पानी की कमी से निपटने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए? - paanee kee kamee se nipatane ke lie sarakaar ko kya kadam uthaane chaahie?

कृषि क्षेत्र में पानी के कमी से निपटने के लिए किसानों को उठाने होंगे ये कदम

पानी की कमी से निपटने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए? - paanee kee kamee se nipatane ke lie sarakaar ko kya kadam uthaane chaahie?

पानी की कमी से निपटने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए? - paanee kee kamee se nipatane ke lie sarakaar ko kya kadam uthaane chaahie?

कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा के लिए पानी महत्वपूर्ण है, आजकल पानी की मात्रा चौंकाने वाली दर से कम हो रही है। सतत विकास के लिए सबसे बड़ी बाधाओं में से एक पानी की बढ़ती कमी भी है। प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए “फसल विविधिकरण” (Crop Diversification) को प्रोत्साहित करने और किसानों को डीजल ट्रैक्टरों के बजाय इलेक्ट्रिक ट्रैक्टरों का उपयोग करने के दिशा में आगे आना होगा।

कृषि क्षेत्र के लिए जल संकट बढ़ता जा रहा है क्योंकि लोग अंधाधुंध पानी का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं। गेहूं-धान की फसल वाले क्षेत्रों में भूजल के अति प्रयोग के कारण जल स्तर भी कम हो रहा है, इसलिए कृषि के लिए पानी की कमी एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रही है। अगर इसी तरह प्राकृतिक संसाधनों का दोहन जारी रहा तो आने वाले समय में सिंचाई तो दूर, पेयजल की भी भारी किल्लत हो सकती है। विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित कृषि मेला में यह बात  चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कही है।

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उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन के लिए पानी एक महत्वपूर्ण संसाधन है और इसकी विश्वसनीय आपूर्ति होना महत्वपूर्ण है। जल का उचित प्रबंधन और संरक्षण करके हम इसे अगली पीढ़ी को दे सकते हैं। सूखे के खिलाफ लड़ाई में जल संरक्षण एक महत्वपूर्ण कदम है और पानी के संरक्षण के कई तरीके हैं। पानी के संरक्षण के कुछ तरीकों में कम पानी का उपयोग करना, पानी का कुशलतापूर्वक उपयोग करना और पानी का पुनर्चक्रण करना शामिल है। आधुनिक तकनीकों जैसे वर्षा जल संचयन, ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर सिंचाई के साथ पानी का कम से कम उपयोग किया जा सकता है।

ई-ट्रैक्टर का करे उपयोग

किसानों को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा की किसानों को जल संरक्षण के साथ–साथ पर्यावरण के संरक्षण पर भी जोर देना चाहिए।किसानों को अपने डीजल से चलने वाले उपकरणों के बजाय ई-ट्रैक्टर का उपयोग करने पर जोर देना चाहिए। इससे उत्पन्न होने वाले प्रदूषण की मात्रा में कमी आयेगी और ई ट्रैक्टर के उपयोग करने से डीजल पर होने वाले खर्च के पैसे भी बचेंगे और उन्होंने ई-ट्रैक्टर पर सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी की भी जानकारी दी। उन्होंने उन्नत किस्म की फसलों के बीजों के बारे में बताते हुए कहा की 35000 क्विंटल बीज यूनिवर्सिटी के द्वारा किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है।

समारोह में उपस्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास / LUVAS) के कुलपति डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने भी कृषि में जल संरक्षण की आवश्यकता को व्यक्त करते हुए कहा कि सिंचाई के पानी का कुशल प्रबंधन नहीं होने के कारण लगभग 70 प्रतिशत पानी बर्बाद हो रहा है, जिस पर गहन विचार करने की जरूरत है, क्योंकि बहुत सारे ऐसे राज्य है जिनके जमीन के नीचे का पानी पूरी तरह से खत्म हो चुका है, जो की एक अहम मुद्दा है। उन्होंने निवेश पर अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए कृषि व्यवसाय के साथसाथ पशुपालन के महत्व पर भी जोर दिया। भारतीय अर्थव्यवस्था में पशुधन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ग्रामीण आबादी के दो-तिहाई हिस्से को रोजगार देता है, जिससे उन्हें आजीविका मिलती है।

