पंचम भाव में सूर्य और बुध - pancham bhaav mein soory aur budh

Budhaditya Yog: वैदिक ज्योतिष के अनुसार आदित्य शब्द सूर्य का पर्यायवाची है और कुंडली में बुध और सूर्य के एक साथ होने से बुधादित्य योग बनता है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि बुधादित्य योग का लोगों पर शुभ प्रभाव ही देखने को मिलता है. यह योग लगभग सभी कुंडलियों में पाया जाता है. बुधादित्य योग कुंडली के जिस भाव में होता है उसे प्रबल बनाने का काम करता है. बुध और सूर्य ग्रह के एक साथ एक ही घर में होने से यह विशेष फल प्रदान करने वाला योग कहलाता है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधादित्य योग से धन वैभव मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. ज्योतिष एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कुंडली के किस भाग में बुधादित्य योग का क्या प्रभाव पड़ता है.

प्रथम भाव
ज्योतिष शास्त्र में ऐसा बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के प्रथम भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो ऐसे में उस व्यक्ति को मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है. बुधादित्य योग के बनने से जातक को करियर के प्रति गंभीर रहना पड़ता है और ऐसे में वह अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए कार्यकर्ता देखता है और उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति भी होती है.

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द्वितीय भाव
द्वितीय भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे व्यक्ति को सुखी जीवन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. ऐसे लोगों को हर तरह की जानकारी प्राप्त करना पसंद होता है. यह किताबों से अध्ययन करने में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं.

तृतीय भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में तीसरे भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे लोगों को भाई-बहनों से ज्यादा प्यार नहीं मिलता और रिश्तेदारों से भी कष्ट मिलता है. ऐसे लोग नौकरी और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करते हैं. माता-पिता का सहयोग मिलता है और अलग-अलग रचनात्मक कार्य करने की ललक इनमें रहती है. इन लोगों को सेना, पुलिस और राजनीति में अच्छे पद की प्राप्ति होती है.

चतुर्थ भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ भाव में बुधादित्य योग बनता है तो ऐसा व्यक्ति स्वयं विद्वान होने के साथ-साथ विद्वानों और श्रेष्ठ लोगों के साथ रहना पसंद करता है. ऐसे व्यक्तियों को वाहन सुख, विदेश यात्रा, सरकारी नौकरी, अपना घर वह सभी चीजें मिलती हैं. जो एक सामान्य व्यक्ति को चाहिए होती है.

पंचम भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के पांचवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में उस व्यक्ति को अल्पायु संतान प्राप्त होती है, लेकिन गुणवान संतान को जन्म देता है. यह संतान इस व्यक्ति की नाम रोशन करता है पांचवें भाव में बुध आदित्य योग अध्यात्म और कला की तरफ रुचि बढ़ाता है.

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षष्ठ भाव
किसी की कुंडली में छठे भाव में बुधादित्य योग का बनना विरोधियों के कारण समस्याएं आने का कारण बनता है. इस तरह के व्यक्ति चुनौतियों से निपटने की शक्ति रखते हैं और आप विश्वास से भरे हुए होते हैं. ऐसे व्यक्तियों को निवेश से लाभ मिलता है और पिता उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं.

सप्तम भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में ऐसे व्यक्तियों को दांपत्य जीवन में परेशानियां आती हैं. वैवाहिक जीवन नीरस हो सकता है. जीवनसाथी से सहयोग कम मिलता है. व्यक्ति समाजसेवी और स्वयंसेवी संस्थानों से जुड़ा हुआ होता है.

अष्टम भाव
किसी व्यक्ति की कुंडली में आठवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में व्यक्ति दूसरों के सहयोग के चक्कर में खुद को ही उलझा सकता है. इस योग के बनने से व्यक्ति विदेश मुद्रा में व्यापार करता है और एक सफल व्यवसायी बन सकता है. ऐसे व्यक्तियों को दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है.

नवम भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में नवे भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में व्यक्ति को बहुत से शुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसे व्यक्तियों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है.

दशम भाव
कुंडली के दसवें भाव में बुधादित्य योग का बनना व्यक्ति को चतुर साहसी और संगीत प्रेमी बनाता है. ऐसे व्यक्तियों को नौकरी और व्यापार में अपार सफलता प्राप्त हो सकती है ऐसे व्यक्ति सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते हैं.

एकादश भाव
यदि किसी व्यक्ति के एकादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे व्यक्ति सरकार या सरकारी प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति करते हैं. ऐसे व्यक्ति धन-धान्य से संपन्न और ऐश और आराम से जीवन जीवन जीने वाले होते हैं. कला के क्षेत्र में ऐसे व्यक्तियों का रुझान बढ़ता है.

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द्वादश भाव
यदि व्यक्ति की कुंडली के द्वादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे व्यक्ति धन के मामले में अच्छा नहीं माना जा सकता. ऐसे व्यक्तियों को पारिवारिक विवाद का सामना भी करना पड़ सकता है. द्वादश भाव में इस योग के बनने से व्यक्ति आकस्मिक धन लाभ के अफसरों में फंसकर अपना सब कुछ लुटा देते हैं. ऐसे लोगों को विदेशों में सफलता मिलती है.

