एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया क्यों कहते हैं?
एथेनॉल से एथेनॉइक अम्ल में परिवर्तन को ऑक्सीकरण अभिक्रिया कहते हैं क्योंकि:
दहन करने से कार्बन यौगिकों को सरलता से ऑक्सीकृत किया जा सकता है। रासायनिक क्रिया से ऑक्सीकरण करके यह कार्य किया जा सकता है। एल्कोहल को कार्बोज़ाइलिक अम्ल में बदला जा सकता है।
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साइक्लोपेन्टेन का सूत्र तथा इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होंगे?
साइक्लोपेन्टेन का सामान्य सूत्र C2 H2X5 = C5H10 है। इसकी संरचना और इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना है-
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पेन्टेन के लिए आप कितने संरचनात्मक समावयवों का चित्रण कर सकते हैं?
पेन्टेन के तीन संरचनात्मक समावयवों का चित्रण किया जा सकता है:
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सल्फ़र के आठ परमाणुओं से बने सल्फ़र के अणु की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगी? ( संकेत: सल्फ़र के आठ परमाणु एक अँगूठी के रूप में आपस में जुड़े होते हैं। )
सल्फ़र का परमाणु क्रमांक 16 है।
K L M
2 8 6
सल्फ़र के बहरी कक्ष में 6 इलेक्ट्रॉन हैं और इसे अष्टक पूरा करने के लिए 2 इलेक्ट्रॉनों की आवश्यकता होती है।
प्रत्येक सल्फ़र परमाणु दो इलेक्ट्रॉनों की सहभागिता करेगा। इसका आण्विक सूत्र S8 होता है।
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CO2 सूत्र वाले कार्बन डाइऑक्साइड की इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना क्या होगा?
कार्बन डाइऑक्साइड में कार्बन परमाणु के साथ ऑक्सीजन के दो परमाणु जुड़े होते हैं। कार्बन की परमाणु संख्या 6 होती है और इसके बहरी कक्ष में चार इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसे अष्टक बनाने के लिए चार इलेक्ट्रॉन की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजन को केवल 2 इलेक्ट्रॉन की बहरी कक्ष में आवश्यकता होती है। इसलिए उसका इलेक्ट्रॉन बिंदु संरचना होगी-
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कार्बन के दो गुणधर्म कौन-से हैं जिनके कारण हमारे चारों ओर कार्बन यौगिकों की विशाल संख्या दिखाई देती है?
(i) शृंखलन ( Catenation )- शृंखलनकार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अदभुत क्षमता होती है। इस गन को शृंखलन कहते हैं इन यौगिकों में कार्बन की लंबी शृंखला कार्बन की विभिन्न शाखाओं वाली शृंखला या अँगूठी के आकार में व्यवस्थित कार्बन पाए जाते हैं। कार्बन के परमाणु एकल, युगल या तिहरे आबंध में जुड़ सकते हैं।
(ii) चतु: संयोजकता ( tetravalency )- कार्बन में चार संयोजकता होती है। इसलिए इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं या कुछ अन्य तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की क्षमता होती है। ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, सल्फ़र, क्लोरीन तथा अनेक अन्य तत्व के साथ कार्बन के यौगिक बनते हैं। इससे ऐसे विशेष गुण करने वाले यौगिक बनते हैं, जो अणु में कार्बन के अतिरिक्त उपस्थित तत्व पर निर्भर करते हैं।
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