पक्षियों को बचाएंगे तो ही बचेगा पर्यावरण
सुरेंद्र यादव, नारनौल : पर्यावरण को संतुलित रखने में पेड़-पौधों के साथ ही पशु-पक्षियों की भूमिका भ
सुरेंद्र यादव, नारनौल : पर्यावरण को संतुलित रखने में पेड़-पौधों के साथ ही पशु-पक्षियों की भूमिका भी अहम है। लेकिन मनुष्य के अत्यधिक हस्तक्षेप के चलते इन सबकी संख्या कम होती जा रही है। यदि हम जल्द नहीं चेते तो स्थिति भयावह हो सकती है। कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से जहां पक्षियों की संख्या कम होती जा रही हैं, वहीं कुछ प्रजातियां तो विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं। गर्मियों का मौसम विशेषकर पक्षियों के लिए बहुत कष्टप्रद होता है। उन्हें बचाने के लिए सभी को थोड़ा-थोड़ा प्रयास करना होगा। कम से कम एक सकोरा पानी का भरकर छायादार स्थान में रख दें तो बहुत से पंछियों की जान हम बचा सकते हैं।
मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करता जा रहा है। इसके दुष्परिणाम भी साथ-साथ दिखाई देने लगे हैं, हालांकि पर्यावरणविदों का कहना है कि ये दुष्परिणाम लंबी अवधि के होते हैं और अभी जो नजर आ रहे हैं, वे सौंवे हिस्से के बराबर हैं। पर्यावरणविद डॉ. अजय गुप्ता के अनुसार हम धीरे-धीरे करके ईको सिस्टम को खराब करते जा रहे हैं। ईको सिस्टम में हर जीव जंतु की अहम भूमिका होती है। इसके खराब होने का असर हर क्षेत्र में दिखाई पड़ रहा है।
डॉ. अजय गुप्ता के अनुसार ईको सिस्टम का महत्वपूर्ण घटक पेड़-पौधे हैं। इनकी लगातार कटाई का असर पक्षियों व वन्य प्राणियों पर भी पड़ रहा है। पेड़ों की संख्या कम होने से पक्षियों को न तो घोंसले बनाने के लिए जगह मिल पा रही है और न ही पर्याप्त मात्रा में भोजन-पानी मिल रहा है। पेड़ों की संख्या कम होने से बारिश भी कम होती है। जितनी अधिक हरियाली होती है, पक्षियों को पानी की जरूरत भी उतनी कम होती है। पेड़-पौधे तापमान को भी सामान्य बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
पर्यावरणविद रघु¨वदर यादव के अनुसार खेती में कीटनाशकयुक्त बीजों का प्रयोग पक्षियों के लिए सर्वाधिक नुकसानदायक है। इन्हें खाने से पक्षियों की संख्या बहुत कम रह गई है। कई पक्षी तो विलुप्त होने की कगार तक पहुंच चुके हैं। दूसरी तरफ, गांवों में जोहड़ व तालाब सूख चुके हैं, जिनके किनारे पेड़ों पर पंछी घोंसले बनाकर रहते थे व चहचहाट करते थे। क्षेत्र में ¨सचाई के लिए फव्वारा का प्रयोग करने से ट्यूबवेल पर भी पंछियों को पानी नहीं मिल पाता। सरकार की ओर से भी जीव-जंतुओं के लिए जंगलों में पानी का कोई प्रबंध नहीं किया जाता। सामाजिक संस्थाओं द्वारा जरूर लोगों को घरों में पक्षियों के लिए पानी के सिकोरे भरकर रखने के लिए प्रेरित किया जाता है।
वन्य प्राणी निरीक्षक सुनील तंवर के अनुसार गर्मियों में पक्षियों को भी प्यास अधिक लगती है जबकि पानी की उपलब्धता कम हो जाती है। सरकार की ओर से जंगलों में पानी की व्यवस्था पूरी तरह नहीं की जा सकती। इससे पक्षियों में भी डिहाइड्रेशन की शिकायत होती है। क्षेत्र में 45 डिग्री तक तापमान पहुंच जाता है और यह प्रत्येक प्राणी के लिए कष्टकारी होता है। यदि पंछियों को पानी और पेड़ पर्याप्त मिल जाएं तो उनकी जान बचाई जा सकती है।
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खेतों की आग भी जला रही घोंसले
किसानों द्वारा खेतों में अपशिष्ट जलाने के लिए लगाई जाने वाली आग न केवल खेत की उर्वरा शक्ति को घटाती है बल्कि रेंगने वाले जीव-जंतुओं के साथ ही पक्षियों के प¨रदे भी आग में जलाकर नष्ट कर रही है। बहुत से पक्षी खेतों में झाड़ियों और फसल के बीच घोंसला बनाकर अंडे देते हैं। खेतों में लगाई जाने वाली आग इन अंडों के साथ ही पक्षियों को भी जलाकर नष्ट कर देती है। क्षेत्र में टटीहरी, बटेर, पेडीफील्ड, तीतर, बुलबुल आदि खेतों में नीचे जमीन पर घोंसले बनाकर अंडे देते हैं। आग में ये घोंसले व अंडे जलकर नष्ट हो जाते हैं। इनके अलावा शिकारी भी बटेर, तीतर, खरगोश आदि का शिकार कर इनकी संख्या में और कमी कर रहे हैं।
Edited By: Jagran
विषयसूची
पर्यावरण संरक्षण में पक्षियों का क्या योगदान है?
