूर पर भी नहीं जा पाते हैं। वहीं ऑफिस दूर होने पर घर पहुंचने तक पेशाब को रोक पाना भी इन लोगों के लिए मुश्किल हो जाता है। अगर आप भी बार-बार पेशाब आने की समस्‍या से परेशान हैं तो आपको बता दें कि बार-बार पेशाब आने के घरेलू उपाय आपको राहत दिला सकते हैं।बार-बार पेशाब आने के कारण
बहुत ज्‍यादा शराब या कैफीन के सेवन, किडनी प्रॉब्‍लम, मूत्राशय में समस्‍या, डायबिटीज मेलिटस, प्रेग्‍नेंसी, चिंता, मूत्रवर्द्धक दवाओं, स्‍ट्रोक, मस्तिष्‍क या तंत्रिका तंत्र से संबंधित स्थितियां, मूत्र मार्ग में संक्रमण, पेल्विक हिस्‍से में ट्यूमर, ओवरएक्टिव ब्‍लैडर सिंड्रोम, मूत्राशय कैंसर, किडनी या मूत्राशय में पथरी, पेशाब न रोक पाना, पेल्विक हिस्‍से में रेडिएशन जैसी ट्रीटमेंट लेना और क्‍लैमेडिया जैसे यौन संक्रमित रोग की वजह से बार-बार पेशाब आ सकता है।


बार-बार पेशाब आने के लक्षण
पेशाब करते समय दर्द होना, पेशाब में खून या अजीब रंग आना, पेशाब न रोक पाना या मूत्राशय का धीरे-धीरे कमजोर होना, पेशाब करने की इच्‍छा होना लेकिन पेशाब करने में दिक्‍कत आना, वजाइना या पेनिस से डिस्‍चार्ज होना, प्‍यास और भूख बढ़ना, बुखार, ठंड लगना, उल्‍टी, मतली और पीठ के निचले हिस्‍से में दर्द होना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

बार बार पेशाब आने का घरेलू उपचार है बेकिंग सोड़ा
ये एलकेलाइन होता है जो बार-बार पेशाब आने के लक्षणों को कम करता है और जिन स्थितियों के कारण ये समस्‍या होती है, उन्‍हें भी ठीक करता है। एक गिलास पानी में आधा चम्‍मच बेकिंग सोडा डालकर पी लें। दिन में एक बार इस पानी को पीने से फायदा होगा।


बार बार पेशाब आने का घरेलू उपाय है दही
दही में प्रोबायोटिक होते हैं जो मूत्र मार्ग में संक्रमण यानी यूटीआई की वजह से बार-बार पेशाब आने की समस्‍या को दूर करने में मदद करते हैं। दिन में एक बार एक छोटी कटोरी खाने से आपको इस दिक्‍कत से निजात पाने में मदद मिलेगी।

बार बार पेशाब आने का घरेलू नुस्खा है तुलसी
तुलसी एंटीऑक्‍सीडेंट की तरह काम करती है और शरीर से विषाक्‍त पदार्थों को भी बाहर निकालती है। इसके एंटीमाइक्रोबियल गुण यूटीआई के इलाज में मददगार होते हैं। आपको बता दें कि यूटीआई बार-बार पेशाब आने का प्रमुख कारण होता है। 5 से 7 तुलसी की पत्तियां लें और उन्‍हें पीसकर रस निकाल लें। अब इस रस में दो चम्‍मच शहद मिलाकर पी लें। रोज सुबह खाली पेट ये उपाय करने से लाभ होगा।


बार-बार पेशाब आने का घरेलू इलाज है ग्रीन टी
ग्रीन टी भी आपको इस परेशानी से राहत दिला सकती है क्‍योंकि इसमें माइक्रोबियल-रोधी गुण होते हैं। एक कप गर्म पानी में 5 से 7 मिनट के लिए एक चम्‍मच ग्रीन टी डालकर रखें। इसमें स्‍वादानुसार शहद मिलाकर दिन में दो बार पिएं।

ये चीजें न खाएं
जिन लोगों को बार-बार पेशाब आने की समस्‍या है वो कार्बोनेटेड ड्रिंक्‍स, शराब, कॉफी, चाय, चॉकलेट, खट्टे फल, मसालेदार चीजों, टमाटर, चीनी, कच्‍ची प्‍याज आदि का सेवन न करें।
अगर आपको बार-बार पेशाब आने की समस्‍या हो रही है तो उपरोक्‍त बताए गए घरेलू उपचार अपनाएं। यदि घरेलू नुस्‍खों से भी राहत नहीं मिल पा रही है तो तुरंत डॉक्‍टर को दिखाएं और सही उपचार लें।

