Home » Class 11 Hindi » NCERT Solutions for Class XI Aaroh Part 1 Hindi Chapter 15- Bhavani Prasad Mishra आरोह भाग -1भवानी
प्रसाद मिश्रा (निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ) प्रश्न 1:पानी के रातभर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है? प्रश्न 2:मायके आई बहन
के लिए कवि ने घर को परिताप का घर क्यों कहा है? प्रश्न 3:पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है? प्रश्न 4:निम्नलिखित पंक्तियों में बस शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए। प्रश्न 5:कविता की
अंतिम 12 पंक्तियों को पढ़कर कल्पना कीजिए की कवि अपनी किस स्थिति व मनःस्थिति को अपने परिजनों से छिपाना चाहता है? प्रश्न 6:ऐसी पाँच
रचनाओं का संकलन कीजिए जिसमें प्रकृति के उपादानों की कल्पना संदेशवाहक के रूप में की गई है।
उत्तर : इन दोनों के मध्य संबंध गहरा है। रातभर वर्षा होने से कवि का मन घर के लिए आतुर हो जाता है। उसके प्राण तथा मन में प्रेम की भावनाएँ उठने लगती हैं। वह अपनों से मिलना चाहता है। इन बूंदों से उसके प्राण तथा मन उल्लासित हो जाते हैं मगर न मिलने के कारण वह तड़प उठता है।
उत्तर : भाई की अनुपस्थिति बहन को अच्छी नहीं लगती होगी। वह भाई से रहित घर को देखकर दुख की अग्नि में जल उठती होगी इसलिए कवि ने इसे परिताप का घर कहा है।
उत्तर : पिता के व्यक्तित्व की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
• बुढ़ापा पिता को हरा नहीं पाया है। अतः वह उम्रदराज़ होते हुए भी स्वस्थ हैं।
• इस
उम्र में भी वह नियमित दौड़ते और व्यायाम करते हैं।
• उनके साहस के कारण मृत्यु भी उनका सामना नहीं करती है।
• नित्य गीता का पाठ करना, उनकी धार्मिक प्रवृत्ति को दिखाता है।
• बेटों को याद करते हुए उनकी आँखें भर आती हैं। यह प्रतीक है कि वे भावुक व्यक्ति हैं।
• अपने बच्चों को बहुत प्यार करते है।
मैं मज़े में हूँ सही है
घर नहीं हूँ बस यही है
किंतु यह
बस बड़ा बस है’
इसी बस से सब विरस है’
उत्तर : निम्नलिखित पंक्तियों में ‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता ये हैं-
• बस- मैं अपने घर में नहीं हूँ।
• बस- यह बस लेखक की बेबसी को व्यक्त करता है।
• बस- यहाँ मेरा बस नहीं चलता है।
• बस- यह कवि के कारण को व्यक्त करता है।
• बस- जीवन में मात्र रस नहीं है।
प्रस्तुत पंक्तियों में बस लगाकर कवि अपने स्थिति, भावों, कारण इत्यादि को स्पष्ट करता है।
उत्तर : कविता की अंतिम 12 पंक्तियाँ कवि की दुविधा को दर्शाती है। वह परिवारजनों को अपने मन के दुख को बताना नहीं चाहता है। यदि उसकी स्थिति परिवारवालों को पता चल जाएगी, तो वे दुखी हो जाएँगे। माता-पिता के लिए बच्चों के कष्ट से बड़ा दुख कोई नहीं होता है। अतः कवि उनसे अपनी दुख को छिपाकर उन्हें उस दुख से बचाना चाहता है।
उत्तर : इस कार्य को विद्यार्थी स्वयं करें। इसके लिए हम आपको कुछ नाम दे रहे हैं। अपने विद्यालय के पुस्तकालय से इन कविताओं को प्राप्त करके कविता लिखें। जूही की कली, मेघदूत और बादल राग।
प्रश्न 7:घर से अलग होकर आप घर को किस तरह से याद करते हैं? लिखें।
उत्तर : जब हम घर से अलग होते हैं, तो हमें घर बहुत याद आता है। वह ऐसा सुखद स्वप्न
लगता है, जहाँ हमारा जीवन बहुत अच्छा व्यतीत होता है। जीवन का हर सुख वहाँ विद्यमान होता है। माता-पिता का दुलार, भाई-बहन का प्यार और लड़ाई। वहाँ की हर बाद याद आने लगती है।
पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?
Solution
पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने का आपस में गहरा संबंध है। वर्षा होने पर मन में भी प्रेम-प्यार की भावनाएँ उमड़ने-घुमड़ने लगती हैं। व्यक्ति का प्राण-मन अपनों से मिलने के लिए तरसने लगता है। वर्षा की बूँदे मन-प्राण को जहाँ उल्लसित करती हैं, वहीं वियोगावस्था में वे मिलन की कामना पैदा करती हैं।
Some More Questions From भवानी प्रसाद मिश्र Chapter
पाँचवाँ मैं हूँ अभागा,
जिसे सोने पर सुहागा
पिता जी कहते रहे हैं,
प्यार में बहते रहे हैं,
आज उनके स्वर्ण बेटे,
लगे होंगे उन्हें हेटे
क्योंकि मैं उनपर सुहागा
बँधा बैठा हूँ अभागा,
और माँ ने कहा होगा,
दुःख कितना बहा होगा,
आँख में किस लिए
पानी
वहाँ अच्छा है भवानी
वह तुम्हारा मन समझकर,
और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है,
यह तुम्हारी लीक ही है,
पाँव जो पीछे हटाता,
कोख को मेरी लजाता,
इस तरह होओ न कच्चे,
रो पड़ेंगे और बच्चे,
पिता जी ने कहा होगा,
हाय, कितना सहा होगा,
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ,
धीर मैं खोता कहाँ हूँ,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न
बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें,
मैं मजे में हूँ सही है,
घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से सब विरस है,
किंतु उनसे यह न कहना
उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ,
उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ।
काम करता हूँ कि कहना,
नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना,
मत करो कुछ शोक कहना,
और कहना मस्त हूँ मैं,
कातने में व्यस्त हूँ मैं,
वजन सत्तर सेर मेरा,
और भोजन ढेर मेरा,
कूदता हूँ, खेलता हूँ,
दू:ख डट कर ठेलता हूँ,
और कहना मस्त हूँ, मैं,
यों न कहना अस्त हूँ मैं,
हाय रे, ऐसा न कहना,
है कि जो वैसा न कहना,
कह न देना जागता हूँ,
आदमी से भागता हूँ,
कह न देना मौन हूँ मैं,
खुद ना समझुँ कौन हूँ मैं,
देखना कुछ बक न देना,
उन्हें कोई शक न देना,
हे सजीले हरे सावन,
हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें,
पाँचवें को वे न तरसें।,
पानी के रात- भर गिरने और प्राण-मन के घिरने में परस्पर क्या संबंध है?
मायके आई बहन के लिए कवि ने घर को ‘परिताप का घर’ क्यों कहा है?
पिता के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं को उकेरा गया है?
निम्नलिखित पंक्तियों में
‘बस’ शब्द के प्रयोग की विशेषता बताइए।
मैं मजे में हूँ सही है
घर नहीं हूँ बस यही है
किंतु यह बस बड़ा बस है,
इसी बस से बस विरस है।