परमाणु बम हमले में जीवित बचे लोगों को क्या नाम दिया गया है? - paramaanu bam hamale mein jeevit bache logon ko kya naam diya gaya hai?

हिरोशिमा और नागासाकीः परमाणु हमले में जीवित बची महिलाओं की कहानी

6 अगस्त 2020

परमाणु बम हमले में जीवित बचे लोगों को क्या नाम दिया गया है? - paramaanu bam hamale mein jeevit bache logon ko kya naam diya gaya hai?

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हिरोशिमा शहर में परमाणु बमबारी की 74 वीं वर्षगांठ के अवसर पर 2019 में हिरोशिमा के मोतोयासु नदी में लैंटर्न जलाकर बहाती एक जापानी लड़की.

75 साल पहले 6 और 9 अगस्त को जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर अमरीका ने परमाणु बमों से हमला किया था.

ऐसा माना जाता है कि इस हमले में हिरोशिमा की 3,50,000 की आबादी में से करीब 1,40,000 लोग मारे गए थे. दूसरी ओर, नागासाकी में करीब 74,000 लोग मारे गए थे.

इस बमबारी ने एशिया में दूसरे विश्व युद्ध को अचानक खत्म कर दिया था. जापान ने 14 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया था.

लेकिन, आलोचकों का कहना है कि जापान पहले ही सरेंडर करने की कगार पर था.

इस बमबारी में जीवित बचे लोगों को हिबाकुशा कहा जाता है. जीवित बचे लोगों को परमाणु बम के हमले के बाद शहरों में रेडिएशन और मनोवैज्ञानिक मुश्किलों से गुजरना पड़ा था.

ब्रिटेन के फोटो-जर्नलिस्ट ली कैरेन स्टो की खासियत इतिहास की अहम घटनाओं की गवाह रही महिलाओं की कहानियां पेश करने में रही है.

स्टो ने 75 साल पहले परमाणु बम हमले में जीवित बची तीन महिलाओं के फोटो लिए और उनके साथ बातचीत की है.

इस आर्टिकल में कुछ ऐसे ब्योरे हैं जो कि कुछ लोगों को परेशान कर सकते हैं.

तेरुको उएनो

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तेरुको उएनो हिरोशिमा रेड क्रॉस अस्पताल में बमबारी के कुछ साल बाद एक नर्स के तौर पर और दूसरी तस्वरी साल 2015 की.

तेरुको 15 साल की थीं जब वह 6 अगस्त 1945 को हिरोशिमा में हुए परमाणु बम हमले में जीवित बच गईं.

बमबारी के वक्त पर तेरुको हिरोशिमा रेड क्रॉस हॉस्पिटल में नर्सिंग स्कूल में दूसरे साल में थीं.

बम के टकराने के बाद अस्पताल की डॉरमेटरी में आग लग गई. तेरुको ने लपटों को बुझाने की कोशिश की, लेकिन उनके कई साथी छात्र इसमें जलकर मर चुके थे.

हमले के बाद के हफ्ते की उनकी याद्दाश्त केवल इतनी है कि उन्होंने दिन-रात लगकर बुरी तरह से जख्मी हुए लोगों का इलाज किया जबकि उनके पास खाने-पीने के सामान न के बराबर थे.

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तेरुको की बेटी तोमोको का हिरोशिमा के एक अस्पताल में डॉक्टर परिक्षण करते हुए.

ग्रेजुएशन के बाद तेरुको हॉस्पिटल में काम करती रहीं, जहां उन्होंने स्किन ग्राफ्ट के ऑपरेशंस में मदद दी.

मरीज की जांघ से खाल लेकर इसे जलने की वजह से विकसित होने वाले केलोइड जख्म वाली जगह पर ग्राफ्ट किया जाता था.

बाद में उनकी शादी तत्सुयुकी से हुई जो खुद भी परमाणु बम हमले में जीवित बच गए थे.

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तेरुको उएनो की बेटी तोमोको अपनी मां और पिता के साथ.

जब तेरुको गर्भवती हुईं तो उन्हें चिंता हुई कि क्या उनका बच्चा स्वस्थ होगा और क्या वह जीवित बच पाएगा या नहीं.

उनकी बेटी तोमोको पैदा हुईं और उनका स्वास्थ्य अच्छा था.

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तेरुको उएनो की बेटी तोमोको और नातिन कुनीको साल 2015 की एक तस्वीर में.

वे कहती हैं, "मुझे नर्क के बारे में नहीं पता, लेकिन जिस सब से हम गुजरे शायद वही नर्क है. ऐसा फिर कभी नहीं होना चाहिए." वे कहती हैं कि परमाणु हथियारों को खत्म करने की दिशा में पहला कदम स्थानीय सरकारी नेताओं को उठाना चाहिए.

एमिको ओकाडा

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एमिको ओकाडा

एमिको उस वक्त आठ साल की थीं जब हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया गया.

उनकी बड़ी बहन मीको और चार अन्य रिश्तेदारों की इसमें मौत हो गई.

एमिको और उनके परिवार के कई फोटोग्राफ्स नष्ट हो गए थे, कुछ तस्वीरें जो कि उनके रिश्तेदारों के यहां रखी थीं वे बची रह गईं. इनमें से कुछ तस्वीरें उनकी बहन की भी थीं.

एमिको कहती हैं, "मेरी बहन उस सुबह घर से बाद में मिलती हूं कहकर निकली थीं. वे केवल 12 साल की थीं." लेकिन, वे फिर कभी वापस नहीं लौटीं. किसी को भी नहीं पता कि उनके साथ क्या हुआ.

