प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व क्या है? - pratham sankraman shrenee ke tatv kya hai?

आवर्त सारणी में वर्गीकृत किए गए विभिन्न तत्वों की अपनी विशेषताएं हैं। आर्टिकल संक्रमण तत्व किसे कहते हैं में d-ब्लॉक के तत्वों की बात करेंगे। यह तत्व बहुत ही खास विशेषताएं रखते हैं तथा अन्य blocks के तत्वों से काफी भिन्नता दर्शाते हैं। आखिर ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं जो इन तत्वों को सब से अलग बनाती है जानने के लिए आपको हमारा पूरा आर्टिकल अंत तक पढ़ना होगा। आज का विषय विज्ञान वर्ग के छात्र के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि कई महत्वपूर्ण परीक्षाओं में यहां से कई प्रश्न देखने को मिलते हैं।

आज हम आपको बताएंगे कि संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? संक्रमण तत्व को कितने श्रेणियों में बांटा गया है? संक्रमण तत्व की मूल विशेषताएं कौन-कौन सी है? इन तत्वों का आवर्त सारणी में क्या स्थान दिया गया है? ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न जो छात्रों के लिए बहुत ही आवश्यक है, हमने अपने आर्टिकल में सम्मिलित किए हैं। तो चलिए अब अपना आर्टिकल शुरू करते हैं।

संक्रमण तत्व किसे कहते हैं? What is Transition Metal in Hindi?

आवर्त सारणी में विभिन्न तत्वों को एक व्यवस्थित क्रम में रखा गया है। रासायनिक तत्वों को उनके गुणों के आधार पर ही विभिन्न ब्लॉकों में बांटा है। वे तत्व जो डी ब्लॉक  के अंतर्गत आते हैं और परावर्ती संयोजकता व्यक्त करते हैं संक्रमण तत्व कहलाते हैं। क्योंकि सभी तत्व धातु होते हैं इस कारण संक्रमण तत्वों को संक्रमण धातु के नाम से भी जाना जाता है। जिंक, कैडमियम और मर्करी संक्रमण तत्वों के अपवाद हैं। संक्रमण तत्वों को आवर्त सारणी में ग्रुप 3 से ग्रुप 12 के बीच रखा गया है। संक्रमण तत्व की परिभाषा जानने के बाद अब आप समझ गए होंगे कि संक्रमण तत्व किसे कहते हैं।

प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व क्या है? - pratham sankraman shrenee ke tatv kya hai?
प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व क्या है? - pratham sankraman shrenee ke tatv kya hai?

संक्रमण तत्वों की एक परिभाषा इस प्रकार भी है कि वे तत्व जिनके बहाए d-उपकोश में आंशिक रूप से इलेक्ट्रॉन भरे हुए होते हैं संक्रमण धातु या तत्व कहलाते हैं। क्योंकि जिंक, कैडमियम और मरकरी के बाहरी उपकोष पूर्णता भरे होते हैं इसलिए यह संक्रमण तत्वों की श्रेणी में नहीं आते हैं।

आयन किसे कहते हैं?

D-ब्लॉक की विभिन्न श्रेणियां – Different Series of D-Block

आवर्त सारणी को सुविधा पूर्वक पढ़े जाने के लिए डी ब्लॉक के तत्वों को चार श्रेणियों में विभाजित कर दिया गया है। इन तीनों श्रेणियों के विषय में अपने आर्टिकल संक्रमण तत्व किसे कहते हैं में वर्णन कर रहे हैं।

प्रथम संक्रमण श्रेणी (3D सीरीज)

इस श्रेणी के तत्व का आखरी इलेक्ट्रॉन 3डी-उपकोष में प्रवेश करता है जिस कारण इन्हें प्रथम संक्रमण श्रेणी 3D सीरीज कहते हैं। इस श्रेणी में स्कैंडियम धातु से लेकर जिंक धातु तक कुल 10 तत्व हैं।

द्वितीय संक्रमण श्रेणी (4D सीरीज)

इस श्रेणी में Yttrium धातु से लेकर स्कैंडियम धातु तक कुल 10 तत्व हैं। इस सीरीज के तत्वों के इलेक्ट्रॉन बहाए कोश के 4d-ओरिबिटल में भरे जाते है।