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पेशाब में रुकावट होना आमतौर पर मूत्र पथ के अंगों से संबंधित समस्या होती है। इस स्थिति में पेशाब पूरी तरह से बंद हो जाता है या फिर उसकी मात्रा में थोड़ी बहुत कमी आ जाती है, जो कि स्थिति की गंभीरता और अंदरुनी कारणों निर्भर करता है। पेशाब न आना ही इस स्थिति का मुख्य लक्षण होता है। हालांकि, इसके साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं जैसे पेशाब करते समय दर्द होना, बार-बार पेशाब करने का मन करना और अधिक प्यास लगना आदि।

पेशाब बंद होने का कारण अक्सर गुर्दे, मूत्रवाहिनी या मूत्राशय से संबंधी समस्याएं होती हैं। साथ ही स्वास्थ्य संबंधी कुछ अन्य स्थितियां भी हैं, जो इस समस्या का कारण बन सकती हैं जैसे पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना आदि। इसके कारण का पता लगाने के लिए मरीज का शारीरिक परीक्षण किया जाता है, जिसमें उसकी शारीरिक जांच के साथ-साथ कुछ टेस्ट भी किए जाते हैं।

पेशाब में रुकावट का इलाज मुख्य रूप से इसके अंदरुनी कारणों के अनुसार किया जाता है। डॉक्टरों का मुख्य लक्ष्य इलाज की मदद से पेशाब के बहाव को फिर से शुरु करना होता है। अंदरुनी कारणों के अनुसार कुछ गंभीर मामलों में इलाज करने के लिए सर्जरी आदि की मदद लेनी पड़ सकती है। यदि समय पर इसका इलाज न किया जाए तो गुर्दे खराब हो सकते हैं।

पेशाब बंद होने के लक्षण - Urinary Tract Obstruction Symptoms in Hindi

पेशाब बंद होने की समस्या एकदम से या फिर धीरे-धीरे विकसित होती है। पेशाब बंद होने पर पेट के एक या दोनों तरफ दर्द होने लगता है। ऑब्सट्रक्टिव यूरोपैथी में होने वाला दर्द हर व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। साथ ही पेशाब बंद होने के लक्षण मुख्य रूप से रोग के प्रकार व गंभीरता पर भी निर्भर करते हैं, उदाहरण के लिए एक या दोनों गुर्दे प्रभावित होने पर दर्द व अन्य लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं।

बुखार, उल्टी और जी मिचलाना आदि कुछ लक्षण हैं, जो आमतौर पर पेशाब बंद होने के साथ देखे जा सकते हैं। जब पेशाब शरीर से बाहर नहीं जा पाता है, तो वह वापस गुर्दों की तरफ जाने लगता है, जिससे गुर्दों में सूजन, लालिमा व अन्य क्षति होने लगती है।

आपके पेशाब करने की आदत व प्रक्रिया में किसी तरह का बदलाव यूरेटर (मूत्र वाहिनी) में रुकावट होने का संकेत दे सकता है। इनमें निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -

  • पेशाब करने में दिक्कत होना पेशाब की धार कमजोर होना (कभी-कभी थोड़ा-थोड़ा पेशाब टपकना)
  • बार-बार पेशाब करने का मन करना, विशेष रूप से रात के समय (नोक्ट्यूरिया)
  • पेशाब में खून आना

यदि आपकी एक किडनी प्रभावित हुई है या मूत्रवाहिनी में रुकावट हो गई है, तो पेशाब की कुल मात्रा में कमी हो सकती है। यदि दोनो किडनी प्रभावित हुई हैं या दोनो तरफ की मूत्रवाहिनी रुक गई हैं, तो पेशाब की कुल मात्रा गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती है।

गर्भ में भ्रूण के पेशाब में रुकावट के लक्षण

गर्भ मे पल रहे भ्रूण के लिए भी ऑब्सट्रक्टिव यूरोपैथी काफी परेशान कर देने वाली स्थिति हो सकती है। गर्भ में पल रहे शिशु का पेशाब बंद होने का सबसे मुख्य संकेत होता है, गर्भ में एम्नियोटिक फ्लूड का स्तर सामान्य से कम हो जाना। पेशाब एम्नियोटिक द्रव का एक भाग होता है। ऑब्सट्रक्टिव यूरोपैथी से ग्रस्त भ्रूण पेशाब को शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता है। ऐसी स्थिति में एम्नियोटिक द्रव में कमी आ जाती है और शिशु के जन्म से संबंधित व अन्य घातक स्थितियां पैदा हो जाती हैं। 

