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Question 'औरै' की बार-बार आवृत्ति से अर्थ में क्या विशिष्टता उत्पन्न हुई है?Solution पद्माकर ने अपने कवित्त में 'औरे' शब्द की आवृत्ति की है। इसकी बार-बार आवृत्ति ने उनके कवित्त में विशिष्टता के गुण का समावेश किया है। इसके अर्थ से वसंत ऋतु के सौंदर्य को और अधिक प्रभावी रूप से व्यक्त किया जा सका है। प्रकृति तथा लोगों में वसंत ऋतु के आने पर मन में जो चमत्कारी बदलाव हुआ है, इस शब्द के माध्यम से उसे दिखाने में कवि सफल हो पाए हैं। इस शब्द से पता चलता है कि अभी जो प्राकृतिक सुंदरता थी उसमें और भी वृद्धि हुई है। भवरों के समूह का बाग में बढ़ जाना और उनके द्वारा निकाली गई ध्वनि में व्याप्त नयापन आना वसंत के आने का संदेश देता है। यह शब्द हर बार पद के सौंदर्य को बढ़ाता है।प्रश्न अभ्यास 1. पहले छंद में कवि ने किस ऋतु का वर्णन किया है? उत्तर पद्माकर ने पहले छंद में बसंत ऋतु का प्रभावशाली वर्णन किया है। 2. इस ऋतु में प्रकृति में क्या परिवर्तन होते हैं? उत्तर इस ऋतु में प्रकृति में ये परिवर्तन होते हैं- 3. 'और' की बार-बार आवृत्ति से अर्थ में क्या विशिष्टता उत्पन्न हुई है? उत्तर कवि ने अपने कवित्त में 'और' शब्द की आवृत्ति से प्रकट किया है कि ऋतुराज वसंत का प्रभाव तो अति विशिष्ट है; बिलकुल अलग प्रकार का है, वैसा प्रभाव तो किसी ऋतु का हो ही नहीं सकता। प्रकृति तथा लोगों में वसंत ऋतु के आने पर मन में जो चमत्कारी बदलाव हुआ है, इस शब्द के माध्यम से उसे दिखाने में कवि सफल हो पाए हैं| इस शब्द से पता चलता है कि अभी जो प्राकृतिक सुंदरता थी उसमें और भी वृद्धि हुई है। 4. 'पद्माकर के काव्य में अनुप्रास की योजना अनूठी बन पड़ी है।' उक्त कथन को प्रथम छंद के आधार पर स्पष्ट कीजिए। उत्तर पद्माकर ने अनुप्रास अलंकार का सहज-स्वाभाविक प्रयोग तो किया ही है| उन्होंने स्थान-स्थान पर अनुप्रास का ऐसा
प्रयोग किया है कि उनकी योजना अनूठी बन गई है। इसके उदाहरण इस प्रकार हैं- 5. होली के अवसर पर सारा गोकुल गाँव किस प्रकार रंगों के सागर में डूब जाता है? दूसरे छंद के आधार पर लिखिए। उत्तर गोकुल की गलियों में सभी लोग होली के रंगों में डूबकर किसी को कुछ भी कह देते हैं। गोपों द्वारा घरों के आगे-पीछे दौड़कर होली खेली जा रही है। होली का हुड़दंग मचा हुआ है। एक गोपी कृष्ण के प्रेम के स्याम रंग में भीगी हुई है। वह इसे हटाना नहीं चाहती है, बस इसी में डूबना चाहती है। किसी को किसी का लिहाज़ नहीं है। कोई भी कुछ भी सुनना नहीं चाहता है। उनके विषय में कुछ भी कहना संभव नहीं है। 6. 'बोरत तौं बोर्यो पै निचोरत बनै नहीं' इस पंक्ति में गोपिका के मन का क्या भाव व्यक्त हुआ है? उत्तर इस पंक्ति में गोपी कहती हैं कि मैं तो कृष्ण के रंग में चोरी-चोरी रंग गई हूँ अर्थात मैंने सबसे चोरी अपने मन को कृष्ण के रंग में रंग दिया है। एक बार अपना मन कृष्ण के रंग में रंग देने के पश्चात अब मैं उसे निचोड़ने यानी उससे मुक्त होने के लिए तैयार नहीं हूँ। 7. पद्माकर ने किस तरह भाषा शिल्प से भाव-सौंदर्य को और अधिक बढ़ाया है? सोदाहरण लिखिए। उत्तर पद्माकर भाषा शिल्प में माहिर थे। उन्होंने अपना सारा काव्य ब्रजभाषा में रचा है जिसमें अलंकारों की अधिकता है। सूक्ष्म अनुभूतियों को दिखाने के