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शारीरिक रूप रेखा एवं स्वभाव - जिस जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह लग्न भाव में स्थित हो, वह व्यक्ति शारीरिक रूप से सुंदर होता है। देखने में व्यक्ति अपनी वास्तविक उम्र से कम आयु का दिखता है तथा उसकी आँखें चमकदार होंगी। लग्न का बुध व्यक्ति को स्वभाव से चालाक, तर्कसंगत, बौद्धिक रूप से धनी और कुशल वक्ता बनाता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति का स्वभाव भी सौम्य होता है और वह कई भाषाओं का ज्ञाता होता है। व्यवसाय क्षेत्र में भी ऐसे जातक सफल होते हैं। प्रथम भाव में बैठा बुध ग्रह जातक व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है।

बली बुध के प्रभाव - यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है तो जातक की संवाद शैली कुशल होती है। वह हाज़िर जवाबी होता है। व्यक्ति अपनी बातों से सबको मोह लेता है। बली बुध व्यक्ति को कुशाग्र बुद्धि का बनाता है। वह गणित विषय में अच्छा होता है। व्यक्ति की गणना करने की शक्ति तीव्र होती है। ऐसे जातक सभी विषयों को तार्किक दृष्टि से देखते हैं। वाणिज्य और क़ारोबार में भी व्यक्ति सफल होता है। बुध की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है, वह एक अच्छा वक्ता होता है। संवाद और संचार के क्षेत्र में व्यक्ति अग्रणी भूमिका निभाता है।

पीड़ित बुध के प्रभाव - यदि जन्म कुंडली में बुध ग्रह किसी क्रूर अथवा पापी ग्रहों से पीड़ित हो तो यह जातक के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से समस्या कारक होता है। इस स्थिति में जातक अपने विचारों को सही रूप में बोलकर पेश नहीं कर पाता है तथा वह गणित विषय में कमज़ोर होता है और उसे गणना करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। पीड़ित बुध जातक को दिमागी रूप से कमज़ोर बनाता है। उसे चीज़ों को समझने में दिक्कत होती है। पीड़ित बुध के प्रभाव से व्यक्ति को क़ारोबार में हानि होती है। व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता आती है। ऐसे में जातकों को बुध ग्रह से संबंधित उपाय करना चाहिए।

रोग - पीड़ित बुध के कारण जातक को स्वास्थ्य हानि का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति को बोलने में समस्या, नसों में पीड़ा, बहरापन, जीव, मुख, गले तथा नाक से संबंधित रोग, चर्म रोग, अत्यधिक पसीना आना, तंत्रिका तंत्र में परेशानी आदि का सामना करना पड़ता है।

कार्यक्षेत्र - वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह का संबंध वाणिज्य, लेखन, एंकरिंग, वकील, पत्रकारिता, कथा वाचक, प्रवक्ता आदि से है।

उत्पाद - ज्योतिष में बुध ग्रह के द्वारा अखरोट, पालक, पौधे, घी, तेल, हरी दालें, हरे रंग के वस्त्र आदि वस्तुएँ दर्शायी जाती हैं ।

स्थान - कॉलेज, विद्यालय, विश्वविद्यालय, सभी प्रकार के वाणिज्यिक स्थान, खेल का मैदान आदि।

पशु पक्षी - कुत्ता, बकरी, तोता, लोमड़ी, सरीसृप आदि।

जड़ - विधारा मूल।

रत्न - पन्ना।

रुद्राक्ष - चार मुखी रुद्राक्ष।

यंत्र - बुध यंत्र।

रंग - हरा

बुध से संबंधित मंत्र
बुध का वैदिक मंत्र
ॐ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रति जागृहि त्वमिष्टापूर्ते सं सृजेथामयं च।
अस्मिन्त्सधस्‍थे अध्‍युत्तरस्मिन् विश्वेदेवा यजमानश्च सीदत।।

बुध का तांत्रिक मंत्र
ॐ बुं बुधाय नमः

बुध का बीज मंत्र
ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः


खगोल विज्ञान के अनुसार बुध ग्रह

खगोल विज्ञान के अनुसार सौर मंडल में बुध सबसे छोटा ग्रह है और यह सूर्य से सबसे नज़दीक है। लेकिन बुध की घूर्णन गति सबसे तेज़ है। बुध के अक्ष का झुकाव अन्य ग्रहों की तुलना में सबसे कम है। यह सूर्य की परिक्रमा 87 दिन 23 घंटे में पूरी करता है। बुध का एक दिन पृथ्वी के 90 दिनों के बराबर होता है। बुध ग्रह पर वायुमंडल का अभाव है। इस ग्रह को सूर्यास्त के बाद अथवा ठीक सूर्योदय के ठीक पहले नग्न आँखों से देखा जा सकता है।

धार्मिक दृष्टि से बुध ग्रह का महत्व

सनातन धर्म में बुध ग्रह को देवता के रूप में पूजा जाता है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि बुध, हमारी प्रज्ञा के देवता हैं। बुद्धि और क़ारोबार में सफलता पाने के लिए बुधवार के दिन बुध ग्रह की उपासना की जाती है। धार्मिक दृष्टि से बुध देव वृद्धि और समृद्धि देने वाले देव माने गए हैं। बुध ग्रह भगवान विष्णु जी का प्रतिनिधित्व करता है। कहते हैं यदि जिस व्यक्ति के ऊपर बुद्ध देव की कृपा बरस जाये तो उसका जीवन कल्याणमय हो जाता है। बुध उत्तर दिशा का स्वामी होता है जो कुबेर देव का स्थान है।

आप देख सकते हैं ज्योतिष में बुध ग्रह का कितना बड़ा महत्व होता है। यदि आप अपनी जन्म कुंडली में बुध ग्रह की कृपा पाना चाहते हैं तो आप बुध से संबंधित उपाय कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको विविध क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।