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको लगता है कि आपका पेशाब सामान्य के मुकाबले कम आ रहा है या फिर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई एक भी महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

पेशाब में अचानक से रुकावट होना गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है, इसलिए जल्द से जल्द डॉक्टर से इस बारे में बात करें।

(और पढ़ें - बुखार की होम्योपैथिक दवा)

पेशाब बंद होना का इलाज - Urinary Tract Obstruction Treatment in Hindi

ऑब्स्ट्रक्टिव यूरोपैथी का इलाज उसके कारण के अनुसार किया जाता है। मरीज के लक्षणों और परीक्षण के परिणाम के अनुसार इलाज शुरु किया जाता है। पेशाब में रुकावट होने के इलाज का मुख्य लक्ष्य रुकावट को ठीक करके पेशाब के बहाव को फिर से चालू करना होता है। इसके लिए अलग-अलग इलाज प्रक्रियाओं की जरूरत भी पड़ सकती है, जो निर्भर करता है कि मूत्रपथ का कौन सा हिस्सा प्रभावित है या रुकावट किस हिस्से में है। यदि मूत्रपथ के किसी हिस्से में संक्रमण के कारण पेशाब में रुकावट हुई है, तो इसका इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

कुछ गंभीर मामलों में पेशाब बंद होने का इलाज दवाओं से ठीक नहीं हो पाता है, क्योंकि वह अक्सर रुकावट के कारण होता है। ऐसी स्थिति में निम्न इलाज प्रक्रियाओं की मदद ली जाती है -

सर्जरी - यदि पेशाब में रुकावट मूत्रवाहिनी में कैंसर, ट्यूमर, स्कार ऊतक या फिर कहीं पर मांस बढ़ने के कारण हुई है, तो इस स्थिति का इलाज करने के लिए सर्जरी की मदद लेनी पड़ती है। जब मूत्रवाहिनी के प्रभावित भाग से रुकावट को ठीक कर दिया जाता है, तो पेशाब का बहाव फिर से शुरु हो जाता है।

स्टेंट प्लेसमेंट - किडनी या मूत्रवाहिनी की रुकावट वाली जगह पर स्टेंट लगाना सर्जरी की तुलना में काफी सामान्य प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को काफी छोटे चीरे की मदद से कर दिया जाता है। स्टेंट विशेष तारों की जाली से बनी एक ट्यूब होती है, जिसे किडनी या मूत्रवाहिनी के रुकावट वाले हिस्से पर लगाकर खोल दिया जाता है। यदि स्कार ऊतक बनने के कारण पेशाब की रुकावट हुई है, तो स्टेंट लगाना सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है।

कैथीटर नाम की एक पतली व लचीली ट्यूब की मदद से मूत्रवाहिनी के प्रभावित हिस्से पर स्टेंट लगा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को कैथेटराइजेशन कहा जाता है, जिसे करने के लिए आमतौर पर सुन्न करने वाली दवा का इस्तेमाल भी किया जाता है। कुछ मामलों में मरीज को पूरी तरह से बेहोश भी करना पड़ सकता है।

भ्रूण को ऑब्सट्रक्टिव यूरोपैथी होने पर उसका इलाज -

यदि गर्भ में पल रहे बच्चे का पेशाब बंद हो गया है, तो डॉक्टर उसका इलाज भी कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर गर्भ में पल रहे शिशु के मूत्राश्य में एक शंट या कोई अन्य ड्रेनेज सिस्टम डालेंगे। इसके बाद शंट की मदद मूत्राशय में मौजूद पेशाब एम्नियोटिक सैक (थैली) में आ जाएगा।

गर्भ में पल रहे शिशु के लिए ऐसी प्रक्रिया सिर्फ तब ही की जाती हैं, जब उसका पेशाब बंद होने पर उसकी किडनी क्षतिग्रस्त होने का खतरा अधिक बढ़ जाए। ज्यादातर मामलों में शिशु के पैदा होने के बाद डॉक्टर उनके गुर्दों की कार्य क्षमता में सुधार कर देते हैं और यदि मूत्रवाहिनी में रुकावट है तो उसे भी ठीक कर देते हैं।

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