पिस्तौल और रिवाल्वर में क्या अंतर है - pistaul aur rivaalvar mein kya antar hai

नई दिल्ली: आजकल घरों में कई लोग लाइसेंसी हथियार रखते हैं. पहले के जमाने में बड़ी दो नाली बंदूक रखने का चलन था लेकिन मौजूदा दौर में पिस्टल और रिवॉल्वर जैसे छोटे हथियारों ने इसकी जगह ले ली है. पुलिस कर्मियों से लेकर आत्मरक्षा के लिए हस्तियों के प्राइवेट गार्ड्स भी पिस्टल या फिर रिवॉल्वर का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन लगभग एक जैसे दिखने वाले इन दोनों हथियारों के बीच का अंतर हम आज आपको बताते हैं.

वैसे तो पिस्टल और रिवॉल्वर दोनों ही हैंडगन मतलब हाथ में आसानी से आने वाले हथियार हैं. लेकिन इनके सिस्टम और आकार के बीच काफी फर्क है जो जानना बेहद जरूरी है. गोलियों को गन में डालने और उनके स्टोरेज का तरीका भी अलग है, इसके अलावा फायर करने का तरीका भी इन्हें एक-दूसरे से जुदा करता है.

पिस्टल

सबसे पहले आपके पिस्टल के बारे में बताते हैं क्योंकि यह हैंडगन का एडवांस वर्जन होता है. इसमें मैगजीन होती है जिसमें गोलियां स्टोर की जाती हैं. फायर करते वक्त स्प्रिंग की मदद से गोली मैगजीन से निकलकर फायर पॉइंट पर आती है. पिस्टल से गोलियां चलाते वक्त उसे लोड करने में ज्यादा टाइम नहीं लगता और लगातार एक के बाद एक फायर किए जा सकते हैं. इसके अलावा लॉक सिस्टम के जरिए मैगजीन को बंद भी किया जाता है ताकि लापरवाही में पिस्टल से अपने आप फायर न हो जाए.

पिस्टल की बैरल काफी छोटी होती है और इसकी लंबाई 10 इंच से ज्यादा नहीं होती. आमतौर पर यह 50 मीटर तक फायर कर सकती है. अगर वजन की बात करें तो पिस्टल का वजन रिवॉल्वर से कम होता है क्योंकि इसमें गोली के स्टोर करने के लिए अलग सिलेंडर न होकर हैंडल में ही मैगजीन लगी होती है.

रिवॉल्वर

रिवॉल्वर गन पिस्टल का थोड़ा पुराना वर्जन माना जाता है. जैसा कि नाम से ही साफ है इसमें एक रिवॉल्विंग सिलेंडर लगा होता है जिसमें गोलियां सेट करनी पड़ती हैं. फायर करने से पहले सिलेंडर घुमाया जाता है ताकि ट्रिगर पॉइंट के सामने गोली आ जाए और हिट होने के साथ ही फायर हो जाए. ट्रिगर दबाने के साथ ही हैमर सिलेंडर में लगी गोली को हिट करता है और गोली बैरल को पार करते हुए फायर हो जाती है.

रिवॉल्वर से एक गोली चलने के साथ ही बैरल के पीछे लगा सिलेंडर खुद घूम जाता है और अगली गोली ट्रिगर पॉइंट पर आ जाती है. इसमें सिलेंडर ही मैगजीन का काम करता है जो पिस्टल की तरह हैंडल पर न होकर बीच में लगा होता है.

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आम तौर पर रिवॉल्वर एक बार में 6 फायर कर सकती है लेकिन पिस्टल की मैगजीन में 18 गोलियां आ सकती हैं. रिवॉल्वर चलाना पिस्टल की तुलना में ज्यादा कठिन है क्योंकि इसका ट्रिगर थोड़ा टाइट चलता है. अगर को गोली फायर नहीं हुई तो रिवॉल्वर से उसे बाहर निकालने पिस्टल की तुलना में ज्यादा आसान होता है.

पिस्तौल और रेवोल्वर में क्या अंतर होता है?

इसमें सिलेंडर ही मैगजीन का काम करता है जो पिस्टल की तरह हैंडल पर न होकर बीच में लगा होता है। रिवॉल्वर एक बार में 6 फायर कर सकती है लेकिन पिस्टल की मैगजीन में 18 गोलियां आ सकती हैं। रिवॉल्वर चलाना पिस्टल की तुलना में ज्यादा कठिन है क्योंकि इसका ट्रिगर थोड़ा टाइट चलता है।

पिस्टल में कितनी गोली लगती है?

पिस्टल में गोलियां इसके मैगजीन में भरी जाती हैं. पिस्टल के ग्रिप के पास लगी मैगजीन में 8 गोलियां भरी जा सकती हैं. हालांकि ज्यादा गोलियों वाली भी पिस्टल आने लगी हैं. इससें एक के बाद एक लगातार फायरिंग की जा सकती है.

सबसे अच्छी पिस्तौल कौन सी है?

आज हम आपको सेना की उन 10 बंदूकों के बारे में बताते हैं जिन्‍हें सबसे खतरनाक माना जाता है..
पिस्‍टल ऑटो 9MM 1A. ... .
AK-203. ... .
विध्वंसक, एंटी मैटेरियल राइफल (ARM) ... .
ड्रेग्नोव SVD 59 स्‍नाइपर राइफल (DSR) ... .
आईएमआई गैलिल 7.62 स्‍नाइपर राइफल ... .
माउजर SP 66 स्‍नाइपर राइफल ... .
SAF कार्बाइन 2 A 1 सब मशीन गन ... .
NSV हैवी मशीन गन.

पिस्टल का कितना रेट पड़ता है?

पिस्टल गन की कीमत कितनी है? इसे सुनेंरोकेंबढि़या क्वॉलिटी की एयर पिस्टल का रेट 2,500 रुपये है। एयर गन 1,700 रुपये से छह हजार रुपये तक मिलती हैं।