2022 में झारखंड के शिक्षा मंत्री कौन है? - 2022 mein jhaarakhand ke shiksha mantree kaun hai?

स्टोरी हाइलाइट्स

  • बेहतर इलाज के लिए भेजा गया चेन्नई
  • पहले भी 8 महीने चेन्नई में हुआ था इलाज

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो (Jagarnath Mahto) की तबीयत बिगड़ गई है. सोमवार की शाम महतो को एयर एंबुलेंस से चेन्नई भेजा गया. महतो विधानसभा में सत्र में हिस्सा ले रहे थे, तभी उनकी तबीयत बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें आनन-फानन में रांची के पारस हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. 

बाद में डॉक्टर्स की सलाह पर रात करीब 9 बजे चेन्नई से एयर एंबुलेंस रांची पहुंची और उन्हें एयरलिफ्ट करके भेजा गया. मंत्री महतो के साथ डॉक्टर्स की टीम और उनका बेटा और भतीजा भी साथ में चेन्नई गए हैं. इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पारस हॉस्पिटल जाकर मंत्री जगरनाथ महतो हाल-चाल जाना. सीएम के अलावा मंत्री मिथलेश ठाकुर, हफिजुल हसन, विधायक-सांसद, रांची एसपी, डीसी सहित कई आला अधिकारी अस्पताल पहुंचे थे. 

सीएम हेमंत सोरेन खुद महतो के स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. गौरतलब है कि कोविड-19 की पहली लहर के दौरान जगरनाथ महतो लंबे समय तक बीमार थे, जिसके बाद उनका चेन्नई के एमजीएम अस्पताल में करीब 8 महीने तक इलाज चला था. वहीं, कोविड की पहली लहर में उनके फेफड़े में संक्रमण फैल गया था. 

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हॉस्पिटल इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टर राजीव रंजन सिंह ने कहा कि शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो के साथ में थोड़ी सी प्रॉब्लम हो गई थी और लंग्स में संक्रमण को लेकर यहां भर्ती कराया गया. बाद में बेहतर इलाज के लिए एमजीएम हॉस्पिटल चेन्नई भेजा गया है. 55 साल के जगरनाथ महतो हृदय रोग से भी ग्रसित हैं. 

अक्टूबर 2018 में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था, उसके बाद उन्हें रांची के मेडिका अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी एक बार एनजीओप्लास्टी भी हो चुकी है.

सड़क बन जाने से इन गांवों के लोगों को फायदा

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि झारखंड को आने वाली पीढ़ी के लिए संवारना है तो शराब पीना छोड़कर अपने बच्चों को शिक्षित करें. तभी झारखंड का नाम रोशन होगा. मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि लंबे समय से इस पथ के चौड़ीकरण की मांग की जा रही थी. यह मार्ग बन जाने से दुग्दा, रटारी, चंद्रपुरा, कुरुम्बा, मंझलीटांड, रखवा, भलमारा, कोदवाडीह, नावाडीह आदि गांवों के लोगों को आवाजाही में सहूलियत होगी. इस पथ की कुल लंबाई 21.138 किमी तथा चौड़ाई 5.5 मीटर है. मौके पर जिला परिषद अध्यक्ष सुनीता देवी ,प्रमुख पूनम देवी ,उपप्रमुख हरिलाल महतो ,जिप सदस्य महेन्द्र प्रसाद , फुलमति देवी , बीस सुत्री अध्यक्ष वृजलाल हांसदा उपाध्यक्ष गणेश महतो पारो , मुखिया मुक्ती देवी , देवेन्द्र महतो ,जयलाल महतो , पार्टी के युवा नेता अखिलेश महतो राजु , मंत्री प्रतिनिधि जयलाल महतो ,लोकेश्वर महतो झामुमो जिला संयुक्त सचिव बालेश्वर महतो ,अध्यक्ष गणेश प्रसाद महतो ,सचिव सोनाराम हेम्ब्रम, मुखिया संध के पुर्व अध्यक्ष रामपुकार महतो , गणेश सोरेन ,टेकलाल चौधरी , पीडब्लूडी के कार्यपालक अभियंता प्रेम प्रकाश सिंह ,नावाडीह बीडीओ संजय सांडिल्य, सीओ अशोक कुमार सिन्हा ,चन्द्रपुरा बीडीओ रेणु बाला ,सीओ संदीप मलेशिया, थाना प्रभारी महावीर पंडित आदि मौजूद थे.