देश के विभिन्न राज्यों में लंपी स्किन रोग की व्यापकता का उल्लेख करते हुए वर्मा ने पशुपालकों से कहा कि वे अपने पशुओं को इस बीमारी से बचाने के लिए हर तरह के सम्भव उपाय और सावधानी बरतना चाहिए, उन्होंने इस बीमारी पर काबू पाने के लिए हरियाणा सरकार और लुवास की ओर से चलाए जा रहे तमाम प्रयासों की जानकारी दी, कृषि मेला संयोजक और विस्तार शिक्षा निदेशक डॉ. बलवान सिंह मंडल ने किसानों की मदद के लिए डिज़ाइन की गई विश्वविद्यालय की विस्तार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

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हरियाणा और आसपास के राज्यों के किसानों का हुआ जमावड़ा

हरियाणा और आसपास के राज्यों के कई किसान मेले में एकत्रित हुए। मेले के आयोजकों के द्वारा किसानों को सिंचाई, जल प्रबंधन और संरक्षण की जानकारी दी गई। मेले में किसानों के द्वारा लगाए गए स्टॉल भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ था।

मिट्टी–पानी की खूब हुई जांच

विश्वविद्यालय की ओर से लगाए गए बीज बिक्री केंद्र के स्टॉल पर किसानों ने रवि फसलों के बीज को भारी मात्रा में खरीदा, साथ ही किसानों ने अपनी मिट्टी और पानी की जांच मेले में लगे हुए मिट्टी पानी जांच केंद्र पर करवाया। इस आयोजन के अवसर पर बेहतर कार्य करने वाले किसानों को सम्मानित भी किया गया और साथ ही किसान किस तरह से आत्मनिर्भर बने इसको लेकर किसानों को विशेष जानकारी और टिप्स दी गई।

पानी की कमी से निपटने के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए? - paanee kee kamee se nipatane ke lie sarakaar ko kya kadam uthaane chaahie?

देवव्रत वाजपेयी हिंदी पत्रकारिता में 7 सालों से सक्रिय हैं. वह खेती-किसानी, खेल, एंटरटेनमेंट जैसे विषयों में लिखने की रुचि रखते हैं. उन्होंने अब तक न्यूज़18 हिंदी, वेबदुनिया, दैनिक जागरण और इंडिया डॉट कॉम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के लिए काम किया है.

पानी की समस्या से निपटने के लिए आपके लिए क्या उपाय अपनाते हैं?

लोगों को जल संरक्षण के बारे में जागरूक करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर उनका संरक्षण करना चाहिए, ताकि वायुमंडल में नमी होने पर बादल आकर्षित होकर वर्षा करें। जल प्रदूषण नहीं होना चाहिए। घरों में स्नान करते समय बाल्टी का प्रयोग करें।

पानी बचाने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

हर दिन बालों को शैम्पू करने से बच सकते हैं ... .
दांत ब्रश करते समय नल को बंद रख सकते हैं ... .
शावर, टब की जगह बाल्टी से स्नान कर सकते हैं ... .
टॉयलेट फ्लश में रेत से भरी बोतल रख सकते हैं ... .
बरसात के पानी को स्टोर कर काम में ला सकते हैं ... .
पौधों को पानी देने के लिए वाटरिंग कैन का प्रयोग ... .
वॉशिंग मशीन में एकसाथ कपड़े धो सकते हैं.

जल संरक्षण के लिए आप कौन कौन से उपाय कर सकते हैं?

जल संरक्षण के लिए आप क्या कर सकते है ?.
यह जांच करें कि आपके घर में पानी का रिसाव न हो ।.
आपको जितनी आवश्यकता हो उतने ही जल का उपयोग करें ।.
पानी के नलों को इस्तेमाल करने के बाद बंद रखें ।.
मंजन करते समय नल को बंद रखें तथा आवश्यकता होने पर ही खोलें ।.
नहाने के लिए अधिक जल को व्यर्थ न करें ।.

पानी की कमी को दूर करने के विभिन्न तरीके क्या हैं?

पानी अधिक मात्रा में पीएं पानी अधिक मात्रा में पीने से डिहाइड्रेशन की समस्‍या को एक हद तक दूर किया जा सकता है। आपको पानी के छोटे-छोटे सिप लें। आप चाहे तो कार्बोहाइड्रेट या इलेक्ट्रोलाइट युक्‍त पेय पदार्थों का सेवन करें। आप स्‍पोटर्स ड्रिंक या जूस भी पी सकते हैं