प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुई श्रद्धांजलि सभा, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से जूझते हुए चंडीगढ़ के अस्पताल में 27 सितंबर को हो गया था वैभव वर्धन का निधन बारिश की बूंदों के बीच प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, दिल्ली के सभागार में वैभव वर्धन दुबे से जुड़ी स्मृतियों के बादल भी नौ अक्टूबर की दोपहर उमड़ते-घुमड़ते रहे। कुछ ने इन स्मृतियों को साझा करने की हिम्मत जुटाई, कुछ ने आंखों की पोर तक अटके आंसुओं के जरिये इसे अभिव्यक्त किया। यादों का दौर आगे बढ़ा तो भावुक सभागार में कई मौकों पर तमाम नम आंखों ने बस एक ही सवाल किया-वैभव,आखिर इतनी जल्दी भी क्या थी? किसी ने कैंसर जैसी बीमारी से जंग की अपील की, किसी ने परमात्मा से दुआ की, किसी ने अपने दिवंगत साथी से शिकायतें की तो कुछ बस खामोशी से पुरानी यादों में खोए रहे। खचाखच भरे सभागार में सब अपने-अपने हिस्से के वैभव को ढूंढते रहे, उससे बतियाते रहे, उसकी यादें साझा करते रहे। सौ से ज्यादा लोगों के इस जमघट में हर कोई अकेला था और अपने एकांत में कुछ पल वैभव के साथ बिताने की बेचैनी महसूस कर रहा था। बता दें कि नौ अक्टूबर 2022 को वरिष्ठ पत्रकार वैभव वर्धन दुबे की स्मृति में दिल्ली प्रेस क्लब में एक सभा हुई। चौबीस घंटों से हो रही लगातार बारिश के बीच भी बारह बजते-बजते गाजीपुर से लेकर भोपाल तक और लखनऊ से लेकर देहरादून तक से आए साथियों से सभागार भर गया। कार्यक्रम की शुरुआत वैभव वर्धन दुबे को पुष्पांजलि से हुई और उसके बाद जीवन और अध्यात्म के संगीत के बीच वैभव वर्धन की एक तस्वीर साकार होती चली गई। वो तस्वीर जो इस नश्वर शरीर के बाद उनके चाहने वालों की स्मृतियों में क़ैद है और रहेगी। एबीपी, टीवी-9, नेटवर्क18, जी न्यूज, इंडिया टीवी, इंडिया न्यूज, न्यूज नेशन, न्यूज 24, आजतक, भारत 24, न्यूज इंडिया तमाम न्यूज़ चैनल्स और प्रिंट मीडिया के साथियों ने वैभव को याद किया। गायक आशिक कुमार और तबला वादक मुस्तफ़ा हुसैन ने निर्गुण गीतों के सुरों से सांसारिक दुनिया के जीवों को पारलौकिक अहसास कराया। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश अजय मिश्रा ने सुनाया। उन्होंने कहा कि वैभव वर्धन दुबे उनके लिए एक मित्र की तरह थे और इस संकट की घड़ी में वह परिवार के साथ हैं। दिव्य प्रेम सेवा मिशन के साथ वैभव का लंबा जुड़ाव रहा। दिव्य सेवा प्रेम मिशन से जुड़े आशीष गौतम, डॉ. नितिन और तमाम साथियों ने कहा कि वैभव हमेशा संस्था की बेहतरी के लिए सोचते रहे। इसके साथ ही किसान संगठनों के साथ भी वैभव वर्धन का संवाद रहा। कामेश्वर सिंह ने कहा कि वो जब भी मऊ या गाजीपुर में हुआ करते, वैभव स्थानीय लोगों के साथ मीटिंग अरेंज करने से लेकर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहा करते। वरिष्ठ पत्रकार और कवि प्रताप सोमवंशी ने कहा, ‘वो हमेशा लोगों के लिए सोचते रहे और आखिरी दिनों में भी उन्हें लोगों को जोड़ने की ही चिंता रही।’ इस श्रद्धांजलि सभा का संचालन ’बीबीसी’ से जुड़ीं शेफाली चतुर्वेदी ने किया। वह माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के दिनों की यादों के फूलों को निरंतर एक धागे में पिरोती रहीं और एक आत्मीय भावुकता से सभागार को भिगोतीं रहीं। रजनीकांत सिंह ने लोगों को जुटाने की भरपूर कोशिश की लेकिन जब वैभव वर्धन से जुड़ी यादें शेयर करने की बात आई तो हाथ जोड़ लिए। उन्होंने कहा कि इन भावुक पलों में कुछ कह पाना मुमकिन नहीं है, मैंने जिस रूप में वैभव को समेट रखा है, माइक हाथ में लिया तो खुद ही बिखर जाऊंगा। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने वैभव वर्धन की स्मृति में इस आयोजन में हर तरह से मदद की और साथियों और परिवार के साथ संवेदना व्यक्त की। श्यामलाल यादव, रजनीकांत सिंह, अखिल शर्मा, राजेश शुक्ला, मलय बनर्जी, सुनील गुप्ता, शेफाली चतुर्वेदी एवं तमाम साथियों के लिए ये चंद घंटे बेहद भावुक कर देने वाले रहे। ’इंडिया न्यूज’ और ’आजतक ’ से वैभव वर्धन दुबे का लंबा साथ रहा। इन दोनों ही संस्थानों में वैभव को बेहद करीब से देखने-समझने वाले संपादक राणा यशवंत ने कहा कि वैभव एक बेहद अच्छा प्रोफ़ेशनल होने के साथ बेहद अच्छा इंसान भी था। ये संयोग बेहद कम लोगों में ही मुमकिन होता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कई नए प्रयोगों की शुरुआत के उस्ताद थे वैभव। पत्रकार राम कौशिक ने कहा कि हमें ये सोचना चाहिए कि उनके परिवार को कैसे मजबूती दी जाए। उदय प्रताप सिंह, आँचल आनंद, अनुभा और कई साथियों ने ’इंडिया न्यूज’ के दिनों की यादें साझा कीं। वरिष्ठ पत्रकार और समाजसेवी अनिल पांडेय ने कहा कि वैभव वाकई वैभवशाली व्यक्तित्व के धनी थे। पशुपति शर्मा ने कहा कि वैभव समाज में हर तरह की खाइयों को पाटने वाले पुल की तरह थे, जो आज टूट गया है। ’माखन लाल’ के दिनों की साथी स्मिता दयाल ने कहा कि कैंसर जैसी बीमारी परिवार को भावनात्मक रूप से भी तोड़ती है और आर्थिक तौर पर भी कई चुनौतियां सामने लाती हैं। प्रतीक त्रिवेदी, सचिन सिंह, रवि दुबे, ऋषिकेश,अखिल शर्मा, गोविंदा तिवारी, गजेंद्र समेत कई पत्रकार साथियों ने गाजीपुर से दिल्ली तक की यादों को समेटने की कोशिश की। मलय बनर्जी, नीरज कुमार पांडेय, स्मिता अग्रवाल, विनोद गुप्ता, समीर तिवारी, अमित भाटी, यतेन्द्र शर्मा, आशीष तिवारी, सुनील गुप्ता,राजेश कुमार सिंह, भूपेश अग्रवाल, प्रशांत सिंह, अरुण प्रकाश, अंकिता, संजय शर्मा, विनय, महेंद्र सिंह परिहार समेत कई साथियों ने स्मृति पुस्तिका में अपने भाव दर्ज किए। समाचार4मीडिया की नवीनतम खबरें अब आपको हमारे नए वॉट्सऐप नंबर (9958894163) से मिलेंगी। हमारी इस सेवा को सुचारु रूप से जारी रखने के लिए इस नंबर को आप अपनी कॉन्टैक्ट लिस्ट में सेव करें। न्यूजलेटर पाने के लिए यहां सब्सक्राइब कीजिए1. समाचारपत्रों के विरुध्द शिकायत . 2. प्रेस की स्वतंत्रता के अतिक्रमण के विरुध्द शिकायत |