Jharkhand Board Exam 2022 झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो भी इस बार इंटर की परीक्षा देने वाले थे लेकिन तबीयत खराब होने के कारण परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाए। इस कारण वह परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं।

रांची, डिजिटल डेस्क। झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो इंटर पास नहीं हैं। उन्होंने इंटर की पढ़ाई के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र स्थित नावाडीह इंटर कालेज में इंटर कला विषय में दाखिला जरूर ले रखा है। इस बार वह इंटर की परीक्षा देने वाले थे, लेकिन उनका सपना अधूरा रह गया है। झारखंड बोर्ड की मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं आज 24 मार्च से शुरू हो गई हैं। लाखों परीक्षार्थी परीक्षा दे रहे हैं। लेकिन शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं। दरअसल, उन्होंने तबीयत खराब होने की वजह से परीक्षा की तैयारी ही नहीं की थी। सो, परीक्षा देने का फैसला त्याग दिया है।

दाखिला लेने के एक माह बाद ही पड़ गए थे बीमार

नावाडीह इंटर कालेज में दाखिला लेने के एक महीने बाद ही वह कोरोना संक्रमण के कारण गंभीर रूप से बीमार हो गए थे। उन्हें चेन्नई के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। वहां से ठीक होने के बाद झारखंड आए। उन्होंने मंत्रालय का कामकाज तो संभाल लिया, लेकिन उस साल परीक्षा नहीं दे पाए। इस बार भी वह खराब सेहत के कारण परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाए। इसलिए इंटर की परीक्षा नहीं दे रहे हैं। शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का शुरू से ही सपना रहा है कि किसी तरह इंटर पास कर जाएं।

शिक्षा मंत्री बनने के बाद कालेज में लिया था दाखिला

जब वह शिक्षा मंत्री बनाए गए थे तो उन्होंने दाखिला लेकर सबको चौंका दिया था। मंत्री होते हुए पढ़ाई जारी रखने संबंधित उनके जज्बे को देखकर लोगों को उनकी खूब सराहना की थी। जगरनाथ महतो कहते हैं कि परीक्षा में केवल शामिल होना ही नहीं होता है, बल्कि उसके लिए तैयारी भी करनी होती है। चूंकि अभी भी वह पूरी तरह से सेहतमंद नहीं हुए हैं, इसलिए उन्होंने परीक्षा की तैयारी नहीं की। इस कारण वह इंटर की परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं। इस बात का उन्हें बेहद अफसोस है।

टापरों को इसबार भी सम्मानित करेगी झारखंड सरकार

झारखंड बोर्ड की परीक्षा दे रहे छात्रों को अपनी शुभकामना देते हुए शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि मैट्रिक और इंटर की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं। झारखंड के विभिन्न जिलों में 1980 परीक्षा केंद्र बनाए गए हैं। इस परीक्षा में कुल 6 लाख 80 हजार छात्र शामिल हो रहे हैं। परीक्षा केंद्रों पर हर तरह के इंतजाम किए गए हैं। परीक्षार्थियों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इस बात का खास ख्याल रखा गया है। कदाचार मुक्त परीक्षा के लिए कैमरे लगाए गए हैं। सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध भी किए गए हैं। परीक्षा में टाप करने वाले छात्रों को इसबार भी झारखंड सरकार पुरस्कृत करेगी। मालूम हो कि पिछली बार भी हेमंत सोरेन सरकार ने शिक्षा मंत्री की पहल पर टापरों को सम्मानित किया था।

Edited By: M Ekhlaque

वर्तमान झारखंड का शिक्षा मंत्री कौन है?

जगरनाथ महतो एक भारतीय राजनीतिज्ञ और वर्तमान में झारखंड सरकार के शिक्षा मंत्री हैं।

Jharkhand का शिक्षा मंत्री कौन है 2022?

Ans. झारखंड के वर्तमान शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो है।

झारखंड के वर्तमान में कौन क्या है 2022?

झारखण्ड के सभी मंत्री का नाम 2022.
श्री हेमंत सोरेन ( मुख्यमत्री).
श्री बादल ( Shri Badal ).
हफीजुल अंसारी ( Hafizul Hasan ).
आलमगीर आलम ( Alamgir Alam ).
श्री सत्यानंद भोक्ता ( Shri Satyanand Bhokta ).
श्रीमती जोबा मांझी ( Shrimati Joba Majhi ).
श्री चंपई सोरेन ( Shri Champai Soren ).

वर्तमान में झारखंड में कौन क्या है?

हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में 29 दिसम्बर 2019 को शपथ ग्रहण की। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है।

भारत के पहले शिक्षा मंत्री कौन है?

वे भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे। उन्होंने ग्यारह वर्षों तक राष्ट्र की शिक्षा नीति का मार्गदर्शन किया। मौलाना आज़ाद को ही 'भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान' अर्थात 'आई. आई.

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