इसे सुनेंरोकेंचील-कौवे अनविष्ट, शव आदि को खाकर सफाई का कार्य करते हैंं। इस प्रकार कुछ पशु-पक्षी इसी तरह पर्यावरण सफाई संतुलन कायम रखने में मदद करते हैं। यदि ये न रहेंगे तो पर्यावरण का संतुलन बिगड़ सकता है। अतः पर्यावरण के संरक्षण के लिये पशु-पक्षियों का संरक्षण अति आवश्यक है।
पक्षियों को कैसे बचाएं?
पक्षियों को बचाने के उपाय
- जल की अत्यधिक कमी इसका एक मुख्य कारण है | घरों के आँगन तथा छत पर पंछियों के लिए छोटे-छोटे पात्रों में जल भरकर रखना चाहिए, जिससे गर्मी में थक कर आये पक्षी जल ग्रहण कर पुनः अनंत आकाश में गोता लगा सकें |
- अपने लॉन को हटाना और कार्बनिक जाना।
- अपनी बिल्लियों को अंदर रखें।
- पक्षी-अनुकूल कॉफी तक जाग जाओ।
आप पशु पक्षियों की सेवा के लिए क्या कर सकते हैं?
इसे सुनेंरोकेंपक्षियों को आम तौर पर सुबह के समय या दोपहर के समय दाना डालना चाहिए. शिक्षा,एकग्रता और संतान की समस्या के मामले में पक्षियों को दाना डालना बेहतरीन परिणाम देता है. घर की छत पर पक्षियों के लिए दाना-पानी रखने से घर में समृद्धि आती है. साथ ही घर का क्लेश समाप्त होता है.
पर्यावरण में पक्षियों की क्या भूमिका है?
इसे सुनेंरोकेंआकाश में उडते हुए ये पक्षी पर्यावरण की सफाई के बहुत बड़े प्राकृतिक साधन हैं। गिद्ध,चीलें,कौए,और इनके अतिरिक्त कई और पशु पक्षी भी हमारे लिए प्रकृति की ऐसी देन हैं जो उनके समस्त कीटों,तथा जीवों तथा प्रदूषण फैलाने वाली वस्तुओं का सफाया करते रहते हैं जो धरती पर मानव जीवन के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं।
पक्षी नहीं होंगे तो क्या होगा?
इसे सुनेंरोकेंपेड़ों की संख्या कम होने से पक्षियों को न तो घोंसले बनाने के लिए जगह मिल पा रही है और न ही पर्याप्त मात्रा में भोजन-पानी मिल रहा है। पेड़ों की संख्या कम होने से बारिश भी कम होती है। जितनी अधिक हरियाली होती है, पक्षियों को पानी की जरूरत भी उतनी कम होती है।
पक्षी पर्यावरण को कैसे प्रभावित करते है?
पशु पक्षियों की सुरक्षा के लिए आप क्या क्या कर सकते हैं?
हम पक्षियों की सहायता कैसे कर सकते हैं?
इसलिए आज हम आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं, जिनकी मदद आप गर्मी से परेशान पशु-पक्षियों को राहत पहुंचाने का काम कर सकते हैं.
- घर के बाहर पानी का रखें
- कार के अंदर अपने पेट्स को न छोड़ें
- जानवरों को भी चाहिए आराम
- उन्हें हेल्दी फ़ूड खिलाएं
- गर्मी से परेशान पशु की मदद करें
- पक्षियों के लिए दाना
पर्यावरण को स्वच्छ रखने में पक्षियों की क्या भूमिका है?
इसे सुनेंरोकेंपेड़ पौधों के बीजों का फैलाव- कई पक्षी पेड़ पौधों के फल खाते हैं और उनके बीज सीधे या बीट के माध्यम से दूर तक फैलाने में मदद करते हैं। पर्यावरण को साफ़ रखना- गिद्ध आदि अपमार्जक पक्षी मृत पशुओं के शवों को खाकर पर्यावरण में स्वच्छता बनाए रखने में बहुत मददगार होते हैं।
पर्यावरण में पक्षियों का क्या महत्व है?
प्रश्न 3 पक्षी पर्यावरण को संतुलित रखने में सहयोग देते है क्या आप इससे सहमत है 40 50 शब्दों में अपने विचार लिखिए?
इसे सुनेंरोकेंSolution. पक्षियों को पिंजरे में बंद करके उसकी स्वतंत्रता का हनन होता है, क्योंकि उनकी प्रवृत्ति है ‘उड़ना’। अतः प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में पृथ्वी के सभी जीवों की समान रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका है। पृथ्वी के पर्यावरण संतुलन के लिए मनुष्य एवं पशु दोनों की आवश्यकता समान रूप से है।
पक्षियों को महत्व देने वाली चित्र शैली कौन सी है?
इसे सुनेंरोकेंपशु-पक्षियों को महत्व देने वाली कौन सी चित्रशैली है? – Quora. बूंदी शैली राजस्थान की विचारधारा का प्रारंभिक केंद्र था। इस शैली का राव उम्मेदसिंह द्वारा जंगली सूअर का शिकार करते हुए एक चित्र प्रसिद्ध है जिसका निर्माण 1750 ई में हुआ। इस शैली में शिकार के चित्र हरे रंग में बनाये गये है।