एमिको बताती हैं, "मेरे पेरेंट्स ने पूरी ताकत से उन्हें खोजने की कोशिश की. उन्हें उनकी बॉडी कभी नहीं मिल पाई. हालांकि, उनका कहना है कि वे अभी भी कहीं पर जीवित होंगी. मेरी मां उस वक्त प्रेग्नेंट थीं, लेकिन उनका गर्भपात हो गया. हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं था. हमें रेडिएशन के बारे में तब कुछ नहीं पता था, ऐसे में हमें जो भी मिला हमने वह सब उठा लिया."

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बमबारी के बाद हिरोशिमा का एक दृश्य.

वे बताती हैं कि उस वक्त खाने की जुगाड़ सबसे बड़ी समस्या थी. लोग चोरी करने लगे थे. पानी स्वादिष्ट लगता था. शुरुआत में लोगों को ऐसे ही दिन काटने पड़े.

वे कहती हैं, "फिर मेरे बाल गिरना शुरू हो गए. मुझे हमेशा थकान रहती थी. मैं हमेशा पड़ी रहती थी."

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एमिको अपनी मां फुकु नाकासाको की गोद में और बगल में उनकी बहन मीको.

12 साल बाद उन्हें एप्लास्टिक एनीमिया बीमारी निकली. वे कहती हैं, "हर साल कुछ दफा ऐसे मौके आते हैं जबकि सूरज ढलने के वक्त आसमान सुर्ख लाल हो जाता है. इतना लाल कि लोगों के चेहरे लाल होने लगते हैं. उस वक्त मुझे परमाणु बम हमले के दिन की शाम याद आ जाती है."

वे कहती हैं, "तीन दिन और तीन रातों तक शहर जलता रहा था. मुझे सूरज ढलने से नफरत है. अभी भी सनसेट से मुझे जलता हुआ शहर याद आ जाता है."

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एमिको की बहन मीको पारंपरिक जापानी पोशाक में.

रीको

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रीको जब पांच साल की थी और दूसरी तस्वीर साल 2015 की.

उस सुबह हवाई हमले की चेतावनी जारी हुई थी. इस वजह से रीको घर पर ही रुक गई थीं.

जब यह लगा कि सब ठीक है तो वे पड़ोस के मंदिर चली गईं जहां पर उनके पड़ोस के बच्चे पढ़ने के लिए आया करते थे. बार-बार हवाई हमलों की चेतावनी के चलते बच्चे स्कूल जाने की बजाय मंदिर में पढ़ने के लिए इकट्ठा होते थे.

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बमबारी के बाद नागासाकी का दृश्य

40 मिनट बाद शिक्षकों ने कक्षा बंद कर दी और रीको घर आ गईं.

रीको बताती हैं, "मैंने घर के अंदर पांव रखा ही होगा कि अचानक मेरी आंखें तेज़ रोशनी से कौंध गईं. यह पीली और नारंगी रंग की थी. मैं कुछ भी समझ नहीं पाई...तब तक सबकुछ सफेद हो गया. अगले ही पल एक जोरदार धमाका हुआ. मेरी आंखों के आगे अंधेरा छा गया."

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रीको अपने पिता और बड़ी बहन के साथ.

वे कहती हैं, "हमें एयर रेड शेल्टर के बारे में बताया गया था. ऐसे में मुझे जैसे ही होश आया मैंने अपनी मां की तलाश की और हम लोग पड़ोस के एयर-रेड शेल्टर में पहुंच गए."

वे कहती हैं, "मुझे खरोंच तक नहीं आई थी. मैं माउंट कोनपीरा की वजह से बच गई थी, लेकिन पहाड़ के दूसरी तरफ के लोग इतने भाग्यशाली नहीं थे. वहां भीषण तबाही हुई थी."

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रीको हाडा

मेरी मां ने चादरें और तौलिए लिए और दूसरी महिलाओं के साथ पास के कमर्शियल कॉलेड में पहुंच गईं. वहीं पर काफी लोग इकट्ठा हुए थे.

वे बताती हैं, "कुछ लोगों ने पानी मांगा. मुझे उन्हें पानी देने के लिए कहा गया. मैंने एक कटोरा उठाया और पास की नदी से उसे भरा और उन्हें पीने के लिए दे दिया. पानी का घूंट पीते ही वे मर गए. एक के बाद एक लोग मरते गए. गर्मियों का वक्त था और कीड़े और बदबू के डर से शवों का तुरंत अंतिम संस्कार करना पड़ा."

हिरोशिमा पर गिराए गए बम का गुप्त नाम क्या था?

हिरोशिमा और नागासाकी परमाणु बमबारी 6 अगस्त 1945 की सुबह अमेरिकी वायु सेना ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम "लिटिल बॉय" गिराया था। तीन दिनों बाद अमरीका ने नागासाकी शहर पर "फ़ैट मैन" परमाणु बम गिराया

परमाणु बम के गुप्त नाम क्या है?

पहला परमाणु बम का उपनाम था 'लिटिल बॉय' और दूसरे का 'फैट मैन'.

अमेरिका ने हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम क्यों गिराया?

6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जपान के दो बड़े शहर नागासाकी और हिरोशिमा पर बम गिराया था। इस बम की ताकत इतनी ताकत थी कि दोनों शहरों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था।

अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम कब गिरा था?

आज ही के दिन 76 साल पहले 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर दुनिया का पहला परमाणु बम हमला किया था. इसके तीन दिन बाद जापान के ही नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम गिराया गया. दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हो गए. डेढ लाख से अधिक लोगों की पल भर में जान चली गई और जो बच गए वो अपंगता के शिकार हो गए.