तृतीय संक्रमण सीरीज (5D सीरीज)

डी ब्लॉक के तत्वों की इस श्रेणी में तत्व lanthanum से मरकरी तक 10 धातुएं रखी गई है। इस श्रेणी में अंतिम इलेक्ट्रॉन 5d-उपकोश में प्रवेश करता है।

चतुर्थ संक्रमण सीरीज (6D सीरीज)

यह डी ब्लॉक की अंतिम श्रेणी है जिसके अंतर्गत एक्टिनियम से कॉपरनीसीयम तक कुल 10 तत्वों का समावेश है। इन तत्वों का अंतिम इलेक्ट्रॉन 6d-उपकोश में प्रवेश करता है।

संक्रमण तत्वों के गुण क्या है? What are the Properties of Transition Metal?

अब हम अपने आर्टिकल संक्रमण तत्व किसे कहते हैं (sankraman tatva kise kahte hain) के अंतर्गत आपको संक्रमण तत्वों के गुणों की व्याख्या करने जा रहे हैं। संक्रमण तत्वों के सामान्य गुण निम्नलिखित दिए गए हैं –

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (Electronic Configuration)

किसी तत्व का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास उसकी बहुत सारी विशेषताओं को व्यक्त करता है। संक्रमण तत्वों का विन्यास इनकी एक मुख्य विशेषता है। इन तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास (n-1)d1-10 nsl-2 प्रकार का होता है।

ऑक्सीकरण अवस्था में परिवर्तन (Changeable Oxidation State)

संक्रमण तत्व विभिन्न संयोजकताएं दिखाने में समर्थ होते हैं। डी ब्लॉक के तत्व परिवर्ती संयोजकता व्यक्त करते हैं अर्थात एक तत्व एक से अधिक संयोजकता भी दिखा सकता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन तत्वों के d और s ऑर्बिटल के इलेक्ट्रॉन रासायनिक क्रिया करने में समर्थ होते हैं।

उदाहरण के लिए कॉपर (तांबा) 1 और 2, दोनों संयोजकता प्रदर्शित कर सकता है।

चुंबकीय विशेषताएं (Magnetic Properties)

चुंबकीय गुण प्रदर्शित करना संक्रमण तत्वों की प्रमुख विशेषता है। तत्वों में आयुग्मित इलेक्ट्रॉन होने के कारण यह चुंबकीय गुण प्रदर्शित करते हैं। इन संक्रमण तत्वों को यदि चुंबकीय क्षेत्र में रख दिया जाए तो यह तत्व चुंबक की तरह आकर्षित होने लगते हैं।

परिवर्तित आयनन विभव (Changing Ionization Energy)

संक्रमण तत्वों में आयनन विभव का परिवर्तन का गुण भी पाया जाता है। अर्थात एक ही तत्व में इलेक्ट्रॉन के त्यागने के बाद या ग्रहण करने के बाद इनके आयनन विभव में परिवर्तन हो जाता है।

रंगीन यौगिकों का गुणधर्म (Colouring Properties)

डी ब्लॉक अर्थात संक्रमण तत्वों में रंगीन यौगिक बनाने की क्षमता होती है। यह विभिन्न प्रकार के रंग प्रदर्शित करते हैं। संक्रमण तत्वों को उनके रंग से पहचाना जा सकता है।

उत्प्रेरक का गुण (Catalytic Properties)

संक्रमण तत्व उत्प्रेरक का गुण भी रखते हैं। परिवर्ती संयोजकता होने के कारण यह एक अच्छे उत्प्रेरक कहलाते हैं।

उदाहरण के लिए हेबर विधि के द्वारा अमोनिया के निर्माण में आयरन एक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

अन्य गुणधर्म (Other Properties)

ऊपर बताए गए गुण धर्मों के अलावा ट्रांजिशन मेटल्स अर्थात संक्रमण तत्वों के कुछ अन्य गुण भी होते हैं। संक्रमण तत्वों के गलनांक और क्वथनांक उच्च होते हैं। इन तत्वों में चालकता की बहुत अच्छी रेंज पाई जाती है। इसमें तापीय चालकता और तत्वों के मुकाबले अधिक होती है। धातुओं में एक अच्छी खासी धात्विक चमक पाई जाती है। यह तत्व s और p block के तत्वों से अधिक कठोर होते हैं।

अयस्क किसे कहते हैं?