लिए लाक्षणिक शब्द का इस्तेमाल किया गया है। उदाहरण के लिए यह उदाहरण देखें- 8. तीसरे छंद में कवि ने सावन ऋतु की किन-किन विशेषताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है? उत्तर सावन ऋतु की विशेषताएँ इस प्रकार हैं- 9. संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए- उत्तर प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। इसमें कवि वसंत ऋतु में बाग-बगीचों में होने वाले परिवर्तन को दर्शा रहे हैं। व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियों में वसंत ऋतु के आने पर वातावरण की विशेषता बताई गई है। पद्माकर कहते हैं कि बाग में भवरों के समूहों की भीड़ बढ़ गई है। बागों में आम के पेड़ों पर बौरें लग गई हैं। इससे पता चलता है कि फल अब लगने ही वाले हैं। भाव यह है कि वसंत ऋतु में बाग में फूल खिलने लगते हैं, जिसके कारण भवरों की संख्या में वृद्धि हो गई है। ऐसे ही आम के वृक्षों पर बौरें लग गई हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि फल लगने वाले हैं। (ख) तौ लौं चलित "बनै नहीं। उत्तर प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। इसमें एक गोपी की दशा का वर्णन किया गया है। उस पर श्याम रंग चढ़ गया है और वह उसे उतारना नहीं चाहती है। व्याख्या- पद्माकर कहते हैं कि होली खेलते समय एक गोपी कहती हैं कि मेरे पर कृष्ण का रंग चढ़ गया है। दूसरी सखी उसे इस रंग को निचोड़कर उतारने के लिए कहती है। वह गोपी इस रंग को उतारना नहीं चाहती है। यह रंग कृष्ण के प्रेम का रंग है। वह कहती है कि यदि वह इस रंग को निचोड़ देगी, तो यह रंग निकल जाएगा। वह इस रंग में डूब जाना चाहती है। अतः वह दूसरी गोपी को मना कर देती है। भाव यह है कि जो कृष्ण से प्रेम करता है, वह उसके रंग को अपना लेता है। गोपी भी कृष्ण को प्रेम करती है। अतः कृष्ण से प्रेम करने के कारण कृष्ण का काला रंग भी उसे अच्छा लगता है। (ग) कहैं पद्माकर..."लगत है। उत्तर प्रसंग- प्रस्तुत पंक्ति प्रसिद्ध कवि पद्माकर द्वारा रचित है। प्रस्तुत पंक्ति में पद्माकर वर्षा ऋतु की विशेषता बता रहे हैं। उनके अनुसार यह प्रेम की ऋतु है और इसमें रूठना-मनाना अच्छा लगता है। व्याख्या- पद्माकर कहते हैं कि वर्षा ऋतु में प्रेमिका को अपना प्रियमत अच्छा लगता है। इसमें रूठे प्रेमी को मनाने में भी आनंद आता है। भाव यह है कि प्रायः जब प्रियतम रूठ जाता है, तो मनुष्य अहंकार वश मनाता नहीं है। वर्षा ऋतु में यदि प्रेमी नाराज़ हो जाए, तो उसे मनाना अच्छा लगता है। यह ऋतु का ही प्रभाव है कि नाराज़ प्रेमी को मनाकर आनंद प्राप्त किया जाता है। ओरे की बार बार आवृत्ति से अर्थ में क्या विशेषता उत्पन्न हुई है?इसकी बार-बार आवृत्ति ने उनके कवित्त में विशिष्टता के गुण का समावेश किया है। इसके अर्थ से वसंत ऋतु के सौंदर्य को और अधिक प्रभावी रूप से व्यक्त किया जा सका है। प्रकृति तथा लोगों में वसंत ऋतु के आने पर मन में जो चमत्कारी बदलाव हुआ है, इस शब्द के माध्यम से उसे दिखाने में कवि सफल हो पाए हैं।
कवि ने वसंत की कौन सी विशेषता बताई हैं?व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियों में वसंत ऋतु के आने पर वातावरण की विशेषता बताई गई है। पद्माकर कहते हैं कि बाग में भवरों के समूहों की भीड़ बढ़ गई है। बागों में आम के पेड़ों पर बौरें लग गई हैं। इससे पता चलता है कि फल अब लगने ही वाले हैं।
बोरत तौं बोर्यो पै निचोरत बनै नहीं इस पंक्ति में गोपिका के मन का क्या भाव व्यक्त हुआ है?6. 'बोरत तौं बोर्यो पै निचोरत बनै नहीं' इस पंक्ति में गोपिका के मन का क्या भाव व्यक्त हुआ है? इस पंक्ति में गोपी कहती हैं कि मैं तो कृष्ण के रंग में चोरी-चोरी रंग गई हूँ अर्थात मैंने सबसे चोरी अपने मन को कृष्ण के रंग में रंग दिया है।
पद्माकर के अनुसार गोपी की और एक साथ कौन कौन कब दौड़े?प्रस्तुत कवित्त में पद्माकर ने फाग (होली) का बड़ा हृदय स्पर्शी चित्र अंकित किया है। एक गोपिका कृष्ण के साथ गुलाल से फाग खेलने का बड़ा सजीव वर्णन अपनी प्रिय सखी से करती है । छू जाती है।
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