अब हम संक्रमण तत्व किसे कहते हैं (sankraman tatva kise kahte hain) से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों की बात कर लेते हैं।

संक्रमण धातु से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न (Frequently Asked Questions)

प्रश्न – संक्रमण तत्व किसे कहते हैं और इन्हें कौन से ब्लॉक में रखा गया है?

उत्तर – डी ब्लॉक के तत्वों को (जिंक, कैडमियम, पारा) संक्रमण तत्व कहते हैं। आवर्त सारणी में संक्रमण तत्वों को डी ब्लॉक के अंतर्गत रखा गया है।

प्रश्न – संक्रमण तत्वों का आवर्त सारणी में स्थान बताइए?

उत्तर – ग्रुप नंबर 3 से ग्रुप नंबर 12 के बीच के तत्व संक्रमण तत्व कहलाते हैं।

प्रश्न – ट्रांजिशन मेटल्स अर्थात संक्रमण तत्वों के अपवाद बताइए?

उत्तर – जिंक, कैडमियम और मरकरी को संक्रमण तत्व नहीं माना जाता है क्योंकि इनके बाह्य d उपकोश में इलेक्ट्रॉन पूर्णता भरे होते हैं।

प्रश्न – संक्रमण तत्वों को कितने श्रेणियों में रखा गया है?

उत्तर – इन तत्वों को चार श्रेणियों में बांटा गया है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज के इस लेख हमने आपको d-ब्लॉक यानि संक्रमण तत्व की परिभाषा और उसके सभी गुण धर्म के बारे मे बताया। यदि अब भी आपके मन मे संक्रमण से जुड़ा कोई भी प्रश्न हो तो कृपया कॉमेंट बॉक्स मे अवश्य पूछें।

प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व कौन से हैं?

4s तथा 4p ब्लॉकों के बीच पाए जाने वाले तत्वों के इस वर्ग को 3d ब्लॉक अथवा प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व कहते ( आवर्त सारणी देखें)। 4f श्रेणी Ce से Lu (परमाणु संख्या 58 - 71 ) तक के 14 सदस्यों से मिलकर बनती है, जहाँ उपांतिम उपकोश, 4f उपकोश पूरित होता है । उनका सामान्य इलेक्ट्रॉन विन्यास [Xe] 4f 1-145d12 6s 2 होता है।

संक्रमण तत्व क्या है प्रथम श्रेणी के तत्वों के गुणों को समझाइए?

ऑक्सीकरण अवस्थाएँ :- प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्वों में स्कैण्डियम के अतिरिक्त साधारण ऑक्सीकरण अवस्था +2 है। इसका कारण स्कैण्डियम के पश्चात् कक्षकों का स्थायी हो जाना है। परमाणु संख्या में वृद्धि के साथ उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था में वृद्धि होती है।

संक्रमण तत्व कितने प्रकार के होते हैं?

d-ब्लॉक तत्वों को पहली श्रृंखला संक्रमण तत्वों, दूसरी श्रृंखला संक्रमण तत्वों, तीसरी श्रृंखला संक्रमण तत्वों और चौथी श्रृंखला संक्रमण तत्वों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

प्रथम संक्रमण श्रेणी के तत्व क्या है उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास को लिखिए?

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास :.
प्रथम संक्रमण श्रेणी : परमाणु क्रमांक प्रतिक इलेक्ट्रॉनिक विन्यास अयुग्मित इलेक्ट्रॉन Sc. [Ar] 3d1 4S2 Ti. [Ar] 3d2 4S2 v. [Ar] 3d3 4S2 Cr. ... .
द्वितीयक संक्रमण श्रेणी : Y. [Kr] 4d1 5S2 Zr. [Kr] 4d2 5S2 Nb. [Kr] 4d4 5S1 अपवाद Mo. [Kr] 4d5 5S1अपवाद Tc. [Kr] 4d6 5S1 अपवाद Ru. ... .
3 . तृतीय संक्रमण श्रेणी :.